छत्तीसगढ़ कांग्रेस पार्टी की नेता और कोटा विधानसभा सीट से विधायक रेणू जोगी ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। दरअसल छत्तीसगढ़ कांग्रेस की पांचवीं लिस्ट आने पर कोटा सीट पर रेणू जोगी का नाम काट कर विभोर सिंह का नाम घोषित कर दिया गया। टिकट नहीं देने की वजह से नाराज रेणू जोगी ने पार्टी छोड़ अपने पति और जेसीसीजे के अध्यक्ष अजीत जोगी के पार्टी का दामन थाम लिया है। इस्तीफा देने के बाद रेणू कोटा सीट से ही जेसीसीजे की प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ेंगी।
रेणू ने कांग्रेस से कोटा सीट मांगी थी :
2016 मे जोगी को कांग्रेस से निकाले जाने के बाद जोगी ने नई पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ बनाई थी। जिसमें जोगी, उनके बेटे अमित जोगी और बहु श्रृचा जोगी के साथ शामिल हो गए थे। इन सब के बावजूद रेणू जोगी ने कांग्रेस का साथ नही छोड़ा। कांग्रेस से लगातार तीन बार से विधायक रेणू जोगी ने चौथी बार भी कांग्रेस से ही चुनाव लड़ने के लिए तैयारी कर ली थी, पर नाम काटे जाने की वजह से रेणू को पति की पार्टी का सहारा लेना पड़ रहा है।
लिस्ट में 19 प्रत्याशियों के नाम :
करीब तीन बजे कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक खत्म होने के बाद छत्तीसगढ़ की पांचवीं लिस्ट जारी कर दी गई। जिसमें 19 प्रत्याशियों के नाम शामिल हैं। इस लिस्ट में रायगढ़ सीट से प्रकाश नायक, रायपुर उत्तर से कुलदीप जुनेजा का नाम है साथ ही दुर्ग ग्रामीण से प्रतिमा चंद्राकर को हटा कर ताम्रध्वज साहू समेत 16 अन्य प्रत्याशियों के नाम शामिल हैं। छत्तीसगढ़ विधानसभा के चुनाव दो चरणों में 12 नवंबर को 18 सीटों पर और 20 नवंबर को 72 सीटों पर चुनाव होना है। चुनाव परिणाम 11 दिसंबर को आएंगे।
छ्त्तीसगढ़ के आरनपुर में हुए नक्सली हमले में दो सुरक्षाबल के जवान
शहीद हो गए साथ ही डी.डी न्यूज चैनल के कैमरामैन की गोली लगने से मौत हो गई। बताया
जा रहा है कि चैनल के रिपोर्टर और कैमरामैन दिल्ली से छत्तीसगढ़ के दतेंवाड़ा में
रमन सरकार के विकास कार्यों पर स्टोरी करने आए थे। उसी बीच सर्चिंग पर निकले
सुरक्षाबल के जवानों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हो गई, उसी दौरान वहां से निकल
रही मीडिया कर्मियों की गाड़ी पर भी नक्सलियों ने हमला कर दिया।
हमले में उप निरीक्षक रूद्र प्रताप और सहायक
आरक्षक मंगलू शहीद हो गए तथा डी.डी न्यूज के कैमरामैन अच्युतानंद की भी मौके पर मौत
हो गई। साथ ही आरक्षक विष्णु नेताम और सहायक आरक्षक राकेश गौतम घायल हो गए।
जिन्हें उपचार के लिए तत्काल अस्पताल ले जाया गया।
चुनाव से पहले बौखालाए नक्सली :
आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर नक्सली बौखालाए नजर आ रहें हैं और लगातारसुरक्षाबल के जवानों पर हमला कर रहें हैं। तीन दिन पहले 27 अक्टूबर को बीजापुर मेंबारुदी सुरंग में विस्फोट कर सीआरपीएफ की गाड़ी पर हमला किया गया था। जिसमें चारजवान शहीद हो गए थे। छ्त्तीसगढ़ में अगले महीने दो चरणों में चुनाव होने वाले हैं,जिसमें 18 नक्सल प्रभावित इलाकों में 12 नवंबर और बाकि की 72 सीटों पर 20 नवंबर कोचुनाव होना है, जिसे लेकर नक्सलियों का विरोध तेज होता नजर आ रहा है। बता दें किनक्सल प्रभावित इलाकों की सभी सीटों पर कांग्रेस, भाजपा समेत अन्य पार्टियों नेअपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है।
विपक्ष का सरकार पर हमला :
सुरक्षाबल के जवानों पर हमले के बाद विपक्ष ने रमन सरकार पर जमकर हमला
बोला है। वहीं छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल ट्वीट कर रमन सिंह
को डरपोक, कायर और संवेदनशील मुख्यमंत्री बताया।
रमन सिंह एक कायर, डरपोक एवं संवेदनहीन मुख्यमंत्री हैं।
वहीं दूसरी तरफ मुख्यमंत्री रमन सिंह ने ट्वीट कर कहा कि “दंतेवाड़ा
में शहीद हुए सीआरपीएफ़ के दो जवानों और टीवी जर्नलिस्ट को भावभीनी श्रद्धांजलि, मेरी
संवेदनाएँ शहीदों के परिजनों के साथ हैं। लोकतंत्र और विकास विरोधी नक्सली बौखलाहट
में कायराना घटनाओं को अंजाम देकर हमारे जवानों की पीठ पर वार कर रहे हैं।“
दंतेवाड़ा में शहीद हुए सीआरपीएफ़ के दो जवानों और टीवी जर्नलिस्ट को भावभीनी श्रद्धांजलि, मेरी संवेदनाएँ शहीदों के परिजनों के साथ हैं। लोकतंत्र और विकास विरोधी नक्सली बौखलाहट में कायराना घटनाओं को अंजाम देकर हमारे जवानों की पीठ पर वार कर रहे हैं।
विधानसभा चुनाव के लिए आज कांग्रेस में प्रत्याशियों के नाम पर मुहर लग सकती है। दिल्ली में सेंट्रल इलेक्शन कमेटी के इस बैठक में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान चुनाव के लिए प्रत्याशियों के नाम सुनिश्चित होने हैं। इस बैठक में सोनिया गांधी,राहुल गांधी के अलावा कमलनाथ, सिंधिया, अजय सिंह और दिग्विजय सिंह हिस्सा ले रहे हैं।
आज आ सकती है छत्तीसगढ़ चुनाव के पहले चरण की सूची
चुनाव आयोग ने छतीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए मंगलवार को अधिसूचना जारी कर दी है। 23 अक्टूबर को नामंकन का आखिरी तारीख तय किया गया है। बता दें कि पहले चरण में बस्तर संभाग की 12 व राजनांदगांव जिले की सभी छह सीटों के लिए चुनाव होने हैं। जिसमें एक तरफ अजीत जोगी (जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़), बसपा और सीपीआई गठबंधन है तो दूसरी तरफ राजनांदगांव से खुद मुख्यमंत्री रमन सिंह चुनाव लड़ते आ रहे हैं। वहीं कांग्रेस को भी ऐसे बड़े चेहरे के रूप में प्रत्याशी का चुनाव करना होगा जो अजीत जोगी और रमन सिंह जैसे नेताओं को टक्कर दे सके। बैठक में मौजूदा सिंगल विधायकों पर भी मुहर लगने की सम्भावना ज्यादा है।
मध्यप्रदेश में सपा और गोंडवाना से समझौता की एक और कोशिश
वहीं गठबंधन करने से दुरी बना चुके समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के अध्यक्ष हीरा सिंह से भी मुलाकात होने की सम्भावना है। कहा जा रहा है कि गठबंधन को लेकर एक और कोशिश की जा सकती है।
