कोरोना से मृत्यु एक अभिशाप बन गया है

सोमवार को भोपाल के भदभदा विश्राम घाट पर 14 मरीजों के शव अंतिम संस्कार के लिए आए। इनमें से 9 भोपाल के थे और 6 दूसरे जिलों के जो भोपाल में इलाज कराने आए थे। इनकी मौत अस्पतालों में कोरोना संक्रमण की वजह से हुई। एक एंबुलेंस में आठ से नौ शव भरे हुए थे। लोगों का कहना है कि कोरोना पॉजिटिव होना इतना बड़ा अभिशाप हो गया कि इस तरह से मृत शरीर के साथ भी मानवीयता नहीं बरती जा रही है। 

हैरत तो तब हुई जब पीपीई किट पहने हुए कर्मचारी ने शव का अंतिम संस्कार करने के बाद पीपीई किट को कचरे के डिब्बे में डालने की जगह ऐसे ही फेंक दिया। इसके चलते पीपीई किट का ढेर श्मशान घाट में लगा हुआ था।

झदा कब्रस्तान के अध्यक्ष रेहान अहमद गोल्डन ने बताया कि पिछले एक सप्ताह से कोरोना पॉजिटिव मरीजों की अस्पताल में मौत की संख्या में इजाफा हो गया है। यही कारण है कि हर दिन झदा कब्रस्तान में औसतन तीन पॉजिटिव के शव आते हैं। इस तरह एक सप्ताह में करीब 15 शव आ चुके हैं।

उन्होंने यह भी बताया कि 28 मार्च को चार, 29 मार्च को 2, 2 अप्रैल को 2, 3अप्रैल को 4, 4 अप्रैल को 5 और 5 अप्रैल को 3 पॉजिटिव मरीजों के शव आए हैं। इन शवों पर डालने के लिए मिट्टी कम पड़ गई है। जिला प्रशासन से मिट्टी की मांग की गई थी लेकिन प्रशासन ने मिट्टी भी नहीं भेजी। कोरोना पॉजिटिव मरीजों के शव की संख्या बढ़ने के चलते अब आठ से 10 अतिरिक्त गड्ढे कर रखे जा रहे हैं।

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