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The downfall of BJP lies in ideas up-bringing communal-ism. :Akhilesh

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A little spice of caste-based politics by SP-BSP changed the flavor of the ‘Fascist’ politics by BJP. SP’s victory in the UP bypolls was not just about the support from BSP alone. Tactical moves made by Akhilesh in the past fortnight made the difference.

Ignore Congress and Form new Alliances

Akhilesh decided to maintain a safe distance from Congress to keep those party workers in good humor. The workers were unhappy over their alliance for the 2017 assembly polls. Since Congress showed no interest in renewing the pact, SP decided to go solo.

Small parties with hardly any presence throughout the state gave active support to SP. The only uniting motive was to defeat BJP. Then Akhilesh turned to those small parties which had strong hold on castes in the region of Gorakhpur and Phulpur.

Akhilesh teamed up with the Nirbal Indian Shoshit Hamara Aam Dal (NISHAD) Party and Peace Party. He then fielded Pravin Nishad from Gorakhpur. Pravin is the son of NISHAD chief Sanjay Nishad. The move proved a masterstroke as the Nishad community is the largest sub-caste of OBC in the constituency, comprising 3.5 lakh or roughly 17% of the total electorate.

In Phulpur, the party fielded Nagendra Pratap Singh Patel to focus on the sizeable chunk of Patels in the region.

Support from BSP

It was not for the nothing that Samajwadi Party chief Akhilesh Yadav went personally to pay his respects to ‘buaji’ for her support to Samajwadi candidates in Gorakhpur and Phulpur Lok Sabha bypolls.

Due to the choice of candidates and being burned by the same ambition, BSP actively supported SP quite easily. This served two purposes for BSP. First, making its presence felt and second, not relinquishing its strong-hold on lower castes.

Dalits in Uttar Pradesh, who traditionally supported Mayawati, voted in big numbers for Modi in the 2014 Lok Sabha elections, only to find his Hindutva brigade going berserk against them. Dozens of cases of violence against Dalits at the hands of upper castes continue to be reported. Thus, Dalits turned against the BJP.

Is this the arrival of wind of change in India?

It is quite a tradition that the party with the most seats in UP serves as the ‘Kingmaker’ in Indian politics. Though its too early to say but still it is clear that now Fascist politics by BJP is not enough. The defeat might end the euphoria which surrounded BJP’s office after winning in North-East. (Read more: Saffronisation Of North East:) This might be the beginning of the end of Modi-Yogi politics. With just 273 seats in the Lok Sabha,1 clear of the majority, there are chances of this end to come sooner.

भाजपा के राष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित करने के बाद आया नीतीश कुमार और मायावती का बड़ा बयान !

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भाजपा द्वारा बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित करने के बाद सबकी निगाहें विपक्ष पर टिकी हुई है . दलित कार्ड खेलकर बीजेपी ने विपक्ष को तगड़ा झटका दिया है . इसके बाद सभी यह जानना चाहते है कि आखिर रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने पर विपक्षी दलों की क्या राय है ?

बात करें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तो रामनाथ कोविंद की उम्मीदवारी पर नीतीश कुमार का कहना है कि –

रामनाथ जी ने बिहार के गवर्नर के रूप में काफी अच्छा काम किया है . बिना किसी भेदभाव के रामनाथ जी ने राज्य सरकार के साथ अच्छा काम किया है . समर्थन करना है या नही इस पर बात करने के लिए यह बहुत जल्दी होगी .

रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने पर मायावती का कहना है कि –

रामनाथ कोविंद एक दलित है इसलिए हम उनके नाम पर सकारात्मक है , लेकिन अगर विपक्ष कोई दूसरा दलित उम्मीदवार मैदान उतरता है तो हम विपक्ष के साथ जा सकते है .

ममता बनर्जी का कहना है कि

विपक्ष की मीटिंग 22 जून को होनी है . इसके बाद ही हम किसी निर्णय पर पहुंच सकते है .

वही  कम्युनिस्ट पार्टी की ओर से सीताराम येचुरी का कहना है कि ..

वहीं कांग्रेस की ओर से बोलते हुए ग़ुलाम नबी आजाद ने कहा कि हम इस फैसले ले ऊपर अभी कोई टिप्पणी नही करने वाले है . 22 जून को विपक्ष की बैठक के बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा.

