यहाँ हम कैराना में उलझे हैं और उधर इराक में 39 लोग लापता, हत्या की आशंका

NewBuzzIndia:

देश के कई लोग नौकरी के सिलसिले में देश के बाहर जाते हैं। पैसा कमाने की चाह लोगों को खतरों से भरे अरब देशों में भी ले जाती है। भारत के ऐसे ही 39 लोग साल 2014 से इराक में लापता हैं। उन लोगों के परिवारवालों को अबतक समझ नहीं आ रहा कि उनके सगे-संबंधी जिंदा भी हैं या फिर नहीं। मामला 2014 का है जब आईएस ने ईराक पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद से इन लोगों की कोई खबर नहीं आई। हालांकि, सुषमा स्वराज का कहना है कि वे सभी लोग ईराक में सही सलामत हैं, पर इन लोगों को वहां ले जाने वाले शख्स का दावा है कि उन सभी को उसके सामने ही आतंकियों ने मार दिया था।
जिस शख्स ने यह दावा किया है उसका नाम हरजीत मसीह है। बटला में रहने वाले इस शख्स को पुलिस ने विदेश मंत्रालय के कहने पर गिरफ्तार किया था। लापता लोगों के परिवारवालों ने हरजीत पर आरोप लगाए हैं कि वह ही उन लोगों को इराक लेकर गया था। परिवारवालों ने अपनी शिकायत में यह भी कहा है कि हरजीत ने विदेश भेजने के बदले 1.5-2 लाख रुपए लिए थे। हरजीत भी इराक में ही काम करता था। विदेश मंत्रालय ने हरजीत के साथ उसके एक रिश्तेदार राजबीर को भी पकड़ने को कहा है। परिवारवालों को लगता है कि हरजीत और राजबीर ने मिलकर उन लोगों को आईएस को बेच दिया।
हालांकि, पकड़े जाने के बाद हरजीत ने बताया था कि उसके सामने ही आईएस के आतंकियों ने सभी लोगों को मार दिया था। उसके मुताबिक, वह किसी तरह भागने में कामयाब हो गया था। उसके एक गोली लगने का निशान अब तक है। हरजीत की इस बात पर परिवारवाले भरोसा करना भी चाहें तो विदेश मंत्रालय उन्हें करने नहीं देता। सुषमा स्वराज ने सभी लोगों से कहा है कि उनके सगे-संबंधी इराक में जिंदा हैं और ठीक हैं। सुषमा उन्हें सही सलामत लाने का वादा भी करती हैं। अमृतसर से लापता मनजिंदर सिंह की बहन गुरपिंदर सिंह कहती हैं, ‘जब भी मैं सुषमा स्वराज से हरजीत के बारे में कहती हूं तो वह बोलती हैं कि मुझ से उसके बारे में बात मत करो। तुम्हें उसपर भरोसा है या मुझपर।’
वहीं, अपनी सफाई में हरजीत का कहना है, ‘मेरे खिलाफ मानव तस्करी का आरोप कैसे लग सकता है। सभी लोग अपने परिवारवालों को पैसा भेजते थे। सोशल मीडिया पर फोटो पोस्ट करते थे। तस्करी करके ले जाए गए लोगों को सैलरी नहीं मिलती है।’
फिलहाल हरजीत और राजबीर विदेश मंत्रालय की निगरानी में हैं। मंत्रालय का कहना है कि उन्हें जान का खतरा हो सकता है। वहीं, दूसरी तरफ 39 लोगों के परिवारवालों को 2 साल बाद भी समझ नहीं आ रहा कि उनके भाई, पति, बेटा जिंदा है या नहीं।

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