Sunday, September 24, 2023
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जल्द हो सकता है बड़ा एलान, सोनिया गांधी के साथ 10 जनपथ में हुई प्रशांत किशोर की बैठक

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भाजपा, टीएमसी, कांग्रेस, शिवसेना, वायएसआर कांग्रेस और जेडीयू जैसे दलों के साथ काम कर चुके रणनीतिक सलाहकार प्रशांत किशोर जल्द ही बड़ा एलान कर सकते है। 10 जनपथ पर प्रशांत की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ हुई मुलाकात हुई। जिसके बाद उनके पार्टी में शामिल होने की अटकले शुरू हो गई है। बता दें कि बैठक में कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता भी मौजूद हैं।

पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास पर हुई यह बैठक करीब 4 घंटे तक चली। बैठक में प्रशांत किशोर ने कांग्रेस नेताओं को प्रेजेंटेशन दिया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा कि 2024 में होने वाले चुनाव को लेकर प्रशांत किशोर ने एक प्रेजेंटेशन पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी और कुछ बड़े नेताओं के सामने पेश की। इस प्रेजेंटेशन पर समीक्षा के लिए टीम बनाई जाएगी, जो कुछ समय बाद अपनी रिपोर्ट सौंपेगी और उसके बाद आखिरी निर्णय लिया जाएगा।

बताया जा रहा है कि प्रशांत किशोर ने अपने प्रजेंटेशन में कहा कि कांग्रेस पार्टी को 370 सीटों पर ध्यान देना चाहिए। कांग्रेस को यूपी, बिहार और ओडिशा में अकेले लड़ना चाहिए। तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में कांग्रेस को गठबंधन में लड़ना चाहिए। प्रशांत किशोर की बातों पर राहुल गांधी ने भी सहमित जताई है। सूत्रों के मुताबिक, प्रशांत किशोर आने वाले दिनों में कांग्रेस में शामिल हो सकते है, लेकिन उन्होंने पार्टी में कोई खास पद नहीं मांगा है।

इस बैठक में शामिल होने वाले नेताओं में मल्लिकार्जुन खड़गे, एके एंटनी, अंबिका सोनी, केसी वेणुगोपाल, जयराम रमेश, मुकुल वासनिक, दिग्विजय सिंह और अजय माकन शामिल हैं। पिछले कुछ दिनों से अटकलें हैं कि प्रशांत किशोर को गुजरात चुनाव में कांग्रेस बड़ी भूमिका दे सकती है। इससे पहले एक इंटरव्यू में खुद प्रशांत ने मई में अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर बड़ा एलान करने की बात कही थी।

मीडिया में चल रही रिपोर्ट की माने तो प्रशांत किशोर की टीम गुजरात में सर्वे भी कर रही है। इस बैठक से पहले प्रशांत किशोर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से भी मिल चुके हैं।

गुजरात-हिमाचल प्रदेश चुनाव पर नजर

गौरतलब है कि इस साल के अंत में भाजपा के सामने गुजरात और हिमाचल प्रदेश को बचाने की बड़ी चुनौती होगी। दोनों ही राज्यों में उसके सामने कांग्रेस टक्कर में नजर आएगी। ऐसे में सोनिया और राहुल गांधी इन दोनों ही राज्यों में पार्टी की स्थिति मजबूत करने की कोशिश करेंगे।

कांग्रेस पार्ट्री की कमाई में आई रिकार्ड गिरावट, जानें साल भर में हुई कितनी कमाई

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पिछले साल के मुकाबले पार्टी के खर्च में भी 998.15 करोड़ रुपये की कमी आई है। 30 मार्च को पार्टी द्वारा चुनाव आयोग को सौंपी गई रिपोर्ट से यह जानकारी सामने आई है। पार्टी की ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की कमाई वित्तीय वर्ष 2020-21 में 58 प्रतिशत से ज्यादा घट गई। पिछले साल में जो कमाई 682.2 करोड़ रुपये थी वह अब घटकर 285.7 करोड़ रुपये हो गई।

