Monday, June 5, 2023
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गहलोत-पायलट की खड़गे-राहुल के साथ 4 घंटे लंबी बैठक, साथ मिलकर लड़ेंगे चुनाव

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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खर्गे के नई दिल्ली स्थित आवास में हुई महत्वपूर्ण बैठक में एकजुटता दिखाते हुए  साथ मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया। 

यह लंबी अवधि के बाद पहली बार था जब गहलोत और पायलट एक-दूसरे के सामने इलती लंबी मीटिंग में एक साथ शामिल हुए। यह महत्वपूर्ण बैठक चार घंटे से अधिक चली और इसमें अशोक गहलोत, सचिन पायलट, मल्लिकार्जुन खर्गे, राहुल गांधी, एआईसीसी के महासचिव केसी वेनुगोपाल और राजस्थान के पार्टी नेता जितेन्द्र सिंह मौजूद थे।

“हमने तय किया है कि हम मिलकर चुनाव लड़ेंगे। निश्चित रूप से, हम राजस्थान में चुनाव जीतेंगे। अशोक गहलोत और सचिन पायलट ने इस प्रस्ताव के साथ एकमत हो गए हैं,” बैठक के बाद केसी वेनुगोपाल ने कहा।

बता दें कि पायलट ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कार्यकाल में हुए कथित घोटालों की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। उन्होंने पार्टी की चेतावनी के खिलाफ जाते हुए गहलोत के खिलाफ एक दिन के अनशन किया था। 

राजस्थान में 3 मई तक लगा लॉकडाउन लागू, जानें क्या खुलेगा और क्या रहेगा बंद

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राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने बढ़ते कोरोना संक्रमण के मामलों को देखते हुए 19 अप्रैल से 3 मई तक के लिए लॉकडाउन लगाने की घोषणा की है। सरकार ने इस लॉकडाउन को ‘जन अनुशासन पखवाड़ा’ नाम दिया है।

चालू रहेगी जरूरी सेवाए

सरकार ने स्पष्ट किया है कि अत्यावश्यक चीजों में आने वाली चीजों को हमेशा की तरह छूट मिलेगी।

इस कारण करना पड़ा 14 दिन बन्द

राजस्थान में कोरोना संक्रमण लगातार बढ़ रहा है सरकार के आंकड़े इसकी गवाही देते हैं। सरकार चाहती है कि संक्रमण की इस चैन को लॉकडाउन के माध्यम से तोड़ दिया जाए जिससे स्थिति अभी जहाँ है वही खत्म हो जाये।

19 अप्रैल से 03 मई तक लॉकडाउन लगाने का उद्देश्य सिर्फ लोगों की सुरक्षा करना है। इस दौरान, जरूरी सेवाओं को छोड़ सभी सरकारी दफ्तर बंद रहेंगे। बाजार, मॉल, सिनेमाघर और रेस्तरां बंद रहेंगे।होम डिलीवरी के लिए छूट रहेगी। मजदूरों का पलायन रोकने में लिए कंस्ट्रक्शन वर्क जारी रहेगा। इंडस्ट्रीज को भी लाकडाउन से छूट दी गई है।

आपको बता दें कि रविवार शाम मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में मंत्रियों ने राजस्थान में लॉकडाउन लगाने का सुझाव दिया था। जिसके बाद यह फैसला लिया गया।

राजस्थान: अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार को विधानसभा में मिला विश्वासमत

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Ashok Gehlot Victory
Ashok Gehlot Victory

लगभग 1 महीने चले राजनैतिक ड्रामे के बाद आज हुई हुए विधानसभा सत्र में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस ने विधानसभा के अंदर बहुत साबित ककरते हुए विश्वास मत हासिल कर लिया है।

sachin pilot talking to media
पहले मैं सरकार का हिस्सा था लेकिन अब मैं नहीं हूं। यह महत्वपूर्ण नहीं है कि कोई कहां बैठता है, लेकिन लोगों के दिल और दिमाग में क्या है। जहाँ तक बैठने के पैटर्न पर विचार किया जाता है, यह स्पीकर और पार्टी द्वारा तय किया जाता है और मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता: सचिन पायलट

हो गई सुलह, राष्ट्रीय स्तर पर सचिन पायलट को मिलेगी बड़ी जिम्मेदारी

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राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री और हाल ही में पार्टी से बागी हुए सचिन पायलट की आज राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से हुई मुलाकात के बाद घर वापसी की राह दिख रही है। मीडिया में चल रही खबरों के अनुसार, मुलाकात में सचिन पायलट को राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी देने पर सहमति बनी है।

