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भोपाल में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सवालों से भागे संबित पात्रा

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मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के सिलसिले में राजधानी भोपाल पहुंचे बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने भोपाल स्थित नेशनल हेराल्ड की बिल्डिंग के सामने प्रेस कांफ्रेंस की. प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और सोनिया गांधी पर जमकर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि, ‘हमारे पास गांधी परिवार की सच्चाई सामने लाने के लिए पर्याप्त सबूत हैं. मध्यप्रदेश के लोगों को गांधी परिवार का असली चेहरा देखना चाहिए.’

राहुल गांधी और सोनिया गांधी जमानत पर हैं बाहर

कॉन्फ्रेंस में पात्रा ने आगे कहा कि, ‘नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया गांधी और राहुल गांधी दोनों ही 50,000 के मुचलके पर बाहर घूम रहें है. यह दोनों ही जेल से कुछ कदम दूर हैं.’ वहीं प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ही कांग्रेस नेता जेपी धनोपिया ने जमकर हंगामा किया. उन्होंने बीजेपी पर आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगाया. उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी सड़क किनारे निजी जमीन पर प्रेसवार्ता कर रही है.

पत्रकारों के सवालों से भागते दिखे पात्रा

प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद सवाल-जवाब के लिए भी समय दिया गया था. लेकिन जब पत्रकारों ने सवाल पूछना शुरू किया तो पात्रा ने चुनिंदा सवालों का ही जवाब दिया. बाकी सवालों से भागते नजर आये. बता दें कि संबित पात्रा नेशनल हेराल्ड मामले पर भोपाल एम.पी नगर स्थित विशाल मेगा मार्ट के सामने ये प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे.

40 दिन 40 सवाल: कमल नाथ ने आठवें सवाल में पूछा, ‘शहरों को सपने बेचे हज़ार, मगर उम्मीदों को क्यों किया तार -तार ?’

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सोशल मीडिया के जरिये 40 दिन 40 सवाल अभियान के तहत कांग्रेस मध्य प्रदेश अध्यक्ष कमल नाथ ने मोदी सरकार और शिवराज सरकार से आठवां सवाल पूछा है. कमल नाथ ने अपने आठवें सवाल में शहर को विकास बनाने को लेकर झूठे भाषण पर तंज कसा है. उन्होंने केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय,पिनाकी मिश्रा कमेटी रिपोर्ट के सोर्स का हवाला देते हुए एक के बाद एक 8 ट्वीट्स के जरिये सवाल पूछा है.

आठवां सवाल-

मोदी और मामा ने कहा,”मिलेगा शहरी विकास का मौका”,
मगर ऊँट के मुँह में जीरा झोंका।
मामा, शहरों को सपने बेचे हज़ार, मगर उम्मीदों को क्यों किया तार -तार ?

1) अमृत ( AMRUT ) -25-6-2015 को लॉन्च किया गया।
2015 से 2018-
प्रोजेक्ट स्वीकृत 6200.62 करोड़, भेजे सिर्फ़ 528.31 करोड़, मामा ने ख़र्च किये सिर्फ़ 389.75 करोड़ ।
वर्ष 2015-16 – (134 cr ),2016-17-(172cr) ,2017-18(211.61cr)

2) स्मार्ट सिटी -25-6-2015 को लॉन्च किया।
मध्यप्रदेश की योजना के लिए स्वीकृत किये 12,685 करोड़, केंद्र से जारी किए मात्र1020 करोड़।
2015-16 में जारी किए -386करोड़ , 2016-17में जारी किए 394करोड़ 2017-18 में जारी किए मात्र 240 करोड़।

3) स्वच्छ भारत का पीटा सिर्फ़ ढिंढोरा। मध्यप्रदेश में कुल ख़र्च किए सिर्फ 721- करोड़।
वर्ष 2015-16 में 135.80करोड़ ,वर्ष 2016-17 में 270 करोड़ वर्ष 2017-18 में मात्र 293 करोड़।

4) प्रधानमंत्री आवास योजना –
केंद्र ने स्वीकृत किये 7007.38करोड़, केंद्र ने भेजे 1488.64 करोड़ ,घर बनने थे -4लाख 59हजार 395, घर पूरे हुए –33 हजार765 ।

5)मोदी-मामा एक समान,
भाषणों के अलावा दूजा नहीं काम।
ख़ुद मोदी सरकार की पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी की रिपोर्ट कहती है कि मोदी सरकार ने शहरी विकास के उनके ड्रीम प्रोजेक्ट में अब तक मात्र 21.6% राशि ही ख़र्च की है ।

