Home Tags Akhilesh yadav

Tag: akhilesh yadav

मायावती का भाजपा कनेक्शन सामने लाने के लिए दिया निर्दलीय को समर्थन: अखिलेश

0
Akhilesh Yadav Samajwadi Party UP
Akhilesh Yadav Samajwadi Party UP

सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज कहा कि वह भाजपा व बसपा का सच सामने लाना चाहते थे इसलिए राज्यसभा चुनाव के लिए निर्दलीय प्रत्याशी प्रकाश बजाज को समर्थन दिया। अखिलेश यादव शनिवार को आचार्य नरेंद्र देव की पुण्य तिथि पर उन्हें श्रद्घांजलि देने के बाद मीडिया से बात कर रहे थे।

मीडिया से बात करते हुए अखिलेश ने कहा कि हमने जनता के सामने सच ला दिया है कि बसपा, भाजपा की बी टीम है। अब सब बातें साफ हो गई हैं। वहीं, उन्होंने बसपा सुप्रीमो मायावती पर भी निशाना साधा और कहा कि कुछ लोग भाजपा से मिले हुए हैं। भाजपा चुनाव जीतने के लिए किसी के साथ भी गठबंधन कर सकती है। अखिलेश यादव ने कहा कि आज के दिन हम सरदार पटेल, आचार्य नरेंद्र देव जी और वाल्मीकि जी को याद कर रहे हैं।

अखिलेश यादव ने आगे कहा है कि भाजपा की गलत नीतियों के चलते प्रदेश के किसान बेहाल हैं। बिचौलियों और बड़े व्यापारियों के सरकारी तंत्र से मिलीभगत की वजह से किसान अपनी फसल उन्हें औनपौने दाम पर बेचने को मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि सरकार झूठे दावों के बल पर अपनी कमियों पर पर्दा डालने का प्रयास कर रही है। भाजपा सरकार किसानों की आय दुगनी करने और किसान की फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य एवं कृषि उपज की उत्पादन लागत का डेढ़ गुना करने का वादा भूल चुकी है। किसानों को इस वर्ष धान की फसल से बहुत उम्मीद थी, लेकिन किसानों को 1888 रुपये के घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य के बजाय 800 से 1000 रुपये या अधिकतम 1200 रुपये प्रति कुंतल की दर से धान बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है।

सपा अध्यक्ष ने कहा कि धान केन्द्रों पर भी नमी के बहाने किसानों का शोषण हो रहा है। धान की खरीद में निजी एजेंसियों की चांदी है। मक्का माटी मोल बिक रहा है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार द्वारा लाये गए नए कृषि विधेयक से खेत पर किसान का मालिकाना हक समाप्त हो जाएगा। उसकी खेती कॉरपोरेट कंपनियों की शर्तों पर होगी। उन्होंने कहा कि देशवासियों को भाजपा से सावधान रहना चाहिए।

इस शर्त पर समाजवादी पार्टी के साथ आने को तैयार शिवपाल यादव

0
File photo of akhilesh yadav and shivpal yadav

प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (पीएसपी) के प्रमुख शिवपाल यादव ने आज मीडिया से बातचीत करते हुए कहा है कि वह 2022 में होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करने के लिए तैयार हैं।

शिवपाल यादव, जो समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह के छोटे भाई और पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के चाचा हैं, ने कहा कि उनकी पार्टी विधानसभा चुनावों के लिए सपा के साथ गठबंधन कर सकती है, लेकिन वह समाजवादी पार्टी में दोबारा शामिल नहीं होंगे ।

पत्रकारों से बात करते हुए शिवपाल ने कहा, “जब चारों ओर चुनाव होंगे, तो गठबंधन की बातचीत होगी लेकिन हम समाजवादी पार्टी में वापस नहीं जाएंगे। हम उन लोगों से बात करेंगे जो हमारे साथ सहयोगी बनना चाहते हैं।

बता दें कि अप्रैल-मई में हुए लोकसभा चुनावों में सपा की हार के बाद मुलायम सिंह ने चाचा-भतीजे को एक साथ लाने के प्रयास किए थे। चुनाव में यादव कबीले के तीन सदस्य-डिंपल यादव, धर्मेंद्र यादव और अक्षय यादव चुनाव हार गए और लोकसभा में पार्टी की संख्या पांच हो गई।

