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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राम मंदिर के निर्माण के लिए दिए एक लाख रुपए

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पूरे देश में अयोध्या राम मंदिर(Ayodhya Ram Mandir) निर्माण के लिए धन संग्रह अभियान की शुरुआत शुक्रवार से हो गई है। देश के पहले नागरिक राष्ट्रपति(President) रामनाथ कोविंद(Ramnath Kovind) ने अभियान की शुरुआत करते हुए समर्पण निधि सौंपी है। इसी क्रम में मध्य प्रदेश(Madhya Pradesh) के मुख्यमंत्री(Chief Minister) शिवराज सिंह चौहान(Shivraj Singh Chauhan) ने एक लाख रुपए का चैक सौंप कर मध्य प्रदेश से इस अभियान की शुरुआत की है।

मुख्यमंत्री ने बताया कि, ‘आज निवास पर श्रीराम जन्मभूमि निधि समर्पण अभियान में सहयोग राशि दान कर विश्व हिंदू परिषद के श्री विनायकराव देशपांडे जी एवं अन्य गणमान्य साथियों के साथ अभियान का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि’भगवान श्री राम के मंदिर के निर्माण में एक ईंट हमारे परिवार की भी लगेगी। यह राम मंदिर नहीं है बल्कि यह राष्ट्र मंदिर है।

देश के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति द्वारा इस अभियान की शुरुआत की गई है। इसे सफल बनाने के लिए देश के सभी प्रमुख लोगों की समिति बनी गई है। अभियान के तहत करीब 13 करोड़ परिवार के 65 करोड़ रामभक्तों से अभियान में लगे लोग मिलेंगे। इस अभियान के तहत करीब 40 लाख से अधिक हिन्दू समाज के लोग लगे हुए है। यह अभियान करीब डेढ़ महीने तक चलेगा। जानकारी के मुताबिक अभी तक मध्य भारत से करीब 1 करोड़ रुपए की राशि जुटा ली गई है। इसके लिए राम मंदिर ट्रस्ट की ओर से कूपन भी जारी किए गए है, जो 10 रुपए से लेकर 2000 रुपए तक के है। कूपन पर भव्य राम मंदिर और भगवान श्री राम की तसवीर भी है। मंदिर निर्माण के लिए 20 हज़ार रुपए तक कि राशि नगद दी जा सकती है, वहीं इससे अधिक की राशि चेक के द्वारा ली जा रही है।

विश्व हिन्दू परिषद का राम जन्म भूमि को लेके एक बड़ा एलान

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विश्व हिंदू परिषद ने राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को सहायता प्रदान करने लिए हिंदू समाज से मौद्रिक प्रसाद एकत्र करने के दायरे का विस्तार करने का संकल्प लिया है | इसी सिलसिले में रायसेन के दीवान सिंह गोर ने 1 लाख 1 हज़ार की राशि मंदिर निर्माण हेतु प्रदान की औरअयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर एवं अन्य सुविधाओं के निर्माण में योगदान के लिये 4,00,000 गांवों और 11 करोड़ परिवारों तक पहुंचने का लक्ष्य रखा गया था | VHP का एमपी के 50 हजार गांव तक पहुंचने का लक्ष्य है |

किन संस्थाओं का होगा योगदान ?

मंदिर निर्माण के लिए टाटा कंसलटेंसी सर्विस के इंजीनियर लार्सन एंड टूब्रो मंदिर निर्माण में लगे हुए हैं | इसके साथ ही आईआईटी मुंबई, आईआईटी दिल्ली, आईआईटी चेन्नई, आईआईटी गुवाहाटी, और सीबीआरआई रुड़की के इंजीनियर भी मंदिर निर्माण में अपना सहयोग देंगे | 2024 तक श्री राम लला की भव्य मूर्ति मुख्य मंदिर के गर्भ गृह में स्थापित हो जाएगी, जिसके बाद भक्तों को भगवान के मंदिर के दर्शन करने के लिए आमंत्रण किया जा सकेगा |

यह एक विचार है

विश्व हिंदू परिषद का कहना है कि यह सिर्फ एक आंदोलन नहीं है बल्कि संपूर्ण हिंदू समाज के कायाकल्प का एक सचेता प्रयास है | इस सोच और विचार के साथ इस भव्य मंदिर का निर्माण कार्य संपन्न होने जा रहा है |लक्ष्य प्राप्त करने के लिए राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र प्रांत उपाध्यक्ष पीतांबर राजदीप, प्रांत संगठन मंत्री खगेन्द्र भार्गव और अभियान प्रमुख मलखान सिंह राजपूत जैसे कई अधिकारी इस अभियान में शामिल हुए |

