Newbuzzindia: चार राज्यों के चुनाव में बुरी तरह हार चुकी कांग्रेस अब उत्तर प्रदेश पर नजरें गड़ाए है। उत्तर प्रदेश में 2017 में विधानसभा चुनाव होने हैं। एक साल से भी कम वक्त में कांग्रेस को फिर से खड़ा करने के लिए उसके चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर इन दिनों लखनऊ में डेरा डाले हैं। जिलाध्यक्षों के साथ उनकी बैठकों का अगला दौर सोमवार, 23 मई से शुरू हो चुका है।
प्रशांत किशोर के काम करने के तरीके से यूपी कांग्रेस के कुछ नेताओं की बेचैनी बढ़ गई है। The Indian Express ने पता लगाया है कि किशोर और उनकी 100 सदस्यीय टीम कैसे उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की विभिन्न इकाइयों को छान कर डेढ़ लाख समर्पित कार्यकर्ता चुन रही है।
प्रशांत जुलाई से प्रचार शुरू करने की योजना बना रहे हैं
हर विधानसभा क्षेत्र से करीब 300 कार्यकर्ताओं को चुना जाएगा, जो जमीन पर कांग्रेस के प्रचार में सबसे अहम साबित होंगे। प्रशांत जुलाई से प्रचार शुरू करने की योजना बना रहे हैं। साथ ही साथ, वह और उनकी टीम अलग-अलग समूहों, विभागों और इकाइयों से कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं को एक मंच पर ला रही है ताकि वे अपने क्षेत्र की समस्याओं, जातिगत समीकरणों के बारे में बता सकें और सुझाव भी दे सकें।
अगले डेढ़ महीने की उनकी रणनीति के तीसरे हिस्से में उनकी टीम ऐसे परिवारों से मिलेगी जो लम्बे समय तक कांग्रेस से जुड़े थे, मगर किन्हीं कारणों की वजह से पार्टी से खुद को दूर कर लियाा है। पार्टी सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है कि किशोर ने इस काम को खत्म करने के लिए डेढ़ महीने का वक्त मांगा है और पार्टी का असली चुनाव प्रचार जुलाई से शुरू होगा। प्रशांत की टीम के पास एक काम है जो उन्हें इस महीने के अंत तक खत्म करना है। उन्हें हर विधानसभा सीट से कम से कम 30-35 हजार कार्यकर्ता चुनने हैं जिन्हें जून में लखनऊ लाया जाएगा और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी उनसे बातचीत करेंगे।
पंजाब से इतर, उत्तर प्रदेश में प्रशांत को उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने अब तक मन मुताबिक तरीके से काम करने दिया है। यहां तक कि प्रशांत ने जिला स्तर से लेकर ब्लॉक और कांग्रेस की विभिन्न इकाइयों से सीधे बात की, ये सारा कार्यक्रम लखनऊ में उन्नाव से पूर्व कांग्रेस सांसद अन्नू टंडन के सहयोग से हुआ।
लेकिन इन सभी गतिविधियों के बीच, प्रशांत की अलग कार्यशैली ने कांगेस के नेताओं में बेचैनी जा दी है। किेशोर ने रोजमर्रा की बैठकों से इतर पार्टी के गिने-चुने नेताअों से अलग बात की, वे अक्सर राहुल गांधी से सीधा संपर्क होने की याद दिलाते हैं, अपने भाषणों में वे दावा करते हैं कि टिकट बांटने में भी अहम रोल अदा करेंगे।
मार्च में जब प्रशांत किशोर आधिकारिक रूप से कांग्रेस की चुनावी योजना का हिस्सा बने और राहुल गांधी द्वारा बुलाई गई उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं की बैठक में हिस्सा लिया, तो वे बहुत कम बोले। सभी को यह बताया गया कि किशोर 2017 के चुनावों के लिए एक चुनावी प्रचार अभियान बनाएंगे और पार्टी का घोषणा पत्र तैयार करने में मदद करेंगे। सभी नेताओं से प्रशांत को सहयोग करने को कहा गया।
जल्द ही, किशोर आल इंडिया कांग्रेस कमेटी के महासचिव मधुसूदन मिस्त्री और यूपी कांग्रेस अध्यक्ष निर्मल खत्री के साथ दिल्ली आए और 10 मार्च को कांग्रेस के करीब 140 जिलाध्यक्षों और नगर अध्यक्षों को दो काम सौंपे। पहला, सभी को हर विधानसभा क्षेत्र से कम से कम 20 समर्पित कार्यकर्ताओं के नाम, मोबाइल नंबर और फोटोग्राफ जुटाने को कहा गया।
यह काम मार्च अंत तक खत्म करना था, लेकिन अभी भी कुछ काम बाकी बचा हुआ है। दूसरा, उन्हें एक फॉर्म भरने को दिया गया जिसमें जिला इकाइयों से क्षेत्र में पार्टी और संगठन की कमियां और अच्छाइयां पूछी गई थीं। ये भी पूछा गया कि क्षेत्र में बीजेपी समेत अन्य पार्टियों के बेहतर प्रदर्शन करने के कारण भी पूछे। ये जानकारी भी मांगी गई कि उनके इलाके में कौन से मुद्दे उठाए जा सकते हैं। ज्यादातर पार्टी इकाइयों ने काम पूरा कर लिया है लेकिन रायबरेली, अमेठी और सुल्तानपुर को इस प्रकिया में शामिल नहीं किया गया।
इस दौरान किशोर की टीम को लखनऊ स्थित उत्तर प्रदेश कांग्रेस कार्यालय की छत पर एक कमरा दिया गया था। प्रशांत की टीम किसी नेता से बात नहीं करती। जल्द ही एक प्लान तैयार किया गया, जहां किशोर वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में हर स्तर के कार्यकर्ताओं से मिलते।
पहले तय हुआ कि किशोर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ पूरा यूपी घूमेंगे। लेकिन बाद में तय किया गया कि कार्यकर्ताओं और नेताओं को लखनऊ बुलाया जाएगा और बाकी नेता सिर्फ बैठक का इंतजाम करने में लगे रहे।