मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों और गिरती अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर कांग्रेस 5 नवंबर से पूरे देश में बाद आंदोलन करने की तैयारी में है। जिसकी तैयारियों को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 2 नवंबर को बड़ी बैठक बुलाई है। बैठक में पार्टी के महासचिव और राज्यों के प्रभारी शामिल होंगे।
इसके साथ ही बैठक के लिए सभी संगठनों के प्रमुखों को भी तलब किया गया है। इस बैठक में 5-15 नवंबर के बीच होने वाले राष्ट्रव्यापी आंदोलन की तैयारी का जायजा लिया जाएगा।
पार्टी ने आंदोलन के माध्यम से आर्थिक मंदी, बेरोजगारी, किसान संकट, सार्वजनिक उपक्रम विनिवेश और क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) के मुद्दों को उठाने का फैसला किया है।
कांग्रेस महासचिव के. सी. वेणुगोपाल ने कहा है कि ब्लॉक स्तर से लेकर राज्य स्तर तक के 10 दिवसीय आंदोलन में नई दिल्ली की एक बड़ी रैली भी शामिल होगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस विरोध प्रदर्शन के लिए समान विचारधारा वाले दलों को साथ लाने की कोशिश कर रही है।
सोनिया गांधी ने दिवाली की पूर्व संध्या पर सरकार पर हमला किया। नरेंद्र मोदी सरकार को किसानों के प्रति अपने राज धर्म की याद दिलाते हुए उन्होंने कहा कि किसान सरकार की नीतियों के कारण पीड़ित हैं।
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सोनिया गांधी ने एक विस्तृत बयान में कहा था कि सत्ता में आने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने किसानों को धोखा देना शुरू कर दिया था।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, “उन्होंने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को बढ़ाकर फसलों पर खर्च की गई राशि पर किसानों को 50 फीसदी अधिक रिटर्न देने का वादा किया। लेकिन साल दर साल भाजपा सरकार ने कुछ बिचौलियों और जमाखोरों के हित में किसानों के करोड़ों रुपये लुटाए।”
कृषि बाजारों की स्थिति का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि देशभर में उनमें से कई एमएसपी से कम दाम पर खरीफ की फसल खरीद रहे थे।
उन्होंने ट्रैक्टर, उर्वरक और अन्य कृषि उपकरणों पर लगाए गए जीएसटी को लेकर भाजपा सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि इससे किसानों पर बोझ बढ़ा है। यहां तक कि डीजल की कीमत भी लगातार बढ़ रही है। सोनिया ने मांग की कि सरकार किसानों को परेशान करना बंद करे और खेत की उपज का सही मूल्य सुनिश्चित करे।