खुद को बचाने और कुठियाला के उपकार को चुकाने क्यों बेताब हैं राकेश सिन्हा ?

माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय भोपाल के nsui प्रभारी और nsui प्रदेश प्रवक्ता सुहृद तिवारी ने संघ विचारक और राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा पर खुद को बचाने और माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय भोपाल के पूर्व कुलपति ब्रज किशोर कुठियाला के उपकार को चुकाने का आरोप लगाया है।

तिवारी ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से बयान जारी करके कहा है कि सिन्हा को पूर्व कुलपति कुठियाला ने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय भोपाल के नोएडा कैंपस में विश्वविद्यालय के नियमों को ताक पर रखकर नियुक्त किया था जबकि नियमानुसार महापरिषद या प्रबंध समिति से अनुमोदन के बाद ही कुलपति अपने विशेषधिकार(कुलपति के विशेषाधिकार) से ऐसी नियुक्ति कर सकता है लेकिन पूर्व कुलपति कुठियाला को राकेश सिन्हा को उपकृत करने की इतनी जल्दी थी कि उन्होंने विश्वविद्यालय के नियमों को ताक पर रखकर पहले नियुक्ति दे दी और लगभग 4 महीने के बाद महापरिषद और प्रबंध समिति को सूचना दी।

पूर्व कुलपति कुठियाला ने सिन्हा को विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित ‘पाकिस्तानी मीडिया स्कैन’ हेतु प्रतिनियुक्ति पर रखा था इस दौरान उनकी सैलरी विश्वविद्यालय के एशोसिएट प्रोफ़ेसर की सैलरी के बराबर 1.30 लाख प्रतिमाह थी। लेकिन राकेश सिन्हा इस अवधि में एक भी दिन भी विश्वविद्यालय नही आये और न ही कोई काम किया।

तिवारी ने राकेश सिन्हा पर आरोप लगाते हुए कहा कि अपने कार्यकाल (6 माह की अवधि मे) वो सिर्फ संघ के जानकार और प्रवक्ता के तौर पर राष्ट्रीय चैनलों को बहस में भाग लेते रहे और विश्वविद्यालय से पूरी सैलरी लेते रहे।

तिवारी ने विश्वविद्यालय प्रशासन और पूर्व कुलपति कुठियाला पर सवाल उठाते हुए कहा है कि जब सिन्हा ने विश्वविद्यालय में एक भी क्लास नही ली और न ही वो विश्वविद्यालय आये तो आखिर किस मूल्यांकन के आधार पर और किसके आदेश पर उन्हें नियमित रूप से सैलरी मिलती रही?

तिवारी ने सिन्हा पर आरोप लगाते हुए कहा कि सिन्हा दिल्ली विश्वविद्यालय से सम्बद्ध एक निजी सांध्यकालीन मोतीलाल नेहरू कॉलेज में राजनीति विज्ञान के एशोसिएट प्रोफेसर हुआ करते थे जहा पर वो कभी आते जाते नही थे इस कारण संस्थान ने उनकी तनख्वाह रोककर उन्हें निष्कासित कर दिया था। निष्कासित होने के बाद सिन्हा ने अपने राजनैतिक कद के दम पर माखनलाल विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में दूसरे कार्यकाल को बढ़वाने में मदद की थी इसलिए कुठियाला ने राकेश सिन्हा को उपकृत करने के उद्देश्य से माखनलाल विश्वविद्यालय में नियुक्ति दे दी थी।

तिवारी ने राकेश सिन्हा की प्रेस वार्ता पर भी प्रश्न चिन्ह उठाते हुए कहा है कि सिन्हा किस मुँह से माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति कुठियाला और शिक्षकों के विरुद्ध हुई EOW(आर्थिक अपराध अन्वेषण व्यूरो) पर हुई FIR का विरोध कर रहे हैं? कहीं वो पूर्व कुलपति कुठियाला द्वारा उनके ऊपर किये गए उपकार का ऋण तो नही चुका रहे? कहीं वो जांच की दिशा को राजनैतिक रूप देकर उनके खुद के द्वारा किये गए आर्थिक भ्रष्टाचार को बदलने का प्रयास तो नही कर रहे?

तिवारी ने ‘अकेडमिशियन्स फॉर फ्रीडम’ पर भी सवालिया निशान उठाते हुए कहा है कि आखिरकार ये कैसे संभव है कि EOW द्वारा पूर्व कुलपति कुठियाला और शिक्षकों पर FIR के 3 दिन में ही 300 पूर्व और वर्तमान कुलपतियों द्वारा हस्ताक्षरित आवेदन उन्होंने माननीय उपराष्ट्रपति को सौप दिया? ये 300 पूर्व और वर्तमान कुलपति, प्रोफेसर उन्हें इतनी जल्दी मिल कैसे गए? आजतक 300 लोगों के द्वारा हस्ताक्षरित आवेदन पत्र मीडिया या सार्वजनिक माध्यमों में क्यों नही भेजा गया? सिर्फ एक लेटर ही क्यों भेजा गया?

इन सब बातों पर ने सवाल उठाते हुए तिवारी ने राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा से पूछा है कि क्या सिन्हा में इतनी हिम्मत है कि वो पूर्व कुलपति द्वारा पी गई शराब और उनके द्वारा कुलपति निवास पर बनाई गई ‘शराब स्टैंड’ के बिल माननीय उपराष्ट्रपति महोदय को भेजें? क्या राकेश सिन्हा ने कुठियाला द्वारा स्वयं और अपनी पत्नी को कराई गई लंदन यात्रा के बिल उपराष्ट्रपति को भेजे? क्या सिन्हा ने या ‘अकेडमिशियन्स फॉर फ्रीडम’ को कुठियाला के द्वारा की गई फर्जी नियुक्तियां,आर्थिक भ्रष्टाचार नही दिखता? या राकेश सिन्हा और ‘अकेडमिशियन्स फॉर फ्रीडम’ सिक्के के एक पहलू को देखकर ही उपराष्ट्रपति की शरण मे पहुचकर हो हल्ला मचा सकता है?

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

spot_img

ताजा समाचार

Related Articles