जिसके बाद, बहुजन समाज पार्टी ने भी सपा के साथ गठबंधन तोड़ते हुए घोषणा की कि वह अपने दम पर सभी चुनाव लड़ेगी। बसपा ने अपनी दलित विरोधी नीतियों के लिए सपा को भी जिम्मेदार ठहराया।

सूत्रों के अनुसार सपा के वरिष्ठ नेताओं को लगता है कि अगर दोनों नेताओं ने हाथ मिला लिया तो सपा कुछ हद तक मजबूत हो जाएगी और खुद को एक हद तक पुनर्जीवित कर सकती है।

Mahagathbandhan lasted for Lok Sabha Elections only as BSP and SP parted ways

0

Stable alliances in Indian politics are myths. The fact was soon discovered after a disastrous performance by BSP and SP in Lol Sabha elections. They are now separate, like they were in the past.

After weeks of blaming SP for the failure in Lok Sabha elections, , BSP supremo Mayawati on Monday announced that her party will contest all elections alone in future.

She tweeted, “The behaviour of the SP after the Lok Sabha general elections compels the BSP to think whether it will be possible to defeat the BJP further. That is not possible. So in the interest of the party and the movement, the BSP will now fight all the major elections on its own.”

“Everyone is aware that forgetting everything of the past, as well as anti-BSP and anti-Dalit decisions such as reservation in promotions and bad law and order during the SP rule in 2012-2017, the BSP adhered to the ‘gathbandhan dharma’ with the Samajwadi Party in the interest of the country,” she tweeted in Hindi.

Mayawati’s statement comes a day after the BSP reviewed its performance in the Lok Sabha polls and its alliance with the Akhilesh Yadav-led party. The BSP, which had contested the election in alliance with the SP and Ajit Singh’s Rashtriya Lok Dal, had won 10 seats and the SP, just five.

Soon after she announced her decision, SP national general secretary Ramashankar Vidyarthi told journalists in Balia that Mayawati was speaking against the SP in haste because of the Dalit support for the SP and Akhilesh.

“She is weakening the fight for social justice,” he said, adding that Dalit society is getting connected with the SP and Akhilesh in a big way. “People know about the reality about what the ‘malkin’ of the alliance has done.”

Earlier in June, Mayawati had announced her decision for the BSP to go solo in the bypolls to 11 Assembly seats in Uttar Pradesh. She had then said that the split would not be permanent if Akhilesh got his act together. Her statement also comes weeks after she said Akhilesh had asked her to not give tickets to Muslims as it would result in religious polarisation.

अखिलेश सरकार के रिवरफ्रंट घोटाले के केस में 4 राज्यों में ईडी की छापेमारी

0

उत्तर प्रदेश की सपा सरकार के वक्त हुए तथाकथित रिवर फ्रंट घोटाला मामले में एनफोर्समेंट डिपार्टमेंट ने गुरुवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए लखनऊ समेत देश में कई जगहों पर एक साथ छापेमारी की। उत्तर प्रदेश के अलावा हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली में भी ईडी ने छापेमारी की। नोएडा के सेक्टर-62 में सर्च ऑपरेशन करते हुए कई इंजीनियरों के साथ सिंचाई विभाग के कई अधिकारियों के खिलाफ भी छापेमारी की कार्रवाई की गई है।

दरअसल सपा शासनकाल के दौरान लखनऊ में बने गोमती रिवरफ्रंट के निर्माण में वित्तीय अनियमितताओं के गंभीर मामले सामने आए है। योगी सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद गोमती रिवरफ्रंट का दौरा किया था। जिसके बाद गोमती नदी चैनलाइजेशन प्रोजेक्ट और गोमती नदी रिवरफ्रंट डेवलपमेंट में हुई वित्तीय अनियमितताओं की न्यायिक जांच हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस आलोक सिंह की अध्यक्षता में गठित समिति ने की थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट 16 मई 2017 को राज्य सरकार को सौंपी थी। जिसमें दोषी पाए गए अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराए जाने की सिफारिश की गई थी। समिति ने जांच के घेरे में आए तत्कालीन मुख्य सचिव आलोक रंजन और तत्कालीन प्रमुख सचिव सिंचाई दीपक सिंघल के खिलाफ विभागीय जांच की सिफारिश भी की थी।

