Sunday, September 24, 2023
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ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ली बैठक, आगामी चुनाव से पहले BJP के मंत्री और कार्यकर्ताओं को साधने की कवायद

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ग्वालियर। मध्यप्रदेश में होने वाले 2023 के विधानसभा चुनाव में अब काफी कम वक्त बचा है। ऐसे में मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया पूर्व बीजेपी कार्यकर्ता और अपने साथ कांग्रेस से बीजेपी में आए कार्यकर्ताओं के बीच सामंजस्य बनाने में लगे हुए हैं। इसी के चलते ग्वालियर के एक होटल में सिंधिया ने भाजपा के कार्यकर्ताओं की बैठक आयोजित की। इस बैठक में सिंधिया ने भाजपा कार्यकर्ताओं को चुनाव की तैयारियों को लेकर प्लान समझाया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया का पूरा ध्यान सिर्फ ग्वालियर चंबल अंचल पर है। इसके साथ ही वे ग्वालियर जिले की छह विधानसभा सीटों को लेकर पूरी तैयारी में जुटे हैं और कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते।

विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को किस तरह हराया जाए, इस पर ज़मीनी स्तर पर काम करने वाले बीजेपी के मंडल अध्यक्षों और कार्यकर्ताओं के साथ सिंधिया ने सीधे तौर पर बातचीत की। सिंधिया के मुताबिक उनके और कार्यकर्ताओं के बीच चुनाव को लेकर आगे के प्लान पर चर्चा हुई है, ताकि सरकार की योजनाओं को लेकर जनता को बताया जा सके। इससे जनता चुनाव से पहले भाजपा की योजनाओं और उनके लाभों के बारे में जान सके।

बैठक में ज्योतिरादित्य ने ग्वालियर और ग्रामीण के सभी 30 मंडल के अध्यक्षों को बुलाया था। साथ ही बैठक में दोनों जिलाध्यक्ष के साथ मंत्री प्रघुम्न सिंह तोमर, कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त मुन्नालाल गोयल मौजूद रहे। बैठक को हालांकि पार्टी के लोग परिचय बैठक बता रहे हैं, लेकिन मंडल अध्यक्षों और संजोयकों की मानें तो आने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर किस तरह से बीजेपी को ग्राउंड जीरो पर कैसे तालमेल बिठाकर काम करना है, उस पर बातचीत की गई।

खबर तो ये भी है कि उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों और पुराने बीजेपी के कार्यकर्ताओं के बीच अंदरूनी तौर पर रस्साकसी चल रही है। विधानसभा चुनाव में ये रस्साकसी पार्टी को नुकसान न पहुंचाए इसलिए सिंधिया ने बीजेपी के मंडल अध्यक्षों के साथ ये बैठक की है, ताकि चुनाव से पहले सभी मसले हल कर लिए जाएं।

‘लाड़ली बहना योजना’ बनाम ‘नारी सम्मान योजना’, महिलाओं को साधने में जुटे राजनैतिक दल

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भोपाल। विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी (BJP) और कांग्रेस (CONGRESS) महिला मतदाताओं को लुभाने में जुटी हुई हैं। प्रदेश में महिलाओं की योजना पर बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने आ गई हैं। बीजेपी महिलाओं के लिए लाड़ली बहना योजना लेकर आई है, तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस नारी सम्मान योजना लॉन्च करने जा रही है। इसी को लेकर कमलनाथ ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि बढ़ती महंगाई से जनता परेशान है खासतौर से महिलाएं अधिक प्रभावित हैं।