भाजपा ने नही निभाया वादा, अब कांग्रेस बनाएगी “राम वन गमन पथ”

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मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने श्रीलंका दौरे के दौरान मध्यप्रदेश में सीता माता का भव्य मंदिर बनाने की घोषणा की थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि जिस जगह से रावण ने मां सीता को बंदी बनाया था उसी जगह यह मंदिर बनाया जाएगा।

घोषणा किये हुए सालों हो गए लेकिन इस वादे पर कोई अमल नही किया गया। जिसके बाद अब मध्यप्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री पीसी शर्मा ने पूर्व मुख्यमंत्री चौहान पर हमला बोला है।

शर्मा ने कहा कि “पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने श्रीलंका दौरे के दौरान सीता माता का विशाल मंदिर बनाने की घोषणा करके बहुत वाहवाही लूटी थी लेकिन आज तक कुछ नही हुआ। हमने ‘राम वन गमन पथ’ पर काम शुरू कर दिया है। भाजपा सिर्फ वादे और घोषणाएं करती है, हम सारे धार्मिक कार्यों को पूरा करते है।”

हिंदू परिषद की की धर्मसंसद में संतों का हंगामा, मंदिर निर्माण पूछी तारीख

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संतों ने धर्मसंसद में किया हंगामा। कार्यक्रम में नीचे बैठे कई संत और लोग नारेबाजी करने लगे। संत राम मंदिर निर्माण की तिथि घोषित करने की मांग कर रहे हैं। मंच से बार बार संतो को शांत करने की अपील की गई। मोहन भागवत ने कहा- मंदिर उसी स्थान पर बनेगा सिर्फ 6 महीने तक इंतजार करें, केंद्र में मोदी की सरकार फिर से लाएं क्योकि कोई दूसरा राम के प्रति समर्पित नहीं है। यह निर्णायक दौर है इसमें धैर्य रखना जरूरी है। विहिप के द्वारा धर्म संसद पर लाये गए प्रस्ताव पर आरएसएसके सर संघचालक मोहन भगवत ने कहा कि, संघ राम जन्मभूमि आंदोलन का कार्यकर्ता है, हमें मंदिर से कम कुछ स्वीकार्य नहीं है। विहिप की दूसरे दिन की धर्म संसद शुरू हो चुकी है।

धर्मसंसद में संतों ने पीएम मोदी पर भरोसा जताते हुए लोकसभा चुनाव तक राम मंदिर निर्माण को लेकर आंदोलन स्थगित करने की बात कही है। धर्म संसद में कहा गया कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी देकर देकर अपनी प्रतिबद्धता जाहिर कर दी है। संतों को मोदी सरकार पर पूरा भरोसा है। कुंभ मेला क्षेत्र में विश्‍व हिंदू परिषद की ओर से आयोजित धर्म संसद का आज दूसरा दिन है। धर्म संसद के आखिरी दिन शुक्रवार को राम मंदिर निर्माण पर बड़े फैसले आने की संभावना है। कुंभ क्षेत्र में राम मंदिर निर्माण का मुद्दा गरमाया हुआ है। पहले दिन इसे हिंदुओं की आस्था पर चोट करार देते हुए अयोध्या जैसे आंदोलन की घोषणा की गई। स्वामी वासुदेवानंद की अध्यक्षता तथा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत, योग गुुरु रामदेव समेत अनेक साधु संतों की मौजूदगी में ‘हिंदू समाज के विघटन का षड्यंत्र रोकने’ का प्रस्ताव भी पारित किया गया। गुरुवार को पूरे दिन कवायद चलती रही।