चुनाव आयोग ने मोदी सरकार को लिखी चिट्ठी , आप और बसपा जैसे दलों पर कार्रवाई करने के मांगे अधिकार !

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उत्तरप्रदेश चुनाव में भाजपा की प्रचंड जीत के बाद से ही लगभग सभी दल ईवीएम के मुद्दे को जोरों से उठा रहे है . आम आदमी पार्टी और बसपा मोदी सरकार पर ईवीएम से छेड़छाड़ के आरोप लगा रहे है . इन आरोपों से परेशान होकर चुनाव आयोग ने सरकार को चिट्ठी लिखकर इन दलों पर कार्यवाही करने के अधीकार मांगे है .

 

दरअसल चुनाव आयोग ने सरकार से यह अधिकार मांगा है कि सुप्रीम कोर्ट और दूसरे न्यायालयों के तर्ज पर उसके पास भी अवमानना का अधिकार हो . इसमें आयोग को यह अधिकार देने की मांग है कि अगर उसके खिलाफ पक्षपात करने जैसी अपमानजनक टिप्पणियां हो तो उसे अवमानना के नोटिस जारी करने और कार्रवाई करने का अधिकार हो.

 

चुनाव आयोग का कहना है की वह एक संवैधानिक संस्था है जो देश में लोकसभा विधानसभा, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति जैसे महत्वपूर्ण पदों के चुनाव करने के लिए अधिकृत है. ऐसे में चुनाव आयोग को  उसकी अवमानना करने वालों पर कार्यवाही करने का अधीकार होना चाहिये .

Delhi MCD Polls 2017: बीजेपी आपने पर्चे में कर रही है हाथी (बसपा) का बटन दबाने की अपील।

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दिल्ली के नगर निगम चुनाव में इस बार हालात ऐसे बने हैं कि भाजपा को इस बार बसपा के लिए भी वोट मांगना पड़ रहा है। दिल्ली के लाडो सराय वार्ड में सुबह सुबह जब लोगों के घर में अखबार आया तो उसमें बीजेपी की ओर से डाली गई एक पर्ची में बड़ी अजीब अपील की गई थी। इस पर्ची में लिखा था कि इस इलाके से बीजेपी को जिताने के लिए बहुजन समाज पार्टी के चुनाव चिन्ह हाथी पर ईवीएम में बटन दबाएं। इस पर्ची में मतदाताओं को विस्तार से समझाया गया था कि कैसे इलाके की बीएसपी कैंडिडेट लता सोनी ने अपने पूरे परिवार के साथ बीजेपी ज्वाइन कर लिया था, लेकिन तब तक वो बीएसपी के टिकट पर नामांकन कर चुकी थी, और चुनाव आयोग के नियमों के मुताबिक एक बार नामाकंन दाखिल कर लेने के बाद चुनाव चिन्ह बदला नहीं जा सकता है। बीजेपी के ओर से बांटी गयी इस पर्ची में पार्टी ने लोगों से हाथी छाप निशान पर ईवीएम का बटकर दबाकर लोगों से बीजेपी कैंडिडेट को जिताने की अपील की गई है।
इस पर्ची में आगे लिखा है, ‘प्यारे दोस्तों जैसा कि आप सभी जानते हैं कि लाडो सराय (वार्ड नंबर 67) से बीजेपी ने मिस पिंकी को अपना कैंडिडेट घोषित किया था, लेकिन कुछ तकनीकी दिक्कतों की वजह से उनका नामांकन कैंसिल हो गया, अब बीजेपी ने इस क्षेत्र से बीएसपी कैंडिडेट लता सोनी (पूर्व एसबीआई अधिकारी) को सपोर्ट किया है। मिसेज लता सोनी उनके पूरे परिवार ने बीजेपी ज्वाइन कर लिया है लेकिन जैसा कि चुनाव आयोग का नियम कहता है कि अब उनका चुनाव चिन्ह बदला नहीं जा सकता है इसलिए आप सभी से विनम्र अनुरोध है कि आप इस इलाके से बीजेपी को जिताने के लिए हाथी के निशान पर बटन दबाएं।’ लता सोनी ने इस खबर की पुष्टि की है, उन्होंने कहा है कि मैं बीजेपी के समर्थन से चुनाव लड़ने वाली बीएसपी की कैंडिडेट हूं। उन्होंने इस बात से इनकार किया कि इससे मतदताओं में कोई भ्रम की स्थिति पैदा होगी।
बीजेपी के लिए ऐसे हालात सिर्फ लाडो सराय में ही नहीं बल्कि अबुल फज़ल एनक्लेव, विनोद नगर, बारापूला और किशनगंज में भी पैदा हो गये हैं। दरअसल इस बार चुनाव आयोग ने बीजेपी के 6 कैंडिडेट का पर्चा तकनीकी खामियों की वजह से रद्द कर दिया था। बीजेपी अब इन सीटों पर दूसरे दलों के उम्मीदवार या फिर निर्दलीय उम्मीदवारों को समर्थन कर रही है।

