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मध्यप्रदेश के दमोह विधानसभा के लिए कांग्रेस ने घोषित किया अपना उम्मीदवार

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मध्यप्रदेश(Madhya Pradesh) के दमोह विधानसभा(Damoh Vidhansabha) उपचुनाव(By-election) होने के साथ ही कांग्रेस पार्टी(Congress Party) ने जीत के लिए अपनी रणनीति बनानी शुरू कर दी है। इसी बीच कांग्रेस ने सोमवार को दमोह उपचुनाव के लिए अपने उम्मीवार का ऐलान कर दिया है।

मिली जानकारी के अनुसार कांग्रेस ने अजय टंडन को अपना उम्मीदवार बनाया है। बता दें कि अजय टंडन दमोह से कांग्रेस के जिलाध्यक्ष हैं। वहीं भाजपा से राहुल लोधी अजय टंडन के सामने चुनाव लड़ेंगे। राहुल लोधी ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामा था जिसके चलते दमोह में चुनाव हो रहे है।

गौरतलब है कि दमोह विधानसभा का उपचुनाव के लिए 17 अप्रैल को मतदान होगा और दो मई को मतों की गिनती होगी। 23 मार्च को चुनाव को लेकर अधिसूचना जारी कर दी जाएगी। 30 मार्च तक उम्मीदवारों की नामांकन की अंतिम तिथि है। वहीं, 3 अप्रैल नाम वापसी की आखिरी तिथी रखी गई है।

मध्यप्रदेश भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष दिया बड़ा बयान, कहा जल्द हो सकती है निगम और मंडलो में नियुक्तियां

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23 मार्च को मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) की शिवराज सिंह चौहान की सरकार को एक साल पूरे होने जा रहे है। आज भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा (BJP State President VD Sharma) ने शिवराज सरकार के एक साल के कार्यकाल की उपलब्धियां बताई है।

कोरोना के बढ़ते हुए क्रम के दौरान बनी भाजपा सरकार ने चुनौतियों को अवसर में बदलते हुए समाज के प्रत्येक वर्ग के लिए कार्य किया और कमलनाथ सरकार द्वारा बंद करवाई गई जनहितकारी योजनाओं को दुबारा शुरू कर गरीबों को उनका हक वापस दिया।

उन्होंने कहा कि, कमलनाथ सरकार ने आते ही वैचारिक आक्रमण शुरू कर दिए थे। वंदे मातरम् का गान बंद किया गया, मीसाबंदियों की सम्मान निधि / पेंशन बंद की, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यालय की सुरक्षा को हटा दिया गया था। कमलनाथ सरकार के पास जनहितकारी कार्यों के लिए पैसे नहीं थे लेकिन उसके बाद भी IIFA के लिए कोई कमी नहीं थी।

उन्होंने यह भी कहा कि सरकार के एक साल पूर्व होने पर पार्टी द्वारा अभियान चलाया जाएगा। इस अभियान में 22 मार्च को भाजपा सेवा का संकल्प दिलाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि जनप्रतिनिधियों द्वारा 23 मार्च को स्वीकृत हुए कामों पर विकास का नारियल फोड़ेंगे। हमारी पार्टी इस दौरान जनता के बीच उसके 12 महीने के कार्यकाल और कांग्रेस के 15 महीनों के कार्यकाल में हुए कार्यों को लेकर जनता के बीच जाएगी।

प्रदेश अध्यक्ष ने इस दौरान संकेत देते हुए कहा कि निगम और मंडलों में जल्द नियुक्ति हो सकती है । संगठन ने इसके लिए सरकार के समक्ष बात रखी है। उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री निगम मंडलों को लेकर गंभीर है और जल्द ही निगम मंडलों में नियुक्ति को लेकर फैसला हो सकता है।

कांग्रेस की शांतिपूर्वक रैली में हुआ प्रशासन की तरफ से लाठीचार्ज, कई बड़े नेता हुए गिरफ्तार

