Manipur Violence: ‘सर्वदलीय बैठक तक बुलाई गई जब…’ राहुल गांधी ने केंद्र पर साधा निशाना

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मणिपुर के हालात के मद्देनजर केंद्र सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक पर सवाल उठाया है, साथ ही केंद्र सरकार पर निशाना भी साधा है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा मणिपुर के हालात पर विचार विमर्श करने के लिए 24 जून को दोपहर 3 बजे सर्वदलीय बैठक बुलाई गई है। गृह मंत्रालय की तरफ से इस विषय में बुधवार 21 जून को जानकारी दी गई थी।

सर्वदलीय बैठक पर क्या बोले राहुल गांधी?
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को ट्वीट करते हुए केंद्र पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, “50 दिनों से मणिपुर जल रहा है लेकिन प्रधानमंत्री खामोश हैं। सर्वदलीय बैठक का आयोजन भी तक किया जा रहा है जब प्रधानमंत्री खुद देश में मौजूद नहीं हैं। साफ है, पीएम मोदी के लिए यह बैठक अहम नहीं है।”

सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को मणिपुर भेजने की उठाई थी मांग
राहुल गांधी ने एक हफ्ते पहले ही केंद्र सरकार और पीएम मोदी पे तंज कसा था और एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को मणिपुर राज्य में भेजने की मांग भी की थी।
ट्विटर पर ट्वीट करते हुए राहुल ने लिखा था, ‘भाजपा की नफरत की राजनीति ने मणिपुर को 40 दिनों से ज्यादा तक जलाए रखा, जिसमें सौ से भी ज्यादा लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। प्रधानमंत्री ने देश को निराश किया है और पूरी तरह खामोश हैं। हिंसा के इस चक्र को समाप्त और शांति लाने के लिए मणिपुर में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को भेजना चाहिए। आइए इस नफरत के बाजार को बंद करके मणिपुर में हर दिल में मोहब्बत की दुकान खोलते हैं।”

ममता बनर्जी ने भी दी प्रतिक्रिया बोलीं- अब बहुत देर हो चुकी है
गृहमंत्री द्वारा बुलाई गई इस बैठक पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने भी प्रतिक्रिया दी है। न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार सीएम ममता बनर्जी ने कहा, “मणिपुर जल रहा है, मणिपुर की जनता मुसीबत में हैं। अब बहुत देर हो चुकी है। सेंट्रल फोर्स की मौजूदगी के बावजूद मंत्री का घर जल रहा है, यह पूर्ण रूप से विफलता है। केंद्र सरकार ने बैठक बुलाई है इसलिए पार्टी की तरफ से डेरेक ओ ब्रायन जायेगें।”

गौरतलब है, पिछले करीब डेढ़ महीने में मणिपुर हिंसा में 100 से ज्यादा लोग मारे गए। लगभग 50 दिन पहले मणिपुर में दो समुदायों (कुकी और मेइता) के बीच हिंसा भड़क उठी थी। मेइता समुदाय के लोग अनुसूचित जनजाति दर्ज की मांग कर रहे थे, जिसके विरोध में राज्य के पर्वतीय जिलों में 3 मई को आदिवासी एकजुटता मार्च निकाला था। उसके बाद से ही दोनो समुदाय के बीच झड़प हो गई और यह हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही।

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