चुनाव आयोग और मोदी सरकार को पड़ी सुप्रीम कोर्ट से फटकार, दुबारा हो सकते है चुनाव !

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Newbuzzindia : ​पिछले दिनों गोवा, उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड और मणिपुर समेत पांचो राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के बाद से ही EVM मशीनों का मुद्दा चुनाव आयोग के लिए सिरदर्द बना हुआ है। दरअसल ईवीएम मशीनों में  VVPAT (वोटर वैरिफिकेशन पेपर आडिट ट्रे- पेपर स्लिप) के इस्तेमाल को लेकर चुनाव आयोग समेत केंद्र सरकार की दिक्कतें बढ़ गई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे को लेकर मोदी सरकार समेत आयोग को कटघरे में खड़ा कर 8 मई तक जवाब मांगा है।

सर्वोच्च न्यायालय ने चुनावों में वोटर वेरिएबल पेपर ट्रेल (वीवीपीएटी) के साथ इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के इस्तेमाल को लेकर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की ओर से दायर याचिका पर गुरुवार को केंद्र सरकार और निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी किया। बसपा ने अपनी याचिका में कहा है कि चुनावों में सर्वोच्च न्यायालय के 2013 के दिशानिर्देश के अनुरूप मतदान के लिए ईवीएम के साथ वीवीपीएटी का इस्तेमाल होना चाहिए।

न्यायमूर्ति जे.चेलामेश्वर और न्यायमूर्ति एस.अब्दुल नजीर की पीठ ने नोटिस जारी करते हुए कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी को भी अपने ‘इंटरवेंशन’ आवेदन दायर करने की अनुमति दी।

शीर्ष अदालत ने हालांकि वीवीपीएटी के बिना ईवीएम से हुए चुनावों को रद्द करने की याचिका खारिज कर दी।

इस मामले में वरिष्ठ वकील पी.चिदंबरम बसपा की ओर से शीर्ष अदालत में पेश हुए।

उन्होंने पीठ से कहा कि निर्वाचन आयोग के कई बार बताए जाने के बावजूद सरकार ने ईवीएम के साथ वीवीपीएटी लगाने के लिए धनराशि आवंटित नहीं की।

उन्होंने शीर्ष अदालत से यह भी कहा कि निर्वाचन आयोग ने इस मुद्दे पर सामान्य नियमों से परे हटकर सीधे प्रधानमंत्री को पत्र लिखा।

उन्होंने बताया कि ईवीएम के साथ वीवीपीएटी जोड़े जाने के लिए निर्वाचन आयोग को 3,000 करोड़ रुपये की जरूरत है, पर केंद्र सरकार यह धनराशि आवंटित नहीं कर रही है।

पीठ को यह भी बताया कि दक्षिण अमेरिका के एक देश को छोड़कर विश्व के किसी भी देश में मतदान के लिए ईवीएम का इस्तेमाल नहीं होता।

2019 का चुनाव जीतने के लिए मोदी कर सकते है पाकिस्तान से युद्ध: दिग्विजय सिंह

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कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बहुत गंभीर आरोप लगाया है। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2019 का आम चुनाव जीतने के लिए पाकिस्तान के साथ जंग भी करवा सकते हैं। बता दें कि भारत और पाकिस्तान के बीच हालात लगातार तनावपूर्ण बने हुए हैं। मोदी सरकार को भारत में 3 साल हो गए। इस दौरान ज्यादातर समय हालात तनावपूर्ण ही रहे।