इसलिए कांग्रेस महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए नारी सम्मान योजना लेकर आई है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ 9 मई को छिंदवाड़ा से नारी सम्मान योजना की शुरुआत करेंगे। महिला कांग्रेस पूरे प्रदेश मैं घर-घर जाकर योजना के आवेदन भरवाएगी। योजना के अंतर्गत एलपीजी सिलेंडर 500 रुपये, महिलाओं को प्रति माह 1500 रुपये देने का वादा करेगी। नारी सम्मान योजना के आवेदन पत्र में आवेदक का नाम, आधार क्रमांक, आयु, वर्ग, मोबाइल नंबर, जन्मतिथि, समग्र आईडी और विधानसभा घर के पते की जानकारी देनी होगी।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लाड़ली बहना योजना के अंतर्गत महिलाओं को प्रति माह एक हज़ार रुपये दे रहे हैं। वहीं कांग्रेस ने 1500 रुपये देने की घोषणा की है। कर्नाटक में कांग्रेस ने 2 हज़ार रुपये देने का ऐलान किया है। पीसीसी चीफ कमलनाथ ने कहा कि महंगाई से सबसे ज्यादा प्रभावित महिलाएं हैं।

हम नारी सम्मान योजना शुरू कर रहे हैं जिसके तहत महिलाओं को 500 रुपये का एलपीजी सिलेंडर मिलेगा और हर महीने 1,500 रुपये दिए जाएंगे। हमारी सरकार बनने पर हमारे कार्यकर्ता जगह-जगह जाकर फॉर्म भरवाएंगे। बीजेपी कांग्रेस अब महिला वोटरों को साधने में जुट चुकी हैं। दोनों पार्टियां महिला मतदाताओं को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं।

BJP नेताओं में नाराज़गी ! दीपक जोशी के बाद कई बड़े नाम होंगे कांग्रेस में शामिल- कमलनाथ

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भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ (Kamal Nath) ने विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी को बड़ा झटका दिया है। दीपक जोशी के कांग्रेस में शामिल होने को लेकर उन्होंने कहा कि दीपक जोशी तो सिर्फ ट्रेलर मात्र हैं, बीजेपी के कई बड़े नेता जल्द ही कांग्रेस में शामिल होंगे। दरअसल, 6 मई को बीजेपी के दिग्गज नेता रहे दीपक जोशी ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया।

दीपक जोशी पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ बीजेपी नेता स्व. कैलाश जोशी के बेटे हैं। वह शिवराज सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। जोशी का कांग्रेस में जाना बीजेपी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। इसके साथ ही ऐसी भी चर्चा है कि बीजेपी के कई और बड़े नेता भी कांग्रेस के संपर्क में हैं और जल्द ही कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं।

कमलनाथ ने शिवराज सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि प्रदेश में भ्रष्टाचार बढ़ा है। प्रदेश के एक करोड़ युवा बेरोजगार हैं। देश में सबसे ज्यादा बेरोजगारी प्रदेश में हैं। योजनाओं का फायदा जनता को नहीं मिल रहा। कर्मचारी हड़ताल कर रहे हैं। कमलनाथ ने अपने कार्यकाल के कामों को गिनाते हुए बहनों को 1500 रुपये प्रतिमाह, गैस सिलेंडर 500 रुपए में देने की भी बात कही। ये बात कमलनाथ ने सिवनी जिले के उड़ेपानी में कार्यकर्ताओं और मंडल पदाधिकारियों से संवाद करते हुए कही। उन्होंने कार्यकर्ताओं को चुनाव की तैयारी में जुटने का निर्देश भी दिया।

बुधवार को भोपाल आएंगे ज्योतिरादित्य सिंधिया, कई अहम मुद्दों पर कर सकते हैं बैठक

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मध्य प्रदेश भारतीय जनता पार्टी में मची राजनीतिक हलचल के बीच भाजपा के राज्यसभा सांसद और दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया बुधवार को भोपाल आएंगे इस दौरान वह कई अहम मुद्दों पर प्रदेश सरकार,मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात कर सकते हैं।

सिंधिया का यह दौरा इसलिए भी अहम हो जाता है कि इस समय प्रदेश भाजपा में सब कुछ अच्छा नहीं चल रहा है बीते दिनों ही पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल से मुलाकात की थी जिसके कई सियासी मायने निकाले गए थे।

कल प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने भी अपने धुर विरोधी माने जाने वाले नए मंत्री नरोत्तम मिश्रा से मुलाकात की थी इस मुलाकात के भी कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं क्योंकि शर्मा और मिश्रा को एक दूसरे का प्रतिद्वंदी माना जाता रहा है लेकिन कल हुई 1 घंटे की मुलाकात के बाद समीकरण बदलते दिखाई दे रहे हैं।

