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विदेशी यात्रा करने में मोदी से पिछड़े ओबामा

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NewBuzzIndia:

2014 मई में कार्यभार सँभालने के बाद प्रधानमंत्री मोदी लगातार विदेशी यात्रायें करते रहे। विदेशी संबंधो, विदेशी निवेश द्विपक्षीय व्यापार जैसे अनेक महत्वपूर्ण बिंदु रहे जिनके लिहाज से ये यात्रायें बहुत ज़रूरी भी रही।
अपने तीन दिवसीय दौरे के तहत वो अमेरिका से मेक्सिको पहुचें, इसी के साथ वो अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा से भी ज्यादा विदेशी यात्रा करने वाले राष्ट्राध्यक्ष बन गए।

विमान यात्रा के लॉग के अनुसार नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यकाल के शुरुआत होने से अब तक कुल 35 देशों की यात्राएं की हैं और इस दौरान उन्होंने दुनिया के दो तिहाई राष्ट्राध्यक्षों से मुलाकात भी की है। दुनिया के अन्य देशों के साथ कूटनीतिक संबंधों को और ज्यादा मजबूत करने के इरादे से मोदी ने ये हवाई यात्राएं की है।

हिंदुस्तान टाइम्स में छपी एक खबर के मुताबिक जहां एक ओर मोदी ने कुल 35 देशों की यात्राएं की हैं वहीं ओबामा ने अपने दूसरे कार्यकाल के पहले दो सालों (जनवरी 2009 से जनवरी 2011 तक) के भीतर महज 25 देशों की यात्राएं की है। जहां मोदी ने मई 2014 से मई 2016 के बीच 1,64,187 किमी की हवाई दूरी तय की है वहीं ओबामा ने महज 1,56,336 किमी की। ये आंकड़े दोनों राष्ट्राध्यक्षों के कार्यकाल के पहले दो वर्षों के हवाई यात्राओं का तुलनात्मक अध्ययन है।

उड़ता पंजाब: ‘मुझे मोदी का चमचा होने पर गर्व है।’- पहलाज निहलानी

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‘कोई माफ़ी नहीं, कोई इस्तीफ़ा नहीं।’ ये कहना है सेंसर बोर्ड के प्रमुख पहलाज निहलानी का। पहलाज निहलानी आज देश भर में चर्चा के केंद्र इस वजह से बन गए, क्योंकि उनका ये आरोप है कि अनुराग कश्यप की निर्देशित फ़िल्म ‘ उड़ता पंजाब’ में आम आदमी पार्टी का पैसा लगा है। हालाँकि फ़िल्म निर्देशक अनुराग कश्यप फ़िल्म पर हो रही राजनीति से बहुत दुखी नज़र आए, कई बार उनका गुस्सा सार्वजनिक तौर पर भी सामने आया। उन्होंने इसकी सफाई भी दी, कि उनकी फ़िल्म और राजनीति से दूर दूर तक कोई नाता नहीं है। पहलाज निहलानी के इस आरोप का बॉलीवुड जगत के साथ साथ सोशल मीडिया पर भी जम के विरोध हुआ। पर इन विरोधों का असर बोर्ड प्रमुख पर नहीं दिखा। वह अभी भी अपने आरोपों को ले के अड़े हैं, उनका कहना है कि,  ‘ मैंने जो सुना, वही कहा।’

बॉलीवुड के कई लोगों ने ऐलान किया की वे इस लड़ाई में अनुराग कश्यप के साथ खड़े है। इन सभी लोगों का दावा है कि पहलाज निहलानी ने इस फ़िल्म से उन सीनों को हटाना चाहते हैं, जो पंजाब और चुनाव की तरफ इशारा कर रही है। जिसके बाद फ़िल्म में कुल 89 कट लगाए गए हैं। निहलानी के इस कदम का फ़िल्म जगत में भारी विरोध हो रहा है। कई लोगों का मानना है कि इस तरह की हरकतें ना सिर्फ फ़िल्म का अपमान कर रही हैं, बल्कि यह ‘ फ़िल्म जगत’ का भी अपमान है। अपने गुस्से को ज़ाहिर करते हुए लोगों ने ना सिर्फ निहलानी से माफ़ी मांगने की मांग की है, बल्कि फ़िल्म रोकने का आरोप लगाते हुए उनके इस्तीफे की भी मांग की है।