पार्टी का खर्च भी पिछले वित्तीय वर्ष में 998.15 करोड़ रुपये से कम होकर 2019 करोंड़ रह गया है। बता दें कि वित्त वर्ष 2018-19 में कांग्रेस की आय 918 करोड़ रुपये थी। तब से इसमें गिरावट जारी है।

ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, पार्टी की आय का एक बड़ा हिस्सा “कूपन जारी करने” से आता है। पार्टी ने कहा कि उसे इससे 156.9 करोड़ रुपये मिले। एक अन्य स्रोत, “अनुदान और दान”, ने 95.4 करोड़ रुपये का योगदान दिया, जबकि 20.7 करोड़ रुपये “शुल्क और सदस्यता” से आए।

एनसीपी की आय वित्त वर्ष 2015 में 85.5 करोड़ रुपये से घटकर वित्त वर्ष 21 में 34.9 करोड़ रुपये हो गई। इसका खर्च भी पिछले वित्त वर्ष के 109.18 करोड़ रुपये से गिरकर 2020-21 में 12.17 करोड़ रुपये हो गया।

इस बीच, भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी जद (यू) ने वित्त वर्ष 2015 में अपनी वार्षिक आय में 23.25 करोड़ रुपये से वित्त वर्ष 2015 में 65.31 करोड़ रुपये की वृद्धि देखी, और इसी अवधि में पार्टी का खर्च भी 10.67 करोड़ रुपये से बढ़कर 24.34 करोड़ रुपये हो गया।

पिछले साल, चुनावी ट्रस्टों द्वारा चुनाव आयोग को सौंपे गए आंकड़ों से पता चला कि अन्य राजनीतिक दलों के योगदान में गिरावट आई है, जबकि सत्तारूढ़ भाजपा के लिए उनका हिस्सा बढ़ा है।

कांग्रेस संसदीय दल की हुई बैठक, पढ़ें अध्यक्षा सोनिया गांधी का पूरा भाषण

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कांग्रेस संसदीय दल की बैठक में सोनिया गांधी का भाषण:

खड़गे जी, अधीर रंजन जी, राहुल जी और मेरे साथी सांसदों, हमारे चार सबसे अनुभवी साथी हाल ही में राज्यसभा से रिटायर हुए हैं, और जब हम अगली बार मिलेंगे तो कुछ और साथी भी रिटायर हो चुके होंगे। इन सबने अपने कार्यकाल में पार्टी और देश के लिए बहुत अच्छा योगदान दिया है। मैं उन सभी को धन्यवाद कहना चाहती हूं। मुझे विश्वास है कि वे सभी जनसेवा के कार्यों में उसी तरह लगे रहेंगे और पार्टी को मजबूत करने में योगदान देंगे।
संसद के इस सत्र में बजट पेश किया गया और कई मंत्रियों के कामकाज को लेकर चर्चा की गई। आपमें से अधिकतर लोगों ने इन चर्चाओं में हिस्सा लिया और विभिन्न मुद्दों पर पार्टी के नजरिए को मजबूती से सामने रखा। संसद के दोनों सदनों में हमारे सांसदों ने जनता से जुड़े मुद्दों को प्रमुखता से उठाया।


इसमें संदेह नहीं कि सरकार का रवैया बिल्कुल नहीं बदला है। एमएसएमई अभी भी दयनीय स्थिति में हैं। ऐसा कोई संकेत नहीं है कि सरकार ने किसानों से जो वादा किया है उसे किसी तरह पूरा किया जाएगा। रसोई गैस और तेल, पेट्रोल-डीजल, खाद और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतों असहनीय स्तर पर पहुंच चुकी हैं और उनमें बढ़ोत्तरी लगातार जारी है। कुछ दिन पहले हमारी पार्टी ने पूरे देश में महंगाई मुक्त भारत आंदोलन शुरु किया, जिसमें आपमें से कई लोगों ने हिस्सा लिया। इसे जारी रखने की जरूरत है।