हालांकि कुछ समय बाद सचिन एक बार फिर राजस्थान में सक्रिय हो सकेंगे। आज हुई मुलाकात के बाद राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार के ऊपर से खतरा फिलहाल टल चुका है।

हालांकि अभी तक इस बारे में कोई अधिकारिक घोषणा पार्टी की तरफ से नही की गई है।

वहीं समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार सकचिन पायलट खेमे के विधायक भावन शर्मा ने भी आज मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात की है।

दिल्ली में राहुल और प्रियंका से हुई सचिन पायलट की मुलाकात, टल सकता है सरकार पर से खतरा

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rahul gandhi with sachin pilot
rahul gandhi with sachin pilot

आज सुबह से ही राजस्थान में सियासी हलचल तेज है। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट कुछ अन्य बागी विधायकों के साथ कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के साथ मुलाकात करने वाले हैं।

मीडिया में जारी खबरों के अनुसार इस मुलाकात में पायलट और पार्टी के बीच उपजी कड़वाहट को मिटाने की कोशिश की जाएगी। सूत्रों के अनुसार कुछ दिनों पहले एनसीआर में प्रियंका गांधी और सचिन पायलट के बीच मुलाकात हुई थी। जिसके बाद यह तय हो पाया है। प्रियंका और सचिन की मुलाकात के बाद कई स्तरों पर बातचीत भी हो चुकी है।

ताजा घटनाक्रम विधानसभा सत्र बुलाए जाने के पांच दिन पहले हुआ है। जहां अशोक गहलोत अपना बहुमत साबित करने का दावा कर रहे हैं और अपने विरोधियों पर बीजेपी के साथ मिलकर सरकार गिराने के प्रयास का आरोप लगाया था।


वहीं इस जानकारी के उलट पायलट खेमा अपनी पुरानी बात पर अड़ा हुआ नजर आ रहा है। कांग्रेस की कामयाबी के दावे को खारिज करते हुए पायलट खेमे का कहना है कि हमारा मुख्य मुद्दा अभी भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पद से हटाना ही है।

राजस्थान में चल रहे राजनैतिक खरीद-फरोख्त के तमाशे को बंद करे प्रधानमंत्री मोदी: गहलोत

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राजस्थान के मुख्यमंत्री प्रदेश में चल रही राजनैतिक उठापठक को लेकर लगातार केंद्र सरकार और बीजेपी नेतृत्व पर हमला बोल रहे है। इसी सिलसिले में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आज फिर मीडिया से चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री मोदी पर हमला बोला है।

अशोक गहलोत ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री मोदी को राजस्थान में चल रही विधायकों की खरीद फरोख्त को बंद करना चाहिए। इस तमाशे को जल्द से जल्द बंद करना चाहिए। यहां विधायकों की खरीद दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। यह सब क्या तमाशा है ?

गजेंद्र सिंह शेखावत दें इस्तीफा: गहलोत

प्रधानमंत्री मोदी के बाद मुख्यमंत्री गहलोत ने केंद्र मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत पर हमला बोलते हुए कहा कि संजीविनी कोऑपरेटिव सोसायटी घोटाले में उनका नाम आया है। उन्हें नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देना चाहिए।

बसपा विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने पर आपत्ती जताने वालों पर सीएम गहलोत का पलटवार

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6 बसपा विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने पर आपत्ती जताने वालों पर सीएम गहलोत ने पलटवार किया है। ट्विटर के माध्यम से गहलोत ने कहा कि, गोवा में BJP ने कांग्रेस के 15 में से 10 MLAs दो तिहाई के आधार पर ले लिए। TDP के 4 के 4 MPs का राज्यसभा के अंदर BJP में मर्जर हो गया। राजस्थान में BSP के 6 के 6 MLAs पूरी पार्टी कांग्रेस के अंदर मर्जर कर गयी है। जब BJP मर्जर करवा रही है तो यहां मर्जर गलत कैसे है? इसको क्या कहोगे?

