अपराधियों से भरी पड़ी है मोदी कैबिनेट, पढ़े मोदी केबिनेट की सच्चाई

NewBuzzIndia: ​15 अगस्त 1947 ही वह पहला और आखिरी दिन था जब देश का मंत्रिमंडल राजनीतिक चरित्र का नहीं बल्कि राष्ट्रीय चरित्र का बना। उस वक्त मंत्रिमंडल मेंकई ऐसे लोगों को शामिल किया गया था जो गैर कांग्रेसी या कहें तो कांग्रेस विरोधी थें, इसका कारण था राष्ट्रीय हित। आज की तस्वीर कुछ अलग बात बयां करती है, आज जब किसी व्यक्ति को पार्टी उम्मीदवार घोषित करती है तो उसकी कसौटी अच्छा नेतृत्व और सूशासन का भरोसा नहीं बल्कि मोटी रकम होती है क्योंकि टिकट के बदले उसे पैसा ऐंठना होता है। जब कोई राजनीति को व्यवसाय समझ कर लाखों करोड़ों की पूँजी का निवेश कर सत्ता के गलियारे में पहुंचेगा तो उसकी प्राथमिकता पैसा लूटने की होगी ना की जन सेवा की और यही कारण है बड़े बड़े घोटालों और भ्रष्टाचारों  का।

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16वें लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज कर संसद तक पहुंचे हुए कुल 541 सदस्यों में से 186 सांसदों पर अपराधिक मामले दर्ज हैं, उनमें से 112 पर गंभीर अपराधिक मामले, जैसे बलात्कार, अपहरण दर्ज हैं। यह अभी तक का सबसे बड़ा अपराधिक जमघट है जो संसद तक पहुँचा।

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हाल में हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में विस्तार के बाद कुल मंत्रियों की संख्या 78 हो गई है। इनकी औसत चल-अचल संपत्ति 12 करोड़ 94 लाख रुपये है। इसके अलावा 24 मंत्री ऐसे हैं जिन पर आपराधिक मामले दर्ज हैं।
नेशनल इलेक्शन वॉच (न्यू) और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) ने रिपोर्ट जारी कर नरेंद्र मोदी सरकार के मंत्रियों का लेखाजोखा सार्वजनिक किया है। एडीआर ने यह रिपोर्ट मंत्रियों द्वारा दाखिल किए गए चुनाव शपथ पत्रों में दर्ज ब्योरे के आधार पर तैयार की है।
2006 के सितंबर महीने में चुनाव आयोग द्वारा प्रधानमंत्री को दिए गए रिपोर्ट  में इस बात की चिंता जाहिर की गई थी कि ऐसे ही अपराधिक मामलों में  लिप्त लोगों का राजनीति में आना नहीं रूका तो वह दिन दूर नहीं जबसंसद  में दाउद इब्राहीम और अबू सलेम जैसे लोग बैठेंगे।
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राजनेताओं में चारित्रिक गिरावट देश के लिए बहुत गंभीर मसला है क्योंकिहर वो घटना जो राजनीति के गलियारे में घटती है उसका सीधा सरोकार जनता से होता है, राजनेता जनता का प्रतिनिधि होता है इसलिए उसके हर कदम से जनता प्रभावित होती है। ऐसे में उम्मीद से की जाती है कि जनता पर पड़ने वाला प्रभाव सकारात्मक हो जन हित में हो।

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