शासन के मामले में अब यह साबित हो चुका है कि असली काम कुछ लोग करते हैं और संस्थाओं की बुनियाद रखते हैं, लेकिन कुछ लोग उसका श्रेय लेते हैं। मुझे इस बात की खुशी है कि कांग्रेस की अगुवाई वाले यूपीए सरकार की कम से कम दो ऐसे ऐतिहासिक कदमों ने बीते दो साल में देश के करोड़ों लोगों को जीवनदान देने का काम किया है जिनकी प्रधानमंत्री स्तर के लोगों ने सार्वजनिक तौर पर आलोचना की थी। मेरा तात्पर्य निश्चित रूप से खाद्य सुरक्षा कानून और मनरेगा की तरफ है। वैसे तो केंद्रीय मंत्री इस बात से इनकार करते हैं लेकिन मनरेगा की दिहाड़ी चुकाने में जो देरी होती है उससे लोगों को दिक्कतें हो रही हैं और यह गंभीर विषय है।
हमारे तमाम प्रयासों के बावजूद सरकार हमारी सीमाओं की स्थिति पर चर्चा करने को तैयार नहीं है। अगर इस मुद्दे पर चर्चा होती है तो सब मिलजुलकर समस्या का समाधान खोज सकते हैं। देश की विदेश नीति के मूलभूत सिद्धांत के रूप में गुटनिरपेक्षता के महत्व की भले ही मौजूदा सरकार आलोचना करती रही हो, लेकिन मुझे यह बताते हुए खुशी है कि इसी सिद्धांत की फिर से बात हो रही है, भले ही इसे इस रूप में स्वीकार नहीं किया जा रहा है।

यूक्रेन से निकाले गए हजारों छात्रों के भविष्य को जल्द से जल्द सुनिश्चित करने की जरूरत है। और जल्द से जल्द, देश में चिकित्सा शिक्षा के निरंतर बढ़ते खर्च पर रोक लगाकर समाधान निकालने की आवश्यकता है।

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के एक संयुक्त मंच ने, जिसमें हमारी इंटक भी शामिल थी, मजदूरों और किसानों को प्रभावित करने वाली केंद्र सरकार की नीतियों के विरोध में 28 और 29 मार्च को देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया था। बढ़ती बेरोजगारी और आजीविका की असुरक्षा के समय श्रम कानूनों को कमजोर किया गया है। कर्मचारी भविष्य निधि संचय यानी पीएफ पर ब्याज दरों में काफी कमी की गई है। सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को जो अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के रोजगार के लिए महत्वपूर्ण रहे हैं, उन्हें एसेट मॉनिटाइजेशन का फैंसी नाम देकर बेचा जा रहा है। इसके नतीजे भी वैसे ही होंगे जैसे कि नोटबंदी के हुए थे।
सत्तारूढ़ दल और उसके नेताओं का विभाजनकारी और ध्रुवीकरण करने वाला एजेंडा अब राज्य दर राज्य राजनीतिक विमर्श की एक नियमित विशेषता बन गया है। न केवल प्राचीन बल्कि समकालीन इतिहास को भी – शरारतपूर्ण तरीके से विकृत किया जा रहा है और ऐसे दुर्भावनापूर्ण तथ्य इसमें जोड़े जा रहे हैं जो इनके एजेंडा में ईंधन का काम करते हैं। नफरत और पूर्वाग्रह की इन ताकतों के खिलाफ खड़ा होना और उनका सामना करना हम सभी का कर्तव्य है। हम उन्हें सदियों से हमारे विविध समाज को बनाए रखने और समृद्ध करने वाली मित्रता और सद्भाव के बंधन को नुकसान नहीं पहुंचाने देंगे।

सत्ता पक्ष लगातार विपक्ष, उसके नेताओं और कार्यकर्ताओं को निशाना बना रहा है। उनके खिलाफ सरकारी मशीनरी की पूरी ताकत झोंक दी गई है। सत्ता में बैठे लोगों के लिए अधिकतम शासन का मतलब स्पष्ट रूप से अधिकतम भय और धमकी फैलाना है। हम ऐसी धमकियों और हथकंडों से डरने वाले नहीं हैं। हमें ऐसी धमकियां नहीं डरा सकतीं।

