मोदी सरकार द्वारा आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्ण गरीबों के लिए 10 फीसदी आरक्षण को लेकर कानून बनाने के बाद गुजरात पहला राज्य था जिसने इस कानून को राज्य में लागू किरने की घोषणा की थी। घोषणा के बाद बुधवार को गुजरात सरकार ने इसके लिए निर्धारित नियमों को भी मंजूरी दे दी, जिसमें घर या जमीन के मालिकाना हक के मापदंडों को शामिल नहीं किया गया है। गुजरात सरकार द्वारा जारी किए गए नियमों के मुताबिक राज्य में 1978 के पहले से रह रहे लोग ही इस आरक्षण का लाभ उठा पाएंगें। सरकार का कहना है कि आरक्षण में गुजरातियों कोे प्राथमिकता देने के उद्देश से 1978 से पहले तक दूसरे शहरों से आकर गुजरात में बसे लोगों को ही इस आरक्षण के योग्य माना जाएगा। जिसका मतलब है कि 1978 के बाद देश के किसी भी राज्य से यदि कोई व्यक्ति गुजरात जाकर बसा है तो उसे या उसके बच्चों को इस आरक्षण का लाभ नही मिलेगा।
सरकार का कहना है कि 1978 की कटऑफ डेट जारी करने का मकसद गुजरातियों के हितों की रक्षा करना है। इसका मतलब है कि सरकारी नौकरी और शिक्षा में आरक्षण उन लोगों पर लागू होगा जो 1978 से पहले गुजारत में बसे हैं। सामाजिक न्याय व अधिकारिता विभाग के उच्च सूत्रों ने कहा कि यह शर्त अपने आप लाखों गैर-गुजरातियों को आरक्षण के लिए अयोग्य साबित कर देगा।
इन सभी को मिलेगा आरक्षण का लाभ
डेप्युटी सीएम नितिन पटेल ने कहा कि दूसरे राज्यों से आने वाले लोग कोटा के लिए सेंट्रल जॉब में अप्लाई कर सकते हैं। जमीन, प्लॉट या फ्लैट का मालिकाना हक आरक्षण की योग्यता को प्रभावित नहीं करेगा। हमारा मकसद युवाओं को सरकारी नौकरी दिलाने और उच्च शिक्षा के लिए मदद करना है।’ उन्होंने जोर दिया कि सरकार अतिरिक्त सीटें बनाने के लिए शैक्षणिक संस्थानों को अतिरिक्त अनुदान देगी।
10% में भी 33% महिला आरक्षण
चुनाव से पहले आरक्षण लागू करने करके 10 फीसदी वर्ग में महिलाओं के 33 फीसदी आरक्षण का भी ध्यान रखा गया है। 2015 में गुजरात सरकार ने 33 फीसदी पुलिस नौकरी महिलाओं के लिए आरक्षित करने का फैसला किया था। पटेल ने यह भी स्पष्ट किया कि फिलहाल राज्य की गुजरात अनारक्षित शिक्षा और आर्थिक विकास निगम द्वारा जारी की गई विभिन्न योजनाओं के लिए 4.5 लाख रुपये और 6 लाख रुपये का आय मानदंड जारी रहेगा।