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मध्य प्रदेश(Madhya Pradesh) की राजधानी भोपाल(Bhopal) में कांग्रेस पार्टी(Congress Party) की तरफ से किसानों के समर्थन में रैली का आयोजन किया गया था। इस दौरान पुलिस ने कांग्रेस नेताओं पर लाठी चार्ज की और साथ ही साथ आंसू गैस के गोले भी दाग दिए। इस प्रदर्शन की अध्यक्षता पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ की अगुवाई में हुआ था।

कांग्रेस नेताओं की रैली जवाहर चौक से प्रारंभ हुई थी। वहां से कांग्रेस के नेता राजभवन ज्ञापन देने जा रहे थे। रोशनपुरा के पास पुलिस ने बैरीकेड लगाकर कांग्रेस जाने से रोक दिया गया था। मध्य प्रदेश के तमाम बड़े नेताओं जैसे दिग्विजय सिंह, कुणाल चैधरी , जीतू पटवारी , सज्जन सिंह वर्मा और कई अन्य नेताओं को पुलिस ने हिरासत में लिया। उसके बाद वहां कांग्रेस के नेता बैरीकेड तोड़ने का प्रयास करने लगे। इस दौरान सरकार विरोधी नारे भी लगाए गए।

प्रदर्शन के दौरान आधा दर्जन से ज्यादा आंसू गैस के गोले दागे गए। वहीं वाॅटर कैनन से पानी की बौछारें छोड़कर भीड़ को हटाने की कोशिश की गई। प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के द्वारा पथराव भी हुआ था। प्रदर्शन के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के जख्मी होने के भी समाचार है। जिसके संबंध में जानकारी जुटाई जा रही है।

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट करते हुए कहा है कि , किसानो के समर्थन में आज मध्यप्रदेश के भोपाल में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हज़ारों किसान भाइयों व कांग्रेसजनो पर शिवराज सरकार के ईशारे पर किये गये बर्बर लाठीचार्ज , आंसू गैस व वाटर केनन छोड़े जाने की व गिरफ़्तारी की कड़ी निंदा करता हूँ।

कमलनाथ ने यह भी कहा कि ,इस लाठीचार्ज में कई किसान भाइयों, कांग्रेसजनो , महिलाओं व मीडिया के साथियों को चोटे आयी है। उनके स्वस्थ होने की कामना करता हूँ। किसानो के समर्थन में हमारा संघर्ष जारी रहेगा, हम ऐसे दमन से डरने-दबने वाले नहीं है।

मध्यप्रदेश में किसान आंदोलन के चलते , कांग्रेस कल करेगी राजभवन का घेराव

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किसान आंदोलन(Farmer Agitation ) का समर्थन कर रही कांग्रेस(Congress) राजभवन(Governor House) का घेराव करने की तैयारीकर रही है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ(Kamalnath) ने ट्विटर(Twitter) पर 23 जनवरी को राजभवन घेराव में शामिल होने की अपील पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से की है।

कमलनाथ ने ट्वीट में विस्तार से कार्यक्रम बताते हुए लिखा है कि मोदी सरकार के तीन काले कृषि कानूनों के विरोध में 23 जनवरी को सुबह 11:30 बजे जवाहर चौक पर इकट्ठा होंगे और वहीं से राजभवन कूच करेंगे। कमलनाथ ने अधिक से अधिक संख्या में राजभवन घेराव मे शामिल होने की अपील कांग्रेस नेताओं से की है।

कमलनाथ ने भोपाल के करीबी जिले यानी सीहोर, रायसेन, राजगढ़, विदिशा आदि से भीड़ जुटाने के निर्देश जिला अध्यक्षों और पूर्व मंत्रियों को दिये हैं। इन लोगों पर यह जिम्मेदारी भी रहेगी कि लोगों को जहाँ से लाया गया है उन्हें वापस वहाँ छोड़ना भी होगा।

राजभवन घेराव की अपील को दिग्विजय सिंह और एमपी कांग्रेस ने भी अपने ट्विटर पर शेयर की है। जिससे प्रदर्शन में अधिक से अधिक लोग जुट सकें। कांग्रेस पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि जब तक काले कृषि कानून वापस नहीं होते उसका आंदोलन जारी रहेगा।

