मध्यप्रदेश में आगामी 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले दोनों ही मुख्य पार्टियां अपनी-अपनी तैयारियों में जुट गई हैं। जीत हासिल करने के लिए दोनों ही पार्टियों के संगठन खुद को मजबूत बनाने में लगे हैं। ऐसे में भाजपा ने जीत हासिल करने के लिए कसावट का दौर फिर शुरू कर दिया। चंद महीनों से भाजपा ने धीरे-धीरे करके चुनाव के हिसाब से छटनी शुरू की है।
जानकारी के अनुसार भाजपा के संगठन द्वारा 18 जिलाध्यक्षों को बदला है और 6 से ज्यादा जिलाध्यक्ष अब रडार पर हैं। 6 संभागीय प्रभारी भी खराब परफॉर्मेंस के कारण बदले गए हैं। ऐसा माना जा रहा है कि इनके बाद प्रदेश पदाधिकारियों की जिम्मेदारी भी जल्द बदली जाएगी। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा चुनावी रणनीति के हिसाब से संगठनात्मक ढांचे पर फोकस कर रहे हैं, और जिन्हें चुनाव लड़ना है या चुनाव लड़वाना है, उन्हें उसके हिसाब से जिम्मेदारी दी जाने की तैयारी की जा रही है।
आपको बता दें कि मई 2020 में 24 अध्यक्ष वीडी शर्मा द्वारा बनाए गए थे। 18 को शर्मा ने ही परफॉर्मेंस के आधार पर बदला था। लेकिन इस बार बदलने वाले अध्यक्षों को साधने का नया फॉर्मूला अपनाया गया है। जिन्हें हटाया है उन्हें प्रदेश कार्यसमिति में सदस्य बना दिया गया।
जानकारी के अनुसार भाजपा संगठन में ही अब दर्जनों चेहरे टिकट के दावेदार हैं। इन्हें साधना और टिकट देना या न देना चुनौती बन गई है। जिन 103 हारी सीटों पर प्रभारी बनाए गए हैं, उनमें दो दर्जन से ज्यादा खुद टिकट के लिए दावेदारी कर रहे हैं। ऐसे सभी प्रभारियों को लेकर संगठन ने नाराजगी जाहिर की थी।
वहीं जिलाध्यक्ष भी टिकट के दावेदार हैं। भोपाल से सुमित पचौरी और इंदौर से गौरव रणदीवे टिकट की दावेदारी में हैं। भाजपा के प्रदेश महामंत्री भगवानदास सबनानी, उपाध्यक्ष आलोक शर्मा, मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर, प्रवक्ता डॉ. हितेश वाजपेयी, मंत्री राहुल कोठारी सहित कई अन्य नेता खुद टिकट के दावेदार हैं। एक ओर जहां संगठन के नेता टिकट के दावेदार हैं, तो दूसरी ओर ऐसे भी दर्जनों नेता हैं जो अभी हाशिये पर दिन गुजार रहे हैं, लेकिन अब संगठन में जिम्मेदारी चाहते हैं। इनके फेरे भी प्रदेश भाजपा नेतृत्व के यहां पर बढ़ गए हैं।
विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश कांग्रेस ने सीधा फॉर्मूला रखा है। यदि चुनाव लड़ना है तो संगठन का पद छोड़ो। इसे लेकर बीते महीनों में कई नेता संगठन की जिम्मेदारी से किनारा कर चुके हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने सर्वे, फीडबैक, जिताऊ चेहरे के आधार पर टिकट देने का ऐलान किया है। कांग्रेस जिलाध्यक्षों को चुनाव नहीं लड़ाएगी। संगठन पदाधिकारी को टिकट नहीं दिया जाएगा।
दरअसल कांग्रेस ने बीते दिनों 12 से ज्यादा जिलों में अध्यक्षों की नई नियुक्ति की है। इसके बाद भी 6 से ज्यादा जिलों में और बदलाव होने हैं। हर जिले में प्रभारी बनाकर फीडबैक लिया जा रहा है। इसी के आधार पर अध्यक्षों की परफॉर्मेंस देखी जा रही है। टिकट वितरण में प्रभारियों का फीडबैक अहम रहेगा।