अमृत(AMRUT) -में राशि खर्च मात्र – 28%
हृदय (HRIDAY)-में राशि खर्च मात्र – 13.58%
स्मार्ट सिटी -में तो राशि ख़र्च मात्र – 1.38%
स्वच्छ भारत -में राशि खर्च मात्र – 38.01%
पीएम आवास योजना -में राशि खर्च मात्र-20.78%

40 दिन 40 सवाल-

“मोदी सरकार के मुँह से जानिए,
मामा सरकार की बदहाली का हाल।”
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दतिया में नरोत्तम मिश्रा के खिलाफ कांग्रेस को नहीं मिल रहा दमदार उम्मीदवार

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मध्यप्रदेश भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता राज्य के जनसंपर्क मंत्री नरोत्तम मिश्रा को पटखनी देने वाला उम्मीदवार कांग्रेस को अब तक नहीं मिला है। दिल्ली में जब कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी उम्मीदवारों के नाम पर सहमति बनाने का काम कर रही थी, ठीक उसी वक्त दतिया में कांग्रेस आस्तीनें चढ़ा पेराशूट नेताओं का विरोध कर रहे थे। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा दतिया जिले के लिए नियुक्त किए गए पर्यवेक्षक हरियाण के विधायक उदयभान जाटव को नेताओं की आपसी लड़ाई देखकर कहना पड़ा कि सीट जीतोगे सरकार तब ही बन पाएगी। आपस में लड़ने सरकार नहीं बन सकती।

तीन सीट,तीन सौ दावेदार

दतिया जिला में विधानसभा की कुल तीन सीटें हैं। दतिया,सेंवढ़ा और भांडेर। तीनों सीटों पर अभी भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है। राज्य के जनसंपर्क मंत्री नरोत्तम मिश्रा दतिया विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। पिछले चुनाव में पेड न्यूज के आरोप के चलते चुनाव आयोग ने मिश्रा को चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया था। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक मामला पहुंचा। चुनाव आयोग के आदेश को निरस्त कर दिया गया है।

पिछले एक दशक में नरोत्तम मिश्रा ने दतिया अपनी जड़े काफी मजबूत कर ली हैं। कांग्रेस में उन्हें चुनौती देने वाला कोई नेता भी सामने नहीं है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ग्वालियर संभाग की अपनी यात्रा की शुरूआत दतिया के पीतांबरा पीठ के दर्शन कर की थी। राहुल गांधी की इस यात्रा का मकसद दतिया सीट वापस कांग्रेस की झोली में लाने का था। लेकिन, दतिया में कांग्रेस एक नहीं हो पा रहे हैं।

राहुल गांधी की रैली के लिए 50-50 हजार रुपए चंदा

कांग्रेसियों में समन्वय बैठाने आए उदयभान के सामने प्रदेश कांग्रेस के सदस्य दामोदर सिंह ने कहा कि कांग्रेस में अब फटे नोट नहीं चलेंगे। आप पार्टी हाइकमान तक बात पहुंचाईएं जिले की तीनों सीटों पर नए चेहरों को मौका दे तो कार्यकर्ता पूरी मेहनत से कांग्रेस को जिताने के लिए लग जाएगा। चुनाव का समय है और कार्यालय से सभी को सूचनाएं नहीं दी जाती। राजेश दांतरे ने कहा कि हमसे राहुल गांधी की रैली के लिए 50-50 हजार रुपए चंदा लिया गया। रैली की सफलता का श्रेय एक व्यक्ति को दे दिया। यह गलत है। जहां कार्यकर्ता का सम्मान नहीं होगा वहां कार्यकर्ता मन से काम नहीं करेगा।

आशोक शर्मा ने सलाह दी कि पर्यवेक्षक दतिया में बैठे रहते हैं 7 अन्य दो विधानसभा सीट पर ध्यान ही नही देते। कार्यकर्त्ताओं से भी राय नहीं ली जाती। शिवकुमार पाठक ने टिकट पर अपनी दावेदारी पेश करते हुए कहा कि दतिया से ब्राह्ण को ही टिकट देना चाहिए।

40 दिन 40 सवाल- शिक्षा में हो रही धांधली को लेकर कमल नाथ ने पूछा सातवां सवाल

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40 दिन 40 सवाल पूछने के अभियान में मध्यप्रदेश कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमल नाथ ने शिवराज सरकार से बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ को लेकर सातवां सवाल पूछा है. कमल नाथ ने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘मोदी सरकार से जानिये मामा सरकार की स्कूली शिक्षा का रोंगटे खड़े कर देने वाला सच।’
बच्चों के भविष्य को पहुँचाई चोट, मामा के मुखौटे में निकले कई खोट। मामा जी, बच्चों से क्यों किया विश्वासघात ? स्कूली शिक्षा को क्यों पहुँचाया गंभीर आघात ?

