Monday, June 5, 2023

मध्यप्रदेश में चुनावी साल में भाजपा को बड़ा झटका लगा। भाजपा के विधायक और विंध्य के बड़े नेता माने जाने वाले नारायण त्रिपाठी ने हाल ही में अपनी अलग पार्टी बनाने का ऐलान किया। अलग पार्टी बनाने के अलावा नारायण त्रिपाठी ने विंध्य की 30 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का भी ऐलान कर दिया। नारायण त्रिपाठी ने अलग विंध्य प्रदेश की मांग को लेकर अब सियासत शुरू हो गई है।

अगर देखा जाए तो विंध्य की राजनीति में नारायण त्रिपाठी वह नाम है जो सपा,कांग्रेस और भाजपा के टिकट पर पिछले चार चुनावों से विधानसभा पहुंचते रहे है। हालांकि नारायण त्रिपाठी पिछले कुछ समय से लगातार ही भाजपा से बागी तेवर अपनाए हुए थे।

ऐसा देखा जाता है कि नारायण त्रिपाठी की आस्था कभी एक पार्टी में नहीं रही है। विधायक नारायण त्रिपाठी साल 2003 में समाजवादी पार्टी के टिकट से विधायक बने थे। 2008 के चुनाव में सपा के टिकट से चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें भाजपा प्रत्याशी के हाथों करारी हार मिली। जिसके बाद नारायण त्रिपाठी ने कांग्रेस का दामन थामा और साल 2013 के विधानसभा चुनाव में उन्हें टिकट मिला और वे चुनाव जीत गए।

जानकारी के अनुसार 2014 के लोकसभा चुनाव में जब कांग्रेस से अजय सिंह राहुल को टिकट मिला तो वे फिर कांग्रेस के विरोधी हो गए। 2015 में उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया और साल 2016 के विधानसभा के उपचुनाव में भाजपा के टिकट से चुनाव लड़कर जीत दर्ज की। फिर 2018 के चुनाव में भी वे भाजपा के टिकट से चुनाव जीते।

नारायण त्रिपाठी ने मंगलवार को सतना में एक कार्यक्रम में अलग पार्टी बनाने का ऐलान करने के साथ जनता से कहा कि तुम मुझे 30 दो, मैं तुम्हें 2024 में विंध्य दूंगा। नारायण त्रिपाठी ने पार्टी के नाम का खुलासा करते हुए कहा विंध्य जनता पार्टी विंध्य की सभी 30 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी।

गौरतलब है कि नारायण त्रिपाठी ने पिछले लंबे समय से विंध्य प्रदेश की मांग कर रहे थे। 4 बार के विधायक नारायण त्रिपाठी की गिनती विंध्य के दिग्गज नेता के तौर पर होती है। हालांकि भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी के अलग से पार्टी बनाने और चुनाव लड़ने का एलान के बाद अब भाजपा ने उनके खिलाफ कार्रवाई के संकेत दिए है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा कि नारायण त्रिपाठी के मसले पर संगठन जल्द निर्णय लेगा।

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा कि ये लोकतंत्र है और चुनावी साल है. सभी को चुनाव लड़ने का अधिकार है. लेकिन, अगर हमारी पार्टी का कोई विधायक ऐसा करता है तो उस पर संगठन से बातचीत की जाएगी और संगठन का जो भी फैसला होगा, वही आगे निर्णायक होगा।

नारायण त्रिपाठी की विंध्य प्रदेश की मांग पर विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम का भी एक बयान सामने आया। उन्होंने कहा कि विंध्य प्रदेश की मांग बिलकुल बुरी नहीं है, कौन नहीं चाहता ऐसा हो। लेकिन बात ये है कि वाकई में ईमानदारी से विंध्य प्रदेश चाहते है या अपने आप को नेता बनाना चाहते है।

उन्होंने आगे कहा कि विंध्य प्रदेश बनाना कोई आसान काम नहीं है। हमारा विंध्य हमें लौटा दो इस बात का मतलब बहुत बड़ा है।विंध्य वापसी का मतलब दतिया को वापस लाना, रीवा में शामिल करना है। दतिया, छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी ऐसे कई जिले के लोग है। लेकिन लोग मना कर देते हैं कि हम नहीं जाना चाहते।

2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने विंध्य की 30 विधानसभा सीटों में से 27 सीटों पर जीत हासिल की थी। विंध्य में भाजपा की चली आंधी में कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के बेटे अजय सिंह भी चुरहट विधानसभा से चुनाव हार गए थे। लेकिन इस बार विंध्य में भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे के मुकाबले के बीच आम आदमी पार्टी भी अ्पने पैर जमाने की तैयारी में है।

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