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ओंकारेश्वर मंदिर में भक्तों के साथ दुर्व्यवहार, मंदिर प्रबंधन समिति ने की श्रद्धालुओं के साथ झूमाझटकी

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इंदौर। मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में दर्शन के दौरान श्रद्धालुओं के साथ मारपीट का मामला सामने आया है। ओंकारेश्वर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। बताया जा रहा है कि मंदिर की प्रबंधन समिति के लोगों ने दर्शन करने आये भक्तों के साथ मारपीट की है।

इसके साथ ही भक्तों के साथ झूमा झटकी का मामला भी सामने आए है जिसके बाद पुलिस को बीच बचाव करने के लिए आना पड़ा। हालांकि ये कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी मंदिर से जुड़े इस तरह के मामले कई बार सामने आ चुके हैं। श्रद्धालुओं को दर्शन के लिए भी यहां काफी समस्या का सामना करना पड़ता है।

एक बार फिर से इस तरह का मामला सामने आने के बाद मंदिर प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए जा रहे हैं। पहले भी मंदिर में दर्शन को लेकर अव्यवस्था देखी जाती रही है।

सीएम शिवराज का ऐलान- ब्राह्मणों के लिए ब्राह्मण कल्याण बोर्ड का होगा गठन

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भोपाल। परशुराम के जन्मोत्सव पर आयोजित अक्ष्योत्सव 2023 कार्यक्रम में प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शामिल हुए। गुफा मंदिर प्रागण में आयोजित इस कार्यक्रम के पहले शोभा यात्रा का आयोजन किया गया जिसका जनता ने पुष्प वर्षा कर स्वागत किया। कार्यक्रम के दौरान नागरिकों को संबोधित करते हुए सीएम ने कई बड़े ऐलान भी किए। कार्यक्रम में बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री, पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता सुरेश पचौरी, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, मंत्री विश्वास सारंग, विधायक रामेश्वर शर्मा, महापौर मालती राय समेत अन्य नेता मौजूद थे। 

धर्म और संस्कृति की रक्षा करने वाले ब्राह्मणों के लिए सीएम ने ब्राह्मण कल्याण बोर्ड का गठन करने की घोषणा की। इसके अलावा गुफा मंदिर में विशाल भवन बनाने की बात भी कही, ताकि मंदिर में खड़े होने, बैठने और आयोजन करने में किसी तरह की समस्या ना हो। मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवान परशुराम को न्याय के देवता के रूप में जाना जाता है। उन्होंने आतताईयों यानी बुराइयों का नाश करने के लिए फरसा उठाया था। उनकी प्रेरणा से मध्यप्रदेश में भी गुंडे, बदमाशों और नक्सलियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। प्रदेश में उनके खिलाफ अभियान तेजी से चल रहा है। आज ही दो नक्सलियों को मारा है।

भगवान परशुराम ने समाज में समानता लाने के लिए भूमि के समुचित आवंटन की पहल की थी। हमारा भी ये संकल्प है कि मध्यप्रदेश में कोई भी गरीब जमीन के टुकड़े के बिना नहीं रहेगा। सीएम ने आगे कहा कि हमने एक फैसला लिया है। मंदिर की गतिविधियों के नियंत्रण के लिए सरकार नियंत्रित नहीं की गई। इसलिए मंदिरों के नाम की जमीन को कलेक्टर नीलाम नहीं करेंगे। उनको पुजारी ही नीलाम करेंगे। निजी मंदिर, जहां ट्रस्ट बने हैं वहां के पुजारियों को भी सम्मान जनक मानदेय देने के लिए नियम बनाकर निर्देशित किया जाएगा। अभी हमारे मंदिरों के पुजारियों को पांच हजार रुपए भत्ता दिया जा रहा है।

ब्राह्माणों ने हमेशा धर्म और संस्कृति की रक्षा की है। यज्ञों, धर्मों से संस्कृति को संरक्षित रखने का काम किया है। इसलिए ब्राह्मणों के कल्याण के लिए ब्राह्मण कल्याण बोर्ड की स्थापना की जाएगी। सामाजिक समरसता के साथ सभी का कल्याण करना भाजपा सरकार का धर्म है और हम उस धर्म का पालन करेंगे।  

