दावोस में चल रहे विश्व आर्थिक मंच में हिस्सा लेने पहुंचे भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने बेरोजगारी, नोटबंदी और कृषि संकट के मुद्दो पर मोदी सरकार की आलोचना की है। राजन ने कहा कि नोटबंदी एक नाकामयाब कदम था। नोटबंदी के बाद कैश का प्रयोग घटने से जुड़े सवाल पर राजन ने कहा कि उन्हें नहीं पता नोटबंदी से लोगों के व्यवहार में कोई बदलाव आया हो।
देश में बड़ा कृषि संकट और बेरोजगारी
राजन ने कृषि और बेरोजगारी के मुद्दे पर कहा कि कृषि संकट को हल करने और देश में और रोजगार पैदा करने की जरूरत सरकार को है। रोजगार पैदा हो रहे हैं लेकिन वो कम हैं। राजन ने बताया कि कृषि संकट और रोजगार सृजन के मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी ने उनके साथ और कई विशेषज्ञों की राय ली है। राजन ने भी इस संबंध में एक विस्तृत रिपोर्ट बनाई है, जिसका पार्टी अपने चुनावी घोषणा पत्र में प्रयोग करेगी।
कांग्रेस में शामिल होने की अटकलों पर लगाया विराम
कांग्रेस सरकार बनने पर उन्हें देश का वित्त मंत्री बनाया जा सकता है, ऐसी अटकलों को खारिज करते हुए राजन ने कहा कि वे सभी पार्टी के नेताओं से बात करते हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू समेत और कई नेताओं से उनकी बात होती है। राजन ने कहा कि वे कोई राजनीतिज्ञ नहीं हैं और भविष्य में भी अच्छी नीतियां बनाना पसंद करेंगे।
एनपीए को बताया बड़ी समस्या
एनपीए की समस्या पर बोलते हुए रघुराम राजन ने कहा कि यह देश की बैंकिंग व्यवस्था के लिए ठीक नहीं है। एनपीए को बैंकिंग व्यवस्था से साफ करने और पुन: पुंजीकरण करने की जरूरत है। एनपीए की समस्या से लड़ने के लिए केंद्र सरकार द्वारा लाया गया बैंकरप्सी कोड को राजन ने महत्वपूर्ण कदम बताया।
वहीं राष्ट्रीय बैंकों के निजीकरण के बारे में उन्होंने कहा कि ये हो सकता है। लेकिन सार्वजिक क्षेत्र का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए। राजन ने कहा कि बैंकिंग में सुधार को नौकरशाही द्वारा हाईजैक कर लिया गया। हमने बैंकिंग में सुधार के अवसर खो दिए। इसके लिए अब नेक्स्ट जेनेरेशन के सुधार की आवश्यकता है।
आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने कहा देश में शिक्षा और श्रम कानून का क्षेत्र चिंता का विषय है। इनमें सुधार के लिए सबसे बेहतरीन मंत्री मानव संसाधन मंत्रालय में होना चाहिए। राजन ने कहा कि निजी निवेश को फिर से सक्रिय करने की जरूरत है। आरबीआई गवर्नर के तौर पर अपने कार्यकाल के बारे में रघुराम राजन ने कहा कि उनका अनुभव अच्छा रहा। आरबीआई के मौद्रिक नीति बोर्ड ने अच्छा काम किया। पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल के इस्तीफे पर उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि संस्थाओं अखंडता की रक्षा किए जाने की आवश्यकता है, साथ ही आरबीआई के परिचालन की स्वयत्तता की रक्षा करनी होगा।