मुरैना। डॉक्टर भगवान का रूप माने जाते हैं क्योंकि एक वही हैं जो मरीज को नया जीवन देते हैं। आज कई ऐसे बिना डिग्री वाले झोलाछाप डॉक्टर हमारे आसपास घूम रहे हैं जो मरीज़ों की ज़िंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। खासतौर से छोटे गांव-कस्बों में इस तरह के झोलाछाप डॉक्टर खुलेआम बेखौफ घूमते हैं। ऐसे डॉक्टरों का कारोबार लगातार गांवों में फैलता ही जा रहा है। इनके द्वारा किए गए गलत इलाज के बाद मरीज का क्या होगा इन्हें इसकी ज़रा भी फिक्र नहीं होती, क्योंकि इनका मकसद सिर्फ पैसा कमाना होता है।
झोलाछाप डॉक्टर की लापरवाही का एक ऐसा ही मामला मुरैना जिले के पहाड़गढ़ ब्लॉक पंचायत के माधौगढ का है जहां एक झोलाछाप डॉक्टर ने एक मासूम की जिंदगी को तबाह कर दिया।
बता दें कि माधौगढ़ निवासी प्रीतम सिंह धाकड़ के पुत्र को एक साल पहले पेट में दर्द उठा था। बेटे के पेट में अचानक होने वाले तेज़ दर्द के कारण माता-पिता घबरा गए और घर के पास में ही प्रैक्टिस करने वाले एक झोलाछाप डॉक्टर सुनील धाकड़ के पास उसे इलाज के लिए ले गए।
सुनील धाकड़ ने बच्चे को देखकर किसी प्रकार की जांच किए बिना ही उसे इंजेक्शन लगा दिया। इंजेक्शन लगने के बाद ही बच्चे के बाएं पैर में दर्द होने लगा और देखते ही देखते पैर की सारी नसें फूल गयीं। फिर कुछ समय बाद पैर ने काम करना बंद कर दिया। इस घटना से घबराए हुए मां-बाप ने बेटे का पैर खराब होने पर उसका इलाज कराने दिल्ली ले गए।
इस घटना के बाद सारा मामला सीएमएचओ डॉ. राकेश शर्मा के सामने लाया गया, लेकिन अब तक सीएमएचओ द्वारा उस झोलाछाप डॉक्टर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है। इस तरह के मामले आना कोई नई बात नहीं है, लेकिन प्रशासन की लापरवाही और सुस्त रैवया इस तरह के झोलाछाप डॉक्टरों को मनमर्ज़ी करने की छूट देता है।