इधर निहलानी ने इन सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि, ‘केंद्र कभी सेंसर बोर्ड के कामों में दखल नहीं देती। इस तरह को कोई राजनैतिक दबाव नहीं था।’
निहलानी ने आगे कहा, ‘जैसा की अनुराग कश्यप ने कहा की मैं मोदी का चमचा हूँ। हाँ, मुझे गर्व है की मैं मोदी का चमचा हूँ। ये किसी इटली के प्रधानमंत्री का चमचा होने से अच्छा है।’
पहलाज निहलानी ने इन बातों का भी खंडन किया की उन्होंने फ़िल्म निर्माताओं को फ़िल्म के नाम से पंजाब शब्द को हटाने की बात कही है। निहलानी ने इस बात को भी बताने से इंकार किया कि फ़िल्म के किन दृश्यों को हटाया गया है। पहलाज अपने फैसले पर टिके हुए हैं, उनका कहना है कि, ‘जब कोई पूरी फ़िल्म देखेगा तब उसे समझ आएगा की क्यों पंजाब शब्द हटाना चाहिए।’

जानिए प्रधानमंत्री मोदी के भाषण के महत्वपूर्ण 36 बिंदुओं को, जिनके बाद तालियों से गूँज उठा अमेरिकी कांग्रेस

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NewBuzzIndia: NewBuzz Exclusive

जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमरीकी कांग्रेस को संबोधित कर रहे थे तब दुनिया भर की नज़रे उन पर टिकी थी साथ ही साथ इस दौरे से देश के लोगों की उम्मीदें भी लगी हुई थीं।

आइए जाने की प्रधानमंत्री के भाषण के 36 महत्वपूर्ण बिंदु क्या रहे।

1. दोनों देशों के रिश्ते की नई धुन है ये ।

2. लंबे और अच्छे भविष्य के लिए हमें जुड़ना होगा।

3. आतंकवाद का कोई धर्म नहीं, इसे धर्म से अलग करना होगा।

4. हम बेहतर भविष्य के लिए काम कर रहे हैं।

5. सोलर ऊर्जा के लिए अमेरिका की मदद ज़रूरी।

7. UN शांति मोर्चे में भारत का अहम् योगदान।

8. बिना नाम लिए पाकिस्तान पर साधा निशाना, कहा ‘ भारत के पड़ोस में पनप रहा ऐ आतंकवाद।’

9. आतंकवाद का ख़ात्मा हर हाल में ज़रूरी।

10. सभी को एक साथ मिल कर आतंकवाद के खिलाफ लड़ने की ज़रूरत है।

11. आतंकवाद पर भाषण देने वालों को कड़ा संदेश मिलना चाहिए।

12. भारत के पश्चिमी सिमा से अफ्रीका तक आतंकवाद के कई नाम।

13. आतंकवाद सबसे बड़ा खतरा है।

14. अफगानिस्तान में अमेरिका का रोले काबिल-ए-तारीफ़।

15. एशिया से अफ्रीका तक शांति चाहता है भारत।

16. हिन्द महासागर में भारत अपना रोले निभाने को तैयार।

17. दोनों देशों का जुड़ना ज़रूरी, अलग होने से बात नहीं बनेगी।

18. साईबर आतंकवाद बहुत तेज़ी से बढ़ रहा है।

19. अमेरिकी कंपनियों के लिए भारत पसंदीदा जगह।

20. भारत का 7.6% विकास दर दुनिया भर के लिए अवसर।

21. अमेरिका की सामरिक रणनीति के लिए भारत अहम् है।

22. 2022 तक भारत को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना है।

23. एक अरब लोगों को मिलेगी ब्रॉडबैंड की सुविधा।

24. अमेरिका के विकास में भारतीयों का बहुत बड़ा योगदान है।

25. भारत में सामाजिक- आर्थिक बदलाव का दौर।

26. अमेरिका की ताक़त हमारे लिए गर्व की बात है।

27. हर क्षेत्र के भारतीय अमरीका में मौज़ूद हैं।

28. योग दोनों देशों को जोड़ता है।

29. भारत का सबसे ज्यादा कारोबार अमरीका के साथ।

30. साझा कारोबार से दोनों देशों का फायदा हुआ।

31. नॉर्मन बोरलैंग् की हरित क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

32. हमारे रिश्तें इतिहास के हिचकिचाहट से ऊपर उठ गए हैं।

33. हमारा इतिहास अलग, हमारी मान्यताएँ एक जैसी।

34. अमेरिकी संविधान का असर बाबा साहेब अंबेडकर में दिखा।

35. अमेरिका बुरे वक़्त में भारत के साथ रहा।

36. गांधी जी की अहिंसा ने मार्टिन लूथर किंग को प्रेरणा दी।

प्रधानमंत्री के शानदार उद्बोधन के बाद अमरीकी कांग्रेस में तालियों की गड़गड़ाहट थमने का नाम नहीं ले रही थी। यह उत्साह मात्र औपचारिकता भर के लिए नहीं था बल्कि प्रधानमंत्री के शब्द दर शब्द पर अमरीकी नेताओं की सहमति को भी दर्शा रहा था।

अब देखने वाली बात यह होगी की आने वाले समय में भारत अमेरिका से उन मुद्दों पर कैसे फायदा उठा सकता है जिन पर आज दोनों की सहमति बनी है।

चारा घोटाला: गायब हुई चारा घोटाले से जुडी महत्वपूर्ण फाइलें, क्या नितीश बचा रहे हैं लालू को ?

