Newbuzzindia : NSG, NSG और NSG .. हां, आज आप हर अखबार से लेकर न्यूज़ चैंनल साथ ही अनेकों तरह के न्यूज़ पोर्टल पर इस एनएसजी वाले मुद्दें को देख सकते है। NSG के लिए जहाँ एक तरफ अंतरराष्ट्रीय राजनीति गरमा गयी है। वहीँ दूसरी ओर देश की 10 प्रतिशत जनता भी NSG के पहलुओं से अनछुई है। जिन लोगों ने NSG का नाम सुना है या जिन लोगों को NSG की सदस्यता से जुड़ी थोड़ी जानकारी भी है । वे भी NSG के बारे में सही जानकारी से परे है । तो चिंता मत कीजिये, हम आपको NSG से जुड़ी तमाम जानकारी देने जा रहे है । जो आपके ज्ञानवर्धन में सहायक होगी।
क्या है NSG ?
सन् 1974 में परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकने के लिए विश्व स्तर पर एक समिति का गठन हुआ था । इसकी समिति का नाम (nuclear suppliers group) तय हुआ । इसमें विश्व के 48 देश शामिल है, जिसमें से 43 देश NPT पर हस्ताक्षर कर चुके है । NPT, परमाणु अप्रसार संधि है । जिसके अंतर्गत ये देश कभी परमाणु हथियार न तो बनायेगे और न ही उपयोग करेंगे।
एनएसजी में 48 देशों में से शेष 5 देश अमेरिका, इंग्लैण्ड, फ्रांस, रुस व चाइना है जो पूरी तरह परमाणु संपन्न है।
आपको बता दे कि भारत ने NPT पर हस्ताक्षर नही किये है । इसी वजह से भारत एनएसजी में सदस्यता के पूरी ताकत लगा दे रहा है । और इसी में अड़ंगा डालने वाले देशों में चीन, आयरलैंड और तुर्की शामिल है।
NSG सदस्यता के क्या है फायदे ?
1● यदि भारत, एनएसजी में सदस्यता हाशिल कर लेता है तो न्यूक्लियर मेडिसिन व न्यूक्लियर पावर प्लांट लगानें की तकनीक मिल पाएगी।
2● भारत को यूरेनियम की आपूर्ति बिना किसी एग्रीमेंट के हो सकेगी। इससे भारत में विकास दर में खासी बढ़ोतरी होगी। साथ ही भारत की ऊर्जा जरूरते पूरी होगी।
3● सदस्यता के बाद भारत अपनी जरुरत का 40% ईंधन स्वच्छ व दोबारा इस्तेमाल की.जानें वाली न्यूक्लियर तकनीक से हासिल कर पायेगा। साथ ही जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता में भी कमी आएगी।
4● आधुनिक परमाणु तकनीक मिलनें पर भारत भी न्यूक्लियर पावर इक्विप्मेंट का व्यवसायीकरण कर सकेगा।
5● भारत, दूसरें देशों जैसे श्रीलंका व बांग्लादेश को शांतिपूर्ण कामों के लिए परमाणु तकनीक बेच सकेगा जिससे देश की अर्थव्यवस्था को फायदा होगा।
NPT पर क्यों हस्ताक्षर नही करना चाहता भारत ?
भारत यदि एनपीटी पर हस्ताक्षर करता है।तो उसे अपने पास उपलब्ध सभी परमाणु हथियार और.परमाणु तकनीक छोड़ने पड़ेंगे। साथ ही CTBT की शर्तानुसार वह भविष्य में परमाणु परिक्षण भी नही कर पायेगा।
अपने पड़ोसी देशो से लगातार बढ़ रहे कलह और प्रतिद्वंदिता और अशांत व्यवहार के चलते।भारत इस तरह के कदम उठाने से पीछे हट रहा है।