राजनीतिक पंडितों की मानें तो प्रदेश भाजपा में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है निगम मंडलों की नियुक्तियों में भी फेंच फंसा हुआ है यही कारण है कि अब भाजपा संगठन इसे अपने स्तर पर निपटाने के लिए जुटी हुई है, कई लोग तो यह भी बताते हैं कि भाजपा के कुछ वरिष्ठ नेता शिवराज सिंह से खफा हैं और सब अपनी-अपनी गोटियां फिट करने में लगे हुए हैं।

आपको बता दें कि प्रदेश में भाजपा की सरकार बने सवा साल से ज्यादा का समय हो गया है लेकिन कुछेक नियुक्तियों को छोड़कर अभी भी निगम मंडलों की नियुक्तियां नहीं हुई है जिसके कारण सिंधिया समर्थक वह विधायक जो चुनाव हार गए थे उनमें भी रोष है इसके अलावा वह समर्थक भी परेशान हैं जो सिंधिया के कहने पर कांग्रेस छोड़कर भाजपा में सम्मिलित हो गए थे लेकिन आज तक अपना वह स्थान नहीं बना पाए जो कांग्रेस में हुआ करता था।

पूर्व सीएम कमलनाथ की शिकायत करने पहूंची बीजेपी प्रतिनिधि मंडल

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मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ के बयान के खिलाफ रविवार को भोपाल में बीजेपी प्रतिनिधि मंडल ने ज्ञापन सौपा है। भोपाल के एएसपी ने कहा कि थाना प्रभारी को ज्ञापन दिया गया है और सबूतों के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

बता दें कि कमलनाथ ने कोरोना को लेकर शुक्रवार को एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा था कि दुनियाभर में देश की पहचान इंडियन कोरोना के नाम से बन गई है। इसी बयान के बाद राजनीति गर्मा गई जिसके चलते आज उनके खिलाफ ज्ञापन सौपा गया है।

कमलनाथ ने ये भी कहा था कि इसकी शुरुआत चीनी कोरोना से हुई थी। अब यह भारतीय वेरिएंट कोरोना है। आज भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री कोविड-19 के भारतीय संस्करण से डरते है। और हमारे ही देश के वैज्ञानिक इसे भारतीय संस्करण कह रहे है। सिर्फ बीजेपी के सलाहकार ही नहीं मान रहे।

उन्होंने मौत के आकड़ो पर कहा कि मैंने गणना की है, अखबारों में 26 जिलों की जानकारी थी और बाकी जिलों से जानकारी जुटा रहा हूं । मार्च और अप्रैल में दाहगृहों में लगभग एक लाख 27 हजार शव पहुंचे थे। उन्होंने ये दावा किया कि इनमें से 80 फीसदी लोगों की मौत कोविड की वजह से हुई थी।

मध्यप्रदेश में लगी राजनैतिक चिंगारी, बीजेपी कार्यकर्ता ने मुख्यमंत्री को बदलने की करी मांग

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मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री को अब उनके ही पार्टी के नेता और कार्यकर्ता नापसंद करने लग गए है। ऐसी ही एक खबर इंदौर से आ रही है जहां पूर्व प्रदेश मंत्री महिला मोर्चा बीजेपी ने मुख्यमंत्री बदलने की मांग की है

प्रदेश की राजनीति में अब चिंगारी लग चुकी है। पूर्व महिला मोर्चे की प्रदेश मंत्री श्रेष्ठा जोशी इंदौर से हैं लेकिन बता दे ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि इसके पीछे सोची समझी योजना है और श्रेष्ठा तो मात्र एक मोहरा है।

श्रेष्ठा अपने कार्य के तौर तरीकों से पहले भी पार्टी में चर्चित रहीं है और आज उन्होंने अपनी फेसबुक वाल पर लिखा की माननीय राज्यपाल जी मप्र के सीएम को हटाया जाय एवं नया मुख्यमंत्री बनाया जाय।