मुख्यमंत्री ने आगे बताया कि सरकारी स्कूलों में 3,547 संस्कृत के शिक्षक नियुक्त कर दिये गए हैं। हम केवल अकबर को नहीं बल्कि राम और परशुराम को भी पढ़ाएंगे। इतिहास को सहीं ढंग से लिखने की कोशिश करेंगे। संस्कृत पढ़ने वाले कर्मकांडी बच्चों को स्कॉलरशिप देना प्रारंभ कर दी गई है, ताकि वे आगे पढ़ें और हमारे धर्म और संस्कृति को आगे बढ़ाने का काम करें।

विश्व हिन्दू परिषद का राम जन्म भूमि को लेके एक बड़ा एलान

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विश्व हिंदू परिषद ने राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को सहायता प्रदान करने लिए हिंदू समाज से मौद्रिक प्रसाद एकत्र करने के दायरे का विस्तार करने का संकल्प लिया है | इसी सिलसिले में रायसेन के दीवान सिंह गोर ने 1 लाख 1 हज़ार की राशि मंदिर निर्माण हेतु प्रदान की औरअयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर एवं अन्य सुविधाओं के निर्माण में योगदान के लिये 4,00,000 गांवों और 11 करोड़ परिवारों तक पहुंचने का लक्ष्य रखा गया था | VHP का एमपी के 50 हजार गांव तक पहुंचने का लक्ष्य है |

किन संस्थाओं का होगा योगदान ?

मंदिर निर्माण के लिए टाटा कंसलटेंसी सर्विस के इंजीनियर लार्सन एंड टूब्रो मंदिर निर्माण में लगे हुए हैं | इसके साथ ही आईआईटी मुंबई, आईआईटी दिल्ली, आईआईटी चेन्नई, आईआईटी गुवाहाटी, और सीबीआरआई रुड़की के इंजीनियर भी मंदिर निर्माण में अपना सहयोग देंगे | 2024 तक श्री राम लला की भव्य मूर्ति मुख्य मंदिर के गर्भ गृह में स्थापित हो जाएगी, जिसके बाद भक्तों को भगवान के मंदिर के दर्शन करने के लिए आमंत्रण किया जा सकेगा |

यह एक विचार है

विश्व हिंदू परिषद का कहना है कि यह सिर्फ एक आंदोलन नहीं है बल्कि संपूर्ण हिंदू समाज के कायाकल्प का एक सचेता प्रयास है | इस सोच और विचार के साथ इस भव्य मंदिर का निर्माण कार्य संपन्न होने जा रहा है |लक्ष्य प्राप्त करने के लिए राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र प्रांत उपाध्यक्ष पीतांबर राजदीप, प्रांत संगठन मंत्री खगेन्द्र भार्गव और अभियान प्रमुख मलखान सिंह राजपूत जैसे कई अधिकारी इस अभियान में शामिल हुए |

अनोखा मंदिर! यहां भगवान के दर्शन से डरते हैं लोग, करते हैं सिर्फ पीठ की पूजा

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मंदिरों में देवी-देवताओं के दर्शन-पूजन की परंपरा तो सब जगह प्रचलित है, लेकिन उत्तराखंड में एक ऐसा भी मंदिर है जिसमें भगवान के चेहरे के बजाय उनकी पीठ के दर्शन किए जाते हैं। उत्तरकाशी के छोटे-से कस्बे नैटवाड़ में भगवान पोखूवीर का मंदिर है। इस इलाके में पोखूवीर को न्याय का देवता माना जाता है। लोगों की मान्यता है कि जो भी उनसे न्याय मांगता है, वे बिल्कुल सही और निष्पक्ष इंसाफ करते हैं, लेकिन उनके मुख के दर्शन नहीं किए जाते।

लोगों की आस्था इनसे गहराई तक जुड़ी है। पुराने समय में जब लोगों को निष्पक्ष न्याय नहीं मिलता था या जब वे न्याय प्रणाली को अपनाना पसंद नहीं करते थे, तो पोखूवीर से इसकी गुहार करते थे। लोगों का कहना है कि जो दोषी होता है, उसे पोखूवीर किसी भी रूप में दंड दे सकते हैं। 

