भोपाल। रेप और यौन हिंसा के मामलों की जांच के लिए ‘टू फिंगर टेस्ट’ (Two finger test) कराया जाता है। इसे लेकर मध्यप्रदेश में बड़ा फैलसा लिया गया है। प्रदेश में किसी भी रेप या यौन उत्पीड़न के मामले में अब टू फिंगर टेस्ट नहीं होगा। पुलिस मुख्यालय की महिला सुरक्षा शाखा ने ये आदेश जारी कर पुलिस आयुक्त और एसपी को निर्देश दिए हैं।
सुप्रीम कोर्ट पहले ही टू फिंगर टेस्ट पर आपत्ति जता चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे ‘अवैज्ञानिक’ करार दिया था। पीड़ितों का टू-फिंगर टेस्ट करना उन्हें फिर से प्रताड़ित करना है। कोर्ट ने मेडिकल की पढ़ाई से टू फिंगर टेस्ट को भी हटाने को कहा था। अदालत ने टू-फिंगर टेस्ट पर फिर से रोक लगाते हुए चेतावनी दी थी कि अगर कोई ऐसा करता है तो उसे दोषी ठहराया जाएगा।
‘टू-फिंगर’ टेस्ट यौन उत्पीड़न और रेप की शिकार महिलाओं के बारे में जानने के लिए किया जाता है कि वे सेक्सुअली एक्टिव हैं या नहीं। इस टेस्ट के दौरान पीड़िता के प्राइवेट पार्ट में एक या दो उंगली डालकर उसकी वर्जिनिटी जांची जाती है। अगर प्राइवेट पार्ट में दोनों उंगलियां आसानी से चली हैं तो महिला को सेक्सुअली एक्टिव माना जाता है। इसे ही महिला के वर्जिन या वर्जिन ना होने का सबूत भी मान लिया जाता है। टेस्ट का मकसद यह जानना होता है कि महिला के साथ शारीरिक संबंध बने थे या नहीं।