छत्तीसगढ़ में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जोगी और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) में गठबंधन हुआ है। जोगी कांग्रेस से गठबंधन के बाद बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने पहली बार शनिवार को बिलासपुर में हुई संयुक्त रैली को सम्बोधित किया है। महारैली को संबोधित करते बसपा सुप्रीमो मायावती ने भाजपा पर जमकर निशाना साधा।
बिलासपुर के मंच से मायावती ने दावा किया कि इस बार पूरे बहुमत से छत्तीसगढ़ में बसपा-छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस जोगी की सरकार बनेगी। इस विशाल रैली में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जोगी प्रमुख अजीत जोगी भी शामिल हुए। प्रदेश में जोगी कांग्रेस 55 और बसपा 35सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
मायावती ने कहा आगे कहा, छत्तीसगढ़ में चुनाव को घोषणा को चुकी है। गठबंधन के लोगों की पूरी कोशिश होनी चाहिए कि हमारी पूर्ण बहुमत से सरकार बन सके। मायावती ने कहा कि छत्तीसगढ़ में अल्पसंख्कों का शोषण हो रहा है। उनके विकास के लिए कोई कार्य नहीं किए गए। नोटबंदी ने लोगों की कमर तोड़ दी है। देश में फैले भ्रष्टाचार से लोग परेशान है। केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होने कहा कि राफेल और बोफर्स घोटाले के दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही हैं, गौरक्षक के नाम पर बने कानून का दुरुपयोग हो रहा है।
इस वर्ष की शारदीय नवरात्रि पर मां अंबे का आगमन नाव पर हो रहा है। नाव पर सवार मां अंबे मध्यप्रदेश सहित चार राज्यों में क्या कांग्रेस का सत्ता से वनवास समाप्त कर देगीं या फिर हाथी की उपेक्षा महंगी पड़ जाएगी। मां जगदंबा की वापसी भी इस बार हाथी पर बैठ कर हो रही है। मां अंबे का नाव पर आगमन पूरे देश के लिए अच्छे दिन आने का संकेत देने वाला है। क्या ये अच्छे दिन कांग्रेस की हिन्दी भाषी तीन राज्य मध्यप्रदेश,छत्तीसगढ़ और राजस्थान में सरकार में वापसी से आएंगे? कांग्रेस को इस सवाल का जवाब अपनी भक्ति के जरिए वोटर को खुश करके मिल सकता है। कांग्रेस को इन तीन राज्यों में अपने हाथ के कमाल पर ही भरोसा है। कांग्रेस ने अपनी नाव किनारे लगाने के लिए न तो साइकल की सवारी की है और न ही हाथी पर बैठने की हिम्मत दिखाई है।
मायावती और अखिलेश यादव को कांग्रेस ने किया है निराश
वैसे तो पिछले पांच विधानसभा चुनाव के लिए वोट डाले जाने का काम शारदीय नवरात्रि के बाद ही होता है। चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार इस मौके का उपयोग अपने चुनाव प्रचार के लिए करते हैं। इस वार की नवरात्रि पर जगदंबा नाव पर सवार होकर आ रहीं हैं। इस कारण राजनीतिक दलों के लिए यह नवरात्रि ज्यादा खास हैं। चुनाव वाले तीनों हिन्दी भाषी राज्यों में कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला होना तय माना जा रहा है। छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी और मायावती मिलकर मुकाबला त्रिकोणीय बनाने का पूरा प्रयत्न कर रहे हैं। मायावती को अजीत जोगी का साथ कांग्रेस द्वारा हाथ आगे न बढ़ाए जाने के कारण लेना पड़ा है।
