सरकार में आने के पहले वादों का और सरकार में आने के बाद दावों का सिलसिला बदस्तूर जारी है । मोदी सरकार आए दिन नए नए दावे करती है । लेकिन जब आंकड़े सामने आते है तो तस्वीर कुछ और कहती है । इसी बीच विरिष्ट पत्रकार रविश कुमार ने आयकर विभाग पर कुछ आंकड़े जारी कर एक बार फिर मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है ।
रविश का लेख
रविवार के इंडियन एक्सप्रेस में आयकर विभाग के जारी आंकड़ों के आधार पर छपा है कि इस साल आयकर जमा करने वालों की संख्या में 25 प्रतिशत की वृद्धि तो हुई है मगर इसमें करीब 70 फीसदी सालाना पांच लाख या उससे कम आय वाले हैं। मतलब संख्या भले बढ़ी है, आयकर वसूली इस संख्या के अनुपात में नहीं बढ़ेगी। पांच लाख या उससे कम की आयकर कर देयता बहुत कम है।
1 अप्रैल 2017 से 5 अगस्त 2017 के बीच 2.83 करोड़ नए आयकर दाताओं ने टैक्स रिटर्न भरा। इनमें से 2.03 करोड़ ऐसे व्यक्ति, कंपनी या संस्थाएं हैं जिनकी आय 5 लाख या उससे कम ही है।
अमित माहेश्वरी, माहेश्वरी एसोसिएट, का कहना है कि नए करदाताओं के अधिकांश से कोई कर नहीं मिलने वाला है। नए करदाताओं की औसत आय 2.7 लाख होती है जो 2.5 लाख तक कर माफी की सीमा से थोड़े ही ऊपर हैं। इस तबके की आमदनी बढ़ने के साथ साथ कर वसूली बढ़ सकती है।
2016-17 में 2.27 करोड़ लोगों ने आयकर रिटर्न भरा था। इस साल 5 अगस्त तक 2.83 करोड़ लोगों ने रिटर्न भरा है। 2016-17 में 9.9 फीसदी आयकर रिटर्न भरने वालों की संख्या बढ़ी थी। 2017-18 में 24.7 फीसदी की दर से संख्या बढ़ी है।
5 लाख से अधिक की आमदनी वाले लोगों की संख्या भी देखिये। इस वित्त वर्ष में 76.49 लोगों ने 5 लाख से अधिक सालाना आमदनी का रिटर्न भरा है। नोटबंदी के दौरान दिए गए भाषणों में प्रधानमंत्री ने कहा था कि रिटर्न भरने वालों में सिर्फ 24 लाख लोग हैं जिनकी आमदनी 10 लाख से अधिक है। क्या ऐसा हो सकता है? इसका जवाब नहीं मिला कि नए करदाताओं में कितने नए लोग ऐसे हैं जिनकी आमदनी 10 लाख से अधिक है। इस साल अप्रैल-जुलाई के बीच प्रत्यक्ष कर संग्रह 19.2 प्रतिशत बढ़ा है।
फरवरी महीने में बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने कहा था कि भारत में प्रत्यक्ष कर का संगर्ह ख़र्च के अनुपात में नहीं है। 76 लाख लोग 5 लाख से ऊपर की सालाना आमदनी पर आयकर भरते हैं। इनमें से 56 लाख वेतनभोगी लोग हैं। स्वरोज़गार वाले अभी भी बड़ी संख्या में कर नहीं दे रहे हैं।
आंकड़ों के अनुसार एक अप्रैल से पांच अगस्त के बीच केवल 45,430 व्यक्तियों ने ई रिटर्न फाइल किया है, जिनकी आमदनी साल में एक करोड़ या उससे अधिक है। 2012-13 में एक करोड़ से अधिक आय वाले 5,430 लोगों ने ही ई रिटर्न भरा था। करोड़पतियों की संख्या तो बढ़ी है। मगर नीचे के स्तर पर देखिये तो आमदनी और आयकर की दूसरी तस्वीर नज़र आएगी।
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