Newbuzzindia: टेलिकॉम की दुनिया से जुड़े रहे सैम पित्रोदा ने रघुराम राजन के दूसरा कार्यकाल न लेने के फैसले पर मोदी सरकार पर निशाना साधा है। पित्रोदा ने कहा, ‘तीन साल के कार्यकाल के बाद इस्तीफा देने के राजन के प्रस्ताव से पहले हुए ड्रामे पर मुझे कोई आश्चर्य नहीं है।
पहले उनके खिलाफ अभद्र भाषा के इस्तेमाल के लिए एक व्यक्ति को लगाया गया और इंटरनैशनल लेवल के एक्सपर्ट पर निशाना साधा गया। इसके बाद उनके भरोसे, विश्वसनीयता और राष्ट्रीयता पर सवाल खड़े किए गए। पित्रोदा के अनुसार राजन ने भारत आकर बहुत बड़ा त्याग किया है, लेकिन उसके बदले उन्हें सिर्फ अपमान ही झेलना पड़ा है ।
सैम पित्रोदा ने कहा कि इसके बाद आप लोगों ने उन्हें यह कहकर अपमानित किया कि आप जहां से आए थे, वहां भेजे जा रहे हैं। पित्रोदा ने कहा, ‘मुझे राजन से सहानुभूति है। मैं उनका बेहद सम्मान करता हूं। इन परिस्थितियों में भी उन्हों खुद को पूरे सम्मान के साथ हैंडल किया। उनका आरबीआई के गवर्नर पद से ऐसे वक्त में जाना राष्ट्रीय क्षति होगा।’ पित्रोदा ने कहा कि मैं इसमें उनकी कोई मदद नहीं कर सकता हूं, लेकिन मुझे वह दौर याद आता है, जब राजीव गांधी के कार्यकाल में मुझ पर हमले किए गए थे।
मैं कहना चाहूंगा कि किसी बड़े प्रफेशनल और उसके परिवार के लिए अमेरिका में ऊंची पे वाली, आरामदायक और बेहतर लाइफ स्टाइल वाली जॉब छोड़कर राष्ट्र निर्माण के लिए भारत वापस आने का फैसला आसान नहीं होता। पित्रोदा ने कहा कि भारत में सरपरस्ती और परफॉर्मेंस में मुकाबला होता है। लोग व्यक्ति की तेजी, विशेषाधिकार, सरपरस्ती और व्यक्तित्व को आंकते हैं, जबकि उसकी परफॉर्मेंस और उत्पादकता पर ध्यान नहीं दिया जाता है।
पित्रोदा ने कहा कि भारत की व्यवस्था काफी हद तक सामंती, अलोकतांत्रिक और वर्गीकृत है। केवल वह लोग जिनके पास ताकत आ जाती है, उनका ही सम्मान किया जाता है। ऐसे लोगों का बाहर सम्मान किया जाता है, लेकिन व्यवस्था के अंदर ऐसे लोगों से नफरत की जाती है। यदि आप लोगों का पक्ष लेते हैं तो वह आपसे प्यार करते हैं। यदि आप ऐसा नहीं करते हैं तो आपको नफरत मिलती है।