मायावती इस उम्मीद में थीं कि राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी जो महागठबंधन तैयार करना चाहते हैं,वह तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव में बसपा को साथ लिए बगैर नहीं बन सकता। मायावती इंतजार करतीं रहीं,कांग्रेस ने उनके प्रस्ताव को स्वीकार ही नहीं किया। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ कहते हैं कि मायावती वो सीटें चाहतीं थीं, जिन पर उन्हें हजार-दो हजार वोट ही पिछले चुनाव में मिले थे। दरअसल मायावती कांग्रेस के वोट के जरिए अपनी नाव पार लगाना चाहतीं थीं। कांग्रेस को लग रहा था कि इस गठबंधन से सत्ता मिल भी गई तो उसका रिमोट मायावती के हाथ में चला जाएगा।
अखिलेश यादव की उम्मीद भरी निगाहों को कांग्रेस ने अनदेखा कर दिया। अखिलेश यादव से कांग्रेस ने समझौते के संकेत तो दिए लेकिन, सहमति का जवाब नहीं भेजा। नतीजा समाजवादी पार्टी को अपनी नाव को बचाने के लिए अकेले ही चुनाव का चप्पू चलाना पड़ रहा है।
कांग्रेस को उम्मीद कि आरक्षित वर्ग और मुस्लिम के साथ लगेगी नाव पार
बसपा प्रमुख मायावती के हाथी को नाराज करने के बाद यह माना जा रहा है कि इससे कांग्रेस को नुकसान होगा। कांग्रेस एक बार फिर सत्ता में आने से चूक सकती है। इस तरह की अटकलों का आधार बसपा के प्रतिवद्ध वोट बैंक के कारण लगाया जा रहा है। राज्य में बसपा की ताकत निरंतर कम हो रही है। बसपा को पिछले चुनाव में सिर्फ चार सीटें ही मिलीं थीं। जबकि वह नौ सीटों पर दूसरे नंबर की पार्टी बनी थी। बसपा जिन सीटों पर नबंर दो पर रही थी ये श्योपुर,सुमावलीमुरैना,भिंड,महाराजपुर,पन्ना,रामपुर बघेलान,सेमरियादेबतालाव तथा रीवा विधानसभा सीट हैं।
पहले उत्तरप्रदेश के चुनाव फिर एट्रोसिटी एक्ट का सवर्णों द्वारा किए जा रहे विरोध के बाद कांग्रेस इस नतीजे पर पहुंची है कि अनुसूचित जाति वर्ग मायावती का साथ छोड़ रहा है। कांग्रेस का अनुमान है कि यह वर्ग भाजपा से नाराज है। इस कारण वह ऐसे दल को वोट देना चाहेगा जो सरकार बना सकता है। तीनों हिन्दी भाषी राज्यों में बसपा अकेले अपने दम पर सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है।
राजस्थान में कांग्रेस को लग रहा है कि हर पांच साल में होने वाले सत्ता परिवर्तन में वोटर इस बार भाजपा को विपक्ष में बैठाएंगे। जबकि छत्तीसगढ़ में माया-जोगी के गठबंधन को अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के वोटर अभी विश्वास करने की स्थिति में नहीं है। वहीं सपा की स्थिति तीनों ही राज्यों में सिर्फ सांकेतिक ही मानी जा रही है। कांग्रेस में यह डर भी देखने को मिल रहा है कि कहीं हाथी सत्ता आने के सपने को कुचल न दे?
