Thursday, June 8, 2023

No One Killed Sushant? तो क्या सुशांत के सुसाइड की होगी CBI जांच?

एक सितारे का समय से पहले अस्त हो जाना कायनात पर कई सवाल खड़े कर जाता है। सुशांत भी मायानगरी के आसमान में किसी तारे की तरह अस्त हुए या फिर टूटे या तोड़ दिए गए और अब इसको लेकर सवाल सदमे के साथ उनके फैन्स के जेहन में सुलग रहे हैं। सोशल मीडिया पर सुशांत की मौत को लेकर उमड़ा जज़्बातों का सैलाब थमा नहीं है बल्कि ‘जस्टिस फॉर सुशांत’ की हैशटैग के साथ इंसाफ मांग रहा हैं।

सुशांत की मौत को उनके फैन्स और चाहने वाले सुसाइड नहीं मान रहे हैं। मुंबई पुलिस के बयान पर सुशांत के फैन्स को भरोसा नहीं है। इसकी बड़ी वजह ये भी हो सकती है कि बॉलीवुड से जुड़े मामलों को लेकर दबाब से गुज़रने का मुंबई पुलिस का पुराना इतिहास है। मरहूम जिया खान की मां ने जिया खान के सुसाइड के मामले में सलमान खान पर सनसनीखेज आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि सलमान खान लगातार जांच अधिकारी को फोन कर सूरज पंचौली से पूछताछ न करने का दबाव बना रहे थे । सुशांत के सुसाइड के मामले में भी उनके फैन्स इसी तरह के आरोप लगा रहे हैं। सुशांत के फैन्स के पास मौजूद आरोपों की लिस्ट छोटी और कोरी नहीं की जा सकती है। सवाल इस तरह हैं जिनके जवाब पुलिस, प्रशासन और बॉलीवुड यानी सबसे मांगे गए हैं।

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे सवालों की फेहरिस्त में पहला सवाल ये है कि सुशांत की फंदे पर लटकती तस्वीर सामने क्यों नहीं आई? सवाल ये भी है कि सुशांत के गले में बना निशान किसी रस्सी या तार से बना लगता है जो कि गला घोंटने पर बनता है जबकि फांसी के फंदे का निशान नहीं है। सवाल ये भी है कि सुशांत का बिस्तर पर गिरे होने की फोटो क्यों दिखाई गई?

सवाल कई हैं। सवाल ये भी है कि सुशांत को कूपर हॉस्पिटल क्यों ले जाया गया। दरअसल कूपर हॉस्पिटल में ही दिव्या भारती और परवीन बॉबी को भी ले जाया गया था। मशहूर अभिनेत्री परवीन बॉबी का शव भी उनके घर में बरामद हुआ था जबकि दिव्या भारती ऊंची बिल्डिंग से नीचे गिर गई थीं। ऐसे में एक यूज़र ने लिखा,’ सुशांत सिंह को भी कूपर अस्‍पताल ले जाया गया, गड़बड़ है।’ दरअसल सुशांत के बांद्रा स्थित फ्लैट से कूपर हॉस्पिटल की दूरी बहुत है। ऐसे में यूज़र्स ने इस फैसले पर सवाल उठाए हैं।

सुशांत की मौत की खबर के साथ ही बड़ी तेजी से एक खबर उनके डिप्रेशन को लेकर भी हाईलाइट हुई। बताया गया कि सुशांत 6 महीने से डिप्रेशन में थे। 6 ही दिन पहले उनकी पूर्व मैनेजर दिशा सोलियान ने भी खुदकुशी की थी। ऐसे में डिप्रेशन का मरीज होने की वजह से सुशांत के लिए ये दिन काफी मुश्किल भरे वाकई हो सकते थे। लेकिन सोशल मीडिया पर यूज़र्स उनको डिप्रेशन में मानने को तैयार नहीं हैं। उनका सवाल ये है कि डिप्रेशन की थ्योरी को जानबूझकर इसलिए स्थापित किया जा रहा है ताकि सुसाइड साबित किया जा सके। यूज़र्स ने सुशांत के आखिरी वक्त में साथ रह रहे लोगों से पूछताछ की मांग की है। उनका आरोप है कि ये सुसाइड नहीं बल्कि एक सुनियोजित हमला है। यही आरोप सुशांत के आईपीएस जीजा और मामा ने भी लगाए हैं। वो भी ये मानने को तैयार नहीं है कि सुशांत सुसाइड कर सकता है। लोगों के सवाल हैं कि अगर सुशांत डिप्रेशन में थे तो फिर उनके घर में पार्टियों का दौर क्यों जारी था? सवाल ये भी है कि बॉलीवुड में 11 अदद फिल्में देने वाला नौजवान जिसकी 6 महीने बाद शादी संभावित थी वो खुदकुशी कैसे कर सकता है?

