मध्यप्रदेश सरकार द्वारा लंबित मांगों को न मानने के चलते प्रदेश के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेज में अध्ययनरत जूनियर डॉक्टर 31 मई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा रहें है। जिसका सीधा असर उन अस्पतालों पर पड़ेगा जो मेडिकल कॉलेजों से संबंधित है।
हड़ताल की अवधि में जूनियर डॉक्टर इमरजेंसी सहित ओपीडी और आईपीडी में काम नहीं करेंगे वह सिर्फ कोविड वार्ड में अपनी सेवा देंगे। इसके वावजूद अगर सरकार उनकी मांगों पर विचार नहीं करती तो 1 जून से कोविड वार्ड की सेवाएं भी बंद कर दी जाएगी।
हड़ताल बयान देते हुए मध्य प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि यह जूनियर डॉक्टरों की हठधर्मिता है हमने उनकी चार मांगों को पहले ही मान लिया है और अन्य मांगों पर भी विचार चल रहा है जिन पर जल्द ही फैसला ले लिया जाएगा।
सारंग ने कहा कि ऐसे समय पर जब देश और प्रदेश में आपदा आई हुई है और संपूर्ण मानव जाति को डॉक्टरों की नितांत आवश्यकता है ऐसे में हड़ताल पर जाना ठीक बात नहीं है।
सारंग सारंग ने कहा कि प्रदेश सरकार देश में ऐसा सिस्टम पहली बार बनाने जा रही है जब जूनियर डॉक्टरों को स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग नहीं रखनी पड़ेगी हमारी सरकार ऐसा मैं कनीज में बना रही है जिससे स्वता ही हर वर्ष उनके स्टाइपेंड में बढ़ोतरी हो जाया करेगी।
इन लंबित मांगों पर हड़ताल करने वाले हैं जूनियर डॉक्टर
1. रूरल बॉन्ड की मांग के लिए समिति का गठन किया जाना था।
2. कोविड-19 में लगे चिकित्सकों के परिजनों को भी निशुल्क चिकित्सीय सहायता का लाभ देने की बात हुई थी।
3. जूड़ा के स्टाइफण्ड में 13 हजार रुपए की बढ़ोतरी होनी थी। इसके अनुसार प्रथम वर्ष में 68 हजार रुपए प्रति माह, द्वितीय वर्ष में 70 हजार रुपए प्रतिमाह और तृतीय वर्ष में 73 हजार रुपए प्रतिमा स्टाइफण्ड देने की बात की गई थी।
4. स्टाइफण्ड में हर साल 6 फ़ीसदी की बढ़ोतरी को माना गया। यही नहीं पहले साल 24 फ़ीसदी स्टाइपेंड बढ़ाने की बात हुई थी।