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव समेत पांच राज्यों में होने वाले चुनावों की भी आज घोषणा हो सकती है। चुनाव आयोग ने इसकी पूरी तैयारियां भी कर ली हैं। चुनाव आयोग आज दोपहर तीन बजे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाला है जिसमें इन राज्यों में चुनाव तारीखों की घोषणा हो सकती है। पहले यह प्रेस कॉन्फ्रेंस 12:30 बजे होनी थी, लेकिन किसी कारणवश अब यह प्रेस कॉन्फ्रेंस तीन बजे रखी गई है। आयोग अलग-अलग चरणों में यह चुनाव करवा सकता है। आयोग द्वारा तारीखों की घोषणा के बाद ही राज्यों में आचार संहिता लागू हो जाएगी।
बता दें कि मध्य प्रदेश और राजस्थान में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और भाजपा पहले ही कमर कस चुके हैं। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी शानिवार को मध्य प्रदेश में चुनावी रैली को संबोधित करेंगे। वहीं, प्रधानमंत्री मोदी राजस्थान में आज चुनावी रैली को संबोधित करेंगे।
तेलंगाना विधानसभा चुनाव की भी हो सकती है घोषणा
मध्य प्रदेश में 2013 में हुए विधानसभा चुनाव को लेकर तारीखों की घोषणा 4 अक्टूबर को की गई थी। इस आधार पर अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार भी आचार संहिता जल्द लागू हो सकती है। मध्य प्रदेश के साथ-साथ राजस्थान, छत्तीसगढ़, मिजोरम और तेलंगाना विधानसभा चुनावों की भी घोषणा की जा सकती है।
हालांकि, माना ये भी जा रहा है कि तेलंगाना में 9 अक्टूबर को अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित होगी, इसलिए उसके बाद ही चुनावों के तारीखों की घोषणा की जाएगी। इसके अलावा ऐसा भी माना जा रहा है कि 12 अक्टूबर के बाद चुनाव की घोषणा की जाएगी, क्योंकि मध्य प्रदेश के मुख्य निर्वाचन आयुक्त ओपी रावत मनीला दौरे पर जा रहे हैं। जब वह वहां से वापस लौटेंगे, उसके बाद ही चुनाव के तारीखों की घोषणा होगी।
कहां-कितनी सीटें?
बता दें कि मध्य प्रदेश में कुल 231 सीटों पर चुनाव होगा, जबकि राजस्थान में 200 सीटों पर, छत्तीसगढ़ में 91 सीटों पर, मिजोरम में 40 सीटों पर और तेलंगाना में कुल 119 सीटों पर विधानसभा चुनाव होने हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी आज छत्तीसगढ़ के रायपुर में जन स्वराज सम्मेलन को संबोधित करते हुए बीजेपी और आरएसएस पर जमकर निशाना साधा। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि ‘हम लड़ते रहेंगे’ के संकल्प के साथ आज हम छत्तीसगढ़ पहुंचे है।
दो दिवसीय छत्तीसगढ़ दौरे पर रायपुर पहुंचे राहुल गांधी ने रायपुर में एक रैली को संबोधित किया। राहुल गांधी ने कहा कि बीजेपी और आरएसएस नहीं चाहते कि इस देश की आवाज हो।आरएसएस देश की हर संस्थान में अपना रास्ता बना रही है। ऐसा पाकिस्तान या तानाशाही में होता है। एक हत्या का आरोपी देश की राष्ट्रीय पार्टी का अध्यक्ष है। आरएसएस के लोग देश के हर संस्थान को अपने लोगों से भर रहे हैं। कांग्रेस ने ऐसा कभी नहीं किया। भाजपा नहीं चाहती कि रोहित वेमुला की तरह एक गरीब दलित युवा सपना देख सके। लोकतंत्र में गरीब, महिलाओं सब की जगह है।