बीजेपी के मीडिया प्रभारी लोकेन्द्र पाराशर का कहना है की बहुत पहले श्रेष्ठा को हटाया जा चुका है एवं और अब पार्टी की प्राथमिक सदस्य भी नहीं है। लेकिन सूत्रों के हवाले पता चला है कि उन्होंने उपचुनाव में तुलसी सिलावट के चुनाव प्रचार में पार्टी का समर्थन किया था।

उनकी सोशल मीडिया वाल पर इस कमेंट के बाद बहस छिड़ गयी है ,पूर्व महिला मोर्चा अध्यक्ष लता येलकर लिखती हैं पगला गयी हो क्या ? वही पार्टी के कुछ समर्थक इसे पार्टी लाइन से अलग जाना मान रहे वही कई उनकी इस बात का समर्थन कर रहे है।

भाजपा की स्थापना के पीछे थे यह दो चेहरे, कठिन रहा था संघर्ष

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6 अप्रैल 1980 को भारतीय जनता पार्टी की स्थापना हुई थी। कांग्रेस जैसी बड़ी पार्टी के सामने भाजपा खुद को राष्ट्रीय पार्टी के रूप में स्थापित करने में कामयाब रही। आज की भारतीय जनता पार्टी पहले जनसंघ के नाम से जानी जाती थी। 1952 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नेतृत्व में जनसंघ की स्थापना हुई थी।

1977 में जेपी आंदोलन के बाद जब विभिन्न दलों को मिलाकर जनता पार्टी की सरकार बनी तो जनसंघ भी इसमें शामिल हुई। इस सरकार में दो मंत्री बने-अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी। अटल बिहारी वाजपेयी विदेश मंत्री बने, वहीं लालकृष्ण आडवाणी को सूचना प्रसारण मंत्रालय मिला। मोरारीजी देसाई के नेतृत्व में बनी यह सरकार ज्यादा दिनों तक चल नहीं पायी। और जनसंघ ने खुद को सरकार से अलग कर लिया।

शुरुआत में पार्टी ने अपनी छवि एक हिंदुत्ववादी पार्टी के रूप में रखी थी। आमतौर पर राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ को भारतीय जनता पार्टी के मातृसंस्था के रूप में देखा जाता है। देश के हिन्दी प्रांतों में पार्टी ने अपना काम शुरू किया। भाजपा के संगठन का काम लालकृष्ण आडवाणी देखते थे लेकिन पार्टी का चेहरा अटल बिहारी वाजपेयी थे। यह देश में मंडल कमीशन का दौर था। लिहाजा उन दिनों भाजपा के लिए खुद की प्रासंगिकता बनाये रखने की चुनौती थी।

लालकृष्ण आडवाणी ने राम मंदिर निर्माण आंदोलन छेड़ दिया था। पहले से ही जातिगत आंदोलन के माहौल में अब हिंदुत्ववादभी प्रमुख बिंदु बन चुका था। जहां-जहां आडवाणीका रथ गया, वहां-वहांपार्टी का आधार बढ़ता गया। इस बीच 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मसजिद के विध्वंस की खबर ने पूरे देश को चौंका दिया। भाजपा अब देश की राजनीति में जगह बना चुकी थी।अब लोग इसे कांग्रेस के विकल्प के रूप में देख रहे थे।

1996 में अटलजी के नेतृत्व में केंद्र में पहली बार भाजपा की सरकार बनी, लेकिन बहुमत नहीं होने के कारण यह सरकार 13 दिन ही रही। फिर 1998 में अटलजी दूसरी बार सरकार में आये।अपनी विकास यात्रा के इस मोड़ पर भाजपा ने अपनी सामाजिक और राजनीतिक स्वीकार्यता बढ़ाने के लिए कई क्षत्रपों से गठजोड़ किया। इसमें समता पार्टी के नीतीश कुमार, बसपा की मायावती, बीजद के नवीन पटनायक आदि प्रमुख हैं।

