आरएसएस और सिमी के बीच है कई समानताएं । जानें क्यों की जाती है दोनों की तुलना

Newbuzzindia : भोपाल में हुए एनकाउंटर के बाद सिमी एक बार फिर सुरखिओं में आ गया है । कुछ लोग सिमी के बारे में जानते है और कुछ लोग सिमी के बारे में जानना चाहते है । जो लोग सिमी के बारे में नही जानते और जानना चाहते है वह मेरी तरह है । मैंने पहले भी कई बार सिमी का नाम सुना था पर ज्यादा कुछ नही जानता था । भोपाल में हुए एनकाउंटर के बाद मैंने सिमी के बारे में जानकारी पाने के लिए इंटरनेट का सहारा लिया । सिमी के बारे में पढ़ने के बाद मुझे ऐसी कई चीज़ें मालूम हुई जो में आपके साथ बाटना चाहता हूँ । सबसे पहले में आपको बताता हूँ की आखिर सिमी है क्या ?

सिमी यानी  “student islamik movement of india” है । सिमी के शुरुआत सन 25 अप्रैल 1977 को अलीगढ में हुई थी । कुछ लोगो का कहना है कि सिमी की शुरुआत इससे कई पहले 1961 में हो गई थी ।  अमेरिका में रहने वाले प्रोफेसर मोहम्मद अहमदुल्ला सिद्दकी को सिमी का संस्थापक बताया जाता है ।

यह तो हो गया सिमी का इतिहास । इसके बाद हम बात करेंगे सिमी की विचारधारा और लक्ष्य की । सिमी के बारे में ज्यादा जानकारी जुटाने के लिए मैंने सिमी से जुडी कई खबरें पढ़ी और सिमी से जुड़े कई लोगों के इंटरव्यू पढ़ें । मैंने कई जगह पर कई लोगों को सिमी की तुलना आरएसएस और बजरंग दल जैसे संगठनों से करते हुए देखा ।इन लोगों में राहुल गांधी और दिग्विजय जैसे बड़े नाम भी है ।  मैंने सोचा की सिमी तो एक आतंकी संगठन है तो फिर इसकी तुलना बजरंग दल और आरएसएस से करना कहाँ तक सही है ? मैंने सोचा क्या कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह पागल हो गए थे जो सिमी और बजरंग दल को एक जैसा बताते हुए दोनों पर प्रतिबंध लगवाना चाहते थे ।

इसके बाद सिमी में मेरी दिलचस्पी और बढ़ने लगी । मैंने सिमी और सिमी के बारे में पढ़ना चालू किया । पढ़ते-पढ़ते ऐसे कई तथ्य सामने आए जो सिमी को आरएसएस के सामान दर्शा रहे थे । अब में आपको आरएसएस और सिमी के बारे में अलग-अलग बताने की बजाय एक साथ बताता हूँ ।

दोनों ही सांप्रदायिक संगठन है ।
देखा जाए तो सिमी और आरएसएस दोनों ही सांप्रदायिक संगठन है । सिमी की विचारधारा इस्लाम और मुस्लिमों से जुडी है तो वहीं आरएसएस हिंदुत्व की विचारधारा पर काम करता है ।

हिन्दू राष्ट्र – मुस्लिम राष्ट्र
दोनों ही संगठनों की राष्ट्र को लेकर एक और समानता है । आरएसएस हिन्दू राष्ट्र की कल्पना करता है तो वहीं सिमी भारत को मुस्लिम राष्ट्र बनाना चाहता है ।

राम मंदिर – बाबरी मस्जिद की लड़ाई
अयोध्या में हुए विवाद में इन दोनों ही संगठनों का बड़ा हाथ रहा है । आरएसएस और उसके साहियोगी संगठन जहाँ बाबरी मस्जिद गिराकर राम मंदिर बनवाना चाहते थे । वहीं दूसरी ओर सिमी बाबरी मस्जिद गिराने का विरोध करता है और बाबरी मस्जिद की पुनः स्थापना चाहता है ।

दोनों पर लग चुका है बैन ।
महात्मा गांधी की हत्या के बाद सरदार वल्लभभाई पटेल ने आरएसएस पर बैन लगा दिया था । वहीं दूसरी ओर सिमी पर 2002 में भारत सरकार ने बैन लगा दिया था ।

दोनों पर लग चुका है आतंकवादी संगठन का ठप्पा
महात्मा गांधी की हत्या के बाद सन 1948 में आरएसएस को आतंकवादी संगठन बताते हुए गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने बैन लगाया था । वहीं 2002 में कांग्रेस सरकार ने सिमी को आतंवादी संगठन मानते हुए बैन लगाया था ।

बैन के बाद दोनों ने खोली कई समर्थक संस्थाए
बैन लगने के बाद आरएसएस ने विश्व हिंदू परिषद् , विद्या भारती , बजरंग दल जैसे कई संगठनों की शुरुआत की । वहीं सिमी से बैन लगने के बाद इंडियन मुजाहिद्दीन नाम से नया संगठन शुरू किया था ।

दोनों करते सांकृतिक प्रसार का दावा
आरएसएस एक ओर कहता है कि वह युवाओं में हिन्दू संस्कृति को बढ़ावा देने पर काम करता है तो वहीं सिमी के अनुसार वह पश्चिमी सभ्यता के खिलाफ युवाओं में इस्लामिक संस्कृति को बढ़ावा देता है ।

आतंकी हमलों में आया नाम
सिमी जहाँ मालेगांव बम धमाका , दिल्ली सीरियल ब्लास्ट , मुम्बई ट्रैन ब्लास्ट और गुजरात बम धमाकों का आरोपी है । वहीं दूसरी ओर आरएसएस पर हैदराबाद की मक्का मस्जिद हमले, और 2007 के समझौता एक्सप्रेस बम ब्लास्ट, 2006 और 2008 में महाराष्ट्र के मालेगांव में हुए बम ब्लास्ट का आरोप है । सूत्र एबीपी न्यूज़

साम्प्रदायिकता फ़ैलाने और दंगे करवाने का आरोप
दोनों ही संगठनों पर साम्प्रदायिकता फ़ैलाने और दंगे करवाने जैसे आरोप समय समय पर लग चुके है । दोनों ही संगठन के सदस्य इन आरोपों के चलते कई बार जेल भी जा चुके है ।

इन सभी समानताओं को देखते और दिखाते हुए में किसी भी तरह से यह नही कहना चाहता हूँ की आरएसएस पर बन लगाया जाए या फिर सिमी से बैन हटाया जाए । में सिमी से तुलना करके आरएसएस को आतंकी संगठन नही बता रहा हूँ । वहीं सिमी की आरएसएस से तुलना करके में उसे देशभक्त संगठन भी नही मानता हूँ । में एक हिन्दू हूँ और हिन्दू संस्कृति और मेरा पूरा भरोसा है । में राष्ट्रवादी भी हूँ पर भक्तवादी नही ।

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