आरएसएस और भाजपा नहीं चाहते कि इस देश की गरीब जनता की आवाज़ सुनी जाए| भाजपा और आरएसएस के लिये महिला का काम खाना बनाना है और कुछ नहीं, इनके लिये दलितों का काम सिर्फ सफाई करने का है, पढ़ने का नहीं : कांग्रेस अध्यक्ष @RahulGandhi#बदलेगा_छत्तीसगढ़pic.twitter.com/tSkcrxjIji
कांग्रेस अध्यक्ष ने आगे कहा, ” आम तौर से जनता न्याय के लिये सुप्रीम कोर्ट जाती है, 70 साल में पहली बार आपने देखा होगा कि सुप्रीम कोर्ट के जज जनता के पास आकर कह रहे हैं कि हमें दबाया जा रहा है, हम अपना काम नहीं कर पा रहे हैं। बीजेपी वालों की विचारधारा है कि महिला की आवाज खुलकर नहीं गूंजनी चाहिए। इनका सोचना है कि महिला सिर्फ खाना पकाए, दलित सिर्फ सफाई करे और आदिवासी सिर्फ जंगल में रहें। इसीलिए वे सभी संस्थानों पर कब्जा कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान गरीब देश नहीं है, यह गरीबों का देश है। छत्तीसगढ़ के पास क्या नहीं है? खनिज है, पानी है, लेकिन फिर भी छत्तीसगढ़ गरीब राज्य है। किसानों की कर्जमाफी की चर्चा करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, “अरुण जेटली कहते हैं कि किसान का कर्ज माफ करना हमारी सरकार का काम नहीं है, ऐसी कोई योजना नहीं है। वहीं, देश के 15 अमीरों का ढाई लाख करोड़ कर्ज माफ हो जाता है, इस पर वित्त मंत्री कुछ नहीं बोलते।” राहुल गांधी रायपुर से जिला सुरगूजा के सीतापुर में लाल बहादुर स्टेडियम में आदिवासी रैली में हिस्सा लेंगे। शाम चार बजे बिलासपुर में जंगल सत्याग्रह आदिवासी रैली को भी संबोधित करेंगे। अगले दिन 18 को राहुल बिलासपुर और दुर्ग में भी विभिन्न वर्गों के लोगों से मिलेंगे और सम्मेलन में भाग लेंगे।
आपने सुना होगा कि केंद्र सरकार को राज्य सरकार की रिपोर्ट पर भरोसा नहीं है ? आपने यह भी सुना होगा कि राज्य सरकार जो रिपोर्ट बनाकर भेजती है केंद्र सरकार उसे खारिज कर देती है। पर क्या यह सब तब हो सकता है जब भाजपा की राज्य सरकार रिपोर्ट ने रिपोर्ट बनाई हो और भाजपा की केंद्र सरकार उसे रिजेक्ट कर दे और वो भी एक या दो नही बल्कि 3 बार।
जी हां ये कीर्तिमान स्थापित करने वाला कोई और नहीं अपना छत्तीसगढ़ ही है। जिसने पहले 96 तहसीलों को सूखा घोषित किया था और फिर 4100 करोड़ की केंद्र से मांग की थी। जिसके बाद केंद्र ने रिपोर्ट देखते ही नसीहत दी कि अफसर ग्राउंड पर जाकर हकीकत जानें और इस रिपोर्ट पर फंड नहीं दिया जा सकता है। केंद्र की मोदी सरकार ने कहा कि रमन सरकार रिपोर्ट दोबारा बनाकर भेजें।
जिसके बाद रमन सरकार द्वारा फिर रिपोर्ट बनाकर भेजी गई। खास बात ये है कि इस बार भी वही रिपोर्ट भेजी हई जो पहले भेजी गई थी। केंद्र ने फिर फंड नहीं दिया और हकीकत जानने के लिए अपने अफसरों की टीम छत्तीसगढ़ भेज दी।
केंद्रीय सूखा राहत जांच टीम की छत्तीसगढ़ के अफसरों के साथ बैठक हुई। बैठक में एसीएस अजय सिंह ने प्रजेंटेशन दी लेकिन केंद्रीय सूखा राहत जांच टीम के प्रमुख श्रीनिवास ने साफ कह दिया कि हमने 10 सदस्य तीन अलग अलग टीमें बनाई हैं जो पूरे इलाके का 23 तारीख तक दौरा करेंगी और हकीकत खुद ही जानेंगी और जिसकी रिपोर्ट हम 1 हफ्ते में केंद्र सरकार को सौंपेगे और इसी के आधार पर सूखा राहत कोष जारी होगा।
मतलब साफ है कि रमन सरकार की रिपोर्ट पर मोदी सरकार को भरोसा नही है।
