Newbuzzindia: अगर हम मनमोहन सिंह सरकार को इस नजरिए से देखें तो हमें सूचना का अधिकार, भोजन का अधिकार, आधार, डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर, शिक्षा का अधिकार, रोजगार का अधिकार जैसे कानून याद आते हैं।
इन कानूनों का उद्देश्य भी साफ था- ये गरीब लोगों को ध्यान में रखकर बनाए गए थे। मोदी के कामकाज में इसके प्रति फोकस नहीं दिखता। हो सकता है कि समय के साथ वह आए, लेकिन अभी वह नहीं है। मेक इन इंडिया और स्वच्छ भारत अभियान कोई कानूनी पहल नहीं है, बल्कि नारे हैं। विदेश नीति: यह काफी अजीब बात है कि इस मामले में विशेषज्ञों की राय और आम लोगों की राय में काफी अंतर है।
जो लोग मोदी को पहले साल के चश्मे से देख रहे हैं, वे काफी प्रभावित हैं। प्रधानमंत्री उस दौर में दुनिया भर के कई देशों में काफी भव्य कार्यक्रमों में शरीक हुए थे, लोग बडे पैमाने पर उन्हें सुनने के लिए आए थे। इसे विदेश नीति की कामयाबी के तौर पर देखा जाता था, लेकिन ऐसा था नहीं।
वास्तविकता यह है कि मोदी की व्यक्तिगत कूटनीति एक तरह से नाकाम रही है और पाकिस्तान को लेकर हमारी नीति ऐसी है जिसे शायद ही कोई विशेषज्ञ समझा पाए।
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