जंग का माहौल बना रही सरकार
एक निजी आयोजन में शिरकत के लिए जोधपुर पहुंचे दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया कि देश को पाकिस्तान से जंग में झोंकने के लिए माहौल बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘बीजेपी सरकार लोगों से किए गए वायदों को पूरा नहीं कर रही है। इसलिए उसके पास चुनाव जीतने का दूसरा रास्ता नहीं बचा है। ऐसे हालात में मोदी सरकार पाकिस्तान के साथ जंग लड़ सकती है। 2019 के चुनाव से पहले इसी तरह का माहौल बनाया जा रहा है।
मायावती ने भी दिया था ऐसा बयान
पिछले साल अगस्त में बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने भी कुछ ऐसा ही आरोप लगाया था। आजमगढ़ में एक जनसभा के दौरान मायावती ने कहा था कि मोदी सरकार अपनी नाकामियों पर पर्दा डालने के लिए पाकिस्तान के साथ जंग लड़ सकती है।
EVM पर सनसनीखेज बयान
दिग्विजय सिंह यहीं नहीं रुके। उन्होंने चुनाव आयोग के इस दावे पर भी सवाल उठाए की EVM से छेड़छाड़ मुमकिन नहीं है। उन्होंने दावा किया कि उनसे एक ऐसा शख्स मिला था, जिसने 2 करोड़ रुपये के एवज में एक विधानसभा चुनाव के नतीजे बदलने की पेशकश की थी। इससे पहले कई कांग्रेसी नेताओं के साथ बीएसपी, समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी भी EVM पर सवाल उठा चुके हैं।

चुनाव परिणाम से पहले जानें सट्टा बाजार में किस पार्टी पर लगा कितना पैसा !

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Newbuzzindia: पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के ऐग्जिट पोल्स आ चुके हैं और परिणाम आने में ज्यादा वक्त नहीं रह गया है। दिग्गजों ने चुनावी मैदान मार लेने में कोई कसर बाकी नहीं रखी। सरकार बनाने को लेकर हर किसी के अपने दावे हैं। राजनीति के पंडित अपने-अपने अनुभव के आधार पर अनुमान लगा रहे हैं, लेकिन सटोरिए इन सब पर भारी हैं। सट्टा मार्केट में शुरुआती दौर में पीछे रहने वाली बीजेपी ने बढ़त ली है, तो साइकल गठबंधन पीछे-पीछे है। हाथी का सही से खड़ा भी न हो पाना चौंकाता है। देखें: सभी के सभी EXIT POLLS एक जगह खूब चली दुकानें चुनाव भले पांच राज्यों में हो पर पूरे देश की निगाह ‘यूपी दौड़’ पर है।

जनवरी में घोषणा होने के दिन से ही सियासी दल और उम्मीदवार सक्रिय हुए तो आईपीएल के अलावा सटोरियों और बुकियों को एक और मौका मिल गया। देखते-देखते दिल्ली से लेकर मुंबई और राजस्थान तक के सटोरिए दुकान खोल बैठे। नोटबंदी के चलते भले ही अर्थव्यवस्था लड़खड़ाने का अनुमान लगाया जा रहा हो पर सट्टा बाजार पर इससे अछूता है। चुनावी रण के हर दिन और हर इलाके का सटीक हिसाब-किताब पार्टियों के मैनेजरों से ज्यादा सट्टा बाजार में उपलब्ध रहा है।
भाव चढ़ता-गिरता रहा सूत्रों के मुताबिक पूर्वांचल के सट्टा बाजारों में चुनाव के पहले चरण के नामांकन तक 210 से 215 सीटों के साथ एसपी -कांग्रेस गठबंधन को पूर्ण बहुमत के दावे किए जा रहे थे। वोटिंग का दौर आया तो हर चरण में बीजेपी समेत गठबंधन और बीएसपी का भाव विदेशी बाजार में क्रूड ऑयल की तरह गिरता-चढ़ता रहा। अंतिम दौर में सट्टा बाजार में ‘कमल’ ब्रैंड का जोर दिखा। तीसरे राउंड तक पीछे रहने वाली बीजेपी को गुरुवार को खुले नए भाव में 188 से 190 और एसपी गठबंधन को 125 से 130 तक सीटें मिलने की संभावना पर बनारस में ही 25 करोड़ से ज्यादा का सट्टा लगा है।