विरिष्ट पत्रकार ॐ थानवी ने छत्तीसगढ़ के पीडब्लूडी मंत्री के सीडी कांड पर जबरदस्त तप्पणी की है । ॐ थानवी ने एक के बाद एक 2 पोस्ट की । अपनी पहली फेसबुक पोस्ट में ॐ थानवी ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह की जमकर आलोचना की । वहीं दूसरी पोस्ट में ॐ थानवी ने विरिष्ट पत्रकार विनोद वर्मा के साथ सरकार के बर्ताव पर भी सरकार की आलोचना की । देखें ॐ थानवी के दोनों पोस्ट ॐ थानवी का पहला पोस्ट
रमन सिंह से बेवक़ूफ़ मुख्यमंत्री कौन होगा? अपने प्रदेश के प्रतिष्ठित पत्रकार को उनकी सेवाओं के लिए सम्मानित करने की जगह दिल्ली/यूपी पुलिस भेजकर उठवाया है। एक दुराचारी मंत्री के अहम की तुष्टि के लिए।
और इसके लिए देश भर में उनकी सरकार की थूथू हो रही है। दूसरी तरफ़ यौन विडियो क्लिप वायरल हो चुका है। दस-बारह बार तो अनचाहे मेरे पास ही आ चुका। इस प्रसार का अंदेशा मुझे तभी हो गया था जब छत्तीसगढ़ सरकार ने विनोद वर्मा पर हाथ डाला।
क्या इसे ही नहीं कहते, प्याज़ भी खाना और जूते भी?
ॐ थानवी का दूसरा पोस्ट
वरिष्ठ पत्रकार को छत्तीसगढ़ पुलिस ने मुँह से पकड़ कर इस तरह किया अपमानित। जैसे पत्रकार पर लगे छिछले आरोप प्रमाणित हों और पत्रकार शातिर अपराधी निकला हो। यह रवैया, यह सलूक एक पत्रकार का नहीं, पूरे पत्रकार समाज का अपमान है।
– जिस मंत्री का क़िस्सा है, उसने कोई रिपोर्ट पुलिस ने दर्ज़ नहीं करवाई।
– जिसने रिपोर्ट दर्ज़ करवाई, उसने विनोद वर्मा को पार्टी नहीं बनाया है।
फिर भी पुलिस वालों ने, शायद ऊपर के हुक्म पर, अपने ही प्रदेश से आने वाले पत्रकार को महज़ एक शाम की जाँच में संगीन अपराध के घाट उतार दिया।
Newbuzzindia: अपने सबसे बुरे समय से गुजर रही कांग्रेस को एक और बड़ा झटका लगने वाला है । खबर है की छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के वरिष्ट नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी कांग्रेस छोड़कर नई पार्टी बनाने का मन बना चुके है । साथ ही उनके साथ छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के 25000 समर्थक भी कांग्रेस को अलविदा कहने के मूड में है ।
गौरतलब है की छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के पास अजीत जोगी ने बड़ा नेता मौजूद नही है । कहा जाता है की “छत्तीसगढ़ में जोगी ही कांग्रेस है और कांग्रेस ही जोगी है” । ऐसे में जोगी की नई पार्टी बनाने पर कांग्रेस को बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है ।
2018 में छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने है और ऐसे में बिना अजीत जोगी के कांग्रेस का चुनाव जातना ख़ासा मुश्कित हो जाएगा । अजीत जोगी ने इशारा दिया है कि वे कांग्रेस छोड़कर अपना क्षेत्रीय दल बनाएंगे ।
एक निजी चैनल से बात करते हुए जोगी ने कहा है की “मैं विधायक केंद्रित राजनीती नही करना चाहता। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को इस बारे में मैंने सब बता दिया है, अब दिल्ली अब नहीं जाऊंगा।’ उन्होंने कहा कि ‘मैं कोई भी बड़ा फैसला मारवाही की जनता से पूछ कर करता हूं। इसलिए मरवाही में एक बैठक बुलाकर अपने 1500 खास लोगों से सलाह लुंगा”
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