इसके बाद कमल नाथ ने एक के बाद एक 11 ट्वीट्स के जरिये आंकड़ों के साथ शिक्षा में होने वाली धांधली पर सवाल पूछा।

(1) मध्यप्रदेश के प्राथमिक ,माध्यमिक और उच्चत्तर माध्यमिक ,कुल 150762 स्कूलों में से 1 लाख़ 6 हज़ार से अधिक,अर्थात 71% स्कूलों मे बिजली पहुँची ही नहीं है ।
(2) मध्यप्रदेश के नौनिहालों की आधुनिक शिक्षा का हाल यह है कि मात्र 15. 7 % स्कूलों में कंप्यूटर एजुकेशन की व्यवस्था है

अर्थात राज्य के 1.22 लाख़ स्कूलों में आज भी कम्प्यूटर शिक्षा नहीं है ।
(3) मध्यप्रदेश के सिर्फ़ 15.6 % माध्यमिक स्कूलों में और मात्र 19% उच्चतर माध्यमिक स्कूलों में लाइब्रेरी की व्यवस्था है । सरकारी स्कूलों में तो यह नगण्य है ।

(4) केंद्र की डाईस-2017 रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश में 19 हज़ार स्कूल एक-एक शिक्षक के भरोसे चलते हैं ।
(5) 14.6 हज़ार स्कूलों में बारिश के दिनों में पहुँच का रास्ता ही नहीं रहता,यानी इन स्कूलों में बच्चे पढ़ने ही नहीं जा पाते।
6)राज्य में 46.6हजार स्कूलों में अब भी नहीं बन पाया बच्चों के लिए खेल मैदान।प्रदेश के 93 हजार से अधिक स्कूलों में आज भी दिव्यांग बच्चों के लिये नहीं बन पाया है रैंप
(7)आज भी मप्र के 4451 स्कूलों में सिर्फ़ एक ही कमरा है। यानी चार से आठ वर्ग के बच्चे एक ही रूम में पढ़ते हैं।

8)कक्षा 1से5 तक की स्कूली शिक्षा के दौरान ही एक साल मे 3.57लाख बच्चों को शिक्षा छोड़ देनी पड़ती है।कक्षा 6से8 तक की स्कूली शिक्षा के दौरान ही 1साल में 3.42लाख बच्चो को शिक्षा छोड़ देनी पड़ती है
(9)कुल मिलाकर कक्षा 1से8 तक 1साल मे 7.17लाख बच्चों को शिक्षा छोड़ देनी पड़ती है

10) कंट्रोलर ऑडिटर जनरल की रिपोर्ट बताती है कि 2010 से 2016 तक माध्यमिक शिक्षा अर्थात आठवीं तक के 42 लाख़ 46 हज़ार बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया ।
11) सर्व शिक्षा अभियान के तहत 1 से 8 वीं तक मुफ़्त किताबें बाँटे जाने का प्रावधान है ।
कैग ने अपनी 2017 की रिपोर्ट में बताया कि 2010 से 2016 तक 42 लाख़ 88 हज़ार किताबें बाँटी ही नहीं गईं ।
12) कैग की 2017 की रिपोर्ट बताती है कि मध्यप्रदेश के माध्यमिक स्कूलों में 63 हज़ार 851 शिक्षकों की कमी है।
13)सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक़ सरकार ने स्कूल शिक्षा के लिए आवंटित कुल बजट में से 2011-2016 के बीच 7284.61 करोड़ रुपए (आवंटन का 31 प्रतिशत) जारी ही नहीं किये। सरकार बच्चों के शिक्षा के अधिकार के हनन में सबसे बड़ी अपराधी रही ।

कल्पना कीजिए बग़ैर पुस्तक , बग़ैर शिक्षक ,बग़ैर कंप्यूटर , बग़ैर बिजली लाखों बच्चे अपना भविष्य कैसे सँवार सकते हैं । -उखाड़ फेंकिये ऐसी सरकार – 
सोर्स : HRD की EDI , DISE रिपोर्ट CAG की रिपोर्ट

-40 दिन 40 सवाल-
“मोदी सरकार के मुँह से जानिए,
मामा सरकार की बदहाली का हाल।”

‘मैं कांग्रेस पार्टी का कोषाध्यक्ष हूँ’

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“मैं कांग्रेस का सच्चा सिपाही हूँ, मैं तीन बार मध्यप्रदेश कांग्रेस का महामंत्री रहा हूँ और वर्तमान में कांग्रेस पार्टी का कोषाध्यक्ष हूँ. मुझे कांग्रेस पार्टी में कोषाध्यक्ष जैसा महेत्व्पूर्ण पद देने के लिए में प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ जी और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का धन्यवाद देना चाहता हूँ.”