मैं इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हूं कि हाल के चुनाव परिणामों से आप कितने निराश हैं। नतीजे चौंकाने वाले और तकलीफ देने वाले, दोनों रहे हैं। चुनावी नतीजों की समीक्षा के लिए कार्यसमिति की एक बार बैठक हो चुकी है। मैं अन्य साथियों से भी मिली हूं। मुझे अपने संगठन को मजबूत करने के बारे में कई सुझाव मिले हैं। कई प्रासंगिक हैं और मैं उन पर काम कर रही हूं। एक शिविर का आयोजन करना भी एक जरूरी काम है। उसमें ही अधिक संख्या में सहयोगियों और पार्टी प्रतिनिधियों के विचार सामने आते हैं। इसी शिविर से पार्टी द्वारा उठाए जाने वाले तत्काल कदमों पर एक स्पष्ट रोडमैप को आगे बढ़ाने में योगदान मिलेगा कि हम जिन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं उनका सर्वोत्तम तरीके से सामना कैसे करें।

आगे की राह पहले से कहीं ज्यादा चुनौतीपूर्ण है। हमारा समर्पण और दृढ़ संकल्प, हमारे लचीलापन की भावना की परीक्षा का समय है। हमारे विशाल संगठन के सभी स्तरों पर एकता सर्वोपरि है और अपने लिए बोलते हुए, मैं इसे सुनिश्चित करने के लिए जो कुछ भी आवश्यक है, करने के लिए दृढ़ संकल्पित हूं। हमारा पुनरुत्थान केवल हमारे लिए ही महत्व का विषय नहीं है – बल्कि हमारे लोकतंत्र और हमारे समाज के लिए भी आवश्यक है।

साथियों, हम अगले तीन महीने तक एक समूह के रूप में एकत्रित नहीं होंगे। तो मैं इस बीच की अवधि के लिए आप सभी को शुभकामनाएं देती हूं। इस बीच, मैं हमारी पार्टी द्वारा शुरू किए जा रहे आगामी अभियानों में आपकी पूर्ण भागीदारी की आशा करती हूं।

धन्यवाद।

Sonia Gandhi held meeting with congress MPs

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New Delhi: Congress president Sonia Gandhi held meeting with all the Congress MPs of Lok Sabha and Rajya Sabha on Friday to discuss the situation of covid19 in the country. In the virtual meeting, Gandhi had heard out the view of all its MPs in both houses of Parliament on the COVID situation and ways to deal with it.

Taking about the electoral results of the recent assembly elections. She told that congress working committee CWC will soon conduct a meeting to review the election results of west Bengal, Assam, Kerala, Tamil Nadu, and Puducherry.

After the poor performance of party in the assembly elections, she said that the performance in all the four states and one union territory have been disappointing and even it was unexpected. We should take lesson from this defeat, she added.
Sonia further said that CWC meeting will be held but as a party, collectively we have to learn from this shocking defeat with all humility and honesty.

राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह समेत कई दिग्गज नेताओं ने राजभवन में सौपा कृषि कानून के खिलाफ ज्ञापन

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कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह(Digvijay Singh) के नेतृत्व में कांग्रेस के नेता राजभवन(Governor House) पहुंचे और अपना ज्ञापन सौंपा। कई दिग्गज नेता जैसे जयवर्धन सिंह, पीसी शर्मा, कुणाल चौधरी भी शामिल रहे। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ की तरफ से लिखे गए इस ज्ञापन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से कृषि कानूनों को वापस लेने का आग्रह किया गया है।

नया कृषि कानून किसी भी रूप में देश के अन्न दाताओं के लिए सही नहीं हैं। चार पन्नों के इस ज्ञापन में कुल 9 बिंदुओं के आधार पर बताया गया कि कृषि कानूनों का क्यों इतना विरोध हो रहा है और इन्हें रद्द करना क्यों ज़रूरी है। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की तरफ से यह ज्ञापन उनके अतिरिक्त सचिव राजेश कुमार कौल ने स्वीकार किया।

आज कांग्रेस ने भोपाल में कृषि कानूनों के खिलाफ ज़ोरदार प्रदर्शन किया। कांग्रेस के प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने कांग्रेस नेताओं पर बर्बरतापूर्ण कार्रवाई करनी शुरू कर दी। पुलिस ने लाठीचार्ज करने के साथ आंसू गैस के गोले भी छोड़े। पुलिस की इस कार्रवाई में कांग्रेस नेताओं के साथ किसानों, महिलाओं और मीडियाकर्मियों को भी चोट आईं।

राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह समेत 20 कांग्रेस नेताओं को गिरफ्तार कर लिया था। पुलिस ने कांग्रेस नेताओं को गिरफ्तार कर केन्द्रीय जेल भेजा था। कांग्रेस ने इस कार्रवाई को लोकतंत्र की हत्या करार दिया है। कांग्रेस नेताओं ने पुलिस की कार्रवाई पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि कांग्रेस किसानों के लिए संघर्ष करती रहेगी। सरकार की इस दमनकारी नीति के विरुद्ध कांग्रेस दबने और डरने वाली नहीं है।

22 जनवरी को आयोजित होगी कांग्रेस की सीडब्ल्यूसी की बैठक

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इंडियन नेशनल कांग्रेस(Indian National Congress) ने अपनी कार्यसमिति सीडब्ल्यूसी(CWC) की बैठक 22 जनवरी को बुलाई है। पार्टी इस बैठक में किसानों के मुद्दों, अर्नब गोस्वामी चैट लीक और कोविड-19 महामारी पर चर्चा करेगी। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने बताया कि यह बैठक वर्चुअल आयोजित की जाएगी और इसकी अध्यक्षता कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी करेंगी।

हजारों किसान पिछले कई महीनों से राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं, जिसमें तीनों कानूनों को निरस्त करने की मांग की गई है। बुधवार को किसानों और सरकार के बीच 10वें दौर की वार्ता एक बार फिर बेनतीजा रही। मंगलवार को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने तीनों कृषि कानूनों को लेकर सरकार के ऊपर निशाना साधते हुए कहा था कि यह कानून कृषि क्षेत्र को तबाह करने के लिए लाए गए हैं।

कांग्रेस ने अर्नब गोस्वामी से जुड़े कथित चैट लीक को लेकर सरकार को घेरने के लिए पूर्व रक्षामंत्री एके एंटनी, पूर्व गृहमंत्री सुशील शिंदे, पूर्व कानून मंत्री और विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद और राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद को मैदान में उतारा। कांग्रेस ने देश की सुरक्षा से जुड़ी गुप्त सूचना लीक करने को देशद्रोह बताया और मामले की तत्काल जांच की मांग की।

सोनिया गांधी का मोदी सरकार पर हमला,बोली देश ने ऐसी निरंकुश,संवेदनहीन और निष्ठुर सरकार नहीं देखी

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अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मोदी सरकार पर बड़ा हमला बोलते हुए सरकार को निष्ठुर निरंकुश और संवेदनहीन बताया है।

सोनिया गांधी ने कहा कि देश में ऐसी सरकार कभी नहीं देखी जिस के राज में 44 दिन से अन्नदाता हैरान-परेशान दिल्ली की सड़कों पर जमा है और सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है

देश में बढ़ रही महंगाई,बेरोजगारी पर गांधी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें अपने निम्नतम स्तर पर है तब यह सरकार देश के मध्यम वर्ग और कृषक वर्ग ₹84 लीटर का पेट्रोल बेच रही है जो 73 सालों में सबसे अधिक है

गांधी ने कहा कि यह सरकार अपने पूंजीपति दोस्तों स्वयं का खजाना भरने का काम कर रही है आज देश की कमर तोड़ महंगाई ने देशवासियों को सड़क पर लाकर खड़ा कर दिया है लेकिन उससे निपटने के बजाय यह सरकार अपने चंद पूंजीपतियों दोस्तों को खुश करने में लगी हुई है।

गांधी ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमत भारत के मुद्रा के हिसाब से ₹23.62 पैसे के लगभग है इस कीमत पर सरकार को तेल बेचना चाहिए साथ ही घरेलू रसोई गैस सिलेंडर की जो कीमत यूपीए सरकार के समय थी उसी कीमत पर आम जनता को यह चीजें उपलब्ध कराई जाएं।

Withdrawal of Farm bill is a Rajdharm and true tribute to Late Farmers: Sonia Gandhi

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“I feel too upset with the countrymen, seeing the condition of the Farmers (Annyadata) who have been struggling for 39 days in support of their demands at Delhi borders in the chilly cold and rain.” says Congress President Sonia Gandhi.