इन अफसरों पर आरोप

ईडी ने मामले में तत्कालीन चीफ इंजीनियर गोलेश चंद्र (रिटायर्ड), एसएन शर्मा, काजिम अली और सुपरिटेंडेंट इंजीनियर शिवमंगल यादव (रिटायर्ड), अखिल रमन, कमलेश्वर सिंह, रूप सिंह यादव (रिटायर्ड) और एग्जीक्यूटिव इंजीनियर सुरेशयादव के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है। सीबीआई नामजद आरोपियों से पूछताछ करने के साथ ही कई अहम दस्तावेज कब्जे में ले चुकी है।

बजट बड़ाया फिर काम आधे में लटका

बताया जा रही है कि रिवरफ्रंट के निर्माण के लिए पहले 747.49 करोड़ का बजट था। जिसे बढ़ाकर बाद में मुख्य सचिव की बैठक में निर्माणकार्य के लिए 1990.24 करोड़ रुपये का प्रस्ताव दिया गया था। जसके बाद जुलाई, 2016 में 1513.51 करोड़ रुपये मंजूर हुए थे। निर्माणकार्य में स्वीकृत राशि से 1437.83करोड़ रुपये खर्च हुए थे, लेकिन करीब 60 फीसदी काम ही पूरा हो सका था। आरोप है कि तत्कालीन सरकार को भी इस संबंध में शिकायतें मिली थी लेकिन कोई कार्यवाही नही की गई।

ईडी के सम्मुख पेश नहीं हुईं बी चंद्रकला

सपा सरकार के कार्यकाल के दौरान हुए कथित खनन घोटाले में आरोपी आईएएस अधिकारी और हमीरपुर की पूर्व जिलाधिकारी बी चंद्रकला गुरूवार को प्रर्वतन निदेशालय के समक्ष पेश नहीं हुई। ईडी ने हमीरपुर की तत्कालीन जिलाधिकारी को नोटिस जारी कर गुरुवार को पेश होने के लिए कहा था लेकिन शैक्षणिक अवकाश पर चल रही बी चंद्रकला के स्थान पर उनके वकील एस अहमद साउद लखनऊ में ईडी के दफ्तर पहुंचे और निदेशालय द्वारा मांगे गए जरूरी दस्तावेजों को अधिकारियों के हवाले किया। बाद में अहमद ने पत्रकारों को बताया कि ईडी ने जिन दस्तावेजों की मांग उनके मुवक्किल से की थी, उन्हे आज सौंप दिया गया है। उनकी मुवक्किल कुछ समय बाद इस मामले में ईडी के सामने पेश हो सकती है।

कांग्रेस प्रत्याशियों के चयन के लिए आज से CEC की बैठक, मौजूदा विधायकों पर लग सकती है मोहर

0

विधानसभा चुनाव के लिए आज कांग्रेस में प्रत्याशियों के नाम पर मुहर लग सकती है। दिल्ली में सेंट्रल इलेक्शन कमेटी के इस बैठक में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान चुनाव के लिए प्रत्याशियों के नाम सुनिश्चित होने हैं। इस बैठक में सोनिया गांधी,राहुल गांधी के अलावा कमलनाथ, सिंधिया, अजय सिंह और दिग्विजय सिंह हिस्सा ले रहे हैं।

आज आ सकती है छत्तीसगढ़ चुनाव के पहले चरण की सूची

चुनाव आयोग ने छतीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए मंगलवार को अधिसूचना जारी कर दी है। 23 अक्टूबर को नामंकन का आखिरी तारीख तय किया गया है। बता दें कि पहले चरण में बस्तर संभाग की 12 व राजनांदगांव जिले की सभी छह सीटों के लिए चुनाव होने हैं। जिसमें एक तरफ अजीत जोगी (जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़), बसपा और सीपीआई गठबंधन है तो दूसरी तरफ राजनांदगांव से खुद मुख्यमंत्री रमन सिंह चुनाव लड़ते आ रहे हैं। वहीं कांग्रेस को भी ऐसे बड़े चेहरे के रूप में प्रत्याशी का चुनाव करना होगा जो अजीत जोगी और रमन सिंह जैसे नेताओं को टक्कर दे सके। बैठक में मौजूदा सिंगल विधायकों पर भी मुहर लगने की सम्भावना ज्यादा है।

मध्यप्रदेश में सपा और गोंडवाना से समझौता की एक और कोशिश

वहीं गठबंधन करने से दुरी बना चुके समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के अध्यक्ष हीरा सिंह से भी मुलाकात होने की सम्भावना है। कहा जा रहा है कि गठबंधन को लेकर एक और कोशिश की जा सकती है।