पीसीसी में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता गोविन्द गोयल ने भाजपा और शिवराज सरकार पर हमला बोला पर पूरी प्रेस वार्ता में उनका जोर यह बात बताने पर ज्यादा था कि वह कांग्रेस पार्टी के कोषाध्यक्ष है. तकरीबन 20 मिनट की प्रेस वार्ता में गोविन्द गोयल ने लगभग 10 बार यह बात दौहराई.

मध्यप्रदेश कांग्रेस के कोषाध्यक्ष गोविन्द गोयल ने मुख्य प्रवक्ता शोभा ओझा के साथ पीसीसी में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए 2-3 घटनाओं का जिक्र किया और शिवराज सरकार पर झूठी ख़बरें फ़ैलाने और उनकी छवि धूमिल करने का आरोप लगाया. 

दरअसल कांग्रेस नेता गोविन्द गोयल पिछले दिनों मीडिया की सुर्खिओं में थे. कभी उनपर नवरात्री के दौरान आरती करते हुए झांकी में आग लगाने का आरोप लगा तो कभी परवलिया में जमीन कब्जाने और सरकारी काम में बाधा डालने के आरोप लगे साथ ही 19 अक्टूबर की शाम उन्हें भाजपा कार्यालय के बाहर देखा गया तो खबर फैली की गोविन्द गोयल भाजपा कार्यालय गये थे और जल्द ही बीजेपी में शामिल भी हो सकते है. 

इन्ही सभी आरोपों पर सफाई देते हुए गोयल ने कहा कि न तो मेरे हांथ से आरती की थाली गिरी और न ही मेरे कारण झांकी में आग लगी. मेरे पास तस्वीर मौजूद है जब आग लगने पर मैं एक हाँथ से आरती कर रहा था वहीं दुसरे हाँथ से आग बुझा रहा था.

जमीन कब्जाने के आरोपों पर सफाई देते हुए गोयल ने कहा की परवलिया में मेरी कोई जमीन ही नही है. मैं उस दिन परवलिया गया ही नही, मैं तो उस दिन 12 बजे से शाम के 7 बजे तक पीसीसी में ही था.

भाजपा कार्यालय जाने के आरोप पर सफाई देते हुए गोयल ने कहा की ‘में भाजपा कार्यालय में नही गया, में बीजेपी कार्यालय के पास ‘पान की दुकान’ पर पान खाने गया था. तभी मुझे मीडिया के कुछ साथी मिल गये और में उनसे गले मिलने लगा. मुझे वहां देखकर मीडिया के लोगों ने खबर छाप दी कि में भाजपा कार्यालय गया था.’

गोयल ने कहा कि “भारतीय जनता पार्टी सोशल मीडिया का उपयोग करके मेरी छवि बिगाड़ने का षड्यंत्र कर रही है. भारतीय जनता पार्टी घबराई हुई है वहीं कांग्रेस पार्टी कमलनाथ जी के नेतृत्व में भाजपा से दो-दो हाँथ करने के लिए तैयार है. मैं कांग्रेस पार्टी में था, कांग्रेस पार्टी में हूँ और कांग्रेस पार्टी में ही रहूँगा. 1972 में जब कांग्रेस पार्टी ने मुझे निलंबित किया था तब भी मैं किसी और पार्टी में नही गया.

40 दिन 40 सवाल – राज्य में बच्चों के भविष्य को अंधकार में डालने को लेकर कमल नाथ ने पूछा पांचवा सवाल

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40 दिन 40 सवाल के अभियान को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ ने प्रदेश में हो रहे बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ को लेकर शिवराज सरकार से पांचवा सवाल किया है. उन्होंने एक के बाद एक 10 ट्वीट्स के जरिये मध्य प्रदेश में होने वाले बच्चों पर शोषण, अपहरण और पैदा होते ही बच्चों की मौत को लेकर कई सवाल दागे हैं.

सवाल नंबर पांच-

मोदी सरकार से जानिये, क्या किया है मामा ने मध्यप्रदेश के नौनिहालों का हाल , बच्चों को बनाकर ढाल चलते रहे बस चुनावी चाल । शर्मनाक शिवराज जी , बच्चे राज्य का भविष्य होते हैं।आपने प्रदेश के भविष्य को ही अंधकार की आग में क्यों झोंक दिया ?