बता दें कि राजस्थान के 6 बसपा विधायकों ने 9 महीने पहले कांग्रेस का दामन थाम लिया था। जिसके बाद अब बसपा और बीजेपी इस मुद्दे पर कांग्रेस पर हमला बोल रहे हैं।

बसपा विधायकों का मायावती को झटका, बोले हम कांग्रेस और अशोक गहलोत के साथ

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राजस्थान में कांग्रेस का राजनैतिक संकट अब भी बना हुआ है लेकिन बसपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए 6 विधायकों की ओर से कांग्रेस को कुछ राहत जरूर मिली है। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती को उनकी ही पार्टी के विधायकों से बड़ा झटका लगा है। राजस्थान BSP के विधायकों ने साफ कर दिया कि वो कांग्रेस के साथ हैं।

दरअसल आज सुबह खबर आयी कि BSP ने अपने विधायकों को लेकर एक व्हिप जारी किया है, जिससे कांग्रेस के लिए संकट की स्थिति बन सकती थी, लेकिन बाद में राजस्थान BSP विधायकों ने साफ कर दिया कि वो कांग्रेस के साथ हैं। यहां तक कह दिया कि वो अब कांग्रेस में हैं, क्योंकि राजस्थान के सभी 6 BSP विधायकों का कांग्रेस में पहले ही विलय हो चुका है। विधायकों ने BSP प्रमुख मायावती पर भी आरोप लगाया कि उन्हें अब उनकी याद आ रही है।

राजस्थान BSP विधायक लखन सिंह ने कहा, हम पहले ही 6 के 6 विधायक कांग्रेस में विलय कर चुके हैं। 9 महीने के बाद अब BSP को याद आई है। लखन सिंह ने भाजपा भी पर निशाना साधा और कहा, ये BSP नहीं, BJP के कहने से मैनेज किया हथकंडा है। उसी आधार पर ये व्हिप जारी किया गया है उसी आधार पर ये कोर्ट जा रहे हैं। उन्होंने नोटिस भेजे जाने पर कहा, हमें मीडिया से पता चला है कि उन्होंने (BSP) कोई नोटिस भी दिया है पर हमें कोई नोटिस नहीं मिला है। हम कांग्रेस के साथ हैं चाहे कोई भी परिस्थिति आए।

इधर राजस्थान हाईकोर्ट से इसी मुद्दे पर भाजपा को भी बड़ा झटका लगा है। राजस्थान उच्च न्यायालय ने बसपा के छह विधायकों का कांग्रेस के साथ विलय किये जान के खिलाफ भाजपा विधायक मदन दिलावर की याचिका को खारिज कर दिया।

गौरतलब हो आज राजस्थान में भाजपा विधायक मदन दिलावर विधानसभा अध्यक्ष के फैसले की प्रति पाने की मांग को लेकर सोमवार को विधानसभा सचिवालय में कुछ देर के लिए धरने पर बैठे। भाजपा विधायक एवं पूर्व मंत्री मदन दिलावर ने राज्य में बसपा के छह विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने पर आपत्ति जताते हुए इन विधायकों को अयोग्य ठहराने की याचिका विधानसभा अध्यक्ष सी पी जोशी को दी थी। दिलावर के अनुसार, अध्यक्ष ने उनकी याचिका का निस्तारण कर दिया, लेकिन उन्हें उसकी प्रति नहीं मिली।

हार की जिम्मेदारी लेते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कमलनाथ ने दिया इस्तीफा, राहुल गांधी के साथ कि बैठक

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लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद एक और राहुल गांधी राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे चुके और पार्टी नए अध्यक्ष की तलाश कर रही है। तो वहीं दूसरी ओर पार्टी के कई वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता भी राहुल गांधी के समर्थन में इस्तीफा दे रहे है।

ज्ञात हो कि हरियाणा में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ हुई बैठक में राहुल गांधी ने कहा था की चुनाव के बाद आए नतीजों के बाद हार की जिम्मेदारी लेते हुए किसी भी महासचिव या प्रदेश अध्यक्ष ने इस्तीफा नही दिया। जिसके बाद कांग्रेस के लगभग 200 से ज्यादा नेता इस्तीफा दे चुके है।

इसी बीच अब बड़ी खबर आई है कि हार की जिम्मेदारी लेते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी अपने इस्तीफे राहुल गांधी के समक्ष रख दिये है। हालांकि अभी तक उनके इस्तीफे को मंजूर नही किया गया है।

आज पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ हुई बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए अशोक गहलोत ने कहा कि “राहुल जी के साथ हुई बैठक में मैंने और कमलनाथ जी ने हार की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देने की पेशकश की। इस्तीफे नतीजे घोषित होने वाले दिन ही दे दिए गए थे। मुख्यमंत्रियों को हार की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देना चाहिए, बाकी फैसला पार्टी हाईकमान को करना है।”