कमलनाथ शासन में रहे मुख्य सचिव एम गोपाल रेड्डी के आवास पर छापा

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मध्यप्रदेश(Madhya Pradesh) के ई-टेंडरिंग घोटाले(E-tender Scam) के जांच के चलते कमलनाथ सरकार(Kamalnath government) में मुख्य सचिव रहे एम गोपाल रेड्डी(M. Gopal Reddy) आ गए हैं। प्रवर्तन निदेशालय ने रेड्डी के हैदराबाद स्थित आवास पर छापा मारा है। इस दौरान ईडी के अधिकारियों ने रेड्डी के यहां मौजूद दस्तावेजों की छानबीन की। शिवराज सरकार के दौरान जब यह घोटाला हुआ था तब रेड्डी जल संसाधन विभाग के एसीएस थे।

प्रवर्तन निदेशालय ने भोपाल, हैदराबाद और बेंगलुरु सहित करीब 16 जगहों पर छापेमारी की है। रेड्डी के अलावा उन कंपनियों के यहां भी छापे की सूचना है, जिन्हें टेंडर में टेम्परिंग कर ठेके दिए गए। एक टीम ने बुधवार को भोपाल में हैदराबाद की ही आईटी कंपनी ऑस्मो आईटी सॉल्यूशन के मानसरोवर कॉम्प्लेक्स स्थित दफ्तर पर कार्रवाई की थी। सबसे ज्यादा जल संसाधन के 7 ठेकों के ई टेंडर में घोटाले होने के आरोप हैं।

मध्यप्रदेश ईओडब्ल्यू ने कंपनी के 3 डायरेक्टर विनय चौधरी, वरुण चतुर्वेदी और सुमित गोलवलकर को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है। ईओडब्ल्यू का आरोप है कि इन्होंने फर्जी डिजिटल सिग्नेचर तैयार कर अपने कस्टमर कंपनी को मध्यप्रदेश के अधिकारियों की मिलीभगत से ई-टेंडर में बिडिंग कराकर काम दिलाया था। 

प्रदेश की कानून व्यवस्था पर कमलनाथ ने खड़े किए सवाल,बोले जब पत्रकार सुरक्षित नहीं तो कौन…

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मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रदेश की बिगड़ती कानून व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़े करते हुए तीखा हमला किया है।

कमलनाथ ने पत्रकार जितेंद्र शर्मा के घर में खड़ी बाइक और कार में आग लगाए जाने पर ट्वीट करते हुए लिखा “पत्रकार जितेंद्र शर्मा के घर पर वाहनों में की गई आगजनी बेहद निंदनीय।

गौरतलब है कि पत्रकार जितेंद्र शर्मा के जवाहर नगर स्थित घर में बीती रात अज्ञात बदमाशों ने पोस्ट पर खड़ी चार गाड़ियों में पेट्रोल डालकर आग लगा दी थी जिसमें दो गाड़ियां जलकर खाक हो गई जबकि कार और एक गाड़ी में बहुत अधिक नुकसान हुआ है।

कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कमलनाथ के बंगले पर दिया धरना

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भोपाल: रतलाम से आये कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने अपनी नाराजगी जताते हुए मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के बंगले के बाहर धरना दिया। सोमवार शाम करीब 5 बजे अपनी ही पार्टी के विधायक से नाराज रतलाम कांग्रेस जिला अध्यक्ष योगेंद्र सिंह के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने कमलनाथ के बंगले के बाहर अपना विरोध प्रदर्शन किया।

नाराज कार्यकर्ताओं ने अपना आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि वे अपनी बात अपने पार्टी प्रमुख को बताने आये हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी द्वारा बनाये गए नियम कानून और सिस्टेम का पालन नही किया जा रहा हूं। ऐसे में प्रदेश में पार्टी का अस्तित्व खत्म हो जाएगा और इतना ही नही बल्कि अन्य जगहों से आये छोटी एवं क्षेत्रीय पार्टी प्रदेश में अपने आप स्थापित कर लेंगी।