1)बच्चों के प्रति अपराध में मप्र नं1: 2004से 2016के बीच बच्चों के साथ अपराधों के सबसे ज़्यादा 88908मामले मप्र मे दर्ज हुए
2016मे मप्र मे बच्चों के साथ अपराध के हर रोज 38मामले दर्ज हुए
2)मामा सरकार के आने के वक्त 2004मे बच्चों पर 3653अपराध होते थे,तो आज 13746अपराध होने लगे है

3)मध्यप्रदेश में सबसे ज़्यादा बच्चे गुम हुए : वर्ष 2016 में ही मध्यप्रदेश में 8503 बच्चे गुम हुए।इनमें से 6037 लड़कियां थीं। पिछले सालों की संख्या भी मिला ली जाए तो वर्ष 2016 की स्थिति में कुल 12068 बच्चे गायब थे। एक साल में मध्यप्रदेश में हर रोज़ 23 बच्चे गुमते हैं।

4)सबसे ज़्यादा नवजात शिशु मृत्यु : नवजात शिशु मृत्यु दर (32 नवजात शिशु मृत्यु/एक हज़ार जीवित जन्म) भी मध्यप्रदेश में सबसे ज़्यादा है। वर्ष 2008 से 2016 के बीच मध्यप्रदेश में 6.79 लाख़ बच्चों की जन्म लेने के 28 दिनों के भीतर ही मृत्यु हो गई।

5)सबसे ज़्यादा शिशु मृत्यु : शिशु मृत्यु दर (यानी एक हज़ार जीवित जन्म पर मृत होने वाले एक साल से कम उम्र के बच्चे) भी मध्यप्रदेश में सबसे ज़्यादा यानी 47 है। वर्ष 2008 से 2016 के बीच मध्यप्रदेश में 9.84 लाख़ बच्चों की अपना पहला जन्मदिन मनाने से पहले ही मृत्यु हो गई।

6)बच्चों का अपहरण : बच्चों के लिए मध्यप्रदेश को आपने सबसे असुरक्षित राज्य बना दिया है। वर्ष 2004 से 2016 के बीच मध्यप्रदेश में बच्चों के अपहरण के 23099 मामले दर्ज़ हुए। अकेले वर्ष 2016 में राज्य में 6016 ,यानी हर रोज़ बच्चों के अपहरण के 16 मामले दर्ज़ हुए।

7) मामा सरकार जब सत्ता में आई तब 2004 में बच्चों के 179 अपहरण होते थे, तो आज 2016 में 6119 अपहरण होने लगे हैं।
8) नैशनल फैमेली हेल्थ सर्वे के मुताबिक मध्यप्रदेश में 32% नाबालिग बच्चियों की शादी करा दी जाती है ।

9)बाल विवाह की गंभीर स्थिति:जनगणना 2011के मुताबिक मप्र मे8.91लाख बच्चो की शादी कर दी गई।इनमे से2.4लाख लड़कियाँ माँ बन चुकी है।3.90लाख बच्चियो की माँ बनने की उम्र 19साल से कम है।इसी तरह 29441बच्चे ऐसे थे,जो विधवा/विधुर,अलग हुए/तलाकशुदा थे।इनमे से 12382लड़किया और 17059लड़के थे
10)बच्चे बने मज़दूर – राज्य में जनगणना के आंकड़ों के अनुसार कुल बाल श्रमिकों की वास्तविक संख्या 7 लाख़ है।15 सालों में शिवराज सरकार ने बाल श्रमिकों का सर्वे ही नहीं करवाया।

सोर्स : केंद्रीय गृह मंत्रालय,राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो,NHFS-4

40 दिन 40 सवाल- कमल नाथ ने स्वर्णिम समृद्ध के झूठ को लेकर पूछा चौथा सवाल

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भाजपा सरकार से 40 दिन 40 सवाल पूछने के अभियान को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ ने चौथा सवाल स्वर्णिम समृद्ध के झूठ और मध्यप्रदेश लूट को लेकर किया है. एक के बाद एक 10 ट्वीट्स के जरिए कमल नाथ ने शिवराज सरकार से मध्यप्रदेश में बढ़ती गरीबी और रोजगार को लेकर कई सवाल पूछे हैं.

सवाल नंबर चार-

‘वो ही फैला रहे हैं स्वर्णिम से समृद्धि का झूठ,
जिन्होंने लिया मध्यप्रदेश को लूट ‘
मामा जी,क्या समृद्धि का नारा भाजपा नेताओं और मंत्रियों के लिए गढ़ा?
तो फिर बताओ मध्यप्रदेश की गरीबी का ग्राफ़ लगातार क्यों बढ़ा?