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बिहार के चर्चित चारा घोटाले में जिसमे करोड़ों रुपयों की हेरा फेरी हुई थी, उसमें एक नया मोड़ आया है। इस घोटाले से जुडी पशु कई फाइलें जो की पशु संसाधन विभाग में राखी हुई थीं, चोरी हो गई हैं। मुकद्दमा दर्ज़ कर पुलिस ने छानबीन शुरू कर दी है। फाइलें पटना स्थित पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग में रखी हुई थी। इस मामले में मुख्य आरोपी राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव हैं, जिन्हें इस मामले में छह साल की सज़ा भी सुनाई जा चुकी है।

जानकारी के अनुसार पटना के ओल्ड सेक्रेटरिएट पुलिस स्टेशन में इस संबंध में मुकद्दमा दर्ज कराया गया है। विभागीय सूत्रों के अनुसार पटना सचिवालय स्थित कार्यालय से तीन अलमारियों में रखी महत्वपूर्ण फाइलें चोरी हो गई हैं। इनमें से अधिकतर चारा घोटाले और उसमें आरोपी बनाए गए लोगों के संबंध में थी।

बताया जा रहा है कि इनमें पशु डॉक्टरों और कर्मियों की संलिप्तता के सबूत थे। हालांकि इस संबंध में 16 मई को मुकद्दमा दर्ज कराया जा चुका है लेकिन मामले का खुलासा अभी हुआ है।

इस बीच, बीजेपी नेता नितिन नवीन ने नीतीश कुमार की अगुआई में चल रही महागठबंधन सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। उन्‍होंने पूछा है कि क्‍या आरजेडी चीफ लालू प्रसाद यादव को बचाने की कोशिश की जा रही है? उन्‍होंने कहा, ‘नीतीश कुमार को बताना चाहिए कि वह कैसे और क्‍यों लालू प्रसाद यादव को बचा रहे हैं? गायब हुईं फाइलें उनसे जुड़ी हुई थीं। नीतीश कुमार की हरकत से बिहार का भविष्‍य प्रभावित हो रहा है।’

उड़ता पंजाब: ‘NDA से ज्यादा मैंने UPA की सरकार में लड़ाइयां लड़ी।’- अनुराग कश्यप

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NewBuzzIndia: उड़ता पंजाब पर लगातार हो रही राजनीति पर अनुराग कश्यप का गुस्सा खुल कर सामने आया।

फिल्म ‘उड़ता पंजाब’ के निर्माताओं में से एक फिल्मकार अनुराग कश्यप ने यह कहकर सरकार की आलोचना की है कि सेंसरशिप के मुद्दे पर केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के साथ उनकी जंग को राजनीतिक रंग देना गलत है। अनुराग ने ट्वीट किया कि आपको बता दूं कि सेंसरशिप के मुद्दे पर मैंने एनडीए से कहीं अधिक यूपीए में लड़ाई लड़ी है। लेकिन क्या आपको पता है कि उस वक्त वहां कोई निहलानी नहीं थे।

‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ के फिल्मकार ने उन्हें कांग्रेस और आप के एजेंट के तौर पर प्रचारित करने वाले कथित ‘‘पेड ट्रोल्स’’ की आलोचना की। पैसे लेकर सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर गाली गलौज, अपशब्दों से भरे कमेंट्स की बौछार करने वालों को पेड ट्रोल्स कहते हैं।

उन्होंने ट्वीट किया कि और.. यह बहुत निराशाजनक है कि पार्टी समर्थित और पेड ट्रोल्स मुझे कांग्रेस या आप का एजेंट बनाने पर तुले हैं। कश्यप ने बताया कि विवाद से पहले उन्होंने सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ के साथ करीब से काम किया था। उन्होंने कहा कि सेंसरशिप के मुद्दे पर मैं इस मंत्रालय और राज्यमंत्री श्रीमान राठौड़ के साथ करीब से काम कर चुका हूं।