बीएसपी को सट्टेबाजों ने शुरुआती दौर से ही अंडर एस्टिमेट किया। बीएसपी के लिए कभी सौ से ज्यादा का भाव खुला ही नहीं और अंतिम दौर में 80 पर टिका तो टिक ही गया। हालांकि राजनीति के जानकार इससे इत्तेफाक नहीं रखते हैं। इनकी मानें तो बीएसपी दलित-मुस्लिम वोटों की गठरी से ‘साइलेंट किलर’ के रूप में सामने आ सकती है। ऐसे होती है कमाई चाहे आईपीएल हो या फिर चुनावी सट्टा।

भाव खोलने वाला हो या फिर दाम लगाने वाला, सबकुछ ‘जुबानी जमा-खर्च’ के भरोसे। धंधे में ईमानदारी 24 कैरेट की। फोन से लाखों की कमाई या फिर घर से ‘लक्ष्मी’ का जाना तय मानिए। दांव भी ‘यस’ और ‘नो’ में। बीजेपी की 188 सीट पर ‘नो’ का मतलब हुआ यदि 188 सीट आ गई तो रकम डूब गई और 187 आने पर जेब गरम। 190 पर ‘यस’ के दांव का मतलब हुआ अगर इतनी सीट आई तो दांव लगाने वाले को सट्टे की पूरी रकम मिलना तय है। कुछ सटोरियों ने पांच सीट की जाबिंग भी चलाई।
लोकल मार्केट भी तेज बनारस शहर की तीनों, खासकर दक्षिणी सीट के परिणाम को लेकर भी सट्टा मार्केट के अलावा लोकल लोगों में शर्त खूब लगी हैं। जहां कहीं जुटान हुई, सौ-हजार से लेकर लाख रुपये तक की बाजी लगाने में कोई पीछे नहीं रहा है। रईसों के एक क्लब में तो शहर दक्षिणी में बीजेपी की हार-जीत पर लाख की बाजी लगाने वाले एक-दो नहीं, दर्जनों में हैं। कैंट व उत्तरी विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी की हार पर दांव लगाने वालों की कमी नहीं है।
सट्टा मार्केट से चिंता चुनाव के हर चरण में वोटों की बारिश के बावजूद सट्टा मार्केट में बीजेपी की सीटें 190 से आगे न बढ़ने पर बीजेपी नेताओं के चेहरे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं। एक बड़े नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि हम तो 220 से 230 सीटें मानकर चल रहे हैं, लेकिन सट्टा मार्केट है कि अधर में लटकाए हुए है। गोवा में सट्टेबाजी का ‘फॉर्म्युला’ इसी तरह गोवा के सट्टा बाजार में भी बीजेपी की ‘हवा’ है।
यहां सटोरियों को बीजेपी के खाते में 19-21 सीटें आती दिख रही हैं। एक सूत्र ने हमारे सहयोगी अखबार टीओआई को बताया, ‘गुणा-भाग बिल्कुल सिंपल है। या तो आप इस पर शर्त लगा सकते हैं कि बीजेपी 19 से कम सीटें जीत रही है या इस पर कि बीजेपी के खाते में 21 से ज्यादा सीटें आ रही हैं।’

अखिलेश यादव ने  बताया पीएम मोदी का सबसे बड़ा कारनामा !

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Newbuzzindia : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ‘काम नहीं, कारनामें बोलते हैं’ के सवाल पर घेरने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जवाब देते हुए कहा कि कोई काम ना करना ही मोदी का सबसे बड़ा कारनामा है। अखिलेश ने नगरा क्षेत्र में सपा प्रत्याशियों के समर्थन में आयोजित जनसभा में कहा कि मोदी जी हमारे कारनामे बताते हैं लेकिन उन्होंने अपने काम का अब तक कोई हिसाब-किताब नहीं दिया। मोदी विकास पर बहस करने से भाग रहे हैं। दरअसल कोई काम ना करना ही मोदी का सबसे बड़ा कारनामा है। अगर वह हमारे कारनामे को देखना चाहते हैं तो आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर आइये, जो हमने बनाया है।
पीएम पर जमकर साधा निशाना

