कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को छत्तीसगढ़ में वादा किया कि यदि 2019 में कांग्रेस सत्ता में आई तो देश में हर एक गरीब को न्यूनतम आय की गारंटी दी जाएगी। नया रायपुर में किसान रैली को संबोधित करते हुए राहुल ने कहा कि जैसे कांग्रेस पार्टी ने मनरेगा में 100 दिन का रोजगार गारंटी करके दिया, सूचना के अधिकार में गारंटी से ब्यूरोक्रेसी के दरवाजे खोले, भोजन का अधिकार गारंटी करके दिया, वैसे ही न्यूनतम आमदनी की गारंटी होगी। राहुल ने कहा कि यह ऐतिहासिक कदम है और इससे गरीबी और भुखमरी को खत्म करने में मदद मिलेगी। राहुल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि पीएम मोदी और भाजपा दो भारत बनाना चाहते हैं। एक राफेल घोटाला और उद्योगपति मित्रों का और दूसरा गरीब किसानों का। फसल बीमा योजना पर सवाल उठाते हुए राहुल ने कहा कि क्या कारण है कि किसान अपना पैसा बीमा कंपनी को देता है और ओला पड़ने पर किसान को उसका पैसा नहीं मिलता है। पूरा फायदा अनिल अंबानी की कंपनी को जाता है।
कर्जमाफी योजना का जिक्र करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि जब हम विपक्ष में थे, तब भी हम किसानों का कर्ज माफ करने की बात करते थे और सरकार में पूछते थे तो सरकार कहती थी कि हमारे पास पैसा नहीं है और हम ये काम नहीं कर सकते। हिंदुस्तान के चौकीदार के पास छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए 6000 करोड़ रुपए नहीं हैं लेकिन अनिल अंबानी के लिए 30,000 करोड़ रुपए हैं।
कांग्रेस की सरकारों ने देश से ‘गरीबों’ को हटाया: जावड़ेकर
राहुल गांधी के दावे को लेकर केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने पटलवार किया है। जावड़ेकर ने कहा कि गरीबी कम करने की दिशा में मोदी सरकार की योजनाएं कारगर साबित हो रही हैं। उन्होंने दावा किया कि प्रसिद्ध संस्था वर्ल्ड डाटा लैब के निष्कर्षों को पूरी दुनिया मानती है और इस संस्था ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत में अत्यधिक गरीबी तेजी से कम हो रही है। जावड़ेकर ने जोर दिया कि 2012 में ग्रामीण भारत में 14 प्रतिशत लोग अत्यधिक गरीबी की रेखा के नीचे थे और अब यह संख्या 4 प्रतिशत हो गई हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कांग्रेस की सरकारों ने देश से गरीबों को हटाया जबकि प्रधानमंत्री मोदी देश से गरीबी हटाने का काम कर रहें हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस कभी मुख्यधारा की पार्टी हुआ करती थी लेकिन वह अब संकीर्ण पार्टी बन कर रह गई है। जावड़ेकर ने कहा कि कांग्रेस के दो मित्र और हित चिंतक अखिलेश यादव और मायावती अब कांग्रेस को चुनावी पार्टनर बनाने योग्य भी नहीं समझ रहे हैं। और सपा-बसपा ने उत्तरप्रदेश में मां-बेटे (सोनिया और राहुल गांधी) के लिए ही दो सीटें छोड़ी हैं।
क्या है न्यूनतम आय की गारंटी ?
न्यूनतम आय की गारंटी एक तरह से ‘यूनिवर्सल बेसिक इनकम स्कीम’ ही है। इसके तहत सरकार देश के गरीबों को बिना शर्त एक तय रकम देती है। इसका मतलब यह हुआ कि अगर यह योजना लागू होती है तो सरकार को देश के हर गरीब नागरिक को एक निश्चित रकम एक निश्चित अंतराल पर देनी होगी। हालांकि, इस स्कीम के तहत ‘गरीब’ की परिभाषा क्या होगी, यह सरकार ही तय करेगी।
ब्राजील, कनाड़ा जैसे कई देशों ने लागू की थी न्यूनतम आय योजना
न्यूनतम आय की योजना कई देशों ने भी अपनाई है, जिनमें अमेरिका, ब्राजिल, कनाडा, डेनमार्क, जर्मनी, स्पेन सहित करीब 21 देश शामिल है। 2004 में ब्राजील सरकार ने न्यूनतम आय की योजना को स्वीकारा था। इसके तहत, गरीब परिवारों को सरकार ने डेबिट कार्ड के माध्यम से लाभार्थियों को न्यूनतम आय पहुंचाई थी, लेकिन सरकार ने इस योजना के लाभार्थियों के सामने अपने बच्चों को स्कूल में दाखिला कराने और टीकाकरण कराने की शर्त रखी थी। यदि लाभार्थी इन शर्तो कों पूरा नहीं करते है तो उन्हें न्यूनतम आय योजना से बाहर रखा जाता था। साल 2011 तक लगभग पांच करोड़ लोग इस योजना का लाभ ले चुके थे। ब्राजील में न्यूनतम आय की नीति सफल रही थी। इसके विपरीत कनाडा सरकार ने इस नीति को दो बार लागू किया था और दोनों बार कनाडा सरकार विफल हुई थी। साल 1970 में कनाडा सरकार ने गरीब परिवारों को नकदी राशि देकर गरीबी मिटाने की नाकाम कोशिश की थी लेकिन बजट की कमी के कारण यह नीति सरकार की विफलताओं में गिना गई। आखिरकार सरकार ने इस योजना को बंद कर दिया। इसके बाद 2017 में भी कनाडा सरकार ने सालाना 10 हजार डॉलर यानी करीब 7 लाख रुपए से कम आय वाले परिवार को न्यूनतम आय देने की बात की थी लेकिन अगस्त 2018 में इस प्रस्ताव को रद्द कर दिया गया। इसके अलावा और भी देशों में यह योजना जनसंख्या या बजट को ध्यान में रखते हुए बंद कर दी गई।