संघ, सरकार और संत तीनों अपनी-अपनी जिम्मेदारी के अनुसार रणनीति बनाने में व्यस्त रहे। इस कवायद से यह बात निकलकर आई है कि कुंभ क्षेत्र में मंदिर पर कोई चौंकाने वाला फैसला आ सकता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और संघ प्रमुख मोहन भागवत की करीब डेढ़ घंटे तक चली वार्ता का मुख्य विषय था। राम मंदिर निर्माण। मुख्यमंत्री कुंभ क्षेत्र में संघ प्रमुख से मिलकर मंदिर मसले पर सरकार की स्थिति स्पष्ट करने आए थे। मुख्यमंत्री ने संघ प्रमुख से बताया कि सरकार मंदिर निर्माण करने पर दृढ़ प्रतिज्ञ है, लेकिन कोर्ट की वजह से इसमें समय लग रहा है। इस वजह से सरकार चाहकर भी इसमें जल्दीबाजी नहीं कर पा रही है। इसी तरह संतों से मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री ने मंदिर निर्माण पर सरकार का समर्थन मांगा। योगी ने शंकराचार्य निश्‍चलानंद को आश्‍वस्त किया कि अयोध्या में मंदिर अवश्य बनेगा लेकिन इसमें उसे मोहलत चाहिए।

देर शाम फिर चली बैठक

पहले दिन की धर्म संसद के समापन के बाद मोहन भागवत, सह सर कार्यवाह कृष्णगोपाल, विहिप के कें द्रीय अध्यक्ष वीएस कोंकजे, केंद्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे के बीच शुक्रवार को मंदिर मुद्दे पर होने वाली धर्म संसद को लेकर बैठक हुई। जिसमें संतों में मंदिर निर्माण में देरी से चल रही नाराजगी को दूर करने और मंदिर पर किस तरह का फैसला लिया जाए, इस पर मंथन हुआ। इस बैठक में बाद पहली फरवरी की धर्म संसद के प्रस्ताव की रिपोर्ट में क्या-क्या लिखा जाएगा, यह भी पदाधिकारियों के बीच तय हुआ। कहा जा रहा है शुक्रवार को होने वाले फैसले के विषय में कुछ प्रमुख संतों को एक दिन पहले ही जानकारी दी गई है,जिससे आखिरी दिन माहौल बिगठने ना पाए। यह भी कोशिश हो रही है कि धर्म संसद के आखिरी दिन ज्यादा से ज्यादा से संत पहुंचे।

धर्म संसद पर लगी सरकार की निगाह

केंद्र और प्रदेश सरकार की निगाह भी धर्म संसद पर लगी हुई है। पहले दिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद संतों, संघ, विहिप पदाधिकारियों के बीच उपस्थित रहे। प्रदेश सरकार के दोनों अहम व्यक्तियों की कोशिश रही कि मंदिर को लेकर संतों का समर्थन हासिल कर सकें। बताया जा रहा है कि पीएमओ भी कुंभ नगर में मंदिर मसले को लेकर क्या-क्या चल रहा है, इसकी लगातार रिपोर्ट ले रहा है।

कुंभ में आयाजित धर्म संसद में सरकार से नाराज संतो ने लिया बड़ा फैसला

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प्रयागराज में कुंभ के बीच चल रही संतों की धर्म संसद में संतों ने ऐलान किया गया है कि संत समाज के लोग अगले महीने प्रयाग से अयोध्या के लिए कूच करेंगे। ‘परमधर्म संसद’ की ओर से जारी की गई प्रेस रिलीज में कहा गया है कि मंदिर निर्माण के लिए 21 फरवरी की तारीख तय की गई है। कोर्ट के रवैये पर नाराजगी जताते हुए कहा गया है कि खेद का विषय है कि कुत्ते तक को तत्काल न्याय दिलाने वाले राम के देश में रामजन्मभूमि के मुकदमे को न्याय नहीं मिल रहा है।

पीएम मोदी के इंटरव्यू का जिक्र करते हुए धर्मसंसद ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने साक्षात्कार में कहा है कि न्याय की प्रक्रिया पूरी होने के बाद जब उनकी बारी आएगी तो वह अपनी भूमिका निभाएंगे। वह अपने वचन पर स्थिर नहीं रह सके और उन्होंने रामजन्मभूमि विवाद की न्याय प्रक्रिया में हस्तक्षेप करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करवाई है, जिसमें गैर-विवादित जमीन को उसके मालिकों को लौटाने की बात कही गई है। याचिका में कहा गया है कि 48 एकड़ भूमि रामजन्मभूमि न्यास की है जबकि सच्चाई यह है कि एक एकड़ भूमि के अलावा सारी जमीन उत्तर प्रदेश सरकार की है, जो रामायण पार्क के लिए अधिगृहीत की गई थी।’

