#Newbuzzindia/नई दिल्ली | मोदी ने अपने कैबिनेट में विस्तार मंगलवार को किया। इसमें सबसे अधिक चर्चा में HRD मंत्री स्मृति ईरानी का तबादला है जिसने सियासी गलियारे में खलबली मचा दी है।
कैबिनेट विस्तार में स्मृति ईरानी से HRD मंत्रालय छीन लिया गया है और इसके स्थान पर उन्हें कपड़ा मंत्रालय दिया गया है।
सूत्रों के अनुसार, स्मृति ईरानी को HRD मिनिस्ट्री से हटाने के पीछे मोदी और स्मृति के बीच कुछ मुद्दों पर मतभेद होना बताया जा रहा है, जिससे स्मृति को कैबिनेट विस्तार के जरिये दुसरा व् छोटा मंत्रालय सौपा गया।
मोदी और स्मृति के बिच निम्न मुद्दों पर मतभेद हुआ था-
1• HRD मंत्रालय ने देश में 20 विश्वस्तरीय मानको पर खरे उतरने वाले संस्थान खोलने का मन बनाया था। पर स्मृति और पीएमओ के बीच इस मुद्दे को लेकर 13 प्रोविजन पर अनबन थी। कयाश लगाए जा रहे है कि इसी के चलते स्मृति से HRD छीना गया है।
आपको बता दे कि शिक्षा के क्षेत्र में इस साल का यह सबसे बड़ा प्रोजेक्ट था।
2• आईआईएम बिल को लेकर भी PMO इंडिया और स्मृति ईरानी के बीच मतभेद था। IIM बिल में 2 प्रोविज़न पर PMO राजी नही हो रहा था तो वहीं इस मुद्दे पर स्मृति ईरानी भी पीछे हटने को तैयार नही थी।
3• स्मृति ईरानी के द्वारा केंद्रीय संस्थानों में जर्मन भाषा के स्थान पर संस्कृत करना भी भारी पड़ा। स्मृति के इस कदम से IIT के पूर्व डायरेक्टर RK शिवगांवकर और IIT बॉम्बे के चेयरमैन अनिल ककोड़ ने नाखुश होकर इस्तीफा दे दिया।
4• हैदराबाद यूनिवर्सिटी में रोहित बेमुला की आत्महत्या से भी स्मृति ईरानी विपक्ष के निशाने पर रही और अनेक तरह की स्थितियो का सामना भी करना भी पड़ा।
5• सुप्रीम कोर्ट की तरफ से स्मृति ईरानी को एक पत्र लिखा गया था जिसमे उन्हें कहा गया था कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सटी को अल्पसंख्यक यूनिवर्सटी के दर्जे से हटा दे। पर इस पर HRD मंत्री ने यह कह कर पल्ला झाड़ लिया की संविधान में ऐसे किसी संस्थान को चलाने की परमिशन नहीं है।
आपको बता दे कि, इन मुद्दों में से कुछ मुद्दों पर प्रधानमन्त्री के प्रमुख सचिव निरेंद्र मिश्रा ने उच्च शिक्षा सचिव वीएस ओबेरॉय से मीटिंग भी की थी, पर इन मीटिंग से किसी भी तरह का समाधान नही निकल पाया था।
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