सपा अध्यक्ष ने कहा कि प्रदेश में बिजली आपूर्ति में भेदभाव का आरोप लगाने वाले प्रधानमंत्री ने अपने संसदीय निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी में 24 घंटे बिजली आने को लेकर अब तक गंगा मैया की कसम नहीं खाई है। इसका मतलब है कि वह इस सवाल पर लड़ाई नहीं लड़ पा रहे हैं। उन्होंने मोदी को ‘प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना’ की व्यावहारिकता के मामले पर घेरते हुए कहा कि मोदी अपनी हर सभा में कह रहे हैं कि उन्होंने गरीब महिलाआें को रसोई गैस सिलेंडर और चूल्हा दिया है। यह सच है, लेकिन गरीबों ने सिलेंडर और चूल्हा इस्तेमाल करने की बजाय अलमारी में रख लिया है, यह सोचकर कि जब बेटी की या घर में किसी और की शादी होगी तो दहेज में दे देंगे।अखिलेश ने कहा कि सवाल यह है कि आपने बहुत गैस चूल्हा दे दिया, मगर बताइए कि सिलेंडर की कीमत लगातार क्यों बढ़ा रहे हैं, और आप गरीबों को कितने मुफ्त सिलेंडर देंगे। अगर गरीबों को कभी सिलेंडर की जरूरत पड़ गई तो बताआे, क्या दोगे।
मायावती ने जीते-जी लगवा ली अपनी पत्थर की मूर्ति

अखिलेश ने मोदी पर हमले जारी रखते हुए कहा कि प्रधानमंत्री जी ने गोंडा में कहा कि उत्तर प्रदेश में परीक्षाआें में बहुत नकल हो रही है। हमने पूछा कि सबसे बड़ा नकल वाला माफिया तो आपके मंच पर बैठा है। जब अमेरिका के राष्ट्रपति आए थे तो नकल करके सूट बनवाया था। आप बताआे किसकी नकल की थी। सपा अध्यक्ष ने बसपा मुखिया मायावती पर भी प्रहार करते हुए कहा कि पत्थर वाली सरकार की नेता जब लिखा हुआ भाषण पढ़ती हैं तो कुर्सियों पर बैठी जनता सो जाती है। मायावती अब कह रही हैं कि वह स्मारक नहीं बनवाएंगी, मगर उन पर कौन भरोसा करेगा। उन्होंने तो अपने जीते-जी अपनी पत्थर की मूर्ति लगवा ली। अपनी नाक, कान, मुंह पत्थर का कर लिया, नकदी वाला बैग भी पत्थर कर कर लिया। वैसे तो कहने को वह हमारी बुआ हैं, लेकिन भाजपा से कब मिल जाएं और रक्षाबंधन मना लें, यह पता नहीं।
सड़कें बनाई हैं तो समाजवादी सरकार ने ही

अखिलेश ने बलिया समेत पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा सड़कें बनाने का दावा करते हुए कहा कि हमारी मत मानो, आप सरकारी आंकड़े निकाल लो, अगर किसी ने सड़कें बनाई हैं तो समाजवादी सरकार ने ही बनाई हैं। यह अलग बात है कि ठेका कोई पा ले, हमारी मुश्किल तो यह है कि जिन्होंने ठेका पाया उन्हीं से हमारे प्रत्याशी को लड़ना पड़ रहा है। उन्होंने किसी का नाम लिए बगैर कहा कि ठेका दिलाने वाले अब चले गए। अब तो उनकी जोड़ी बन गई होगी। सोचो बुआ के यहां गए होंगे तो उन्होंने घुटनों के बल बैठाया ही होगा, रेंगते हुए गए होंगे। हमने तो सुना है कि जो उनके दल से निकलकर आता है, वह बताता है कि बुआजी बिना नकदी लिए टिकट नहीं देतीं हैं। जिन्होंने कमाया, जिन्होंने दिलाया, वो खर्चा करके हमारी बुआ के यहां चले गए। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री का यह तंज सपा के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए गए अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव की तरफ था, क्योंकि बसपा मुखिया मायावती अपनी हर रैली में उनके प्रति हमदर्दी जताई पाई जाती हैं।

जानें “वैलेंटाइन डे” पर बसपा सुप्रीमो मायावती का क्या है प्लान ?

