पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आज नई दिल्ली की मीडिया से वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए चर्चा की। चर्चा के दौरान कमलनाथ ने देशभर में कोरोना के खिलाफ चल रही लड़ाई में मोदी सरकार का साथ देने के साथ ही मध्यप्रदेश में बिगड़ते हालातों के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार भी ठहराया। पेश हक़ी कमलनाथ की प्रेस वार्ता की मुख्य बिंदु
आज पूरी दुनिया एक गंभीर महामारी की चपेट में है। दुनिया के सभी देश सामूहिक रूप से भी और अपने-अपने स्तर पर इसका समाधान तलाश रहे हैं। हज़ारों लोग रोज़ इस महामारी की चपेट में आ रहे हैं। कांग्रेस पार्टी इस महामारी से लड़ाई में केंद्र सरकार के साथ है। हम यह लड़ाई ऊँचे हौसले से लड़ रहे हैं।सब मिलकर लड़ रहे हैं। सभी दल अपनी पार्टी के दायरे से ऊपर उठकर एक साथ हैं। हम हर हाल में सब मिलकर इस लड़ाई को जीतेंगे ।
मैं अपने राज्य मध्यप्रदेश को लेकर भी बेहद चिंतित हूँ। वहाँ के हालात दूसरे राज्यों से बिल्कुल अलग हैं। वहाँ प्रजातंत्र के नाम पर एक मुख्यमंत्री मात्र है । न स्वास्थ्य मंत्री है, न गृह मंत्री है, मतलब कैबिनेट ही नहीं है, न ही लोकल बॉडी है, सब नदारद हैं। आज इस लड़ाई की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी हैल्थ डिपार्टमेंट की है और मेरे प्रदेश के हैल्थ डिपार्टमेंट की प्रिंसिपल सेकेट्री सहित 45 से अधिक अधिकारी कोरोना पॉजिटिव हो गए हैं।
मध्यप्रदेश वह पहला राज्य है, जहाँ इस जंग में दो डॉक्टरों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है। इंदौर शहर सबसे ज़्यादा प्रभावित है और राजधानी भोपाल दूसरे नंबर पर है। मध्यप्रदेश देश का एकमात्र प्रदेश है जहाँ जितने मरीज़ ठीक हुए हैं लगभग उतनों की ही मृत्यु हो गई है। इस लॉक डाउन का लाभ तब ही होगा जब हम अधिक से अधिक टैस्ट कराएंगे।
मध्यप्रदेश में 10 लाख़ लोगों पर मात्र 55 टेस्ट हो रहे हैं जो बेहद चिंता जनक हैं । प्रदेश के 20 जिलों में इस महामारी की पहुँच हो चुकी है।सबसे बड़ी चिंता किसानों की है। उनकी फ़सल पक गई है। सरकारी ख़रीद 25 मार्च को चालू हो जानी थी, अभी तक उसका कुछ पता नहीं है। रोज़ कमाकर खाने वालों की चिंता है। उन तक मदद नहीं पहुँच रही है।
आज देश के हालात आख़िर ऐसे क्यों बने ये समझना भी ज़रूरी है
सबसे पहले 12 फ़रवरी को राहुल गांधी जी ने केंद्र सरकार को कोरोना की महामारी के बारे में आगाह किया था । केंद्र की भाजपा सरकार ने 40 दिन बाद 24 मार्च को लॉक डाउन घोषित किया। तब तक ये महामारी इंडिया में 175 गुना बढ़ चुकी थी। फ़रवरी में 3 केस से बढ़कर ये 24 मार्च तक 536 केस तक पहुँच गई थी।
आख़िर मोदी सरकार ने लॉक डाउन की 24 मार्च तक प्रतीक्षा क्यों की ? उसका एक मात्र कारण था कि वो फ़रवरी माह से ही मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार को गिराने के लिए काम कर रही थी। 23 मार्च को मध्यप्रदेश में भाजपा के मुख्यमंत्री ने शपथ ली और 24 मार्च से लॉक डाउन घोषित किया गया ।
इस पूरे घटनाक्रम को समझिए :–
