राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जन्मदिन पर करते थे ईश्वर से प्रार्थना,चरखा चलाते थे और रहते थे मौन

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की आज 150वी जयंती है, जिसे जोरों-शोरों से देश मना रहा है। इस अवसर पर देश के हिस्सों में कार्यक्रम होंगे। भारतीय जनता पार्टी भी इस बार गांधी जयंती पर बड़ा आयोजन कर रही है। 15 दिन पहले शुरू किया गया BJP का ‘स्वच्छता ही सेवा’ कैंपेन आज खत्म होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को नई दिल्ली स्थित राजघाट जाकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी समेत कई अन्य बड़े नेताओं ने भी वहां पहुंच श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर मंगलवार को राष्ट्रपति भवन में स्वच्छता सर्वेक्षण पुरस्कार भी दिया जाएगा। जिसके बाद शाम को गांधी स्मृति पर प्रार्थना का आयोजन किया जाएगा। आपको बता दें कि महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में एक हिंदू-गुजराती मोध बनिया वैश्य परिवार में हुआ था। उनके माता पिता ने उनका नाम मोहनदास करमचंद गांधी रखा था। उनके जन्म के 5 साल बाद उनका परिवार पोरबंदर से राजकोट आ गया। जब गांधी 9 साल के हुए तब राजकोट में उन्हें उनके घर के नजदीकी स्कूल में पढ़ने के लिए भेजा गया। जब वो 11 साल के हुए तब उन्होंने राजकोट के हाई स्कूल में जाना शुरू किया था।

जन्मदिवस पर ज्यादातर समय मौन रहते थे गाँधी जी

आज से 100 साल पहले, जब वर्ष 1918 में गांधीजी ने अपना जन्मदिन मनाने वालों से कहा था ‘मेरी मृत्यु के बाद मेरी कसौटी होगी कि मैं जन्मदिन मनाने लायक हूं कि नहीं’.” देशभर में फैलीं गांधीवादी संस्थाओं की मातृ संस्था, गांधी स्मारक निधि के अध्यक्ष, रामचंद्र राही ने कहा, “यह गंभीर दिन होता था, इस दिन वह ईश्वर से प्रार्थना करते थे, चरखा चलाते थे और ज्यादातर समय मौन रहते थे। किसी भी महत्वपूर्ण दिन को वह इसी तरह मनाते थे। लेकिन सरकार आज गांधी जयंती पर तरह-तरह के समारोह आयोजित कर रही है, चारों तरफ हंगामा है, पूरे सालभर कार्यक्रम चलने हैं।

इसपर राही ने कहा, ‘सरकार तो कोई भी आयोजन अपने मतलब से करती है। उसे गांधी के विचारों से कुछ लेना-देना नहीं है। सरकार अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा पूरी करने के लिए गांधी के नाम का इस्तेमाल करती है उन्होंने कहा, ‘अगर सरकार सचमुच गांधी का जन्मदिन मनाना चाहती है तो उसे गांधी के विचारों पर समाज को आगे ले जाने की कोशिश करनी चाहिए। लेकिन इसका लक्षण नहीं दिखता, वर्तमान सरकार गांधी को और गांधी के जन्मदिन को सफाई के साथ जोड़ती है।’

गांधी जयंती के उपलक्ष्य में सरकार की तरफ से स्वच्छता अभियान चलाए जा रहे हैं। इस पर राही ने कहा, ‘अगर सफाई के बारे में सोचें तो पहला काम यह होना चाहिए कि देश में सफाई करने वालों को ऐसी सुविधाएं मुहैया कराई जानी चाहिए, जिससे उन्हें गटर में उतर कर सफाई न करनी पड़े। सफाईकर्मियों को मृत्यु के मुंह में धकेलना सरकार के लिए शर्म की बात है। उन्होंने कहा, ‘सफाई महत्वपूर्ण काम है, लेकिन जबतक भारत में सफाईकर्मी एक खास समूह में रहेगा, उसके जीवन को कोई सुरक्षा नहीं मिल सकेगी। यह समाज के माथे पर कलंक है, यह कलंक नहीं मिटेगा, तो गांधी जयंती मनाने से कुछ नहीं होगा।

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