उत्तर प्रदेश की सपा सरकार के वक्त हुए तथाकथित रिवर फ्रंट घोटाला मामले में एनफोर्समेंट डिपार्टमेंट ने गुरुवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए लखनऊ समेत देश में कई जगहों पर एक साथ छापेमारी की। उत्तर प्रदेश के अलावा हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली में भी ईडी ने छापेमारी की। नोएडा के सेक्टर-62 में सर्च ऑपरेशन करते हुए कई इंजीनियरों के साथ सिंचाई विभाग के कई अधिकारियों के खिलाफ भी छापेमारी की कार्रवाई की गई है।
दरअसल सपा शासनकाल के दौरान लखनऊ में बने गोमती रिवरफ्रंट के निर्माण में वित्तीय अनियमितताओं के गंभीर मामले सामने आए है। योगी सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद गोमती रिवरफ्रंट का दौरा किया था। जिसके बाद गोमती नदी चैनलाइजेशन प्रोजेक्ट और गोमती नदी रिवरफ्रंट डेवलपमेंट में हुई वित्तीय अनियमितताओं की न्यायिक जांच हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस आलोक सिंह की अध्यक्षता में गठित समिति ने की थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट 16 मई 2017 को राज्य सरकार को सौंपी थी। जिसमें दोषी पाए गए अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराए जाने की सिफारिश की गई थी। समिति ने जांच के घेरे में आए तत्कालीन मुख्य सचिव आलोक रंजन और तत्कालीन प्रमुख सचिव सिंचाई दीपक सिंघल के खिलाफ विभागीय जांच की सिफारिश भी की थी।
इन अफसरों पर आरोप
ईडी ने मामले में तत्कालीन चीफ इंजीनियर गोलेश चंद्र (रिटायर्ड), एसएन शर्मा, काजिम अली और सुपरिटेंडेंट इंजीनियर शिवमंगल यादव (रिटायर्ड), अखिल रमन, कमलेश्वर सिंह, रूप सिंह यादव (रिटायर्ड) और एग्जीक्यूटिव इंजीनियर सुरेशयादव के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है। सीबीआई नामजद आरोपियों से पूछताछ करने के साथ ही कई अहम दस्तावेज कब्जे में ले चुकी है।
बजट बड़ाया फिर काम आधे में लटका
बताया जा रही है कि रिवरफ्रंट के निर्माण के लिए पहले 747.49 करोड़ का बजट था। जिसे बढ़ाकर बाद में मुख्य सचिव की बैठक में निर्माणकार्य के लिए 1990.24 करोड़ रुपये का प्रस्ताव दिया गया था। जसके बाद जुलाई, 2016 में 1513.51 करोड़ रुपये मंजूर हुए थे। निर्माणकार्य में स्वीकृत राशि से 1437.83करोड़ रुपये खर्च हुए थे, लेकिन करीब 60 फीसदी काम ही पूरा हो सका था। आरोप है कि तत्कालीन सरकार को भी इस संबंध में शिकायतें मिली थी लेकिन कोई कार्यवाही नही की गई।
ईडी के सम्मुख पेश नहीं हुईं बी चंद्रकला
सपा सरकार के कार्यकाल के दौरान हुए कथित खनन घोटाले में आरोपी आईएएस अधिकारी और हमीरपुर की पूर्व जिलाधिकारी बी चंद्रकला गुरूवार को प्रर्वतन निदेशालय के समक्ष पेश नहीं हुई। ईडी ने हमीरपुर की तत्कालीन जिलाधिकारी को नोटिस जारी कर गुरुवार को पेश होने के लिए कहा था लेकिन शैक्षणिक अवकाश पर चल रही बी चंद्रकला के स्थान पर उनके वकील एस अहमद साउद लखनऊ में ईडी के दफ्तर पहुंचे और निदेशालय द्वारा मांगे गए जरूरी दस्तावेजों को अधिकारियों के हवाले किया। बाद में अहमद ने पत्रकारों को बताया कि ईडी ने जिन दस्तावेजों की मांग उनके मुवक्किल से की थी, उन्हे आज सौंप दिया गया है। उनकी मुवक्किल कुछ समय बाद इस मामले में ईडी के सामने पेश हो सकती है।