मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने एकतरफ लगभग डेढ़ दर्जन से ज्यादा जिलों में लॉकडाउन लगाकर जनता और मध्यमवर्गीय परिवारों की कमर तोड़ के रख दी है तो दूसरी तरफ सरकार को राजस्व घाटा होने के कारण सरकार भी पशोपेश में हैं।
मध्यप्रदेश में शराब दुकानों से सबसे ज्यादा राजस्व सरकार को प्राप्त होता है यही कारण है कि लॉकडाउन के बाद जब प्रदेश की शराब दुकान बंद हुई तो सरकार को नियमित खर्चे और कोरोनावायरस की व्यवस्थाओं के लिए खजाने में कमी दिखाई देने लगी।
सरकार ने साफ कर दिया है कि प्रदेश में अगर शराब दुकानें 4 दिन से ज्यादा बन्द रहती हैं तो शराब दुकानों को हुए नुकसान की भरपाई सरकार ठेकेदारों को क्षतिपूर्ति राशि देगी।
देश में पिछले वर्ष 22 मार्च से लॉकडाउन लगाया गया था जो वित्तीय वर्ष 31 मार्च तक लगा रहा था जिससे प्रभावित शराब दुकानों के ठेकेदारों को आज तक उस राशि का भुगतान नहीं हुआ है लेकिन इस साल के नुकसान की भरपाई के लिए भी सरकार ठेकेदारों को क्षतिपूर्ति राशि देने की बात कर रही है।
प्रदेश सरकार को 1 दिन पूरे प्रदेश की शराब दुकानों के बंद होने से 36 करोड़ के से ज्यादा का नुकसान होता है अगर बात प्रदेश के 4 बड़े शहरों की करें तो यह नुकसान लगभग 20 करोड़ रुपए के ऊपर होता है।
भोपाल में इतना होता है नुकसान
राजधानी भोपाल में अगर शराब की दुकान है 1 दिन के लिए बंद होती हैं तो सरकार को एक करोड़ 75 लाख रुपए ठेकेदारों को क्षतिपूर्ति के तौर पर देना पड सकती है यही कारण है कि सरकार 4 दिन से ज्यादा शराब दुकानें बंद होने की भरपाई ठेकेदारों को करके प्रदेश की अर्थव्यवस्था में इनके योगदान को बनाए रखना चाहती है क्योंकि सरकार को डर है कि अगर वह क्षतिपूर्ति राशि भी नहीं देगी तो शराब दुकानदार शराब बेचना बंद कर देंगे और सरकार को राजस्व घाटा हो सकता है।
आपको बता दें कि मध्य प्रदेश सरकार के लिए शराब दुकान इतनी महत्वपूर्ण है कि पिछले साल के लॉकडाउन के दौरान सरकार ने शराब बिकवाने के लिए सरकारी कर्मचारियों तक की ड्यूटी लगा दी थी तो भोपाल में कई जगह तो महिला कर्मचारियों को भी शराब की दुकानों में बिठा दिया गया था जिसका बाद में विरोध हुआ और सरकार ने महिलाओं की जगह पुरुष पुरुष कर्मचारियों को दुकान पर बैठाया।