राजस्थान विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस की बड़ी जीत, छुआ 100 का आंकड़ा

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राजस्थान के रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस की शाफिया जुबैर खां ने जोरदार प्रदर्शन करते हुए 12,228 वोटों से जीत हासिल कर ली है। इस जीत के साथ राजस्थान के विधानसभा में कांग्रेस के पास बहुमत के जादुई आंकड़े से महज एक सीट कम रह गई है। अभी तक कांग्रेस के पास 99 सीटें थीं जबकि सहयोगी आरएलडी के साथ एक सीट मिलाकर कांग्रेस ने यहां सरकार बनाई थी। इस जीत के बाद कांग्रेस के पास अब कांग्रेस के पास 100 सीटें हैं।
इस लिहाज से कांग्रेस के लिए रामगढ़ विधानसभा सीट शुरू से ही अहम मानी जा रही थी। यह जीत मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए भी खास है। वह अपनी पहली परीक्षा में पास हो गए हैं। अशोक गहलोत ने जीत पर कहा, ‘मैं खुश हूं कि लोगों ने सोच-विचारकर कदम उठाया है। उन्होंने सही फैसला किया है। मैं उन्हें धन्यवाद देता हूं और उनके प्रति आभार व्यक्त करता हूं। उन्होंने ऐसे समय में संदेश दिया है जब इसकी जरूरत थी। यह पार्टी को लोकसभा चुनाव के लिए प्रोत्साहित करेगा।’


इस सीट पर विधानसभा चुनाव के पहले बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के उम्मीदवार प्रत्याशी लक्ष्मण सिंह के निधन के कारण चुनाव स्थगित कर दिए गए थे। रामगढ़ में कांग्रेस ने शाफिया जुबैर खां पर भरोसा जताया था, वहीं बीजेपी ने सुखवंत सिंह और बीएसपी ने जगत सिंह को मैदान में उतारा था। रामगढ़ में दूसरे नंबर पर बीजेपी रही। सुखवंत सिंह को 71,083 वोट मिले। लोकसभा चुनाव से पहले हुए इस आखिरी उपचुनाव को काफी अहम माना जा रहा था क्योंकि पिछले लोकसभा चुनाव में राजस्थान में बीजेपी को क्लीन स्वीप मिली थी।

10 बार कांग्रेस यहां से जीत चुकी है


कांग्रेस का मानना है कि इस मामले में बीजेपी और उसके स्थानीय नेता ज्ञानदेव आहूजा की काफी किरकरी हुई थी जो बीजेपी की हार की मुख्य वजह रही। जीत के बाद कांग्रेस की प्रत्याशी शाफिया खां ने मीडिया से कहा कि ध्रुवीकरण की राजनीति के चलते ही बीजेपी को यहां हार मिली है। उन्होंने कहा कि रकबर खान की हत्या के मामले में रामगढ़ को काफी बदनाम किया गया था। उन्होंने कहा, ‘लोगों को पता है कि हम काम करने में यकीन करते हैं।’

बीएसपी ने लगाई वोटों में सेंध


रामगढ़ में इस बार कांग्रेस, बीजेपी के साथ बीएसपी के प्रत्याशी के बीच भी मुकाबला था। बीएसपी के वजह से कांग्रेस को कुछ वोटों का नुकसान भी उठाना पड़ा। कांग्रेस का मानना है कि उनका वोटबैंक दलित भी है इस वजह से बीएसपी ने उनके वोटों पर सेंध लगाने का काम किया है वरना जीत का आंकड़ा और अधिक होता।

कांग्रेस का हौसला बुलंद


रामगढ़ में पलड़ा कांग्रेस का ही भारी रहा है। यहां अब तक 14 विधानसभा चुनावों में 10 बार कांग्रेस और 4 बार बीजेपी जीती है। बीजेपी के ज्ञानदेव आहूजा यहां से तीन बार विधायक रह चुके हैं। वहीं शाफिया के पति जुबैर खां भी इस सीट से 3 बार विधायक रह चुके हैं। रामगढ़ की इस जीत से अब आने वाले लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस का हौसला और मजबूत हो गया है। अब कांग्रेस की निगाहें राज्य की 25 लोकसभा सीटों पर है।

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