Newbuzzindia: जज से लेकर एसपी और एमपी से लेकर एमएलए तक , कर्णाटक की समूची सत्ता का एक हिस्सा अडानी ग्रुप के पे-रोल पर था. कॉर्पोरेट भ्रष्टाचार का ये सनसनीखेज खुलासा अरबों रूपए के माइनिंग घोटाले की जांच कर रही लोकायुक्त की SIT ने किया है.
पिछले चार साल से कर्नाटक में हो रही जांच में SIT ने Adani Enterprise Limited के कई गोपनीय ईमेल को डिकोड करके ये खुलासा किया है की लगभग 500 अधिकारी और नेता को अडानी ग्रुप हर महीने रिश्वत के तौर पर बंधी हुई रकम दे रहा था.SIT का आरोप है की कर्नाटक के बेलेकर पोर्ट से आयरन ओर निर्यात कर रहे अडानी ग्रुप ने भारी घपलेबाज़ी की है.
इस पोर्ट से आंख बंद कर मानक से ज्यादा खनिज लोहा अडानी ग्रुप ने विदेश भेज दिया. कई और कम्पनियां भी इस धांधली में शामिल थी. कुलमिलाकर ये घपला 15000 करोड़ रूपए से ज्यादा का है.
SIT की अदालत में दी गई रिपोर्ट के मुताबिक फरवरी 2010 में लोकायुक्त ने बेलेकर पोर्ट पर छापे डाले जिसमे अडानी एंटरप्राइज लिमिटिड के दफ्तर से कई फाइल और कंप्यूटर हार्ड डिस्क बरामद की गई. दो साल बाद हार्ड डिस्क से बरामद डेटा में कुछ ईमेल मिले जिसमे अफसरों और नेताओं को माहवारी रिश्वत देने का ब्योरा था.
सूत्रों के मुताबिक ये ईमेल अडानी एंटरप्राइज के अकाउंट सेक्शन के प्रवीण बाजपाई ने सैमुअल डेविड को भेजा था.चूँकि अडानी ने कथित तौर पर चोरी छिपे खनिज निर्यात किये थे इसलिए अफसरों और नेताओं को रिश्वत दी गई थी. ज्यादतर पेमेंट कार्गो भेजे जाने के हिसाब से किये गए थे.
यानि जितना माल चोरी से भेज जा रहा था उसी के हिसाब से अहम अफसरों और नेताओं को पैसा दिया जा रहा था. ईमेल से पता लगा की अडानी ग्रुप स्थानीय एसपी को 1 लाख रूपए प्रति माह, अडिशनल एसपी को 25,000 रूपए , डिप्टी एसपी को 10,000 प्रति माह देता था. इसी तरह एमपी और एमएलए की भी मुठ्ठी गरम की जा रही थी.
उधर बंगलोर के अख़बार मिरर को अडानी ग्रुप ने इस मामले में जवाब देते हुए कहा है कि अडानी को सिर्फ कार्गो का ठेका मिला था जबकि खनन का काम बाकि कम्पनियां कर रही थीं. अडानी के प्रवक्ता का कहना है कि किसी को रिश्वत दिया जाने का सवाल ही नहीं उठता है.
जिस ईमेल के डेटा को सबूत मान जा रहा उसकी पुष्टि कभी भी कम्पनी ने नहीं की है. प्रवक्ता के मुताबिक ईमेल की तस्दीक जांच एजेंसी भी नहीं कर सकी हैं. उधर ईमेल भेजने वाले अडानी के तत्कालीन अकाउंट अधिकारी प्रवीण बाजपाई को अभी तक SIT नहीं ढून्ढ पायी है. अब तक की जांच में अडानी ग्रुप के शीरस्थ अधिकारी भी बचते चले आये हैं.
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