नाव पर सवार होकर आ रहीं अंबे कांग्रेस की नाव पार लगाएगीं या हाथी पर जाने से होगा नुकसान

0

इस वर्ष की शारदीय नवरात्रि पर मां अंबे का आगमन नाव पर हो रहा है। नाव पर सवार मां अंबे मध्यप्रदेश सहित चार राज्यों में क्या कांग्रेस का सत्ता से वनवास समाप्त कर देगीं या फिर हाथी की उपेक्षा महंगी पड़ जाएगी। मां जगदंबा की वापसी भी इस बार हाथी पर बैठ कर हो रही है। मां अंबे का नाव पर आगमन पूरे देश के लिए अच्छे दिन आने का संकेत देने वाला है। क्या ये अच्छे दिन कांग्रेस की हिन्दी भाषी तीन राज्य मध्यप्रदेश,छत्तीसगढ़ और राजस्थान में सरकार में वापसी से आएंगे? कांग्रेस को इस सवाल का जवाब अपनी भक्ति के जरिए वोटर को खुश करके मिल सकता है। कांग्रेस को इन तीन राज्यों में अपने हाथ के कमाल पर ही भरोसा है। कांग्रेस ने अपनी नाव किनारे लगाने के लिए न तो साइकल की सवारी की है और न ही हाथी पर बैठने की हिम्मत दिखाई है।

मायावती और अखिलेश यादव को कांग्रेस ने किया है निराश

वैसे तो पिछले पांच विधानसभा चुनाव के लिए वोट डाले जाने का काम शारदीय नवरात्रि के बाद ही होता है। चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार इस मौके का उपयोग अपने चुनाव प्रचार के लिए करते हैं। इस वार की नवरात्रि पर जगदंबा नाव पर सवार होकर आ रहीं हैं। इस कारण राजनीतिक दलों के लिए यह नवरात्रि ज्यादा खास हैं। चुनाव वाले तीनों हिन्दी भाषी राज्यों में कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला होना तय माना जा रहा है। छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी और मायावती मिलकर मुकाबला त्रिकोणीय बनाने का पूरा प्रयत्न कर रहे हैं। मायावती को अजीत जोगी का साथ कांग्रेस द्वारा हाथ आगे न बढ़ाए जाने के कारण लेना पड़ा है।

मायावती इस उम्मीद में थीं कि राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी जो महागठबंधन तैयार करना चाहते हैं,वह तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव में बसपा को साथ लिए बगैर नहीं बन सकता। मायावती इंतजार करतीं रहीं,कांग्रेस ने उनके प्रस्ताव को स्वीकार ही नहीं किया। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ कहते हैं कि मायावती वो सीटें चाहतीं थीं, जिन पर उन्हें हजार-दो हजार वोट ही पिछले चुनाव में मिले थे। दरअसल मायावती कांग्रेस के वोट के जरिए अपनी नाव पार लगाना चाहतीं थीं। कांग्रेस को लग रहा था कि इस गठबंधन से सत्ता मिल भी गई तो उसका रिमोट मायावती के हाथ में चला जाएगा।

अखिलेश यादव की उम्मीद भरी निगाहों को कांग्रेस ने अनदेखा कर दिया। अखिलेश यादव से कांग्रेस ने समझौते के संकेत तो दिए लेकिन, सहमति का जवाब नहीं भेजा। नतीजा समाजवादी पार्टी को अपनी नाव को बचाने के लिए अकेले ही चुनाव का चप्पू चलाना पड़ रहा है।

कांग्रेस को उम्मीद कि आरक्षित वर्ग और मुस्लिम के साथ लगेगी नाव पार

बसपा प्रमुख मायावती के हाथी को नाराज करने के बाद यह माना जा रहा है कि इससे कांग्रेस को नुकसान होगा। कांग्रेस एक बार फिर सत्ता में आने से चूक सकती है। इस तरह की अटकलों का आधार बसपा के प्रतिवद्ध वोट बैंक के कारण लगाया जा रहा है। राज्य में बसपा की ताकत निरंतर कम हो रही है। बसपा को पिछले चुनाव में सिर्फ चार सीटें ही मिलीं थीं। जबकि वह नौ सीटों पर दूसरे नंबर की पार्टी बनी थी। बसपा जिन सीटों पर नबंर दो पर रही थी ये श्योपुर,सुमावलीमुरैना,भिंड,महाराजपुर,पन्ना,रामपुर बघेलान,सेमरियादेबतालाव तथा रीवा विधानसभा सीट हैं।

