कांग्रेस संसदीय दल की हुई बैठक, पढ़ें अध्यक्षा सोनिया गांधी का पूरा भाषण

कांग्रेस संसदीय दल की बैठक में सोनिया गांधी का भाषण:

खड़गे जी, अधीर रंजन जी, राहुल जी और मेरे साथी सांसदों, हमारे चार सबसे अनुभवी साथी हाल ही में राज्यसभा से रिटायर हुए हैं, और जब हम अगली बार मिलेंगे तो कुछ और साथी भी रिटायर हो चुके होंगे। इन सबने अपने कार्यकाल में पार्टी और देश के लिए बहुत अच्छा योगदान दिया है। मैं उन सभी को धन्यवाद कहना चाहती हूं। मुझे विश्वास है कि वे सभी जनसेवा के कार्यों में उसी तरह लगे रहेंगे और पार्टी को मजबूत करने में योगदान देंगे।
संसद के इस सत्र में बजट पेश किया गया और कई मंत्रियों के कामकाज को लेकर चर्चा की गई। आपमें से अधिकतर लोगों ने इन चर्चाओं में हिस्सा लिया और विभिन्न मुद्दों पर पार्टी के नजरिए को मजबूती से सामने रखा। संसद के दोनों सदनों में हमारे सांसदों ने जनता से जुड़े मुद्दों को प्रमुखता से उठाया।


इसमें संदेह नहीं कि सरकार का रवैया बिल्कुल नहीं बदला है। एमएसएमई अभी भी दयनीय स्थिति में हैं। ऐसा कोई संकेत नहीं है कि सरकार ने किसानों से जो वादा किया है उसे किसी तरह पूरा किया जाएगा। रसोई गैस और तेल, पेट्रोल-डीजल, खाद और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतों असहनीय स्तर पर पहुंच चुकी हैं और उनमें बढ़ोत्तरी लगातार जारी है। कुछ दिन पहले हमारी पार्टी ने पूरे देश में महंगाई मुक्त भारत आंदोलन शुरु किया, जिसमें आपमें से कई लोगों ने हिस्सा लिया। इसे जारी रखने की जरूरत है।


शासन के मामले में अब यह साबित हो चुका है कि असली काम कुछ लोग करते हैं और संस्थाओं की बुनियाद रखते हैं, लेकिन कुछ लोग उसका श्रेय लेते हैं। मुझे इस बात की खुशी है कि कांग्रेस की अगुवाई वाले यूपीए सरकार की कम से कम दो ऐसे ऐतिहासिक कदमों ने बीते दो साल में देश के करोड़ों लोगों को जीवनदान देने का काम किया है जिनकी प्रधानमंत्री स्तर के लोगों ने सार्वजनिक तौर पर आलोचना की थी। मेरा तात्पर्य निश्चित रूप से खाद्य सुरक्षा कानून और मनरेगा की तरफ है। वैसे तो केंद्रीय मंत्री इस बात से इनकार करते हैं लेकिन मनरेगा की दिहाड़ी चुकाने में जो देरी होती है उससे लोगों को दिक्कतें हो रही हैं और यह गंभीर विषय है।
हमारे तमाम प्रयासों के बावजूद सरकार हमारी सीमाओं की स्थिति पर चर्चा करने को तैयार नहीं है। अगर इस मुद्दे पर चर्चा होती है तो सब मिलजुलकर समस्या का समाधान खोज सकते हैं। देश की विदेश नीति के मूलभूत सिद्धांत के रूप में गुटनिरपेक्षता के महत्व की भले ही मौजूदा सरकार आलोचना करती रही हो, लेकिन मुझे यह बताते हुए खुशी है कि इसी सिद्धांत की फिर से बात हो रही है, भले ही इसे इस रूप में स्वीकार नहीं किया जा रहा है।

यूक्रेन से निकाले गए हजारों छात्रों के भविष्य को जल्द से जल्द सुनिश्चित करने की जरूरत है। और जल्द से जल्द, देश में चिकित्सा शिक्षा के निरंतर बढ़ते खर्च पर रोक लगाकर समाधान निकालने की आवश्यकता है।