यहां पोखूवीर से जुड़ी अनेक कथाएं भी प्रचलित हैं। कहा जाता है कि बहुत प्राचीन समय में जब किरिमर दानव ने इस इलाके में आतंक मचाया तो जनता की रक्षा के लिए राजा दुर्योधन ने उससे युद्ध किया। युद्ध में दानव हार गया और दुर्योधन ने उसकी गर्दन काटकर टोंस नदी में फेंक दी।

किरिमर दानव का सिर प्रवाह की दिशा के बजाय उलटा बहने लगा। जहां रूपिन और सूपिन नदी का संगम आता है, वहां ये नैटवाड़ में ये रुक गया। राजा दुर्योधन ने जब किरिमर दानव के सिर को देखा तो उसे नैटवाड़ में ही स्थापित कर दिया और यहीं उसका मंदिर बना दिया। आज यह पोखूवीर के नाम से जाना जाता है।

मंदिर से एक और कथा भी जुड़ी है। कहते हैं कि यह दानव नहीं बल्कि वभ्रूवाहन था। कृष्ण ने महाभारत के युद्ध से पूर्व ही उसका शीश काट दिया था। इस इलाके की खासियत है कि यहां कई स्थानों पर कौरवों की पूजा होती है। यहां तक कि दुर्योधन का मंदिर भी है। एक अन्य मंदिर में कर्ण की पूजा की जाती है।

गुजरात में हुआ परीक्षा में पास करवाने वाले पेन का आविष्कार!

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मार्च का महीना आते ही पता नहीं क्यों एक डर लगने लगता है। ऐसा लगता है जैसे आबोहवा में एग्जाम की खुशबू फैलने लगी हो। एग्जाम के इस मौसम को हम कई सालों तक महसूस करते हैं और ये हमारे अंदर कुछ इस तरह घर कर जाता है कि बड़े होने पर भी मौसम बदलने पर हमें अपने बचपन की याद आ जाती है।

लोग अपने बच्चों की परीक्षाओं को लेकर काफ़ी घबराए रहते हैं। बहुतों के लिए ये ज़िंदगी और मौत के सवाल जैसा होता है। कई बच्चे पूरे साल पढ़ने के बावजूद स्ट्रेस में आ जाते हैं और उनके मां-बाप भी काफ़ी परेशान दिखाई पड़ते हैं।

गुजरात से एक पम्फलेट की तस्वीर सामने आई है

 

लेकिन गुजरात में इस समस्या को दूर करने का एक नया तरीका निकाला गया है। वहां एग्जाम देने वाले बच्चों के लिए एक ऐसा पेन सेट तैयार किया गया ही जो एग्जाम को पास कराने की गारंटी देता है।

जी हां हम मज़ाक नहीं कर रहे। गुजरात से एक पम्फलेट की तस्वीर सामने आई है जिसमें इस बात काका वादा करा गया है कि अगर लोग अमुक पेन सेट ख़रीदते हैं तो उस पेन का प्रयोग करने वाला बच्चा निश्चित तौर पर पास हो जाएगा।

ये पेन गुजरात का एक मंदिर बनाता है। इस मंदिर का नाम है कष्टभंजन मंदिर और ये पंचमहल जिले में स्थित है। इस पेन सेट की कीमत मात्र 1900 रुपए है। और ये एग्जाम पास करवाने की 100% गारंटी देता है।

पूरे पैसे लौटा दिए जाएंगे

बात यहीं ख़त्म नहीं होती, इसमें ये दावा भी किया गया है कि इसके इस्तेमाल के बाद अगर बच्चा पास नहीं होता है तो पूरे पैसे लौटा दिए जाएंगे। लेकिन ये पेन आपको इतनी आसानी से नहीं मिलेगा। इसके लिए आपको अपना फ़ोन नंबर, हॉल टिकेट की फोटोकॉपी आदि डॉक्यूमेंट्स मुहैया करवाने होंगे।

ऐसा दावा किया गया है कि इस पेन को ख़ास यज्ञ करके बनाया गया है। साथ ही ये स्ट्रेस को कम करने का भी कार्य करता है।