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Newbuzzindia :  वैलेंटाइन डे प्यार का त्यौहार है । भारत में इस त्यौहार को जोरों शोरों से मनाया जाता है । पाकिस्तान की तरह भारत में वैलेंटाइन डे पर बैन नही लगाया गया है । हालाँकि बजरंग दल जैसे कुछ दल इसका विरोध जरूर करते रहते है । ऐसे चुनाव के माहौल में अगर कोई आपको बसपा सुप्रीमो मायावती के वैलेंटाइन डे के प्लान के बारे में बताए तो कौन नही जानता चाहेगा ।

जी हां आपने सही सुना । यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का वेलेंटाइन डे प्लान । दरअसल वैलेंटाइन डे यानि 14 फरवरी को मायावती  उत्तर प्रदेश में चुनावी अभियान के तहत कल दिनांक 14 फरवरी (दिन मंगलवार) को कानपुर व लखनऊ ज़िले में चुनावी जनसभा को सम्बोधित करेंगी।

 

इस कार्यक्रम के तहत मायावती की पहली चुनावी जनसभा कानपुर ज़िला में रामसहाय इण्टर कालेज मैदान बैरी शिवराजपुर के सामने खेल का मैदान में आयोजित होगी व दूसरी चुनावी जनसभा लखनऊ जिले के ई1-कॉम-1, सीतापुर रोड, दुबग्गा बाईपास, आम्रपाली योजना में आयोजित होगी।

 


इसके अगले दिन अर्थात् दिनांक 15 फरवरी 2017 को बीएसपी सुप्रीमो द्वारा उत्तर प्रदेश के रायबरेली व बाराबंकी जिले में जनसभा को सम्बोधित करने का कार्यक्रम निर्धारित है।
    

उत्तर प्रदेश में बीएसपी उत्तर प्रदेश विधान सभा की सभी 403 सीटों पर अपनी पूरी दमदारी व तैयारी के साथ अकेले अपने बलबूते सरकार बनाने के लिये चुनाव लड़ रही है।

 

मायावती उत्तर प्रदेश में बीएसपी उम्मीदवारों के समर्थन में अब तक मेरठ, अलीगढ़, बुलन्दशहर, हाथरस, मुजफ्फरनगर, एटा, बरेली, फिरोजाबाद, फर्रूखाबाद, आगरा, गाजियाबाद सम्भल, बदायूँ, शाहजहाँपुर, मुरादाबाद, लखीमपुरखीरी, सहारनपुर, बिजनौर, सीतापुर व हरदोई जिले में चुनावी जनसभा को सम्बोधित कर चुकी हैं।

मनमोहन सिंह पर अभद्र  भाषा का इस्तेमाल करने पर Twitter में लोगों ने पीएम मोदी को बताया जाहिल ! #JaahilPMModi किया ट्रेंड

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Newbuzzindia : राज्यसभा में आज बहुत कुछ हुआ । एक ओर तो प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का मजाक उड़ाते हुए कहा कि ” रेनकोट पहनकर बाथरूम में नहाना कोई मनमोहन सिंह से सीखे” वहीं दूसरी ओर पीएम मोदी के भाषण के दौरान रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर पर नींद की सर्जिकल स्ट्राइक देखने को मिली । प्रधानमंत्री राज्यसभा में भाषण दे रहे थे और उनके पीछे बैठे रक्षामंत्री नींद की झपकियां ले रहे थे ।
पीएम मोदी की मनमोहन सिंह पर की गई इस टिपण्णी के बाद कांग्रेस ने पीएम को बायकॉट करने का ऐलान किया है । वहीं Twitter पर भी जानता ने पीएम मोदी को जमकर लताड़ा । Twitter पर लोगों ने पीएम मोदी को जाहिल बताते हुए #JaahilPMModi के साथ ढेरों ट्वीट किए । 

#JaahilPMModi twitter पर रात तक टॉप पे ट्रेंड किया । यह रहे कुछ मुख्य tweets…


https://twitter.com/i_me_my5elf/status/829322395957723137