भोपाल। हिंदू धर्म में तीर्थों का विशेष महत्व होता है। हर व्यक्ति का सपना होता है कि जीवन में एक बार तीर्थदर्शन का पुण्य लाभ प्राप्त कर ले। परंतु धनाभाव एवं आर्थिक विपन्नता इस सपने के साकार होने में बाधा बनती है। गाँव-देहात में मजदूरी करके जीवन यापन करने वालों को भर पेट भोजन मिलना और जीवकोपार्जन के लिए आवश्यक संसाधन जुटाना ही दुष्कर है, ऐसे में दुर्गम स्थानों की यात्रा का सोचना भी मुमकिन नहीं है। यह उनके लिए कभी पूरा न होने वाले सपने के समान था। लेकिन आज यह संभव हो पा रहा है।
जैत के छोटे से गाँव से निकले शिवराज सिंह चौहान ने गाँव, गरीब को नजदीक से देखा व जिया है। इसलिए वह इन मनोभावों को बहुत प्रामाणिक तरीके से महसूस करते हैं। सामाजिक न्याय के उनके विशिष्ट मॉडल में यह दृष्टिगोचर भी होता है। वह गाँव-देहात में बसने वाले लोक के मानस को भली प्रकार समझते हैं। दिहाड़ी मजदूरी करने वाले लोगों का तीर्थ दर्शन का सपना गरीबी की वजह से न टूटे और वह धर्मलाभ ले सकें, इसके लिए मध्यप्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना लागू की और और देश के सभी प्रमुख तीर्थस्थलों तक के लिए तीर्थदर्शन योजना के तहत ट्रेन चलवाई। लाखों-करोड़ों लोग तीर्थ यात्रा की आकांक्षा के साथ ही इस दुनिया से विदा हो जाते हैं, ऐसे में शिवराज सिंह चौहान ने सरकारी संसाधनों पर इसे पूरा कराकर लोगों को अपना मुरीद बना लिया है। तीर्थ दर्शन योजना लाखों बुजुर्गों के जीवन की अंतिम मुराद को पूरा करने का माध्यम बन गई है।
वस्तुतः यह एक अनोखी योजना है जो धर्म से अधिक मानवता के धरातल पर समावेशी सोच के साथ चित्रित की गई है। समाजशास्त्री डॉ. अभय गच्छ कहते हैं कि तीर्थदर्शन योजना एक गेम चेंजर स्कीम है क्योंकि यह सामाजिक एवं आध्यात्मिक दोनों ही दृष्टि से बहुत शानदार है। कोई सरकार व्यक्ति के निजी जीवन के इस पक्ष को भी पूरा करने का प्रयास कर सकती है, यह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से पहले किसी ने सोचा तक नहीं था। यह केवल सरकार की केवल एक योजना भर नहीं है बल्कि जनता और शिवराज सिंह के मध्य भरोसे और प्रेम की ऊंची उड़ान भी है।
तीर्थदर्शन योजना ने मध्यप्रदेश में बीजेपी और खासतौर पर शिवराज सिंह का नया वोटबैंक तैयार किया है जो हर तरह के राजनैतिक दुष्प्रचार से दूर रहता है। यदि इस योजना के राजनैतिक प्रभावों पर गौर करें तो हम पाते हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा के जनाधार को स्थाई बनाने में इस योजना का अहम रोल है क्योकि जिस मोहल्ले से बुजुर्गों ने इस यात्रा को किया है वे और उनका पूरा परिवार शिवराज सिंह के सॉलिड कैम्पेनर की तरह काम करते हैं। इस योजना के माध्यम से शिवराज सिंह के प्रति जनता की खुली दीवानगी से खुन्नस खाते हुए कमलनाथ सरकार ने इसे अपने 16 महीने के कार्यकाल में बंद कर दिया था लेकिन शिवराज सिंह ने सत्ता में आते ही फिर इसे बहाल किया और अब हवाई जहाज से तक श्रद्धालुओं को यात्रा करवा रहे हैं।
शिवराज सच्चे अर्थों में जनाकांक्षाओं को समझने एवं उन्हें पूरा करने वाले नेता हैं। वह यह भली भांति जानते हैं कि सरकार का काम जन-चेतनाओं को मूर्तरूप प्रदान करना होता है। आमजन के लिए रोटी-कपड़ा-मकान, शिक्षा-स्वास्थ्य बौर रोजगार जैसी बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करना होता है। लेकिन इसके साथ ही आमजन बहुत कुछ चाहता है, अपने धर्म, अपनी संस्कृति, अपनी बोली-वाणी इन सबसे गहरे तक जुड़ना चाहता है। उन्होंने जनता की इस मौन भाषा को पढ़ा और सांस्कृतिक संवर्धन के लिए रूपरेखा बनाई।
चुनावी माहौल में यह कदम शिवराज सिंह चौहान की छवि को और मजबूत करेगा। हवाई जहाज से तीर्थ यात्रा करने वाले श्रद्धालु उन्हें खूब आशीर्वाद एवं आशीष भी दे रहे हैं। बुजुर्गों के कल्याण और उनके सम्मान के लिए जो काम शिवराज कर रहे हैं, उनको देखकर बर्री गाँव के तुलाराम जी सहित पूरे प्रदेश के बुजुर्ग कह रहे हैं कि बेटा हो तो शिवराज जैसा…