कश्मीरी आतंकवादी से सैनिक बने लांस नायक नजीर अहमद वानी घाटी में 6 आतंकवादियों को मारते हुए शहीद हो गए थे। अब उन्हें इस साल अशोक चक्र के लिए चुना गया है। यह शांति काल में सर्वोच्च वीरता का प्रदर्शन करने के लिए मिलने वाला बड़ा गैलेंट्री अवॉर्ड है। नायक एक समय आतंकवादी थे लेकिन वह अपनी इन गतिविधियों को पीछे छोड़ते हुए टेरिटोरियल आर्मी में शामिल हो गए।
नायक जिस अभियान में शहीद हुए उस समय वह 34 राष्ट्रीय राइफल्स में थे और उनकी पोस्टिंग कश्मीर लाइट इंफेंटरी रेजिमेंट में थी। आतंकियों के छक्के छुड़ाने के कारण उन्हें दो बार सेना मेडल से सम्मानित किया गया था। कुलगाम के चेकी अश्मुजी गांव के रहने वाले नजीर के परिवार में पिता, पत्नी और दो बच्चे हैं। नजीर एक असाधारण सैनिक थे। शांति काल में असाधारण वीरता दिखाने के लिए अशोक चक्र प्रदान किया जाता है जो सर्वोच्च सम्मान है।
इसके बाद दूसरे नंबर पर कीर्ति चक्र और तीसरे पर शौर्य चक्र आता है। इस साल चार अधिकारियों और सैनिकों को कीर्ति जबकि 12 को शौर्य चक्र दिया जाएगा। नजीर के लिए इख्वान शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। पिछले साल 23 नवंबर 2018 को जब वानी 34 राष्ट्रीय रायफल्स के साथियों के साथ ड्यूटी पर तैनात थे, तब खुफिया एजेंसी से शोपियां के बटागुंड गांव में हिज्बुल और लश्कर के 6 आतंकी होने की खबर मिली थी। जानकारी थी कि आतंकियों के पास भारी मात्रा में हथियार हैं। वानी और उनकी टीम के पास आतंकियों के भागने वाले रास्ते को रोकने की जिम्मेदारी थी।