भाजपा की विकास यात्रा का एक ओर अहम पड़ाव रहा पहली बार दक्षिणी राज्य कर्नाटक में येदुरप्पा के नेतृत्व में सरकार बनाना। पर, अपने विरोधाभाष के कारण यह सरकार नहीं चली। आज भारतीय जनता पार्टी केंद्र में अपने दम पर सत्ता में है लेकिन अब भी बतौर राष्ट्रीय पार्टी के रूप में राजनीतिक पंडित उस पर कई सवाल उठाते हैं।

आज नरेंद्र माेदी-अमित शाह के नेतृत्व वाली भाजपा सबका साथ-सबका विकास का नारा लेकर अपनी विकास यात्रा के अगले चरण पर चल रही है। पश्चिम व उत्तर में अपने परचम लहराने के बाद अब वह पूरब और दक्षिण में भी अपना विजय पताका लहराने की कोशिश में जुटी है।

भाजपा से नाराज़ हुए सिंधिया , नहीं करेंगे दमोह में प्रचार

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मध्यप्रदेश भाजपा में एक बार फिर अनबन होने की खबर सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया एक बार फिर पार्टी हाईकमान से नाराज हो गए हैं। इस बात को लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाए जा रहे हैं। दावा है कि सिंधिया के चुनाव प्रचार तक में आने पर रोक लगा दिया गया था, जिस वजह से खफा होकर उन्होंने अपने कार्यक्रमों को रद्द कर दिया है।

इस मामले पर मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता नरेंद्र सलुजा ने ट्वीट किया कि, ‘चर्चा ज़ोरों पर है कि दमोह उपचुनाव में प्रचार के लिये नहीं बुलाने से नाराज व अपनी किरकिरी से बचने के लिये श्रीमंत ने अपना 4-5 अप्रैल का ग्वालियर क्षेत्र का दौरा ही निरस्त कर दिया है। वैसे भी उनके इस दौरे में दमोह प्रचार का कोई कार्यक्रम नहीं था,प्रदेश में चुनाव और महाराज महल में?’

सिंधिया के नाराज होने के पीछे दो वजहें हैं। एक तो स्टार प्रचारकों की सूची में उन्हें 10वें स्थान पर धकेल दिया गया और उसके बाद अब चुनाव प्रचार अभियान से भी दूर रहने के निर्देश दिए गए हैं। ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस द्वारा गद्दार और बिकाऊ करार दिए जाने के बाद सिंधिया की छवि को गलत मानते हुए भाजपा चाहती है कि उनके बिना ही चुनाव प्रचार किया जाए ताकि कांग्रेस को गद्दार और बिकाऊ वाले मुद्दे पर ज्यादा बोलने का मौका न मिल पाए।के

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी कोरोना का हवाला देते हुए अपने दौरे रद्द कर दिए हैं। राजधानी भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, छिंदवाड़ा, जबलपुर, रतलाम, निवाड़ी जैसे कई ऐसे मुख्य शहर है जहां कोरोना ने रफ्तार पकड़ ली है। प्रदेश के कई शहरों में लॉकडाउन के बावजूद सीएम शिवराज को अपने कार्यक्रमों को लेकर किरकिरी का सामना करना पड़ा रहा था। मामला तूल पकड़ते देख उन्होंने भी अपने दौरे को रद्द कर दिया है।

सिंधिया और शिवराज के दौरे रद्द होने को साझा फैसला के तौर पर दिखाया जाता है। इसके पीछे तर्क यह है कि सिंधिया का दौरा निजी था और सीएम शिवराज सार्वजनिक शिलान्यास कार्यक्रमों में शरीक होने वाले थे।

विश्व में हो रहा है श्रीराम रन का आयोजन , रजिस्ट्रेशन 15 अप्रैल तक

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देश में राम मंदिर निर्माण शुरू होने के बाद पहली बार बड़े स्तर पर श्रीराम रन का आयोजन किया जा रहा है। यह रन रामनवमी के अवसर पर 21 अप्रैल को शुरू होगी। देश के लाखों करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र बने भगवान श्री राम के नाम पर यह दौड़ कोविड 19 के कारण वर्चुअली आयोजित हो रही है। श्रीराम रन की शुरूआत 21 अप्रैल को सुबह 5 बजे से होगी, जो उसी दिन रात 10 बजे तक चलेगी। इसका आयोजन राम आस्था मिशन फाउंडेशन की ओर से किया जा रहा है।

