Thursday, June 8, 2023

मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत विवाह के लिए आईं कुछ दुल्हनें मिलीं गर्भवती, कांग्रेस ने टेस्ट को बताया निजता का हनन

डिंडोरी। मध्यप्रदेश के डिंडोरी जिले में मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत शादी के लिए आईं कुछ दुल्हनें गर्भवती पाई गई हैं। बताया जा रहा है कि शादियों में मेडिकल चेकअप के नाम पर प्रेग्नेंसी टेस्ट किया गया है। इसे लेकर अब विवाद शुरू हो गया है।

कांग्रेस के स्थानीय विधायक ने इस तरह के टेस्ट पर आपत्ति जताई है। इस योजना के लाभ के लिए कई लोगों ने आवेदन दिया था जिसमें से 219 आवेदनों को मंजूरी मिली थी। इस आयोजन में प्रेग्नेंसी रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद महिलाओं का नाम लिस्ट से हटा दिया गया है। इस घटना के बाद से राजनीति तेज हो गई है। वहीं सरकार पर हमला करते हुए कांग्रेस ने इसे निजता का हनन बताया है।

दरअसल, प्रेग्नेंसी टेस्ट पर कांग्रेस विधायक ओमकार सिंह मरकाम ने कहा कि यह पूरी तरह से निजता का हनन है। नियम प्रक्रिया को लेकर शासन को पहले स्पष्ट करना चाहिए। विधायक ने आगे कहा कि अगर कोई वैवाहिक जीवन में प्रवेश कर रहा है तो प्रशासन को प्रेग्नेंसी टेस्ट कर उनके जीवन में बाधा नहीं डालनी चाहिए।

वहीं, माकपा के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने भोपाल में कहा कि मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत डिंडोरी जिले के गाड़ासरई में 219 आदिवासी युवतियों के सामूहिक विवाह से पहले उन्हें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाकर उनका प्रेग्नेंसी टेस्ट करवाना बीजेपी के आदिवासी और महिला विरोधी आचरण को उजागर करता है, जिसकी चौतरफा निंदा होनी चाहिए। इसके अलावा उन्होंने दोषी अधिकारियों को सजा दिलाने की भी मांग की।

इस घटना के बाद स्तिथि को संभालते हुए व प्रशासन का बचाव करते हुए डिंडोरी के कलेक्टर विकास मिश्रा ने बताया कि गाड़ासरई में शनिवार को होने वाले सामूहिक विवाह में शामिल होने वाले 219 जोड़ों के मेडिकल परीक्षण का प्रेग्नेंसी टेस्ट नहीं था बल्कि आनुवांशिक बीमारी ‘सिकलसेल’ की जांच कराना था। उन्होंने कहा कि सिकलसेल बीमारी की जांच के दौरान चिकित्सकों ने चार युवतियों का गर्भावस्था परीक्षण किया है क्योंकि इन युवतियों ने माहवारी नहीं आने की बात बताई थी। इसे लेकर प्रशासन की ओर से कोई निर्देश नहीं थे। यह चिकित्सकों पर निर्भर है कि वे सिकलसेल की बीमारी का पता करने के लिए क्या प्रक्रिया और जांच करवाते हैं।

फिलहाल चिकित्सक की रिपोर्ट के बाद ऐसे चार जोड़ों को सामूहिक विवाह में शामिल नहीं किया गया। ‘मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना’ के तहत, राज्य सरकार पात्र जोड़ों को वित्तीय सहायता के रूप में 56,000 रुपए प्रदान करती है।

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