गोली खानी पड़े या जेल जाना पड़े, हम तैयारः स्वरूपानंद सरस्वती

धर्म संसद की अगुवाई कर रहे शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती की ओर से जारी बयान में कहा गया है, ’हम सविनय अवज्ञा आंदोलन के इस पहले चरण में हिंदुओं की मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए 21 फरवरी 2019 की तारीख तय की गई है। बसंत पंचमी के बाद हम प्रयागराज से अयोध्या के लिए प्रस्थान करेंगे। उसके लिए हमें अगर गोली भी खानी पड़ी या जेल भी जाना पड़े तो हम प्रस्तुत हैं। अगर इस काम में सत्ता के तीन अंगों में से किसी के द्वारा अवरोध डाला गया तो हम संपूर्ण हिंदू जनता को धर्मादेश जारी करते हैं कि जबतक मंदिर निर्माण नहीं हो जाता, तबतक हर हिंदू का यह कर्तव्य होगा कि वह गिरफ्तारी देनी हो तो गिरफ्तारी दें। यह आंदोलन तबतक चलेगा जबतक रामजन्मभूमि हिंदुओं को सौंप नहीं दी जाती और उस पर हम मंदिर का निर्माण नहीं कर लेते।

सबके भगवान हैं राम, मौका मिलेगा तो मैं भी अयोध्या में पत्थर लगाने जाऊंगा: फारूक अब्दुल्ला

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Source: Twitter @ani

अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा 10 जनवरी तक सुनवाइ टालने के एलान के बाद अब जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला को बड़ा बयान आया है। अब्दुल्ला ने कहा कि इस मामले पर चर्चा होनी चाहिए और इसका समाधान ढूंढा जाना चाहिए। इस मामले को कोर्ट में ले जाने की क्या जरूरत है? मुझे पूरा भरोसा है कि बातचीत के जरिए इसे सुलझाया जा सकता है।

अब्दुल्ला न आगे कहा कि भगवान राम सिर्फ हिंदुओं के नहीं हैं बल्की वह पूरी दुनिया के बगवान हैं। भगवान राम से किसी को बैर नहीं है और होना भी नहीं चाहिए। कोशिश करनी चाहिए मामले को सुलझाने की और बनाने की। जिस दिन यह हो जाएगा, मैं भी एक पत्थर लगाने जाऊंगा।

बीजेपी पर बोला हमला
इस दौरान अब्दुल्ला ने बीजेपी पर भी जमकर हमला बोला। अब्दुल्ला ने कहा कि भाजपा ने पिछले पौने पांच साल में कुछ भी नहीं किया। मंदिर बनाने से बीजेपी का कोई सरोकार नहीं है। ये लोग सिर्फ कुर्सी पर बैठने के लिए मंदिर की बात उठाते हैं।

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट अब 10 जनवरी को अगली सुनवाई करेगा। वहीं 6 या 7 जनवरी को इस बेंच में शामिल जजों के नाम का ऐलान कर दिया जाएगा। बता दें कि जस्टिस दीपक मिश्रा के रिटायर होने के बाद इस मामले में सुनवाई के लिए कोई विशेष पीठ नहीं थी। सीजेआई ने कहा कि इस मामले की सुनवाई के लिए एक रेग्युलर बेंच बनेगी, जो 10 जनवरी को इस मामले में आगे के आदेश परित करेगी।

राम मंदिर को लेकर शिवसेना का पीएम मोदी पर तीखा हमला, बोले- अभी नही तो कब बनेगा राम मंदिर

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राम मंदिर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोलते हुए शिवसेना ने गुरुवार को कहा कि उसे इस बात पर ताज्जुब है कि अगर भाजपा के नेतृत्व वाली वर्तमान सरकार के कार्यकाल में राम मंदिर का निर्माण नहीं होगा तो फिर कब होगा। शिवसेना ने कहा कि अगर राम मंदिर का निर्माण 2019 चुनावों से पहले नहीं हुआ तो यह देश के लोगों को धोखा देने जैसा होगा जिसके लिए भाजपा और संघ को उनसे माफी मांगनी होगी।