भगवान को भी पहनाए गए संघ के कपड़े, मचा बवाल

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अभी तक तो लोगों को अपनी बातों और मुद्दों से आकर्षित करने का काम करता था संघ। ज्यादा से ज्यादा संख्या में सदस्यों को जोड़ने के लिए उसका सबसे कामगार मुद्दा था ‘राष्ट्रवाद’, जिसका समय समय भारी विरोध भी हुआ करता है। पर जो काम अभी संघ ने किया है उसका भरी विरोध और आलोचना चहुओर हो रही है।
सूरत स्थित स्वामीनारायण मंदिर के अधिकारियों ने भगवान स्वामीनारायण की प्रतिमा को आरएसएस की वेशभूषा मे तैयार किया जिसके बाद विवाद छिड़ गया है। भगवान स्वामिनारायण को आरएसएस का यूनिफॉर्म पहनाने पर कोंग्रेस ने भगवान पर भगवा करण करने का आरोप लगाया है। सूरत में स्वामिनारायण मंदिर में एक हफ्ते के लिए RSS शिविर का आयोजन था।

सोमवार को शिविर के आखरी दिन भगवान को यूनिफॉर्म पहनाया गया। उसके बाद मंगलवार को आरएसएस के प्रांत प्रवक्ता प्रदीप जैन द्वारा इसे फेसबुक पर अपलोड करते ही उस पर बवाल मचना शुरू हो गया। देखते ही देखते संघ की वेशभूषा वाली भगवान स्वामीनारायण की प्रतिमा की यह तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई।

तस्वीर में भगवान की प्रतिमा को सफेद शर्ट, खाकी रंग के निकर, काली टोपी और काले जूते में देखा गया। तस्वीर में प्रतिमा के एक हाथ में राष्ट्रीय ध्वज भी दिखाई दे रहा था। मंदिर के स्वामी विश्वप्रकाशजी के अनुसार, यह परिधान कुछ दिनों पहले एक स्थानीय श्रद्धालु ने उपहार में दिया था।

खड़से-दाऊद कनेक्शन: पाकिस्तान से आए डॉक्टर बन गए MLC, हर मुसीबत में होते हैं साथ

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महाराष्‍ट्र सरकार के कैबिनेट मंत्री रहे एकनाथ खडसे ने मुख्‍य रूप से भ्रष्‍टाचार के आरोप लगने के बाद पिछले सप्‍ताह इस्‍तीफा दिया था। लेकिन उन पर भगोड़े डॉन दाऊद इब्राहीम से संबंध रखने के आरोप भी लगे थे। इन आरोपों को झूठा साबित करने के लिए, खडसे ने अपने सबसे भरोसेमंद आदमी को मैदान में उतारा। 59 साल के डॉ गुरमुख जगवानी के पास कराची में अभी भी एक छोटा सा घर है वे महाराष्‍ट्र आकर बसने और भाजपा MLC बनने से पहले वहीं रहा करते थे। पिता के नाम पर उनका घर कराबी के पॉश इलाके क्लिफटन के पड़ोस में स्थित है, जहां कथित तौर पर दाऊद रहता है।
जगवानी का कहना है कि उन्‍होंने कॉल रिकॉर्ड में दर्ज क्लिफटन का पता वेरिफाई करने के लिए अपने संपर्कों का इस्‍तेमाल किया, उनका दावा है कि यह सब फर्जी है। जगवानी के मुताबिक, “मूल रूप से पाकिस्‍तान का होने की वजह से, मैं तुरंत पहचान गया कि बिल का फॉरमेट पाकिस्‍तान टेलीकम्‍युनिकेशंस लिमिटेड के बिलों से अलग था।”

पाकिस्‍तानी डॉक्‍टर से महाराष्‍ट्र के कारोबारी और फिर राजनेता बने जगवानी और खडसे की जोड़ी के बारे खडसे को जानने वाल हर शख्‍स जानता है। विधान परिषद में, जगवानी खडसे के ठीक पीठे बैठते हैं और हमेशा उनकी मदद करते हैं। एक कांग्रेस नेता का कहना है, “सबको पता है कि जगवानी, खडसे के खास हैं। बहुत सारे लोग जो खडसे से मिलना चाहते हैं, पर नहीं मिल सकते वे जगवानी से संपर्क करते हैं।”
पाकिस्‍तान के सिंध प्रांत के सुक्‍कूर में जन्‍मे जगवानी में अपनी सिंध यूनिवर्सिटी के चंडका मेडिकल कॉलेज से पढ़ाई पूरी की। 1981 में हनीमून के लिए वे भारत आए और जलगांव में अपने कुछ रिश्‍तेदारों के यहां रुके। उसके बाद उन्‍होंने यही बसने का फैसला कर दिया।