She also said that More than 50 farmers have lost their lives due to the government’s government’s reluctance to agitate. Some of them even took suicidal steps due to the government’s neglect. But the shameless Modi government neither the Prime Minister or any minister has a word of consolation till today. “I pay my respects to all the deceased peasant brothers and pray to the Lord to give their families the strength to bear this sorrow.” She added.

She further added that ensuring profits to a few industrialists has become the main agenda of this government. Rather than focusing to the public and peasants.

She urge that the Modi government should leave the arrogance of power and immediately withdraw all three farm laws unconditionally and end the agitation of the farmers. This is Rajdharma and a true tribute to the late farmers. she further added that Modi government should remember that democracy means protecting people and the peasant-workers.

सोनिया गांधी के साथ बैठक में कांग्रेस सांसदों ने की राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने की मांग

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कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ आज हुई पार्टी के राजसभा सांसदों की बैठक में एक बार फिर राहुल गांधी को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने की मांग उठी है। वीडियो कॉन्फ्रेंस के ज़रिए हुई बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिहं के साथ 34 सांसदों ने इस बैठक में हिस्सा लिया।

दरअसल अगस्त की 11 तारीक को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी अंतरिम कार्यकाल पूरा हो रहा है लेकिन कांग्रेस अभी नया अध्यक्ष बनाने के मूड में नहीं दिखती।

एबीपी न्यूज़ में छपी खबर के अनुसार जैसे ही बैठक की शुरूआत हुई तो राजीव सातव, पी. एल पुनिया और छाया वर्मा ने कहा कि राहुल गांधी को कांग्रेस पार्टी की कमान सौंपी जाए। लेकिन इस सांसदों की मांग पर कांग्रेस अध्यक्ष ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। इससे पहले सोनिया गांधी ने जब कांग्रेस के सभी लोकसभा सांसदों के साथ बैठक की थी तब भी यह मांग उठी थी।

इसके अलावा बैठक में कोरोना और राजस्थान के राजनीति पर भी चर्चा हुई। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा, कि राजस्थान के राज्यपाल बीजेपी के इशारे पर काम कर रहे है जिससे लोकतंत्र की गरिमा तार-तार हो रही है। कोरोना पर चर्चा को दौरान सांसदों और कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि कोरोना को रोकने पर सरकार पूरी तरह नाकाम रही है।

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राज्यसभा मे विपक्ष के नेता गुलामनबी आज़ाद ने सभी सांसदों से कहा कि, इस सभी विषय की लिस्ट बनाई जाए जो आने वाले समय में संसद में उठाने जाने चाहिए। वहीं सरकार जो अध्यादेश लाती उसे कैसा घेरा जाए इसके लिए एक कमेटी गठित की जाएगी।

महाराष्ट्र में कांग्रेस के समर्थन के बाद महागठबंधन की सरकार बनना लगभग तय

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महाराष्ट्र में पूरे दिन बातचीत, बैठक और विचार- विमर्श के दौर के बाद आखिरकार कांग्रेस ने शिवसेना को समर्थन का पत्र दे दिया है। समाचार चैनल एबीपी न्यूज़ के हवाले से यह खबर प्राप्त हुई है।

बता दें कि आज शाम लगभग 5 बजे शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी से संपर्क करके सरकार बनाने के लिए समर्थन मांगा था। जिसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष ने महाराष्ट्र कांग्रेस के विधयकों से बातचीत की।

विधायकों से बातचीत करने के बाद कांग्रेस ने शिवसेना को समर्थन पत्र दे दिया है।

बता दें कि शिवसेना को आज शाम 7:30 बजे तक गवर्नर के सामने सरकार बनाने का दावा पेश करना है। वहीं एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने पहले ही साफ कर दिया था कि वह समर्थन देने पर फैसला कांग्रेस प्रमुख से बात करने के बाद लेंगे।

ऐसे में कांग्रेस के समर्थन के बाद महाराष्ट्र में शिवसेना- एनसीपी और कांग्रेस की गठबंधन सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया है।