सबसे पहले प्रदेश भाजपा ने अपने केन्द्रीय नेतृत्व के साथ मिलकर 3-4 मार्च को कांग्रेस सरकार गिराने की पहली कोशिश की, जिसमें कुछ कांग्रेस के और कुछ निर्दलीय विधायकों को दिल्ली ले जाया गया। मगर वे उस कोशिश में कामयाब नहीं हुए।
तब दूसरे प्रयास में 8 मार्च को तीन चार्टर प्लेन करके कांग्रेस के 6 मंत्रियों सहित 19 विधायकों को बेंगलुरु के रिसोर्ट में रखा गया।
फ़िर 10 मार्च को बीजेपी के एक पूर्व मंत्री ने विधानसभा अध्यक्ष को उन लोगों का इस्तीफ़ा सौंपा। 12 मार्च को WHO ने कोरोना को पेंडेमिक घोषित किया अर्थात विश्व की महामारी घोषित कर दिया। मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार ने 14 मार्च को ही अपने प्रदेश के नागरिकों को इसके बारे में अलर्ट किया और स्कूल, कॉलेज, शॉपिंग मॉल बंद करने की घोषणा की। 13 और राज्यों ने ऐसी घोषणाएं की थीं। उधर राजस्थान छत्तीसगढ़, उड़ीसा सहित कई राज्यों ने अपने विधानसभा के सत्र स्थगित कर दिए।
इधर भाजपा के विधायक और कांग्रेस के भगोड़े विधायक केंद्र के भाजपा नेताओं के आशीर्वाद से कर्नाटक की रिसोर्ट में उत्सव मना रहे थे, उधर देश में कोरोना से पहली मौत भी कर्नाटक में हो गई थी। अर्थात् मध्यप्रदेश कांग्रेस सरकार कोरोना से लड़ने की तैयारी में लगी थी और केंद्र और प्रदेश की भाजपा अपनी सत्ता की भूख मिटाने में लगी थी ।
हमने अपने बजट सत्र का 16 मार्च से शुरू होने का नोटिफिकेशन पहले ही जारी कर दिया था। मगर हम कोरोना महामारी की गंभीरता को जानते थे। हमने राज्यपाल के अभिभाषण के तत्काल बाद 16 मार्च को ही सत्र 26 मार्च तक स्थगित कर दिया ताकि हम इस गंभीर महामारी के खिलाफ़ लड़ाई में लग जाएँ। इधर भाजपा सुप्रीम कोर्ट गई। तब भी केंद्र सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का इंतज़ार करता रहा।
आख़िर में कांग्रेस की सरकार गिरा कर भाजपा ने 23 मार्च को अपना मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश में बनवाया और फ़िर 24 मार्च रात 12 बजे से लॉक डाउन घोषित किया। मतलब साफ़ है कि केंद्र की मोदी सरकार ने अपनी सरकार बनवाने के लिए पूरे देश की जनता की जान जोखिम में डाल दी लेकिन इस लड़ाई में समूची कांग्रेस पार्टी केंद्र सरकार के साथ खड़ी है।
केंद्र सरकार को भी कुछ सुझाव है
हमारी सप्लाई चेन नहीं टूटनी चाहिए। जो उत्पादक राज्य हैं वहाँ उनके उत्पादन को बरक़रार रखने की कोशिश होनी चाहिए।
देश भर के ज़्यादा संक्रमित जिलों की रैपिड मैपिंग हो और वहाँ रैपिड एंटी बॉडी टेस्ट अधिक से अधिक कराए जाएँ।
देश के हर जिले में प्रवासी मज़दूरों और छात्रों की मदद के लिए एक केंद्र स्थापित किए जाए। उनमें भरोसा जगाया जाए और जो अपने घर जाना चाहते हैं उन्हें समयबद्ध तरीक़े से भेजा जाए।
मनरेगा के कानून में प्रावधान है कि अगर सरकार उन्हें काम नहीं दे सकती है तो मुआवज़ा देना होगा। उन्हें तुरंत मुआवज़ा दिया जाए।
किसानों की रबी फ़सल की समर्थन मूल्य पर ख़रीदी के लिए तत्परता से कार्यवाही की जाए।
जो कोरोना मरीज़ ठीक हो कर घर जा चुके हैं उनकी कुछ समय के लिए नियमित जाँच निर्धारित की जाए।
साधारण मरीज़ों को देखने वाले डॉक्टरों को भी PPE अनिवार्य किया जाए, ताकि वे भी संक्रमण से बचे रहें और बाकी पेशेंट्स भी सुरक्षित रहें।