जगवानी के मुताबिक, “मुझे भारत का रहन-सहन बहुत अच्‍छा लगा। मुझे लगा कि धर्म के हिसाब से भी मेरे लिए यहां रहना ठीक रहेगा। मैंने एक साल तक कराची में पीडियाट्रीशियन के तौर पर काम किया और जून, 1985 में मुंबई आ गया। 1987 में मैं अपने रिश्‍तेदारों के पास जलगांव आ गया।”
जलगांव आने के बाद जगवानी की नजदीकियां महाराष्‍ट्र के सबसे ताकतवर राजनेताओं में से एक से हुई। जगवानी के अनुसार, “मैं जल्‍द ही भाजपा का हिस्‍सा बन गया और जलगांव आने वाले सभी वरिष्‍ठ नेताओं की सेवा करने का जिम्‍मा संभाल लिया। मैंने एलके आडवाणी जी ने कार से पूरा शहर घुमाया है।” खडसे को अपना बॉस बताने वाले जगवानी की संपत्ति 18.11 (2014 के चुनावी हलफनामे के अनुसार) करोड़ की हो गई है।

चीन में रोज़ा रखने पर लगा प्रतिबंध, जानिए पूरी खबर…

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चीन में जारी हुए एक फरमान ने दुनिया भर में सुर्खियां बटोरी है। चीन की निरंकुश सरकार ने कर्मचारियों, नाबालिगों और छात्रों को रोज़ा ना रखने का आदेश दिया है।

ग़ौरतलब है कि रमज़ान सोमवार से शुरु हो चुके हैं। चीन की सत्तारुढ़ कम्‍युनिस्‍ट पार्टी नास्तिक है और शिनजियांग शहर में बरसों से सरकारी कर्मचारियों, छात्रों और नाबालिगों के रोज़ा रखने पर पाबंदी है। शिनजियांग में उइगर मुसलमान की एक करोड़ आबादी है जो अल्पसंख्यक हैं। सरकार ने होटलों को भी खुला रखने के आदेश दिए हैं।

आखिर क्‍यों : क्‍योंकि सत्‍ताधारी कम्‍युनिस्‍ट पार्टी और कम्युनिस्ट विचार में ये माना जाता है कि ईश्वर का कोई अस्तित्व नहीं होता। इस तरह के धार्मिक प्रतिबंधों को पहले भी चीन के कई हिस्सों में लगाया जा चूका है।

आइए जाने रमज़ान के आध्यात्मिक, शारारिक और मानसिक फायदे

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किसी भी धर्म का मुख्य उद्देश्य मनुष्य की भलाई और बेहतरी होती है। जीवन को एक अनुशासन और लयबद्ध तरीके से जीना, जिससे व्यक्ति को आत्मिक एवं शारारिक शांति हासिल करना ही प्राथमिकता होती है। यही कारण है कि सभी पंथों में इस सुकून, चैन और शांति को प्राप्त करने के राह को अलग अलग तरह से समझाया गया है।
आइए समझते हैं कि इस्लाम में रमज़ान का महीना किस तरह से आत्मा, मन और शारीर के लिए महत्वपूर्ण है।

रमजान इस्लाम का सबसे पवित्र और आध्यात्मिक और शारीरिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि इस महीने में मुसलमानों पर रोजा रखना फर्ज है जिसका अर्थ है कि सुबह से शाम तक हर खाने पीने के साथ हर अवैध काम से परहेज करना और शारीरिक और मांसिक रूप से नियंत्रण रखना है जो समाज और मानवता के लिए एक उपहार से कम नहीं है।

इस पवित्र महीने में रोजे रखना सभी बालिग और स्वस्थ्य लोगों के लिए वाजिब (अनिवार्य) बताया गया है। बीमार, बूढ़े, सफर कर रहे लोगों, गर्भवती महिलाओं और दूध पिलाने वाली माओं को रोजे रखने या ना रखने की आजादी दी गई है। मासिक धर्म से गुजर रही महिलाओं के लिए भी रोजा रखने की मनाही है। मासिक धर्म के खत्म होने के बाद रोजा रखना जरूरी है।