मोदी सरकार ही खोल रही है ‘स्वर्णिम से सम्रद्धि’ की पोल,
बता रही है मामा जी का
फूटा हुआ है ढोल।
1 ) मोदी सरकार ने राज्यों का संपत्ति सूचकांक जारी किया है,
जिसमें मप्र के सिर्फ़ 15.8% परिवार ही इसके दायरे में आते हैं।इतनी खराब स्थिति बड़े राज्यों में छत्तीसगढ़ और बिहार की है।

जहाँ चंडीगढ के 78.5% ,पंजाब के 60.7%, हिमाचल जैसे राज्य के 31% परिवार संपन्न हैं। ( लोकसाभा – प्रश्न 174- 2/2/2018 )
2) मोदी सरकार की सितम्बर 2017 (NFHS) में जारी रिपोर्ट बताती है कि 2006 से 2016 के बीच मध्यप्रदेश में गरीबी रेखा के नीचे रहने वालों की जनसंख्या 27 % बढ़ गई है।

3)केंद्र के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा किए गए सर्वे (2016) में मप्र में सिर्फ 36% लोग पक्के घरों में रहते है
(4)मप्र में सिर्फ 23% घरों में नल द्वारा पीने का पानी आता है(शहरों में 51% और गांवों मे 11%)
(5)मप्र के सिर्फ 30% लोग खाना बनाने के लिए स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल करते है

(6)मध्यप्रदेश में 57% परिवार अभी भी खुले में शौच के लिए मजबूर हैं।
(7) मोदी सरकार का नीति आयोग कहता है कि मध्यप्रदेश के 45 लाख़ 82 हज़ार 607 (40.33 %) ग्रामीण घरों में बिजली नहीं है । ( 30 /4/2017 )

(8) हैंडबुक ऑफ स्टेटिस्टिक्स (आर बी आई) के अनुसार यू पी और बिहार के बाद सबसे ज़्यादा गरीब लोग मध्यप्रदेश में हैं – 2करोड़ 34लाख़ 6000 ।
(9) केंद्र की कृषि लागत और मूल्य आयोग की वर्ष 2018-19 की रिपोर्ट: मध्यप्रदेश में कृषि मजदूरी सबसे कम ,मात्र 210 रुपये है

बिहार में 251रु प्रति दिन,आंध्रप्रदेश में 291रु., महाराष्ट्र में 269 रु,पश्चिम बंगाल में 232रु कृषि मजदूर को मिलते हैं
पिछले 15सालों से मप्र में सबसे कम मजदूरी मिलती है
(10) मप्र में मनरेगा में दर्ज परिवार -68.25 लाख
अर्थात मध्यप्रदेश की लगभग आधी आबादी मज़दूरी के लिए बाध्य।

2014-15 में100दिन का पूरा रोजगार पाने वाले परिवार-1,58,776(2.33%)
2015-16 में 100दिन का पूरा रोजगार पाने वाले परिवार-2,25,502(3.30%)
2016-17 में 100दिन का पूरा रोजगार पाने वाले परिवार-1,40,990(2.1%)
2017-18 में 100 दिन का पूरा रोज़गार पाने वाले परिवार – 1,34,724 (1.97%)।

(11)मोदी सरकार के नीति आयोग के सीईओ अमिताभकांत मध्यप्रदेश के विकास पर बहुत बड़ा सवाल खड़ा करते हुए अप्रैल 2018 में कहते हैं कि मध्यप्रदेश जैसे पिछड़े राज्यों के कारण देश पिछड़ गया ।

-40 दिन 40 सवाल-
“मोदी सरकार के मुँह से जानिए,
मामा सरकार की बदहाली का हाल।”

‘हार की कगार पर,मामा सरकार’

चंबल- ग्वालियर में सिंधिया की अच्छी पकड़ के बावजूद 2013 में कांग्रेस कैसे हार गई चुनाव ?

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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी हाल ही में 2 दिन के लिए ग्वालियर-चम्बल दौरे पर आए हुए थे। राजनैतिक विशेषज्ञों की माने तो राहुल गांधी का ये दौरा प्रचार-प्रसार के साथ-साथ नेता कार्यकर्ताओं को एकजुट करने को लेकर भी था।दरअसल ग्वालियर-चम्बल इलाके में ज्योतिरादित्य सिंधिया का पैठ माना जाता है लेकिन इसके बावजूद भी 2013 विधानसभा चुनाव में बड़े अंतर से हारना ज़हन में जरुर खटकता है कि आखिर ये कैसे हो गया ?