अपने समय की मशहूर अभिनेत्री परवीन बॉबी को डॉक्टरों ने सिजोफ्रेनिया से ग्रसित बताया था। अपनी ज़िंदगी के आखिरी दिनों में वो इस डर के अहसास के साथ जीती और मरती रहीं कि कोई उन्हें जान से मारना चाहता है। 22 जनवरी को परवीन की डेड बॉडी उनके फ्लैट में मौत के 2 दिन बाद बरामद हुई। इसी तरह अभिनेत्री दिव्या भारती की भी 19 अप्रैल 1993 को संदेहास्पद मौत हुई। कहा जाता है कि उन्होंने अपनी बिल्डिंग के पांचवें फ्लोर से कूद कर सुसाइड किया। इन मौतों पर आज भी सवाल उठते हैं। ऐसे में सुशांत के फैन्स को उनका सुसाइड किसी तय स्क्रिप्ट और परफेक्कट डायरेक्शन के साथ फिल्माया लग सकता है।

14 जून को सुशांत सिंह राजपूत ने अपने फ्लैट में पुलिस के मुताबिक सुसाइड कर लिया था। मुंबई पुलिस इस मामले की जांच कर रही है। पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में दम घुटने से मौत होना बताया गया है। लेकिन सवाल ये है कि दम आखिर कैसे घुटा? क्या फांसी के उस फंदे से सुशांत का दम घुटा जिसे खुद सुशांत ने हरे पर्दे से तैयार किया था या फिर उनके गले में बने निशान किसी बड़ी साज़िश का हिस्सा हैं जिसकी जांच अभी बाकी है।

ज़ाहिर सी बात है कि 34 साल के युवा, हंसमुख और जिंदादिल शख्स की फांसी किसी के गले नहीं उतर रही है। अगर ज़िंदगी को लेकर इतना बागी कदम सुशांत उठा सकते थे तो फिर चार लाइनों का सुसाइड नोट लिखने में किसका डर था ? सुशांत का अगर इस कदर मोह भंग हो चुका था तो वो ज़िंदगी के खिलाफ अपनी नाराज़गी को बिना बयां किए कैसे चले गए? ये सोचने की बात है कि सुशांत एक छोटी सी जगह से छोटी सी हैसियत से उस मुकाम पर पहुंचे जहां का लोग सिर्फ ख्वाब ही देख पाते हैं। इसके बावजूद वो सबकुछ न्यौछावर कर देने वाली ज़िंदगी से इतने बेगाने और शिकायती हो गए कि उन्होंने ज़िंदगी की सांसों की जगह फांसी के फंदे को गले लगा लिया?

ये सवाल जज्बाती जरूर लग सकते हैं लेकिन इन सवालों के उठने की वजह बेमानी नहीं कही जा सकती है। मनोचिकित्सकों को भी ये अजीब लग सकता है कि सुबह उठकर 9 बजे अनार का जूस पीने के बाद कोई सुसाइड भी कर सकता है।

बांद्रा में सुशांत एक ड्यूप्लैक्स फ्लैट में रहते थे जिसमें नीचे एक बड़ा हॉल और ऊपर 3 कमरे थे। उनके नौकर छठी मंज़िल पर रहते थे जबकि साथ रहने वाली एक हीरोइन ने कुछ दिन पहले ही फ्लैट छोड़ा था। ऐसे में सोसाइटी में ये भी जानना जरूरी है कि सुशांत के जूस पीने के बाद उस फ्लैट में किसी बाहरी की कोई एन्ट्री तो नहीं हुई। ताकि उनके फैन्स को एक सही जवाब मिल सके कि ‘नो वन किल्ड सुशांत।’

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