रोजा का अर्थ

रोजा का सही अर्थ सुबह से संध्या तक केवल खाने पीने को छोड़ देना नहीं है बलकि रोजा जिसे अरबी में सौम कहा जाता है का अर्थ रुकना है और अपनी इंद्रियों को नियंत्रण करना है। अर्थात पेट का रोजा जिसका अर्थ है कि रोजे के समय कुछ न खाये पिये और उसके पश्चात रिश्वत जैसे अवैध पैसे से खरीदा गया भोजन न करे, आंखों का रोज अर्थात किसी बहू बेटी को गंदी और हवस भरी नजर से न देखे, जुबान का रोजा अर्थात झूठ न बोले, किसी की बुराई न करे, किसी पर गलत आरोप न लगाए, किसी को बुरा भला न कहे, किसी को अपशब्द न कहे आदि, कान का रोजा अर्थात किसी की बुराई न सुने, हाथ पैर का रोजा अर्थात किसी का अधिकार न छीने और न ही पर अत्याचार करे। बलकि दूसरों का हाथ थामे और पीड़ितों की सहायता के लिए आगे बढ़े, तथा दिल और दिमाग में ईष्वर की श्रद्धा हो एंव अपनी भावनाओं पर अंकुश लगाए ताकि गलत रास्तों पर न जा सके।

इसी कारण इस महीने में इबादत का 70 गुना सवाब रखा गया है। इस प्रकार रोजा मानव जीवन की समृद्धि का एक मुख्य स्रोत बन जाएगा। इसी भावना को प्रदर्शित करने के लिए इस महीने में अफतार देने पर बल दिया गया है ताकि इस समय किसी के मन में अमीर गरीब, शक्तिशाली निर्बल, ऊंच नीच की भावना मिट जाए और सभी एक ही स्थान पर बैठ कर ईष्वर की इस नीति को समझ कर उच्च समाज की स्थापना कर सकें।

इस एक महीने में यदि सही रूप से रोजा रखा तो बाकी महीनों में भी वह इसी प्रकार का व्यवहार करेगा क्योंकि उसे इसकी आदत हो चुकी होगी क्योकि रोजा मनुष्य के संयम की परीक्षा है।

रोजा का आध्यात्मिक लाभ

रोजा न केवल मानव जीवन के लिए आध्यात्मिक रूप से लाभदायक है बलकि इस प्रकार का रोजा समाज की शांति और समृद्धि का कारण है।

रोजा द्वारा भावनाओं और हवस पर काबू पाया जा सकता है।

रोजा, अन्य लोगों के अधिकारों से हनन से बचाता है और दुसरों की सहायता के लिए प्रोत्साहित करता है।

रोजा द्वारा मन और मस्तिष्क पर नियंत्रण किया जा सकता है जिससे समाज शांति की ओर अग्रसर होगा।

रोजा का शारीरिक लाभ

पिछले युगों में रोजा को खास महत्व प्राप्त था और पाइथागोरस, सुकरात और इब्ने सीना जैसे हकीम रोजा द्वारा बहुत से रोगों का इलाज किया करते थे।

रूस के प्रसिद्ध विशेषज्ञ डॉक्टर एलेक्सी सोफ्रीन का कहना है कि साल भर निरंतर खाना उपयोग करने से मनुष्य के शरीर में कुछ ऐसे पदार्थ और ऊर्जा उत्पन्न हो जाते है जो बाद में हानिकारक एंव विषैला हो जाता है लेकिन रोजा रखने से शरीर उस आंत्रिक ऊर्जा का सेवन करता है जिसके कारण शरीर स्वस्थ हो जाता है और रोजा एक विशेष बायोलोजिक इलाज है।

रोजा डिप्रेशन का बेहतरीन इलाज है क्योंकि यह मनुष्य में आशा और आत्मविश्वास जगाता है।

रोजा पाचन तंत्र को आराम देता है जिससे अच्छा फिज़ियोलोजिक प्रभाव डालता है।

इसके अतिरिक्त भी विश्व के विख्यात विद्वानों ने रोजे पर शोध करके इसके सामाजिक, आध्यात्मिक और शारीरिक लाभों का व्याख्यान किया है।

रमजान मानता के लिए उपहार

यूंतो इस्लाम का अर्थ ही शांति है लेकिन इस्लामी कैलेंडर का रमजान महीना न केवल मुसलमानों के लिए बलकि कुल मानवता के लिए शांति का संदेश और समाज की समृद्धि को लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है और रोजा मानव के लिए सामाजिक, आध्यात्मिक और शारीरिक रूप से अत्यंत लाभदायक है और कुल मानव जाति के लिए एक उपहार से कम नहीं है क्योंकि इस महीने में लोगों को भावनाओं और हवस पर नियंत्रण करना और दूसरों की सहायता करना, दूसरों के अधिकारों का करने से परहेज करना, शारीरिक, मांसिक और आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ रहने के गुर सिखाकर परीक्षा ली जाती है।