पहले उत्तरप्रदेश के चुनाव फिर एट्रोसिटी एक्ट का सवर्णों द्वारा किए जा रहे विरोध के बाद कांग्रेस इस नतीजे पर पहुंची है कि अनुसूचित जाति वर्ग मायावती का साथ छोड़ रहा है। कांग्रेस का अनुमान है कि यह वर्ग भाजपा से नाराज है। इस कारण वह ऐसे दल को वोट देना चाहेगा जो सरकार बना सकता है। तीनों हिन्दी भाषी राज्यों में बसपा अकेले अपने दम पर सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है।

राजस्थान में कांग्रेस को लग रहा है कि हर पांच साल में होने वाले सत्ता परिवर्तन में वोटर इस बार भाजपा को विपक्ष में बैठाएंगे। जबकि छत्तीसगढ़ में माया-जोगी के गठबंधन को अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के वोटर अभी विश्वास करने की स्थिति में नहीं है। वहीं सपा की स्थिति तीनों ही राज्यों में सिर्फ सांकेतिक ही मानी जा रही है। कांग्रेस में यह डर भी देखने को मिल रहा है कि कहीं हाथी सत्ता आने के सपने को कुचल न दे?

क्या अब कांग्रेस पर खीज उतार रहे हैं अखिलेश यादव,इच्छुक नेताओं को देंगे टिकट

0

कांग्रेस से चुनावी समझौते की बात न बन पाने के बाद अब समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने चुनाव लड़ने के इच्छुक नेताओं के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं। सोमवार को खजुराहो में हुई बैठक के बाद अखिलेश यादव ने कहा कि जो भी मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव मैदान में उतरने की इच्छा के साथ उनके पास आता है तो वे जरूर टिकट देंगे। अखिलेश यादव के इस बयान को कोंग्रेसियों के लिए एक संदेश माना जा रहा है। राज्य में पिछले चुनावों में भी कांग्रेस के कई बागी समाजवादी पार्टी अथवा बहुजन समाज पार्टी का टिकट लेकर चुनाव मैदान में उतरे थे। अखिलेश यादव की अपील के बाद यह उम्मीद भी जताई जा रही है कि बसपा प्रमुख मायावती भी इस तरह का एलान कर सकतीं हैं।

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस लगातार यह दावा करती रही है कि मध्यप्रदेश में वह बसपा और सपा के अलावा समान विचारधारा वाले दलों से मिलकर चुनाव लड़ना चाहती है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कई बार कहा कि उनकी बसपा और सपा से समझौते की बातचीत चल रही है। लेकिन, कांग्रेस और सपा के बीच कोई अधिकृत टेबल टॉक नहीं हुई। अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी का कोई बड़ा जनाधार राज्य में नहीं है। सपा ने अपना जनाधार बढ़ाने की गंभीर कोशिश भी कभी नहीं की। जबकि मध्यप्रदेश में तीसरे दल की जरूरत लगातार महसूस की जाती रही है। बहुजन समाज पार्टी में हमेशा ही विवाद के हालात रहे हैं। फूल सिंह बरैया के पार्टी छोड़ने के बाद बसपा की स्थिति कमजोर हुई है। बसपा ने भाजपा-कांग्रेस से नाराज नेताओं को टिकट देकर उनके निजी वोट बैंक का लाभ उठाया है।

मध्यप्रदेश में उलटा पड़ा सपा का दाव, कांग्रेस के साथ आए किसान नेता अर्जुन आर्या

0

मध्यप्रदेश में कांग्रेस को झटका देकर अलग चुनाव लड़ने की घोषणा करने वाली समाजवादी पार्टी को बड़ा झटका लगा है. शिवराज सिंह चौहान के विधानसभा छेत्र बुधनी से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी और किसान नेता अर्जुन आर्या ने समाजवादी पार्टी का साथ छोड़ने का ऐलान किया है. आर्या ने कहा है की वह समाजवादी पार्टी की टिकट पर चुनाव न लड़कर कांग्रेस का साथ देंगे और पार्टी उन्हें जहाँ से भी टिकट देगी वहां से वो चुनाव लड़ेंगे।

कौन है अशोक आर्या


अर्जुन आर्या पिछले काफी समय से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह छेत्र बुधनी में किसानों की लड़ाई लड़ रहे है. पिछले दिनों इसी आंदोलन के चलते प्रशासन ने उन्हें जेल भेज दिया था. जिसके बाद अखिलेश यादव ने उन्हें बुधनी से सपा का उम्मीदवार घोषित किया था.

