लोग अक्सर पूछते है कि आरएसएस का आजादी में योगदान क्या रहा ? आजादी के बाद से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक (आरएसएस) पर कर्ई तरह के आरोप लगते रहे है। आरएसएस को जहां एक तरफ तत्कालीन राजनीतिक शक्ति कांग्रेस ने पूरी तरह नकार दिया था। तो वहीं दुसरी तरफ बड़ी संख्या मे लोगों ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कदम से कदम मिलाए। आरएसएस को शुरुआती दौर से ही हिन्दु संगठन होने के आरोपों का सामना करना पड़ा। आजादी के बाद से संघ को अपने अस्तित्व को बनाये रखने के लिए लगातार कढ़ी परीक्षा से गुजरना पड़ा।

इस जैसी अनेक चुनौतियों के बाद भी आज 7 से 8 दशक के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भारत मे अद्वितीय स्थान पर बैठा हुआ है। अप्रत्यक्ष रुप से आज भारतीय राजनीति मे सक्रिय हो चुका है। जहां एक तरफ कांग्रेस, वामपंथी दल और समस्त विपक्षी पार्टियां आरएसएस को हर किसी किमत पर नीचा दिखाने और देश के एक वर्ग विशेष का विरोधी करार करने से नही थकती । वहीं ये सभी दल RSS के कुछ कामों पर हमेशा से बचती रही है। ये वो काम या योगदान है जिसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने बढ़ी ही देशभक्ति के साथ निभाया है। और मुसीबत मे देश का साथ दिया है। 

 

आरएसएस का आजादी में योगदान

10. कश्मीर के विलय मे योगदान 

आजादी के बाद ही कश्मीर पर पाकिस्तानी सेना ने हमला बोल दिया थी। कबायलियों के रूप में कश्मीर में घुसपैठ होने लगी। उस समय कश्मीर के राजा हरी सिंह किसी भी तरह का फैसला लेने में सक्षम नही थे। नेहरू सरकार भी उस समय हरी सिंह का मुंह ताक रही थी। इस स्थिति से निपटने के लिए सरदार पटेल ने गुरु गोलवलकर से बात की। फिर गुरु गोलवलकर ने राजा हरी सिंह से बात की। जिसके बाद आखिरकार कश्मीर का विलय भारत में हुआ।

 

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