इसी कारण यदि धर्मों और सभ्यताओं का इतिहास खंगाला जाए तो बहुत से धर्मों में अलग अलग तरीके से रोजा का कांसेप्ट आपको अवश्य नजर आएगा जैसे युनान और रोम की सभ्यता एंव हिंदू, ईसाई और यहूदी धर्मों में विभिन्न प्रकार से रोजा और उपवास का विश्वास पाया जाता रहा है।मजान इस्लाम का सबसे पवित्र और आध्यात्मिक और शारीरिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि इस महीने में मुसलमानों पर रोजा रखना फर्ज है जिसका अर्थ है कि सुबह से शाम तक हर खाने पीने के साथ हर अवैध काम से परहेज करना और शारीरिक और मांसिक रूप से नियंत्रण रखना है जो समाज और मानवता के लिए एक उपहार से कम नहीं है।

इस पवित्र महीने में रोजे रखना सभी बालिग और स्वस्थ्य लोगों के लिए वाजिब (अनिवार्य) बताया गया है। बीमार, बूढ़े, सफर कर रहे लोगों, गर्भवती महिलाओं और दूध पिलाने वाली माओं को रोजे रखने या ना रखने की आजादी दी गई है। मासिक धर्म से गुजर रही महिलाओं के लिए भी रोजा रखने की मनाही है। मासिक धर्म के खत्म होने के बाद रोजा रखना जरूरी है।

रोजा का अर्थ

रोजा का सही अर्थ सुबह से संध्या तक केवल खाने पीने को छोड़ देना नहीं है बलकि रोजा जिसे अरबी में सौम कहा जाता है का अर्थ रुकना है और अपनी इंद्रियों को नियंत्रण करना है। अर्थात पेट का रोजा जिसका अर्थ है कि रोजे के समय कुछ न खाये पिये और उसके पश्चात रिश्वत जैसे अवैध पैसे से खरीदा गया भोजन न करे, आंखों का रोज अर्थात किसी बहू बेटी को गंदी और हवस भरी नजर से न देखे, जुबान का रोजा अर्थात झूठ न बोले, किसी की बुराई न करे, किसी पर गलत आरोप न लगाए, किसी को बुरा भला न कहे, किसी को अपशब्द न कहे आदि, कान का रोजा अर्थात किसी की बुराई न सुने, हाथ पैर का रोजा अर्थात किसी का अधिकार न छीने और न ही पर अत्याचार करे। बलकि दूसरों का हाथ थामे और पीड़ितों की सहायता के लिए आगे बढ़े, तथा दिल और दिमाग में ईष्वर की श्रद्धा हो एंव अपनी भावनाओं पर अंकुश लगाए ताकि गलत रास्तों पर न जा सके।

इसी कारण इस महीने में इबादत का 70 गुना सवाब रखा गया है। इस प्रकार रोजा मानव जीवन की समृद्धि का एक मुख्य स्रोत बन जाएगा। इसी भावना को प्रदर्शित करने के लिए इस महीने में अफतार देने पर बल दिया गया है ताकि इस समय किसी के मन में अमीर गरीब, शक्तिशाली निर्बल, ऊंच नीच की भावना मिट जाए और सभी एक ही स्थान पर बैठ कर ईष्वर की इस नीति को समझ कर उच्च समाज की स्थापना कर सकें।

इस एक महीने में यदि सही रूप से रोजा रखा तो बाकी महीनों में भी वह इसी प्रकार का व्यवहार करेगा क्योंकि उसे इसकी आदत हो चुकी होगी क्योकि रोजा मनुष्य के संयम की परीक्षा है।

रोजा का आध्यात्मिक लाभ

रोजा न केवल मानव जीवन के लिए आध्यात्मिक रूप से लाभदायक है बलकि इस प्रकार का रोजा समाज की शांति और समृद्धि का कारण है।

रोजा द्वारा भावनाओं और हवस पर काबू पाया जा सकता है।

रोजा, अन्य लोगों के अधिकारों से हनन से बचाता है और दुसरों की सहायता के लिए प्रोत्साहित करता है।

रोजा द्वारा मन और मस्तिष्क पर नियंत्रण किया जा सकता है जिससे समाज शांति की ओर अग्रसर होगा।

रोजा का शारीरिक लाभ

पिछले युगों में रोजा को खास महत्व प्राप्त था और पाइथागोरस, सुकरात और इब्ने सीना जैसे हकीम रोजा द्वारा बहुत से रोगों का इलाज किया करते थे।

