गंगा के लिए अनशन पर बैठे पर्यावरणविद् जीडी अग्रवाल का निधन

गंगा को बचाने के लिये हरिद्वार के मातृसदन में उपवास पर बैठे प्रो जी डी अग्रवाल का गुरुवार को निधन हो गया। स्वामी सानंद पिछली 22 जून से अनशन पर थे और मंगलवार को उन्होंने जल भी त्याग दिया था। इसके बाद उत्तराखंड सरकार ने ऋषिकेश एम्स में भरती करा दिया था। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उनसे अनशन खत्म करने को कहा था। लेकिन प्रो अग्रवाल (जिन्हें स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद के नाम से भी जाना जाता है) गंगा के लिये अपनी मांगों से पीछे हटने को तैयार नहीं थे।

आईआईटी के प्रमुख भी थे जीडी अग्रवाल

जीडी अग्रवाल आईआईटी कानपुर में सिविल एवं पर्यावरण इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख थे। उन्होंने राष्ट्रीय गंगा बेसिन प्राधिकरण का काम किया। इसके बाद केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पहले सचिव भी रहे।

2012 में छोड़ दिया था राष्ट्रीय गंगा बेसिन प्राधिकरण

2012 में राष्ट्रीय गंगा बेसिन प्राधिकरण को निराधार कहते हुए उन्होंने इसकी सदस्यता से त्याग पत्र दे दिया। साथ ही, अन्य सदस्यों को भी यही करने के लिए प्रेरित किया। पर्यावरण के क्षेत्र में उनकी प्रतिष्ठा को देखते हुए उनके हर उपवास को गंभीरता से लिया गया।

नदियों का प्रदू‌षण रोकना थी मांग


2014 में चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गंगा की स्वच्छता के लिए प्रतिबद्धता दिखाई थी। हालांकि, सरकार बनने के बाद से अब तक ‘नमामि गंगे’ परियोजना का सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आया। ऐसे में जीडी अग्रवाल ने 22 जून, 2018 को हरिद्वार में अनशन शुरू कर दिया।
अग्रवाल की मांग थी कि नदियों को प्रदूषण से रोकने लिए उनका पर्यावरणीय प्रवाह बनाए रखा जाए। साथ ही, नदियों के किनारे से अतिक्रमण हटाया जाए। इसके लिए एक प्रभावी कानून भी बने।

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