पैठ सिंधिया की लेकिन वोट भाजपा को

साल 2013 विधानसभा चुनाव में ग्वालियर- चम्बल की 34 सीटों में से बीजेपी को 20, कांग्रेस को 12 और बसपा को 2 सीटें मिली थ। कांग्रेस के इस हार के पीछे गुटबाजी का कारण माना जाता है। दरअसल 2013 में कांग्रेस अध्यक्ष रहे कांतिलाल भूरिया सभी कोंग्रेसी नेताओं और कार्यकर्ताओं को एकजुट करने में नाकाम थे, जिस तरह से आज वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष कमल नाथ करते हुए दिखाई दे रहे हैं।

वोट का बंटवारा

2013 विधानसभा चुनाव में कांग्रेसीनेताओं में टिकट को लेकर नोक झोक भी हार का कारण माना जाता है। दिग्विजय सिंह चुनाव से खुद को दूर रखाथा तो सिंधिया बड़े चेहरे के रूप में सामने थे। मामला ये हुआ कि दिग्विजय के क्षेत्रमें सिंधिया प्रचार करने से दूर रहे तो सिंधिया के क्षेत्र में और दूसरे नेता दूर रहे।इस वजह से कई नेताओं ने दूसरे दल में जाना उचित समझा। नतीजा चम्बल-ग्वालियर में पैठहोने के बावजूद कांग्रेस मात्र 12 सीटें ही जीत पाई।

एकजुट करने की कोशिश

2012018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मध्य प्रदेश के सभी नेताओं को एकजुट करने के लिए हरसंभव प्रयास करने में जुटे हुए हैं ताकि वोट बटवारा होने से रोका जाये और 15 साल का सूखा भी ख़त्म हो. यही कारण है कि राहुल गांधी 2 दिन के लिए ग्वालियर-चम्बल दौरे पर थे। इन दो दिन के दौरे पर राहुल गांधी कई धार्मिक स्थल भी गये और रोड शो भी किए। ख़ास बात यह है कि राहुल गांधी प्रदेश अध्यक्ष कमल नाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया को साथ लेकर चुनाव प्रचार कर रहे हैं। इशारा साफ़ है कि इस बार राहुल गांधी किसी भी प्रकार की गुटबाजी नहीं देखना चाहते जो हार का कारण बनें।

टिकट का खेल

बहरहाल अभी यह कहना ठीक नहीं होगा कि कांग्रेस खेमे में सब कुछ ठीक ही चल रहा है। क्योंकि आने वाले दिनों में जैसे ही टिकट मिलने ना मिलने का खेल सामने आएगा एक बार फिर से 2013 जैसा माहौल देखने को मिल सकता है।

कुर्सी बचाने के लिए परिवारवाद की लड़ाई में फंसा ‘विंध्य क्षेत्र’

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मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में एक तरफ जहां भाजपा लगातार चौथी बार चुनाव जीतने के लिए कोई भी कसर छोड़ना नहीं चाहती । तो दूसरी तरफ 15 साल के सूखा को ख़त्म करने के लिए कांग्रेस पुरे जद्दोजहद में जुटी हुई है। वहीं इस बार के चुनाव में कुर्सी बचाने को लेकर भी एक अलग ही नजारा देखने को मिल रहा है। दरअसल दोनों पार्टियों में कुर्सी का मोह ऐसा है कि एक ही परिवार के एक से ज्यादा उम्मीदवार आपस में भीड़ते नजर आ रहे हैं।

परिवारवाद से पस्त भाजपा-कांग्रेस

विंध्य क्षेत्र में कुल 30 विधानससभा सीटे हैं। कहा जाता है कि विंध्य क्षेत्र के चुनावी गणित को जिसने समझ लिया वो मध्य पर राज करता है। लेकिन अबकी बार ये खेल परिवारवाद का है जिससे न केवल भाजपा बल्कि कांग्रेस भी परेशान है। परिवारवाद के चक्कर में भाजपा व कांग्रेस दोनों प्रत्याशी चुनने में असमर्थ दिखाई दे रहे हैं।

vindhya kshetra
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कुर्सी का मोह

कुर्सी का मोह कुछ ऐसा है कि रिश्ता भले ही खराब हो जाये लेकिन कुर्सी नहीं जानी चाहिए। यही कारण है कि कुर्सी बचाने के लिए कहीं बाप-बेटा-बहू चुनावी मैदान में है तो कहीं भाई-भतीजा एक दूसरे से भिड़ते नजर आ रहे हैं।