रूस के प्रसिद्ध विशेषज्ञ डॉक्टर एलेक्सी सोफ्रीन का कहना है कि साल भर निरंतर खाना उपयोग करने से मनुष्य के शरीर में कुछ ऐसे पदार्थ और ऊर्जा उत्पन्न हो जाते है जो बाद में हानिकारक एंव विषैला हो जाता है लेकिन रोजा रखने से शरीर उस आंत्रिक ऊर्जा का सेवन करता है जिसके कारण शरीर स्वस्थ हो जाता है और रोजा एक विशेष बायोलोजिक इलाज है।

रोजा डिप्रेशन का बेहतरीन इलाज है क्योंकि यह मनुष्य में आशा और आत्मविश्वास जगाता है।

रोजा पाचन तंत्र को आराम देता है जिससे अच्छा फिज़ियोलोजिक प्रभाव डालता है।

इसके अतिरिक्त भी विश्व के विख्यात विद्वानों ने रोजे पर शोध करके इसके सामाजिक, आध्यात्मिक और शारीरिक लाभों का व्याख्यान किया है।

रमजान मानता के लिए उपहार

यूंतो इस्लाम का अर्थ ही शांति है लेकिन इस्लामी कैलेंडर का रमजान महीना न केवल मुसलमानों के लिए बलकि कुल मानवता के लिए शांति का संदेश और समाज की समृद्धि को लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है और रोजा मानव के लिए सामाजिक, आध्यात्मिक और शारीरिक रूप से अत्यंत लाभदायक है और कुल मानव जाति के लिए एक उपहार से कम नहीं है क्योंकि इस महीने में लोगों को भावनाओं और हवस पर नियंत्रण करना और दूसरों की सहायता करना, दूसरों के अधिकारों का करने से परहेज करना, शारीरिक, मांसिक और आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ रहने के गुर सिखाकर परीक्षा ली जाती है।

इसी कारण यदि धर्मों और सभ्यताओं का इतिहास खंगाला जाए तो बहुत से धर्मों में अलग अलग तरीके से रोजा का कांसेप्ट आपको अवश्य नजर आएगा जैसे युनान और रोम की सभ्यता एंव हिंदू, ईसाई और यहूदी धर्मों में विभिन्न प्रकार से रोजा और उपवास का विश्वास पाया जाता रहा है।

साध्वी प्राची के फिर से बिगड़े बोल, ‘मुस्लिम मुक्त भारत हो।’

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NewBuzzIndia:

  अगले साल उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। विधानसभा में अपनी बढ़त बढ़ाने के नज़रिए से उत्तर प्रदेश चुनाव भाजपा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। ऐसे में साध्वी प्राची के ऐसे बयान जो सांप्रदायिक तनाव को और ज्यादा बढ़ाने का काम कर रहा है, बीजेपी का नुकसान ही करेगा।

रुड़की में एक सभा में साध्वी प्राची ने एक बार फिर विवादित बोल कहे हैं। साध्वी कांग्रेस मुक्त भारत बना चुके अब मुसलमान मुक्त भारत बनना चाहिए। रुड़की पहुंची साध्वी प्राची ने यहां कई विवादित ब्यान दिए। उन्होंने  न सिर्फ शाहरूख खान और आमिर खान पर हमला बोला बल्कि यह तक कह डाला कि हम कांग्रेस मुक्त भारत बना चुके हैं अब मुसलमान मुक्त भारत बनना चाहिए जिस पर हम काम कर रहे हैं।

साध्वी प्राची ने शाहरुख खान पर बोलते हुए कहा कि दो फ़िल्म फ्लॉप होते ही शाहरुख़ को हिंदुओं की याद आने लगी है। ऐसा ही आमिर खान की आने वाली फिल्म के साथ होना चाहिए। आमिर की फ़िल्म में चूहे ही दंगल करते नजर आएंगे। ये खाते हिंदुस्तान की और गाते हैं पाकिस्तान की।

रुड़की के लंढोरा में कुंअर प्रणव सिंह चैम्पियन के महल पर हुए हमले के बारे में उन्होंने कहा रंगमहल पर जो हमला हुआ है वो एक सोची समझी साजिश है। हिन्दुस्तान को कांग्रेस मुक्त तो हमने कर दिया अब जरूरत है कि मुस्लिम मुक्त भारत बनना चाहिए जिस पर हम काम कर रहे हैं।

उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद के लिए भाजपा के चेहरे के बारे में उन्होंने कहा अगर भाजपा योगी आदित्यनाथ जी को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाती है तो भाजपा की 300 सीट आएंगी और उत्तर प्रदेश अत्याचार से मुक्त होगा। मुस्लिम मुक्त उत्तर प्रदेश होगा और उत्तम प्रदेश बन जाएगा।