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के एक संयुक्त मंच ने, जिसमें हमारी इंटक भी शामिल थी, मजदूरों और किसानों को प्रभावित करने वाली केंद्र सरकार की नीतियों के विरोध में 28 और 29 मार्च को देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया था। बढ़ती बेरोजगारी और आजीविका की असुरक्षा के समय श्रम कानूनों को कमजोर किया गया है। कर्मचारी भविष्य निधि संचय यानी पीएफ पर ब्याज दरों में काफी कमी की गई है। सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को जो अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के रोजगार के लिए महत्वपूर्ण रहे हैं, उन्हें एसेट मॉनिटाइजेशन का फैंसी नाम देकर बेचा जा रहा है। इसके नतीजे भी वैसे ही होंगे जैसे कि नोटबंदी के हुए थे।
सत्तारूढ़ दल और उसके नेताओं का विभाजनकारी और ध्रुवीकरण करने वाला एजेंडा अब राज्य दर राज्य राजनीतिक विमर्श की एक नियमित विशेषता बन गया है। न केवल प्राचीन बल्कि समकालीन इतिहास को भी – शरारतपूर्ण तरीके से विकृत किया जा रहा है और ऐसे दुर्भावनापूर्ण तथ्य इसमें जोड़े जा रहे हैं जो इनके एजेंडा में ईंधन का काम करते हैं। नफरत और पूर्वाग्रह की इन ताकतों के खिलाफ खड़ा होना और उनका सामना करना हम सभी का कर्तव्य है। हम उन्हें सदियों से हमारे विविध समाज को बनाए रखने और समृद्ध करने वाली मित्रता और सद्भाव के बंधन को नुकसान नहीं पहुंचाने देंगे।

सत्ता पक्ष लगातार विपक्ष, उसके नेताओं और कार्यकर्ताओं को निशाना बना रहा है। उनके खिलाफ सरकारी मशीनरी की पूरी ताकत झोंक दी गई है। सत्ता में बैठे लोगों के लिए अधिकतम शासन का मतलब स्पष्ट रूप से अधिकतम भय और धमकी फैलाना है। हम ऐसी धमकियों और हथकंडों से डरने वाले नहीं हैं। हमें ऐसी धमकियां नहीं डरा सकतीं।

मैं इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हूं कि हाल के चुनाव परिणामों से आप कितने निराश हैं। नतीजे चौंकाने वाले और तकलीफ देने वाले, दोनों रहे हैं। चुनावी नतीजों की समीक्षा के लिए कार्यसमिति की एक बार बैठक हो चुकी है। मैं अन्य साथियों से भी मिली हूं। मुझे अपने संगठन को मजबूत करने के बारे में कई सुझाव मिले हैं। कई प्रासंगिक हैं और मैं उन पर काम कर रही हूं। एक शिविर का आयोजन करना भी एक जरूरी काम है। उसमें ही अधिक संख्या में सहयोगियों और पार्टी प्रतिनिधियों के विचार सामने आते हैं। इसी शिविर से पार्टी द्वारा उठाए जाने वाले तत्काल कदमों पर एक स्पष्ट रोडमैप को आगे बढ़ाने में योगदान मिलेगा कि हम जिन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं उनका सर्वोत्तम तरीके से सामना कैसे करें।

आगे की राह पहले से कहीं ज्यादा चुनौतीपूर्ण है। हमारा समर्पण और दृढ़ संकल्प, हमारे लचीलापन की भावना की परीक्षा का समय है। हमारे विशाल संगठन के सभी स्तरों पर एकता सर्वोपरि है और अपने लिए बोलते हुए, मैं इसे सुनिश्चित करने के लिए जो कुछ भी आवश्यक है, करने के लिए दृढ़ संकल्पित हूं। हमारा पुनरुत्थान केवल हमारे लिए ही महत्व का विषय नहीं है – बल्कि हमारे लोकतंत्र और हमारे समाज के लिए भी आवश्यक है।

साथियों, हम अगले तीन महीने तक एक समूह के रूप में एकत्रित नहीं होंगे। तो मैं इस बीच की अवधि के लिए आप सभी को शुभकामनाएं देती हूं। इस बीच, मैं हमारी पार्टी द्वारा शुरू किए जा रहे आगामी अभियानों में आपकी पूर्ण भागीदारी की आशा करती हूं।

धन्यवाद।

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