ऐसा बतया जा रहा है कि इस रन में भारत सहित विश्व के 52 देशों के लोग एक साथ श्री राम के लिए दौड़ लगाएंगे। इस रन की खास बात यह है कि यह अलग-अलग कैटेगरी जैसे 1 किमी, 5 किमी और 9 किमी में आयोजित हो रही है। इसमे प्रतिभागी अपनी इच्छानुसार कैटेगरी का चयन कर सकते है। इस रन में शामिल होने के लिए प्रतिभागियों को प्री- रजिस्ट्रेशन कराना होगा। इस रन के लिए रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू हो गई है, जो 15 अप्रैल तक चलेगी।

प्रतिभागी http://www.shriramrun.com पर रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। राम आस्था मिशन फाउंडेशन के सह संस्थापक डॉ. राजेश शर्मा ने बताया कि यह पहला मौका है जब लोग आस्था, स्वास्थ्य, पर्यावरण और स्वच्छता के लिए एकजुट होकर दौड़ लगाएंगे और उसके साथ उस स्थान को साफ और स्वच्छ बनाने की भी कोशिश करेंगे।

ऐसा बताया गया है कि श्रीराम रन में रजिस्ट्रेशन कराने वाले प्रतिभागियों के नाम पर देश के विभिन्न हिस्सों में एक पेड़ लगाया जाएगा। ऐसा मानना है कि इससे पर्यावरण को लाभ भी होगा और देश में कई रामवन भी स्थापित होंगे। वहीं एसोसिएशन का कहना है कि 17 अक्टूबर 2021 के बाद यह रन हर वर्ष दशहरा उत्सव के बाद आने वाले रविवार को आयोजित होगी।

2013 से मकान के लिए भटक रहे अभिमन्यु सिंह को भोपाल कलेक्टर ने वापस दिलाए 30 लाख 70 हजार रूपए

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भोपाल कलेक्टर अविनाश लवानिया ने त्वरित कार्यवाही कर आकृति बिल्डर्स से मकान नहीं मिल पाने के कारण भटक रहे अभिमन्यु सिंह को 30 लाख 70 हजार रूपए की राशि वापस दिलवाई है। सन 2013 से भटक रहे अभिमन्यु सिंह ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, रेरा और जिला प्रशासन को पत्र लिख कर धन्यवाद ज्ञापित किया है।

यह उल्लेखनीय है कि अभिमन्यु सिंह ने 2012 – 13 में भोपाल के आकृति एजी 8 वेंचर बिल्डर से होशंगाबाद रोड छान गांव में मकान लेने के लिए 25 लाख रुपए जमा कराए थे। 2013 से अभिमन्यु को ना तो मकान का पजेशन मिल पाया और ना ही उनके द्वारा जमा राशि मिल पा रही थी। अभिमन्यु ने रेरा में बिल्डर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।

रेरा ने कलेक्टर भोपाल अविनाश लवानिया को आदेशित किया था कि संबंधित हितग्राही को ब्याज सहित राशि बिल्डर की संपत्ति कुर्क करके दिलाई जाए। उक्त मामलें पर संज्ञान लेते हुए भोपाल कलेक्टर ने संबंधित एसडीएम एवं तहसीलदार को कार्रवाई करने के लिए निर्देश दिए। प्रकरण में त्वरित कार्यवाही कर हितग्राही को 90 प्रतिशत राशि 30 लाख 70 हजार दिलवाए गए।

माफिया मुक्त अभियान के तहत की गई इस कार्यवाही से अभिमन्यु सिंह ने राहत की सांस ली है। हितग्राही ने गुरूवार को कलेक्ट्रेट कार्यालय में उपस्थित होकर कलेक्टर भोपाल को धन्यवाद पत्र सौंपा और मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया जिससे उन्हें अपनी मेहनत की कमाई वापिस मिल पायी।