पिता और चाचा पर भारी पड़ी अखिलेश यादव की राजनीति, रद्द हुआ कौमी एकता दल का सपा में विलय

NewBuzzIndia:

  विगत कई दिन उत्तर प्रदेश की राजनीति के लिए अंदाज़ों और अटकलों का दौर रहा। इस पसोपेश को किनारे करते हुए प्रदेश की सत्तारूढ़ पार्टी  समाजवादी पार्टी में कौमी एकता दल के विलय की संभावनाओं पर विराम लगते हुए अंतिम निर्णय दे दिया गया है।

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के हठ के आगे पार्टी के दिग्गजों को झुकना ही पड़ा। मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल का सपा में विलय रद्द कर दिया गया है। समाजवादी पार्टी की संसदीय बोर्ड की बैठक में यह फैसला लिया गया। इसके साथ ही कौमी एकता दल का सपा में विलय कराने के सूत्रधार रहे बलराम यादव की कैबिनेट में वापसी हो गई है। इस पूरे घटनाक्रम में मुलायम सिंह यादव प्रत्यक्ष रूम से सामने नहीं आए लेकिन सूत्रों से ये खबर मिली की कहीं न कहीं सपा प्रमुख का मोह कौमी एकता दल से जुड़ा था।

संसदीय बोर्ड की बैठक में चार अहम फैसले लिए गए। पहला फैसला कौमी एकता दल के विलय को रद्द करने का रहा। 2 घंटे तक चली समाजवादी पार्टी की बैठक में ये फैसला लिया गया। इस फैसले से एक बात साफ हो गई कि अपने चाचा शिवपाल यादव पर सीएम अखिलेश यादव भारी पड़ गए हैं। दूसरा अहम फैसला बलराम यादव की अखिलेश मंत्रिमंडल में वापसी का है। कौमी एकता दल के एसपी में विलय से सीएम नाराज हो गए थे। इस विलय के सूत्रधार रहे बलराम यादव को अखिलेश ने फौरन अपने मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया था। लेकिन अब विलय रद्द होते ही बलराम यादव की वापसी हो गई।

इसके अलावा दो और अहम फैसले इस बैठक में लिए गए। अब सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह समाजवादी पार्टी का चुनाव से ऐन पहले पुनर्गठन करेंगे। इसके अलावा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पूरे सूबे का दौरा करेंगे। माना जा रहा कि वो चुनाव से पहले हवा का रुख भांपने के लिए हर जिले का दौरा करेंगे।

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