मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने दमोह के एसपी-कलेक्टर के ट्रांसफर पर सवाल उठाया है। उन्होंने सवाल उठाते हुए प्रदेश की सरकार से पूछा है कि क्या दमोह में बीजेपी को चुनाव जिताने की ज़िम्मेदारी वहाँ के कलेक्टर और एसपी को सौंपी गई थी ?
कमलनाथ ने कहा कि यदि दमोह कलेक्टर और एसपी ने अपने कर्त्तव्यों के निर्वहन और अपनी वर्दी का सम्मान करते हुये निष्पक्ष चुनाव कराये तो क्या सरकार उन्हें इस कर्तव्यपरायणता की सजा देगी ? असफल होने के बाद अब प्रशासनिक अधिकारियों में आतंक पैदा करने के लिये कलेक्टर एवं एसपी को हटाया गया है। उन्होंने कहा कि दमोह चुनाव की पराजय का दूसरा शिकार बीजेपी के वरिष्ठ नेता जयंत मलैया एवं उनके पुत्र सिद्धार्थ मलैया को बनाया जा रहा है।
उन्होंने कहा यदि वास्तव में धनबल के साथ-साथ पूरी बीजेपी, पूरी सरकार, 22 मंत्री, कई विधायक और सांसद के दमोह में महीनों डेरा डालने के बाद भी यदि मलैया परिवार कांग्रेस को 17000 वोटों से जीत दिला सकते है तब उनके वर्चस्व और राजनीतिक कौशल को देखते हुये उन्हें तत्काल मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बना देना चाहिये ?
उन्होंने आगे कहा, जबकि ये हार वास्तव में बीजेपी के हर उस नेता की है जो पूरे दो महीने दमोह में रहने के बाद भी अपने प्रत्याशी को जीत नहीं दिला सके। ये हार शिवराज की उस अनैतिक राजनीति की हार है जो ख़रीद-फ़रोख़्त से सत्ता हथियाने के लिये कुख्यात है।
दरअसल दमोह में बीजेपी की हार शिवराज सरकार के एक साल के कार्यकाल पर जनता का मत है। ये हार बताती है कि बीजेपी ने पिछले एक साल में प्रदेश को कैसी सरकार दी है।