केन्द्र की मोदी सरकार और महाराष्ट्र की राज्य सरकार में भाजपा की सहयोगी शिवसेना ने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 1 जनवरी को दिए इंटरव्यू में राम मंदिर पर पीएम मोदी के बयान को लेकर उनपर हमला बोला है। दरअसल इंटरव्यू में मोदी ने कहा था कि मंदिर निर्माण पर सरकार कोई भी कदम न्यायिक प्रक्रिया खत्म होने के बाद ही उठाएगी। पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ में एक संपादकीय में शिवसेना ने कहा, वह (मोदी) राम के नाम पर सत्ता में आए थे हालांकि उनके मुताबिक भगवान राम कानून से बड़े नहीं हैं। अब सवाल यह है कि अगर बहुमत वाली सरकार में मंदिर का निर्माण नहीं होगा तो कब बनेगा।’’

संपादकीय में शिवसेना ने आगे कहा कि मोदी सरकार ने गुजरात में सरदार वल्लभभाई पटेल की भव्य प्रतिमा बनाई है लेकिन राम मंदिर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘सरदार’ वाला साहस नहीं दिखा पाए। संपादकीय में आगे कहा कि राम मंदिर के लिए आंदोलन 1991-92 में शुरू हुआ था और सैकड़ों ‘कारसेवकों’ ने अपनी जान गंवाई थी। इसमें पूछा गया, किसने यह नरसंहार किया और क्यों? एक ओर सैकड़ो हिंदू कारसेवक मारे गए साथ ही मुंबई बम धमाकों में दोनों पक्ष ( हिंदू एवं मुस्लिम समुदाय) के सैकड़ों लोग मारे गए। अगर फैसला उच्चतम न्यायालय को ही करना था तो यह नरसंहार एवं खूनखराबा क्यों?’’

उद्धव ठाकरे नीत पार्टी ने आगे पूछा कि क्या भाजपा एवं आरएसएस इन हत्याओं एवं खूनखराबे की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार है। संपादकीय में कहा गया, सिखों के नरसंहार (1984 के सिख विरोधी दंगों के बाद) के लिए जिस तरह से कांग्रेस को माफी मांगनी पड़ी उसी प्रकार हमें भी उन लोगों की भावनाओं को समझना होगा जो हिंदुओ के नरसंहार के लिए (भाजपा से) माफी की मांग करते हैं।’’

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सोशल मीडिया पर उठी अध्यादेश लाने की मांग

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राम मंदिर पर फैसला सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2019 तक के लिए टाल दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद सोशल मीडिया पर राम मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश लाने की मांग एक बार फिर उठ गई है। अध्यादेश की मांग करने वाले अधिकांश लोगों का कहना है कि सरकार एससी-एसटी एक्ट और तीन तलाक पर अध्यादेश ला सकती है तो फिर राम मंदिर पर क्यों नही ? अध्यादेश की मांग करने वाले अधिकांश लोग भाजपा और हिंदूवादी संगठनों से जुड़े हुए है। लोगों का कहना है कि अब बहुत हुआ सरकार को अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार न करके संसद के रास्ते मंदिर का निर्माण करना चाहिए।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट के फैसले से भाजपा को काफी बड़ा झटका लगा है। सरकार को उम्मीद थी कि सुप्रीम कोर्ट 4 राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव के पहले राम मंदिर निर्माण पर सुनवाई करेगा। जिसके माध्यम से भाजपा पार्टी से नाराज चल रहे सवर्णों को एक बार फिर पार्टी के साथ लाने में कामयाब हो जाएगी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनवाई टालने के बाद भाजपा को एक बार फिर सवर्णों के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में भाजपा डैमेज कंट्रोल के लिए अपनी ही पार्टी के लोगों से अध्यादेश की मांग करवा रही है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर स्वयंसेवक विकास पांडेय का कहना है कि ” राम मंदिर पर सुनवाई टलना मोदी सरकार के लिए आशीर्वाद है। राम मंदिर का श्रेय अदालत को क्यों मिले ? श्रेय नरेंद्र मोदी जी को मिलना चाहिए।” तो वहीं कर्नाटक में बीजेपी युथ विंग के महासचिव तेजश्वी सूर्या का कहना है कि ” राम मंदिर पर अध्यादेश लाने का समय हो चुका है। चाहे सुप्रीम कोर्ट अध्यादेश रोक दे, या फिर अध्यादेश राज्यसभा में पास न हो पाए लेकिन सरकार को संसद में राम मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश लाना चाहिए। इससे राम मंदिर को लेकर हमारी प्रतिबद्धता दिखेगी। ट्विटर यूजर प्रशांत पटेल का कहना है कि सरकार को राम मंदिर के नाम पर बहुमत दिया गया था,सरकार को अध्यादेश लाकर फौरन राम मंदिर का निर्माण करना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले और अध्यादेश लाने का मुद्दा अब भाजपा के लिए उल्टा पड़ता दिख रहा है। विपक्ष भी सरकार पर आरोप लगा रही है कि भाजपा के लिए राम मंदिर सिर्फ एक चुनावी जुमला है। भाजपा और हिन्दू संगठनों की इस मांग पर तंज कसते हुए आज तक के पत्रकार रोहित सरदाना ने कहा “जब सरकार ने साढ़े चार साल में राम मंदिर के लिए क़ानून लाने/बनाने का विचार नहीं बनाया तो अब ये ट्विटर पर #Ordinance4RamMandir का ट्रेंड चलने से थोड़े ना क़ानून आ जाएगा”

बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में अडवाणी समेत 13 भाजपा नेताओं पर चलेगा आपराधिक मुकदमा !

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Newbuzzindia : बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा को करारा झटका दिया है । सुप्रीम कोर्ट ने आज बड़ा फैसला सुनाते हुए बीजेपी के वरिष्ठ नेता आडवाणी, जोशी, कल्याण सिंह सहित भाजपा और विश्व हिंदू परिषद के 13 नेताओं पर आपराधिक साजिश के तहत मुकदमा चलेगा। 
सीबीआई ने कोर्ट में अपील किया कि इन नेताओं पर आपराधिक साजिश रचने के तहत मुकदमा चलाई जाए। सीबीआई की अपील को सुप्रीम कोर्ट ने मान ली है। ये मुकदमा लखनऊ सेंशन कोर्ट में चलेगा और हर दिन मामले की सुनवाई चलेगी।
गत छह अप्रैल को हुई सुनवाई में शीर्ष अदालत ने कहा था कि इस तरह केमामले में इंसाफ के लिए हमें दखल देना होगा। यह देखते हुए तकनीकी कारणों से आडवाणी सहित इन नेताओं पर लगे आपराधिक षड्यंत्र केआरोप हटाए गए थे, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था हम इसके लिए संविधान के अनुच्छेद-142(सुप्रीम कोर्ट को मिले विशेषाधिकार) का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

भाजपा सरकार नही चाहती राम मंदिर निर्माण काँग्रेस के पूर्व प्रधानमंत्री ने तैयार कर रखी थी मंदिर निर्माण की रूपरेखा: दिग्विजय सिंह

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Newbuzzindia : कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने अयोध्या में राम मंदिर को लेकर बड़ा बयान दिया है। दिग्विजय सिंह ने कहा कि अयोध्या की विवादित जमीन पर कभी मस्जिद थी ही नहीं। उन्होंने कहा कि विश्व हिंदू परिषद ने जिसे मस्जिद बताकर गिराया था वो मंदिर था और इसके प्रमाण भी मिले है।

दिग्विजय सिंह ने कहा कि भाजपा मंदिर निर्माण कराना ही नहीं चाहती है। उन्होंने बताया कि 1996 में कांग्रेस सरकार बन जाती तो मंदिर निर्माण हो गया होता। पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंम्हा राव ने राम मंदिर निर्माण की रूपरेखा तैयार कर ली थी।

इस मौके पर गौ-हत्या पर भी दिग्विजय सिंह ने बयान दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस गौ-हत्या के खिलाफ है। वो चाहते है कि देशभर में गौ-हत्या बंद हो। लेकिन इस मामले में भाजपा का दोहरा चरित्र है। दिग्विजय ने कहा कि केरल में भाजपा नेता ने मतदाताओं से कहा है कि वो उन्हें जिता देंगे तो उनके लिए अच्छे बीफ की व्यवस्था की जाएगी। साथ ही उन्होंने कहा गोवा, अरूणाचल और मणिपुर में बीजेपी की सरकार है, तो फिर वहां गौ-हत्या क्यो हो रही है।
गोटेगांव में परमहंसी आश्रम पहुंचे एमपी के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने ईवीएम मशीन की निष्पक्षता पर खड़े किए सवाल करते हुए उसे भाजपा की साजिश बताया वही बैलेट पेपर से मतदान करने की वकालत की।