कांग्रेस का पलटवार

अशोक आर्या के सपा से इस्तीफे को कांग्रेस के पलटवार के रूप में देखा जा रहा है. अशोक आर्या बुधनी में किसानों के बीच काफी अच्छी पकड़ रखते है और सूत्रों की मानें तो वह 12 अक्टूबर को कांग्रेस की सदस्यता ले सकते है.

दरअसल काफी समय से मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस, सपा और बसपा के बीच महागठबंधन बनाने के लिए बातचीत चल रही थी. सीटों के बटवारे को लेकर पहले बसपा ने 22 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी करके कांग्रेस के साथ गठबंधन की संभावनाओं पर अंकुश लगा दिया. जिसके बाद सपा 6 उम्मीदवारों की सूची जारी करते हुए कहा की कांग्रेस ने उन्हें काफी इंतजार करा दिया है.

मध्य प्रदेश में अखिलेश यादव ने घोषित किये अपने 6 उम्मीदवार

0

कांग्रेस से समझौता न होने के बाद समाजवादी पार्टी ने मध्य प्रदेश चुनाव के लिए 6 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है। घोषित किये गए 6 उम्मीदवारों में पार्टी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ बुधनी ने अशोक आर्य को उम्मीदवार बनाया है। पिछले विधानसभा चुनाव में नंबर 2 पर रहे निवाड़ी एवं बालाघाट विधानसभा क्षेत्र के लिए पार्टी ने अपने पुराने चेहरों पर भी भरोसा जताया है।

पति-पत्नी दोनों को बनाया उम्मीदवार

कांग्रेस से समझौता न होने के बाद समाजवादी पार्टी ने म.प \चुनाव के लिए 6 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है घोषित किये गए ६ उम्मीदवारों में पार्टी ने मुख्या शिवराज के खिलाफ बुधनी ने अशोक आर्य को उम्मीदवार बनाया है पिछले विधानसभ चुनाव में नंबर 2 पर रहे निवाड़ी एवं बालाघाट विधानसभा क्षेत्र के लोइये पार्टी ने अपने पुराने चेहरों पर भी भरोसा जताया है।

समाजवाद पार्टी ने पिछले विधानसभा चुनाव में 164 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे इनमे 161 की जमानत जब्त हो गई थी निवाड़ी विधानसभा क्षेत्र में मीरा दीपक यादव नंबर 2 पर रही थी। पार्टी ने उन्हें इस बार भी टिकट दिया है वहीँ बालाघाट में नंबर 2 पर रही अनुभा मुंजारे को भी फिर से टिकट दिया गया। अनुभा मुंजारे राज्य के कृषि मंत्री गौरी शंकर विसन के खिलाफ चुनाव लड़ी थी। उन्हें लगभग 70000 वोट मिले थे। गौरी शंकर विसन केवल 25000 वोटों से चुनाव जीत पाए थे। पार्टी ने पूर्व विधायक के के सिंह को एक बार फिर सीधी से उम्मीदवार बनाया है वर्ष 2008 के कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे।

कांग्रेस ने काफी इंजतार कराया है,बसपा और गोगपा के साथ मिलकर लड़गे चुनाव:अखिलेश यादव

1

मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के बाद अब समाजवादी पार्टी ने भी कांग्रेस के साथ गठबंधन करने से इंकार कर दिया है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसकी घोषणा की। उन्होंने कहा कि सपा मध्यप्रदेश में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी से गठबंधन करेगी।

कांग्रेस ने बहुत इंतजार कराया है

अखिलेश यादव ने कहा कि हम मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ मैदान में उतरने की तैयारी में थे। कांग्रेस अभी तक अपनी कोई योजना पर हमसे बात नहीं कर रही है। हमने बहुत इंतजार किया है, लेकिन अब नहीं करेंगे। मध्य प्रदेश में हम अकेले ही विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में हम कांग्रेस के साथ मैदान में नहीं उतरेंगे। हम गोंडवाना पार्टी से बात कर रहे हैं, हम वहां पर बहुजन समाज पार्टी के साथ मिलकर भी चुनाव लडऩे के इच्छुक हैं।