कार्यकर्ता अपनी ही पार्टी के रतलाम के आलोट से विधायक मनोज चावला के कार्य प्रणाली से नाराज चल रहे हैं और यही कारण है कि उनका आक्रोश पीसीसी चीफ के बंगले तक पहुच गया। रतलाम के कांग्रेस कार्यकर्ताओं का यह आरोप है कि  विधायक अपनी ही पार्टी के कार्यकर्ताओं पर झूठे मुकदमे दर्ज करा रहे है।

पार्टी संगठन बिना किसी जांच के विधायक की शिकायत पर पार्टी के कार्यकर्ताओं पर कार्यवाही कर रही है।

निष्काषित जिला कार्यवाहक कांग्रेस अध्यक्ष योगेंद्र सिंह का कहना है कि पार्टी उनके कार्य को समझ नही रही है। जबकि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी उनकी तारीफ करते हैं परंतु प्रदेश में उनके कार्यों को सराहा नही जा रहा है।

मध्यप्रदेश में कोरोना से बिगड़ते हालातों पर कमलनाथ का मोदी सरकार पर हमला

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madhya pradesh congress chief kamalnath

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आज नई दिल्ली की मीडिया से वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए चर्चा की। चर्चा के दौरान कमलनाथ ने देशभर में कोरोना के खिलाफ चल रही लड़ाई में मोदी सरकार का साथ देने के साथ ही मध्यप्रदेश में बिगड़ते हालातों के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार भी ठहराया। पेश हक़ी कमलनाथ की प्रेस वार्ता की मुख्य बिंद

आज पूरी दुनिया एक गंभीर महामारी की चपेट में है। दुनिया के सभी देश सामूहिक रूप से भी और अपने-अपने स्तर पर इसका समाधान तलाश रहे हैं। हज़ारों लोग रोज़ इस महामारी की चपेट में आ रहे हैं। कांग्रेस पार्टी इस महामारी से लड़ाई में केंद्र सरकार के साथ है। हम यह लड़ाई ऊँचे हौसले से लड़ रहे हैं।सब मिलकर लड़ रहे हैं। सभी दल अपनी पार्टी के दायरे से ऊपर उठकर एक साथ हैं। हम हर हाल में सब मिलकर इस लड़ाई को जीतेंगे ।

मैं अपने राज्य मध्यप्रदेश को लेकर भी बेहद चिंतित हूँ। वहाँ के हालात दूसरे राज्यों से बिल्कुल अलग हैं। वहाँ प्रजातंत्र के नाम पर एक मुख्यमंत्री मात्र है । न स्वास्थ्य मंत्री है, न गृह मंत्री है, मतलब कैबिनेट ही नहीं है, न ही लोकल बॉडी है, सब नदारद हैं। आज इस लड़ाई की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी हैल्थ डिपार्टमेंट की है और मेरे प्रदेश के हैल्थ डिपार्टमेंट की प्रिंसिपल सेकेट्री सहित 45 से अधिक अधिकारी कोरोना पॉजिटिव हो गए हैं।

मध्यप्रदेश वह पहला राज्य है, जहाँ इस जंग में दो डॉक्टरों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है। इंदौर शहर सबसे ज़्यादा प्रभावित है और राजधानी भोपाल दूसरे नंबर पर है। मध्यप्रदेश देश का एकमात्र प्रदेश है जहाँ जितने मरीज़ ठीक हुए हैं लगभग उतनों की ही मृत्यु हो गई है। इस लॉक डाउन का लाभ तब ही होगा जब हम अधिक से अधिक टैस्ट कराएंगे।
मध्यप्रदेश में 10 लाख़ लोगों पर मात्र 55 टेस्ट हो रहे हैं जो बेहद चिंता जनक हैं । प्रदेश के 20 जिलों में इस महामारी की पहुँच हो चुकी है।सबसे बड़ी चिंता किसानों की है। उनकी फ़सल पक गई है। सरकारी ख़रीद 25 मार्च को चालू हो जानी थी, अभी तक उसका कुछ पता नहीं है। रोज़ कमाकर खाने वालों की चिंता है। उन तक मदद नहीं पहुँच रही है।

