Monday, June 5, 2023

क्षिप्रा नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए साधु-संत करेंगे आंदोलन, जल्द तैयार होगी रूप रेखा

उज्जैन। धार्मिक नगरी उज्जैन में 12 वर्षों में एक बार लगने वाला सिंहस्थ महापर्व 2028 में आयोजित होगा, लेकिन इसके पहले क्षिप्रा नदी की दयनीय स्थिति को देखकर साधु-संतों ने आंदोलन का बिगुल बजा दिया है। इस आंदोलन को लेकर एक बैठक आयोजित होने वाली है, जिसमें साधु संतों के साथ शहर के सामाजिक संगठन, समाजसेवी, पुजारी मिलकर एक योजना तैयार करेंगे। इसमें मां क्षिप्रा को प्रदूषण मुक्त करने और प्रवाहमान बनाने को लेकर चर्चा होगी। साधु-संतों का कहना है कि मां क्षिप्रा का वही स्वरूप सभी को नजर आये जिसके बारे में वह अब तक पढ़ते और सुनते आए हैं।

यह पहल चार धाम मंदिर के पीठाधीश्वर शांतिस्वरूपानंद गिरि महाराज ने की है। उनका कहना है कि मां क्षिप्रा कोई प्रवचन करने का विषय नहीं हैं। मां क्षिप्रा में अमृत की बूंदे गिरी थीं इसलिए सभी को सिंहस्थ महाकुंभ में मां क्षिप्रा में ही स्नान का सौभाग्य मिले ऐसी हमारी कामना है।

शांतिस्वरूपानंद गिरि जी ने आगे कहा कि सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च कर दिए लेकिन अब तक मां क्षिप्रा प्रदूषित ही हैं। केंद्र सरकार ने नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत 600 करोड़ रुपये खर्च कर इस पानी को शुद्ध करने का प्लांट लगाया जाने वाला है, लेकिन इस प्रोजेक्ट के तहत कितनी ईमानदारी से काम होगा यह तो सभी जानते हैं। पहले भी कई ऐसी योजनाएं आईं और क्षिप्रा नदी के लिए कई कार्य किए गए। लेकिन आज भी मां क्षिप्रा प्रदूषित ही हैं।

उन्होंने कहा कि मां क्षिप्रा के उत्थान के लिए किसी को तो आगे आना होगा, लेकिन हिंदू समाज और क्षिप्रा के पुजारी सोए हुए हैं, क्योंकि वह सिर्फ मां क्षिप्रा की आरती कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर रहे हैं। लेकिन ऐसे नहीं चलेगा। सरकार क्षिप्रा को प्रवाहमान करने के लिए अपने मुताबिक कार्य करवाती है, लेकिन यह कार्य ठीक से नहीं हो पाता। इसलिए इस बार एक समिति बनाई जाए जो कि इन कार्यों को सही तरीके से पूर्ण करवाएं। 

वहीं, महामंडलेश्वर शैलेशानंद ने कहा कि यह हम सभी का दायित्व है कि मां क्षिप्रा उज्जैन की जीवनदायिनी हैं और यह नगरी सबसे प्राचीनतम नगरी है। क्षिप्रा के लिए एक आंदोलन जल्द ही होगा, जिसके लिए प्रत्येक धर्म व संस्था के लोग शामिल होंगे।

वहीं, महामंडलेश्वर ज्ञानदास महाराज ने कहा कि गंभीर डैम के पानी को फिल्टर कर शहरवासियों को पीने के लिए उपलब्ध कराया जाता है। उसी तरह मां क्षिप्रा के जल को नदी में भी प्रवाहमान करना चाहिए। अभी मां क्षिप्रा की स्थिति काफी दयनीय है, जिसमें वर्तमान में कई नाले मिल रहे हैं।

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