कांग्रेस ने विधानसभा चुनावो के समय अपने वचन पत्र में हर ग्राम पंचायत में एक गौशाला खोलने का वादा किया था। जिसको पूरा करने के लिए अब कमलनाथ सरकार ने काम करना शुरू कर दिया गया है। निराश्रित पशुओं की उचित देखभाल के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर गौशालाओं के सब्सटेंशियल मॉडल विकसित के लिए अपर मुख्य सचिव एवं अध्यक्ष माध्यमिक शिक्षा मंडल श्री इकबाल सिंह बैंस की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय समिति गठित की गई है। समिति में अपर मुख्य सचिव वन, पंचायत एवं ग्रामीण विकास तथा पशुपालन विभाग, प्रमुख सचिव कृषि विभाग और प्रमुख सचिव कृषि को समिति का सदस्य मनोनीत किया गया है। आयुक्त मनरेगा को समिति में सदस्य सचिव बनाया गया है। समिति का कार्यकाल एक वर्ष का होगा। समिति द्वारा गौशालाओं के सब्सटेंशियल मॉडल निर्माण एवं संचालन के लिए आवश्यक मार्गदर्शीय सिद्धांतों का निर्धारण और समय-समय पर प्रदेश स्तर की समीक्षा की जायेगी।
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश पशुपालन विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान में प्रदेश में अनुमानित 6 लाख निराश्रित गोवंश हैं। प्रदेश में कुल पंजीकृत 1285 गौशाला में से 614 क्रियाशील गौशाला हैं, जिनमें 1,53,834 गौवंश हैं। सड़कों पर आवारा घूम रहे निराश्रित गोवंश को गौ-शालाओं में रखने की तैयारी की जा रही है। 16 जनवरी से भोपाल में पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। पशुपालन, मछुआ कल्याण और मत्स्य विकास मंत्री लाखन सिंह यादव ने बताया था कि 5 हजार से अधिक निराश्रित गोवंश को शहर के बाहरी इलाके सूखी सेवनिया में बनी बरखेडी गौशाला में रखा जायेगा। गौसंवर्धन के मद में 50 करोड़ रूपये हैं। गौशाला में उनके लिए चारे की व्यवस्था भी की जा रही है। प्रदेश के सभी 52 जिलों के कलेक्टरों को पत्र लिख कर कहा गया है कि वे अपने-अपने जिलों में आने वाली पंचायतों में वह सरकारी भूमि चिन्हित करें, जहां गौशाला बनाई जा सके। फिर हमें इसकी सूचना दी जाए ताकि गौशाला निर्माण किया जा सके।