आज देश के हालात आख़िर ऐसे क्यों बने ये समझना भी ज़रूरी है


सबसे पहले 12 फ़रवरी को राहुल गांधी जी ने केंद्र सरकार को कोरोना की महामारी के बारे में आगाह किया था । केंद्र की भाजपा सरकार ने 40 दिन बाद 24 मार्च को लॉक डाउन घोषित किया। तब तक ये महामारी इंडिया में 175 गुना बढ़ चुकी थी। फ़रवरी में 3 केस से बढ़कर ये 24 मार्च तक 536 केस तक पहुँच गई थी।

आख़िर मोदी सरकार ने लॉक डाउन की 24 मार्च तक प्रतीक्षा क्यों की ? उसका एक मात्र कारण था कि वो फ़रवरी माह से ही मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार को गिराने के लिए काम कर रही थी। 23 मार्च को मध्यप्रदेश में भाजपा के मुख्यमंत्री ने शपथ ली और 24 मार्च से लॉक डाउन घोषित किया गया ।

इस पूरे घटनाक्रम को समझिए :–
सबसे पहले प्रदेश भाजपा ने अपने केन्द्रीय नेतृत्व के साथ मिलकर 3-4 मार्च को कांग्रेस सरकार गिराने की पहली कोशिश की, जिसमें कुछ कांग्रेस के और कुछ निर्दलीय विधायकों को दिल्ली ले जाया गया। मगर वे उस कोशिश में कामयाब नहीं हुए।


तब दूसरे प्रयास में 8 मार्च को तीन चार्टर प्लेन करके कांग्रेस के 6 मंत्रियों सहित 19 विधायकों को बेंगलुरु के रिसोर्ट में रखा गया।


फ़िर 10 मार्च को बीजेपी के एक पूर्व मंत्री ने विधानसभा अध्यक्ष को उन लोगों का इस्तीफ़ा सौंपा। 12 मार्च को WHO ने कोरोना को पेंडेमिक घोषित किया अर्थात विश्व की महामारी घोषित कर दिया। मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार ने 14 मार्च को ही अपने प्रदेश के नागरिकों को इसके बारे में अलर्ट किया और स्कूल, कॉलेज, शॉपिंग मॉल बंद करने की घोषणा की। 13 और राज्यों ने ऐसी घोषणाएं की थीं। उधर राजस्थान छत्तीसगढ़, उड़ीसा सहित कई राज्यों ने अपने विधानसभा के सत्र स्थगित कर दिए।


इधर भाजपा के विधायक और कांग्रेस के भगोड़े विधायक केंद्र के भाजपा नेताओं के आशीर्वाद से कर्नाटक की रिसोर्ट में उत्सव मना रहे थे, उधर देश में कोरोना से पहली मौत भी कर्नाटक में हो गई थी। अर्थात् मध्यप्रदेश कांग्रेस सरकार कोरोना से लड़ने की तैयारी में लगी थी और केंद्र और प्रदेश की भाजपा अपनी सत्ता की भूख मिटाने में लगी थी ।


हमने अपने बजट सत्र का 16 मार्च से शुरू होने का नोटिफिकेशन पहले ही जारी कर दिया था। मगर हम कोरोना महामारी की गंभीरता को जानते थे। हमने राज्यपाल के अभिभाषण के तत्काल बाद 16 मार्च को ही सत्र 26 मार्च तक स्थगित कर दिया ताकि हम इस गंभीर महामारी के खिलाफ़ लड़ाई में लग जाएँ। इधर भाजपा सुप्रीम कोर्ट गई। तब भी केंद्र सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का इंतज़ार करता रहा।


आख़िर में कांग्रेस की सरकार गिरा कर भाजपा ने 23 मार्च को अपना मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश में बनवाया और फ़िर 24 मार्च रात 12 बजे से लॉक डाउन घोषित किया। मतलब साफ़ है कि केंद्र की मोदी सरकार ने अपनी सरकार बनवाने के लिए पूरे देश की जनता की जान जोखिम में डाल दी लेकिन इस लड़ाई में समूची कांग्रेस पार्टी केंद्र सरकार के साथ खड़ी है।