सीट एक लड़ने वाले तीन

1 – सतना जिले के रैगांव सीट से भाजपा के 3 उम्मीदवार हैं। जिसमें पूर्व मंत्री जुगल किशोर बागरी, उनके बेटे पुष्पराज बागरी और बहू वंदना बागरी अपनी दावेदारी ठोक रही हैं।
2- सतना जिले के अमरपाटन सीट से भी भाजपा के तीन उम्मीदवार। पूर्व विधायक राम पटेल, भाई शिव पटेल और राम पटेल की बहू विजय तारा पटेल।
3 – रीवा जिले के गुढ़ सीट से कांग्रेस के पूर्व विधायक श्रीनिवास तिवारी जीतते थे। उनके बाद अब बेटे सूंदरलाल तिवारी विधायक हैं। वहीं इस बार उनका भतीजा विवेक तिवारी भी दावेदारी ठोक रहा।
4 – सिंगरौली जिले के चितरंगी सीट से भाजपा की मुसीबत बनी हुई है। यहां पूर्व मंत्री जगन्नाथ सिंह के बेटे डॉ रविंद्र सिंह और बहू राधा सिंह दोनों दावेदार हैं।
5 – उमरिया जिले के बांधवगढ़ से सांसद और पूर्व विधायक और उनका बेटा दोनों इस बार चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं।
6- देवास जिले के खातेगांव-कन्नौद से कैलाश कुण्डल और उनकी पत्नी राजकुमारी कुण्डल दावेदार हैं। तो एक सीट पर श्याम होलानी और उनके बेटे मनोज होलानी दावेदार हैं।

बहरहाल आने वाले कुछ दिनों में ही कांग्रेस और भाजपा अपने प्रत्याशियों की सूची जारी कर देगी फिर देखना दिलचस्प होगा कि परिवारवाद में कुर्सी की लड़ाई किसके पाले में आती है।

40 दिन 40 सवाल :- कमल नाथ ने पूछा पहला सवाल

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20 अक्टूबर को मध्यप्रदेश प्रदेश अध्यक्ष कमल नाथ ने ट्वीट करते हुए चुनाव में बचे 40 दिन 40 सवाल पूछने की बात कही थी. इसी सिलसिले में कमल नाथ ने राज्यसभा में पूछे गए सवाल और कई सरकारी संस्थाओं की रिपोर्ट के आधार पर एक के बाद एक पांच ट्वीट करते हुए पहला सवाल किया है. सवाल में उन्होंने शिवराज सरकार में स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल खोली है.

सवाल नंबर एक –

“मामा और मंत्री मदमस्त – स्वाथ्य सेवाएं क्यों कर दीं ध्वस्त ?”
मोदी सरकार ही खड़ा कर रही है मामा सरकार की स्वास्थ्य सेवाओं की बिगड़ती तबियत पर सवाल :

1)प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर डॉक्टर 1117 चाहिए – 817 पद खाली ।

2)प्रसूति एवं स्त्री,बाल रोग सर्जन विशेषज्ञ डॉक्टर 1236 चाहिए-उपलब्ध सिर्फ 180 और 1056 डॉक्टरों की कमी।
3) नर्सिंग स्टाफ-1413 पद खाली
4) रेडियो ग्राफर-136 पद खाली
5) फाॅर्मेसिस्ट-218 पद खाली
6) प्रयोगशाला तकनीशियन-430 पद खाली
7)उपकेंद्र पर महिला स्वास्थ्यकर्मी -2016 पद खाली

8) प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्वास्थ्य कर्मी- 2174 पद खाली
9) उपकेंद्रों में पुरुष स्वास्थ्यकर्मी- 5458 पद खाली
10 ) पी एच सी में स्वास्थ्य सहायक – 628 पद खाली
11) प्रतिव्यक्ति स्वास्थ्य सेवाओं पर सरकार का खर्च मात्र 716 रु (राज्यों में सबसे निचले क्रम पर ) GSDP का मात्र1.04%

12)मोदी सरकार बताती है कि मध्यप्रदेश ऐसा दूसरा राज्य है जहाँ सबसे ज़्यादा 20 जिलों में स्वास्थ्य सेवाएं बेहद ख़राब स्थिति में हैं। (डिंडोरी,छतरपुर,शहडोल,टीकमगढ़,बड़वानी,पन्ना,सीधी,झाबुआ,अलीराजपुर,मंडला,दमोह,सतना,अशोकनगर,श्योपुर,विदिशा,सिंगरौली,खंडवा,राजगढ,गुना,सिंगरौली )

सोर्स:- (31 जुलाई 2018 -अतारांकित प्रश्न संख्या (1550) राज्यसभा ,NHP -2018 , RHS -2017 ,NHM-(HPDs) रिपोर्ट ) ।

-40 दिन 40 सवाल-
“मोदी सरकार के मुँह से जानिए,मामा सरकार की बदहाली का हाल”
‘ हार की कगार पर मामा सरकार ‘