केंद्र सरकार को भी कुछ सुझाव है


हमारी सप्लाई चेन नहीं टूटनी चाहिए। जो उत्पादक राज्य हैं वहाँ उनके उत्पादन को बरक़रार रखने की कोशिश होनी चाहिए।


देश भर के ज़्यादा संक्रमित जिलों की रैपिड मैपिंग हो और वहाँ रैपिड एंटी बॉडी टेस्ट अधिक से अधिक कराए जाएँ।


देश के हर जिले में प्रवासी मज़दूरों और छात्रों की मदद के लिए एक केंद्र स्थापित किए जाए। उनमें भरोसा जगाया जाए और जो अपने घर जाना चाहते हैं उन्हें समयबद्ध तरीक़े से भेजा जाए।


मनरेगा के कानून में प्रावधान है कि अगर सरकार उन्हें काम नहीं दे सकती है तो मुआवज़ा देना होगा। उन्हें तुरंत मुआवज़ा दिया जाए।


किसानों की रबी फ़सल की समर्थन मूल्य पर ख़रीदी के लिए तत्परता से कार्यवाही की जाए।


जो कोरोना मरीज़ ठीक हो कर घर जा चुके हैं उनकी कुछ समय के लिए नियमित जाँच निर्धारित की जाए।


साधारण मरीज़ों को देखने वाले डॉक्टरों को भी PPE अनिवार्य किया जाए, ताकि वे भी संक्रमण से बचे रहें और बाकी पेशेंट्स भी सुरक्षित रहें।

राज्यपाल से मिले कमलनाथ, बोले हमारे पास पर्याप्त संख्या मौजूद

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मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ अभी अभी प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन से मिलकर बाहर आए है। राज्यपाल द्वारा 17 मार्च को फ्लोर टेस्ट कराने के आदेश के बाद कमलनाथ उनसे मिलने उनके निवास गए थे। तकरीबन 30 मिनट चली इस मुलाकात के बाद कमलनाथ ने मीडिया से बात की

एएनआई को दिए बयान में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि हमने मध्यप्रदेश में बने राजनैतिक परिदृश्य पर चर्चा की और विधानसभा में दिए उनके अभिभाषण के लिए उनका धन्यवाद किया। मैंने उनको कहा कि हम सभी संवैधानिक कामों के लिए तैयार है लेकिन हम संविधान के बाहर कुछ नही करेंगे। भाजपा अविश्वास प्रस्ताव लाई है, हमारे पास पर्याप्त संख्या है।

कमलनाथ ने आगे कहा कि अगर किसी को लगता है कि हमारे पास पर्याप्त संख्या नही है तो वो अविश्वास प्रताव लाए, मुझे क्यों फ्लोर टेस्ट देना है ? उन 16 बागी विधायकों को जो भी परेशानी है वह सामने आके बताएं।

मध्यप्रदेश में भाजपा को झटका, 10 दिन आगे बढ़ा फ्लोर टेस्ट

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मध्यप्रदेश में चल रहे सियासी उठापठक के बीच अब कमलनाथ सरकार के लिए राहत के पल सामने आए है। मध्यप्रदेश विधानसभा को 26 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया गया है और इसके साथ ही कांग्रेस को अब बहुमत साबित करने के लिए 10 दिन का समय और मिल गया है।

विधानसभा स्थगित होने से पहले मुख्यमंत्री कमलनाथ ने गवर्नर को पत्र लिखकर कहा कि भाजपा ने कांग्रेस के 21 विधायकों को बैंगलोर में बंदी बनाकर रखा है और दबाव में वीडियो जारी करवा रही है। ऐसे में फ्लोर टेस्ट करवाना असंवैधानिक होगा।

कोर्ट का रुख कर सकती है भाजपा

विधानसभा स्थगित होना भाजपा के लिए बड़ा झटका है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव समेत भाजपा के सभी वरिष्ठ नेता फ्लोर टेस्ट की मांग कर रहे है। गोपाल भार्गव ने ताजा बयान में मुख्यमंत्री कमलनाथ से नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देने की मांग तक कर डाली। सूत्रों के अनुसार भाजपा विधानसभा के स्थगन को रोकने और फ्लोर टेस्ट करवाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट जा सकती है।